Mohini Ekadashi 2024: जीवन में सुख-समृद्धि और शांति पाने की चाह हर किसी के मन में होती है। लेकिन इस भौतिक जगत में फंसकर हम अक्सर मोह-माया के जाल में उलझ जाते हैं। ऐसे में हमें ऐसे अवसरों की तलाश रहती है जो हमें इन बंधनों से मुक्ति दिलाएं। हिंदू पंचांग के अनुसार, ऐसा ही एक शुभ अवसर है – मोहिनी एकादशी। यह एकादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारस तिथि को मनाई जाती है।
मोहिनी एकादशी का व्रत करने से न सिर्फ हमारे जीवन में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि हम मोह-माया के बंधनों से भी मुक्त हो पाते हैं। तो आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे मोहिनी एकादशी व्रत कथा, महत्व, पूजा विधि और इसके लाभों के बारे में। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि इस व्रत को करने से हम अपने जीवन में किस तरह खुशियां ला सकते हैं और मोह-माया के बंधनों से मुक्ति पा सकते हैं। इस एकादशी के व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।
तो पाठकों, तैयार हो जाइए इस दिव्य एकादशी व्रत की अद्भुत यात्रा पर निकलने के लिए…
Mohini Ekadashi:-Table Of Content
मोहिनी एकादशी कब है? (Mohini Ekadashi kab Hai)
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का व्रत इस वर्ष 19 मई 2024, दिन रविवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार यह व्रत प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस बार एकादशी तिथि का प्रारंभ 18 मई शनिवार को सुबह 11 बजकर 22 मिनट से होगा और समाप्ति 19 मई रविवार को रात 1 बजकर 50 मिनट पर होगी।
मोहिनी एकादशी क्या है? (What is Mohini Ekadashi)
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तारीख को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना की जाती है। इस दिन व्रत रखने से मान्यता है कि जीवन की कठिनाईयों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विष्णु मंत्र का जप करने और व्रत कथा का पाठ करने का विधान होता है।
मोहिनी एकादशी का महत्व Mohini Ekadashi Significance
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष मोहिनी एकादशी 19 मई 2024 को पड़ रही है। इस पावन व्रत का विशेष महत्व निम्नलिखित 5 बिंदुओं से समझा जा सकता है:
- आध्यात्मिक महत्व: मोहिनी एकादशी को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के मोहिनी अवतार के प्रकट होने का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का विशेष महत्व है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
- पापों से मुक्ति: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मोहिनी एकादशी का व्रत श्रद्धा और निष्ठा के साथ रखने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पा सकता है। इस व्रत को रखने से जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति: मोहिनी एकादशी के व्रत को रखने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से धन-संपत्ति, सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इससे जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक विकास होता है।
मोहिनी एकादशी के फायदे (Mohini Ekadashi Benefits)
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस व्रत को करने से अनेक लाभ होते हैं।
- मोहिनी एकादशी का व्रत सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करता है।
- यह व्रत मोह-माया के बंधनों से मुक्त करके श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) जी की अनन्य कृपा दिलाता है। मोहिनी एकादशी का पालन करने से विवाह बाधा दूर होती है और पितृ दोष का निवारण होता है।
- इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा करने और गीता पाठ करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- संक्षेप में, मोहिनी एकादशी का व्रत भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक सुख देने वाला है।
मोहिनी एकादशी व्रत नियम (Mohini Ekadashi Fasting Rules
- व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। दिन भर उपवास रखें और अनाज, फलियां और चावल का सेवन न करें।
- भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की मूर्ति स्थापित करें, अभिषेक करें और पीले वस्त्र तथा चंदन का तिलक अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। भगवान विष्णु को पंचामृत और तुलसी के पत्ते अर्पित करें और आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
- व्रत के दौरान झूठ बोलने, हिंसा करने और दूसरों की बुराई करने जैसी पापपूर्ण गतिविधियों से दूर रहें।
- द्वादशी तिथि (एकादशी के अगले दिन) को एक भोजन ग्रहण करके व्रत तोड़ें। ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा दें।
- पद्म पुराण और विष्णु पुराण में मोहिनी एकादशी के धार्मिक महत्व का उल्लेख है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्त की इच्छाएं पूरी करते हैं। यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी है।
इस प्रकार, मोहिनी एकादशी का व्रत भक्ति, त्याग और संयम का प्रतीक है। इसे श्रद्धा और निष्ठा के साथ करने से मानसिक शांति, खुशी और मुक्ति की प्राप्ति होती है।
मोहिनी एकादशी व्रत कथा (Mohini Ekadashi Vrat katha)
मोहिनी एकादशी व्रत (Mohini Ekadashi Vrat), हिन्दू पंचांग के वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस दिन विश्वनाथ भगवान की उपासना करने से सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। इसकी कथा बहुत महत्वपूर्ण है। भगवान राम ने महर्षि वशिष्ठ से पूछा था कि उन्हें सभी पापों और दु:खों से मुक्ति दिलाने वाला धर्म क्या है, तो महर्षि वशिष्ठ ने उन्हें मोहिनी एकादशी व्रत का पालन करने की सलाह दी।
एक समय की बात है, भद्रवती नामक एक समृद्ध राज्य में धृतिमान नामक राजा हुआ करता था। उसके खजानची धनपाल के पांच बेटे थे, जिनमें से धृष्टबुद्धि नामक एक बच्चा बुरी संगत में रहकर दुष्कर्मों में लिप्त हो गया था। वह जुआ, मांस और शराब का सेवन करता था, और अंत में उसने अपनी सम्पत्ति को बर्बाद कर दिया। इसके बाद उसके पिता ने उसे घर से निकाल दिया। धृष्टबुद्धि चोरी करने लगा और उसे कैद की सजा हुई। जेल से छूटने के बाद, वह एक वन में रहने लगा और शिकार करने लगा। एक दिन वह ऋषि कौंडिन्य के आश्रम में पहुंचा, जहां उसने अपने पापों के लिए क्षमा मांगी और वहां के संतों ने उसे मोहिनी एकादशी व्रत का पालन करने की सलाह दी।
धृष्टबुद्धि ने व्रत का पालन किया और उसे अपने सभी पापों से मुक्ति मिल गई। अंत में, वह विष्णु लोक, भगवान विष्णु की धाम, में पहुंच गया। इसलिए, मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) व्रत का पालन करने से मान्यता है कि भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं।
मोहिनी एकादशी व्रत कथा पीडीएफ (Mohini Ekadashi Vrat katha PDF)
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) की पावन व्रत कथा से संबंधित यह विशेष पीडीएफ हम आपसे साझा कर रहे हैं इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप मोहिनी एकादशी की व्रत कथा को पढ़ सकते हैं, और स्वयं को भाग्यशाली भी बना सकते हैं।
मोहिनी एकादशी पारण समय (Mohini Ekadashi Parana Time)
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का पारण/व्रत तोड़ने का शुभ समय 20 मई, सोमवार को सुबह 5:28 से 8:12 बजे तक रहेगा। द्वादशी तिथि दोपहर 3:58 बजे समाप्त होगी।
Conclusion:
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) आध्यात्मिक शुद्धि और आत्म-विकास का अवसर प्रदान करती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से न केवल मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता भी आती है। मोहिनी एकादशी से संबंधित इस लेख से उत्पन्न अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो तो कृपया उन प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में जरूर लिखिए, हम आपके सभी प्रश्नों का हर संभव जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही और रोचक लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. एकादशी व्रत क्या है?
Ans. एकादशी व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने दो बार आने वाला एक महत्वपूर्ण उपवास है। यह व्रत हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को किया जाता है। एकादशी का अर्थ है ‘ग्यारह’, और यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं।
Q. एकादशी व्रत का महत्व क्या है?
Ans. एकादशी व्रत को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह व्रत मन को शांत करता है, आंतरिक शक्ति प्रदान करता है और भगवान विष्णु के साथ भक्त के संबंध को मजबूत बनाता है।
Q. एकादशी व्रत कैसे किया जाता है?
Ans. एकादशी व्रत के दौरान पूरे दिन अन्न का त्याग किया जाता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर पूजा की जाती है। दिन भर विष्णु मंत्रों का जाप किया जाता है और धार्मिक पुस्तकों का पाठ किया जाता है। शाम को पुन: पूजा की जाती है और प्रसाद वितरित किया जाता है।
Q. एकादशी व्रत के दौरान क्या खाया जा सकता है?
Ans. एकादशी व्रत के दौरान अन्न, दाल, मांस, प्याज, लहसुन आदि का सेवन वर्जित होता है। इस दिन फल, दूध, दही, मूंगफली, सिंघाड़े का आटा, आलू, शकरकंद आदि खाया जा सकता है। कुछ लोग सिर्फ फलाहार या फिर निराहार व्रत भी रखते हैं। व्रत तोड़ने के लिए अगले दिन सुबह नमक रहित खाना खाया जाता है।
Q. एकादशी व्रत के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
Ans. एकादशी के दिन कुछ कार्य वर्जित माने जाते हैं जैसे – कांसे के बर्तन में भोजन, मांस या मसूर दाल खाना, स्त्री संग, जुआ खेलना, नमक-तेल-चावल का सेवन, शहद खाना, दूसरों का अन्न ग्रहण करना, क्रोध करना, झूठ बोलना, पान-दातुन करना, दूसरों की निंदा करना और एक दिन में दो बार भोजन करना।
Q. एकादशी व्रत के दौरान कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
Ans. एकादशी व्रत के दौरान भगवान विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का 108 बार जाप करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा हरे कृष्ण महामंत्र – ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे’ का भी जाप किया जा सकता है।