Rambha Tritiya Vrat katha :रंभा तीज या रंभा तृतीया के पावन अवसर पर हमारे देश की विवाहित महिलाएं मुख्य रूप से अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती है साथ ही विवाहित लड़कियां भी योग्य वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखती है रंभा तृतीया के व्रत का संबंध स्वर्ग लोक की अप्सरा रंभा से संबंधित है कहा जाता है कि रंभा मां लक्ष्मी का दूसरा स्वरूप है रंभा तीज या रंभा तृतीया के दिन रंभा की पूजा की जाती है कहा जाता है कि इस दिन रंभा की पूजा करने से भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है । आज के इस लेख के जरिए हम आपको स्वर्ग लोक की अप्सरा ब्रह्मा के बारे में बताएंगे और तो और हम आपको रंभा तेज या रंभा तृतीया के पावन व्रत की कथा एवं महत्व को भी समझाएंगे इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए ।
टॉपिक | क्या है रंभा तृतीया व्रत की कथा?,What is the story of Rambha Tritiya fast? |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
व्रत | रंभा तृतीया |
रंभा कौन है? | स्वर्ग लोक की अप्सरा |
रंभा तृतीया कब है? | 9 जून |
दिन | ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया |
महत्व | सुख, सौभाग्य और संतान प्राप्ति |
पारण | अगले दिन सूर्योदय के बाद |
कौन है रंभा?, Who is Rambha?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, रंभा (Rambha) अप्सराओं (nymphs) की रानी थी जो अत्यंत दिव्य सुंदरता से संपन्न थी जो सभी देवताओं और ऋषियों को भी आकर्षित करती थी। वह देवताओं के राजा, भगवान इंद्र (God Indra) की सहचरियों में से एक हैं और अपनी सुंदरता, आकर्षण और अनुग्रह के लिए जानी जाती हैं। रंभा को सभी अप्सराओं में सबसे सुंदर माना जाता है और कहा जाता है कि वह सभी अप्सराओं की रानी है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, रंभा को ऋषि नलकुबेर (Nal Kuber) की पत्नी भी कहा जाता है, जो भगवान विष्णु के भक्त थे।
रंभा तृतीया की कथा, Story of Rambha Tritiya
रंभा तृतीया (Rambha Tritiya) की कहानी इस प्रकार है, एक समय की बात है जब एक नगर में एक खुशहाल ब्राह्मण जोड़ा रहता था वे दोनों पति-पत्नी साथ में देवी लक्ष्मी जी की पूजा किया करते थे उनका दांपत्य जीवन (married life) बेहद हंसी-खुशी से बीत रहा था, लेकिन एक दिन अचानक उस महिला के पति को किसी कार्य हेतु गांव (Village) के बाहर जाना पड़ा पति के घर छोड़ देने के बाद पत्नी बेहद ही निराशा और तनावग्रस्त रहने लगी एक रात जब वह सो रही थी तो उसे स्वप्न (dream) आया कि उसके पति के साथ एक दुर्घटना हो गई है तभी वह विलाप करने लगी यह सब देखकर मां लक्ष्मी (Godess Laxmi) खुद को रोक न पाई और एक बूढी औरत का वेश धारण करके उसे महिला के पास पहुंची तभी देवी लक्ष्मी उसे महिला से उसका हाल पूछती है और महिला अपनी सारी व्यथा मां लक्ष्मी को बताती हैं यह सब सुनने के बाद वह बूढी औरत यानी की मां लक्ष्मी महिला से रंभा तृतीया के दिन व्रत करने की बात कहती है वह महिला दूसरों की कही गई बातों के अनुसार रंभा तृतीया के दिन व्रत रहने लगे और व्रत के फल स्वरुप कुछ समय पश्चात ही महिला का पति सकुशल घर भी लौट आया ।
कहा जाता है कि जिस प्रकार इस व्रत के फल स्वरुप उसे महिला का पति वापस घर लौट आया उसी प्रकार जो भी महिला रंभा तृतीया का व्रत रखती है उसके जीवनसाथी (life partner) का कभी भी अनुचित नहीं होता है ।
2024 में रंभा तृतीया कब है? When is Rambha Tritiya in 2024?
2024 में, रंभा तृतीया (Rambha Tritiya ) की तारीख 9 जून (9 June) है। यह दिन अप्सरा रंभा को समर्पित है, जो प्रसिद्ध समुद्र मंथन के दौरान समुद्र (sea) से निकली थी। उत्तर भारत (North India) में कुछ हिंदू समुदायों (Hindu community) की महिलाओं द्वारा इस दिन उनकी पूजा की जाती है.
रंभा तृतीया पूजा कैसे करें?, How to perform Rambha Tritiya Puja?
- पूजा पूर्व दिशा की ओर मुख करके उगते सूर्य को देखते हुए करनी चाहिए।
- सबसे पहले गणेश जी को मन में प्रणाम करना चाहिए।
- सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।
- घर में पूजा भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए
- पूजा घर में गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए।
- प्रसाद में कच्चा गेहूं, लाल फूल और एक मौसमी फल शामिल होना चाहिए।
- पूजा करते समय पूजा स्थल पर महिलाओं को श्रृंगार का सामान जैसे की कंगन पायल चूड़ी आलता इत्यादि समान रखना चाहिए ।
- रंभा मंत्र (रं रं रं रं देवी) का जाप 108 बार किया जाना चाहिए ।
रंभा तृतीया का महत्व, Importance of Rambha Tritiya
रंभा तीज के दिन, विवाहित महिलाएं गेहूं (wheat), अनाज (Cereal) और फूलों (fruites) के साथ चूड़ियों (Bangles) के जोड़े की पूजा करती हैं। अविवाहित लड़कियां सुयोग्य वर से विवाह के लिए यह व्रत रखती हैं। रंभा तृतीया के दिन पूजा करने से सौंदर्य से जुड़ी हर चीज जैसे आकर्षक सुंदर कपड़े, आभूषण (ornament) और सौंदर्य प्रसाधनों का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, शरीर स्वस्थ रहता है और व्यक्ति युवा दिखता है ।
Summary
रंभा तीज के दिन, विवाहित महिलाएं गेहूं, अनाज और फूलों के साथ चूड़ियों के जोड़े की पूजा करती हैं। अविवाहित लड़कियां सुयोग्य वर से विवाह के लिए यह व्रत रखती हैं। रंभा तृतीया के दिन पूजा करने से सौंदर्य से जुड़ी हर चीज जैसे आकर्षक सुंदर कपड़े, आभूषण और सौंदर्य प्रसाधनों का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, शरीर स्वस्थ रहता है और व्यक्ति युवा दिखता है । रंभा तृतीया से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ भी सजा जरूर करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें ।
FAQ’S
Q. रंभा तृतीया व्रत कब रखा जाता है?
Ans. यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है।
Q. रंभा तृतीया व्रत का महत्व क्या है?
Ans. यह व्रत सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए सौभाग्य, यौवन और आरोग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है।
Q. रंभा तृतीया व्रत के नियम क्या हैं?
Ans. इस व्रत में दिन भर निर्जला व्रत रखा जाता है। व्रत के दौरान सात्विक भोजन, फल और दूध का सेवन किया जाता है।
Q. रंभा तृतीया व्रत से जुड़ी कौन सी कथा है?
उत्तर: रंभा तृतीया व्रत से जुड़ी कथा रंभा अप्सरा से संबंधित है।
Q. रंभा तृतीया व्रत के फल क्या हैं?
Ans. इस व्रत से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य, कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और सभी को आरोग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।