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Rambha Tritiya Vrat: क्या होता है रंभा तृतीया व्रत , क्या है इसका महत्व, जानें सब कुछ

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Rambha Tritiya vrat: रंभा तृतीया (Rambha Tritiya), हिन्दू पौराणिक कला में एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसे भगवान शिव (Lord Shiva), देवी पार्वती (Goddess Parvati) और रंभा अप्सरा (Rambha Apsara) की पूजा और व्रत के रूप में माना जाता है। इस अद्वितीय दिन को भगवान शिव की प्रसन्नता और सुख-शांति की कामना के साथ मनाया जाता है, जिसमें व्रती महिलाएं  नियमित पूजा, ध्यान, और दान के साथ रंभा अप्सरा की कथाएं सुनती है। आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि What is Rambha Tritiya Vrat|क्या होता है रंभा तृतीया व्रत , Who is Rambha Devi|कौन है रंभा देवी , रंभा तृतीया क्या है? What is rambha tritiya , Rambha Tritiya Vrat Significance|रंभा तृतीया व्रत  का महत्व , Rambha Tritiya pujan|रंभा तृतीया पूजन , Rambha Tritiya ki katha|रंभा तृतीया की कथा , Rambha Tritiya katha|रंभा तृतीया कथा , Rambha Tritiya images|रंभा तृतीया इमेज , Rambha Tritiya vrat for unmarried in hindi , रंभा तृतीया व्रत |Rambha Tritiya Vrat , रंभा तृतीया , व्रत  में क्या खाना चाहिए|What should be eaten during Rambha Tritiya Vrat? , रंभा तृतीया व्रत  पूजन सामग्री|Rambha Tritiya Vrat Pujan Samgri , रंभा तृतीया व्रत  कथा विधि|Rambha Tritiya Vrat Vidhi , रंभा तृतीया व्रत  उद्यापन विधि|Rambha Tritiya Vrat Udyapan Vidhi रंभा तृतीया पूजन विधि|Rambha Tritiya Vrat puja vidhi , रंभा तृतीया पाठ|Rambha Tritiya path , रावण और रंभा के बीच क्या हुआ था?what happened between rambha and ravana इत्यादि! इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

Rambha Tritiya Vrat Overview

टॉपिकRambha Tritiya Vrat: क्या होता है रंभा तृतीया व्रत , क्या है इसका महत्व, जानें सब कुछ
व्रतरंभा तृतीया
रंभा कौन है?स्वर्ग लोक की अप्सरा
रंभा तृतीया कब है?9 जून
दिनज्येष्ठ शुक्ल तृतीया
महत्वसुख, सौभाग्य और संतान प्राप्ति
पारणअगले दिन सूर्योदय के बाद

What is Rambha Tritiya Vrat | क्या होता है रंभा तृतीया व्रत 

रंभा तृतीया (Rambha Tritiya), ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए होता है। यह व्रत सुहाग की रक्षा, संतान प्राप्ति, सौभाग्य और समृद्धि के लिए किया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, रंभा, स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा थीं, जिन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सुंदरता, सौभाग्य और सुख प्राप्त किया था। इस व्रत को करने वाली महिलाएं भी रंभा के समान सौभाग्यशाली और सुखी जीवन प्राप्त करने की कामना करती हैं।

Who is Rambha Devi | कौन है रंभा देवी

देवी रंभा (Goddess Rambha) , स्वर्ग की अप्सराओं में सबसे सुंदर और प्रसिद्ध अप्सरा थीं। उनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। रंभा अपनी अद्भुत सुंदरता, नृत्य, गायन और कला के लिए प्रसिद्ध थीं।

देवी रंभा (Goddess Rambha) को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त था। वे स्वर्ग में देवताओं का मनोरंजन करती थीं और उनकी सभा में अपनी कला का प्रदर्शन करती थीं। देवी रंभा सौंदर्य, कला, नृत्य और संगीत का प्रतीक हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सुंदरता क्षणिक है, लेकिन कला और ज्ञान स्थायी हैं।

रंभा तृतीया क्या है? What is Rambha T ritiya

रंभा तृतीया, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए होता है, जो सुहाग की रक्षा, संतान प्राप्ति, सौभाग्य और समृद्धि के लिए किया जाता है। देवी पार्वती (Goddess Parvati) ने रंभा को आशीर्वाद दिया कि हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को जो महिलाएं रंभा तृतीया व्रत रखेंगी, उन्हें सुहाग की लंबी उम्र, संतान प्राप्ति, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होगी।

रंभा तृतीया के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पूजा के लिए तैयार होती हैं। इसके बाद, वे भगवान शिव, माता पार्वती और अप्सरा रंभा की पूजा करती हैं। 

पूजा में फूल, फल, मिठाई, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं। व्रत के दौरान महिलाएं निर्जला रहकर भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। रंभा तृतीया व्रत को करने से महिलाओं को सुहाग की लंबी उम्र, सुखी वैवाहिक जीवन, संतान प्राप्ति, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत महिलाओं को आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है।

Rambha Tritiya Vrat Significance | रंभा तृतीया व्रत  का महत्व

रंभा तृतीया का महत्व अत्यंत विशाल है। यह व्रत सुहागिनों के लिए पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को श्रद्धा भाव से रखती हैं।

धार्मिक महत्व:

  • मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
  • रंभा तृतीया को ही स्वर्ग की अप्सरा रंभा ने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर मनचाहा वर प्राप्त किया था।
  • इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है, जिससे सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

सामाजिक महत्व:

  • रंभा तृतीया स्त्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
  • इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर व्रत रखती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती और माता लक्ष्मी की पूजा करती हैं।

मानसिक महत्व:

  • रंभा तृतीया व्रत स्त्रियों में आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संचार करता है।
  • इस व्रत को रखने से स्त्रियों में धैर्य, त्याग और समर्पण की भावना भी बढ़ती है।

Rambha Tritiya Pujan | रंभा तृतीया पूजन

रंभा तृतीया का व्रत बेहद ही खास सूरत है इस व्रत की पूजन विधि भी अधिक महत्वपूर्ण है इसीलिए रंभा तृतीया की पूजन के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-

  • सुबह जल्दी उठे और स्नान करें , स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान को साफ करके चौकी लगाएं।
  • चौकी पर देवताओं की मूर्तियाँ या चित्र स्थापित करें। देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • अक्षत, कुमकुम, हल्दी, चंदन, सिंदूर, मेहंदी, इत्र, फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
  • दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती जलाएं।
  • कपूर जलाकर आरती करें।
  • भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और अप्सरा रंभा की पूजा करें।
  • व्रत कथा पढ़ें।
  • आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करें।

Rambha Tritiya ki katha | रंभा तृतीया की कथा 

एक अन्य कथा के अनुसार, रंभा नामक एक अप्सरा थी जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थी। एक बार, रंभा को ऋषि दुर्वासा (sage Durvasa) का श्राप मिल गया, जिसके कारण वह एक पत्थर की मूर्ति बन गई। रंभा ने भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Goddess Parvati) की पूजा की और उनसे क्षमा मांगी। भगवान शिव और देवी पार्वती ने रंभा को क्षमा कर दिया और उसे फिर से अप्सरा बनने का आशीर्वाद दिया। रंभा ने भगवान शिव और देवी पार्वती को धन्यवाद दिया और उनसे वादा किया कि वह हर साल रंभा तृतीया का व्रत रखेगी।

Rambha Tritiya katha | रंभा तृतीया कथा

प्राचीन कथाओं एवं मान्यताओं के अनुसार, समुंद्र मंथन के दौरान रंभा अप्सरा (Rambha Tritiya Katha) की उत्पत्ति हुई थी. कथाओं के अनुसार एक बार असुरों एवं देवताओं के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया था इस युद्ध में देवताओं को पराजय का मुंह देखना पड़ा ऐसे में असुरों पर विजय का अध्यक्ष लहराने के लिए असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ. समुद्र मंथन के दौरान अनेक रत्नों में से एक अप्सरा रंभा भी थीं. इन्हें सौंदर्य का प्रतीक माना जाता था. रंभा तृतीया का यह विशेष व्रत रंभा अप्सरा को ही समर्पित है. इस व्रत को करने से स्त्रियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और यौवन और आरोग्य भी प्राप्त होता है. 

Rambha Tritiya Images | रंभा तृतीया इमेज

रंभा तृतीया के इस विशेष व्रत से संबंधित कुछ खास तस्वीरें हम आपसे साझा कर रहे हैं जो आपको मंत्र मुक्त कर देगी अगर आप चाहे तो इन तस्वीरों को डाउनलोड भी कर सकते हैं।

Rambha Tritiya Vrat for Unmarried in Hindi

रंभा तृतीया (Rambha Tritiya) के दिन, विवाहित महिलाएं (Married womens) लक्ष्मी जी (Goddess Lakshmi) और गेहूं, अनाज और फूलों के साथ चूड़ियों की भी पूजा करती हैं, जिन्हें अप्सरा रंभा और देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इस दिन कई जगहों पर माता सती की भी पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से महिलाएं खुश रहती हैं। इस व्रत की मंगलकामना के साथ कुंवारी लड़कियां यह व्रत करती हैं। रम्भा तृतीया का व्रत शीघ्र फलदायी माना जाता है।

रंभा तृतीया व्रत | Rambha Tritiya Vrat

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हिंदू पंचांग के अनुसार जब ज्येष्ठ महीना आता है तो शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन यानी शुक्ल पक्ष को लोग एक विशेष उत्सव मनाते हैं और इस उत्सव को “रंभा तीज” के नाम से जाना जाता है। यह विशेष हिंदू त्योहार आम तौर पर भारत में बेहद लोकप्रिय है और प्रसिद्ध अप्सरा की स्मरण में आयोजित किया जाता है जो हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अस्तित्व में आई थी।

रंभा तृतीया व्रत  में क्या खाना चाहिए | What Should be Eaten During Rambha Tritiya Vrat?

क्या खा सकते हैं ?

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद, फलाहार के रूप में, आप फल, दूध, दही, और सूखे मेवे खा सकते हैं।
  • कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं, और केवल पानी या फलों का रस पीते हैं।

निषेध:

  • रंभा तृतीया के व्रत के दौरान, मांस, मछली, अंडे, प्याज, लहसुन, और मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • शराब, तंबाकू, और अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन भी निषिद्ध है।

रंभा तृतीया व्रत  पूजन सामग्री | Rambha Tritiya Vrat Pujan Samagri

देवताओं की मूर्तियाँ या चित्र:

  • भगवान शिव
  • माता पार्वती
  • भगवान गणेश
  • माता लक्ष्मी
  • अप्सरा रंभा

पूजा की सामग्री:

  • गंगाजल
  • चावल
  • अक्षत
  • कुमकुम
  • हल्दी
  • चंदन
  • सिंदूर
  • मेहंदी
  • इत्र
  • फूल
  • फल
  • मिठाई
  • दीपक
  • घी
  • धूप
  • अगरबत्ती
  • कपूर
  • नारियल

रंभा तृतीया व्रत  कथा विधि | Rambha Tritiya Vrat Vidhi

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से देवी-देवताओं की पूजा करें।
  • रंभा तृतीया व्रत कथा पढ़ें।
  • षोडशोपचार पूजा करें।
  • व्रत का संकल्प लें।
  • दिन भर निर्जला व्रत रखें।
  • शाम को सूर्यास्त के बाद भगवान शिव, माता पार्वती और माता लक्ष्मी की आरती करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • व्रत का पारण करें।

रंभा तृतीया व्रत  उद्यापन विधि | Rambha Tritiya Vrat Udyapan Vidhi

  • एक थाली में फल, मिठाई, नारियल, सुपारी, फूल, चंदन, रोली, मौली, इत्यादि रखें।
  • ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद व्यक्ति को थाली दान करें।
  • दक्षिणा, वस्त्र, फल, मिठाई, आदि भी दान करें।
  • भगवान शिव, माता पार्वती, और रंभा अप्सरा से आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • प्रसाद वितरित करें।

रंभा तृतीया पूजन विधि | Rambha Tritiya Vrat Puja Vidhi

  • पूजा उगते सूर्य को देखते हुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए।
  • सबसे पहले गणेश जी को मन में प्रणाम करना चाहिए।
  • सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।
  • घर में पूजा भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए
  • पूजा घर में गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए।
  • प्रसाद में कच्चा गेहूं, लाल फूल और एक मौसमी फल शामिल होना चाहिए।
  • इस दिन देवी रंभा को चूड़ियां भी अर्पित करनी चाहिए।
  • देवी पार्वती और देवी रंभा को पायल लाल रंग का अलता एवं सौंदर्य उत्पाद भी अर्पित करना महत्वपूर्ण है
  • रंभा मंत्र का जाप 108 बार करना होता है

रंभा तृतीया पाठ | Rambha Tritiya path

रंभा तृतीया (Rambha Tritiya) की कहानी इस प्रकार है, एक समय की बात है जब एक नगर में एक खुशहाल ब्राह्मण जोड़ा रहता था वे दोनों पति-पत्नी साथ में देवी लक्ष्मी जी की पूजा किया करते थे उनका दांपत्य जीवन (married life) बेहद हंसी-खुशी से बीत रहा था, लेकिन एक दिन अचानक उस महिला के पति को किसी कार्य हेतु गांव (Village) के बाहर जाना पड़ा पति के घर छोड़ देने के बाद पत्नी बेहद ही निराशा और तनावग्रस्त रहने लगी एक रात जब वह सो रही थी तो उसे स्वप्न (dream) आया कि उसके पति के साथ एक दुर्घटना हो गई है तभी वह विलाप करने लगी यह सब देखकर मां लक्ष्मी (Godess Laxmi) खुद को रोक न पाई और एक बूढी औरत का वेश धारण करके उसे महिला के पास पहुंची तभी देवी लक्ष्मी उसे महिला से उसका हाल पूछती है और महिला अपनी सारी व्यथा मां लक्ष्मी को बताती हैं यह सब सुनने के बाद वह बूढी औरत यानी की मां लक्ष्मी महिला से रंभा तृतीया के दिन व्रत करने की बात कहती है वह महिला दूसरों की कही गई बातों के अनुसार रंभा तृतीया के दिन व्रत रहने लगे और व्रत के फल स्वरुप कुछ समय पश्चात ही महिला का पति सकुशल घर भी लौट आया ।

कहा जाता है कि जिस प्रकार इस व्रत के फल स्वरुप उसे महिला का पति वापस घर लौट आया उसी प्रकार जो भी महिला रंभा तृतीया का व्रत रखती है उसके जीवनसाथी (life partner) का कभी भी अनुचित नहीं होता है ।

रावण और रंभा के बीच क्या हुआ था? what Happened Between Rambha and Ravana

रंभा इंद्र के दरबार की सबसे सुंदर दिव्य अप्सराओं में से एक है। अप्सरा रंभा से जुड़ी कई कहानियां हैं। रामायण की एक कहानी के अनुसार, रंभा ही रावण को मिले श्राप का कारण थी जिसके कारण वह माता सीता को छू नहीं सका था। रंभा की सगाई वैश्रवण (कुबेर) के पुत्र नलकुबेर से हुई थी। वैश्रवण राक्षसराज रावण का भाई था। एक दिन रंभा नलकुबेर से मिलने जा रही थी।

रावण की नजर उस पर पड़ी और उसने अपनी वासना पूरी करने के लिए उसे फुसलाने की कोशिश की। उसने उससे कहा कि वह नलकुबेर के पास जा रही है, रावण रंभा की बात मानने को तैयार नहीं था और उसने उसके साथ जबरदस्ती की। अपमानित होकर रंभा नलकुबेर के पास गई और उसे रावण द्वारा उसका उल्लंघन करने के बारे में बताया। नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया कि यदि वह किसी अन्य स्त्री की इच्छा के विरुद्ध उसकी पवित्रता को भंग करने की कोशिश करेगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

Summary

रंभा तृतीया व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसके कई सामाजिक और स्वास्थ्य लाभ भी हैं। यह व्रत महिलाओं में आत्म-संयम और धैर्य का विकास करता है। इसके अलावा, उपवास रखने से शरीर को भी कई लाभ होते हैं। रंभा तृतीया के व्रत से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल जरूर पढ़ें । 

FAQ’s

Q. रंभा तृतीया व्रत कब रखा जाता है?

Ans. यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है।

Q. रंभा तृतीया व्रत का महत्व क्या है?

Ans. यह व्रत सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए सौभाग्य, यौवन और आरोग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है।

Q. रंभा तृतीया व्रत के नियम क्या हैं?

Ans. इस व्रत में दिन भर निर्जला व्रत रखा जाता है। व्रत के दौरान सात्विक भोजन, फल और दूध का सेवन किया जाता है।

Q. रंभा तृतीया व्रत से जुड़ी कौन सी कथा है?

उत्तर: रंभा तृतीया व्रत से जुड़ी कथा रंभा अप्सरा से संबंधित है।

Q. रंभा तृतीया व्रत के फल क्या हैं?

Ans. इस व्रत से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य, कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और सभी को आरोग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।