सावन शिवरात्रि व्रत (Sawan Shivratri vrat Katha 2024): सावन का महीना हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह समय भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना के लिए समर्पित है। सावन में सोमवार का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, जिसे सावन सोमवार के नाम से जाना जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन में एक और खास दिन होता है जिसे सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri Vrat Katha 2024) कहते हैं? सावन शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और रात भर जागरण करते हैं। मान्यता है कि सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। लेकिन सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) का महत्व सिर्फ पूजा-पाठ तक ही सीमित नहीं है। इस दिन से जुड़ी एक रोचक व्रत कथा भी है जो इसके धार्मिक महत्व को और बढ़ा देती है। इसके अलावा, सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त और पारण का समय भी जानना जरूरी है ताकि पूजा का पूरा लाभ मिल सके।
तो चलिए, इस लेख में हम विस्तार से जानते हैं कि सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri Vrat Katha 2024) क्यों और कैसे मनाई जाती है, इससे जुड़ी व्रत कथा क्या है, साल 2024 में यह पर्व कब आ रहा है, और इस दिन जलाभिषेक व पारण का सही समय क्या है। तो पढ़ते रहिए यह रोचक और ज्ञानवर्धक लेख…
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Table Of Content :-Sawan Shivratri Vrat 2024
S.NO | प्रश्न |
1 | सावन शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? |
2 | सावन की शिवरात्रि कब है 2024? |
3 | सावन शिवरात्रि व्रत कथा |
4 | सावन शिवरात्रि 2024 मुहूर्त |
5 | सावन शिवरात्रि का व्रत पारण समय |
6 | जलाभिषेक का मुहूर्त |
7 | सावन शिवरात्रि व्रत का महत्व |
सावन शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (Why is Sawan Shivratri Celebrated)
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सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri), भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार, प्रतिवर्ष श्रावण माह में चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिवस का महत्व भगवान शिव (Lord Shiva) से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने अमृत मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किया था। यह उनके समर्पण और त्याग की प्रतीक है, और यही कारण है कि भक्त इस दिन उन्हें विशेष आराधना करते हैं। सावन शिवरात्रि के दिन भक्त उपवास रखते हैं, शिवलिंग का अभिषेक करते हैं, और रात्रिभर जागरण करते हैं। यह त्योहार शांति, प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
सावन की शिवरात्रि कब है 2024? (When is Sawan Shivratri In 2024)
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सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri), शिव की उपासना का एक महत्वपूर्ण दिवस, 2024 में 2 अगस्त को मनाया जाएगा। यह पर्व हिन्दू कालदर्शक मास सावन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आता है। यह दिन भगवान शिव की विशेष पूजा का है और व्रती इस दिन उनकी उपासना में ज्यादा समर्पित होते हैं।
सावन शिवरात्रि व्रत कथा क्या है? (Sawan Shivratri Vrat Katha)
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एक घने जंगल के दिल में, चित्रभानु नामक एक कुशल शिकारी बसता था, जो अपने परिवार का भरण-पोषण जानवरों का शिकार करके करता था। मगर भाग्य ने उसे एक धनी व्यापारी के कर्ज के जाल में फंसा दिया। कर्ज चुकाने में असमर्थ चित्रभानु की हालत देख व्यापारी ने उसे कैद कर लिया। उस दिन महा शिवरात्रि थी, भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र त्योहार। कैद में रहते हुए, चित्रभानु ने शिवरात्रि के उपवास की कहानियाँ सुनीं और भगवान शिव के गुणगान को ध्यान से सुना।
शाम को व्यापारी ने चित्रभानु को बुलाया और कर्ज चुकाने की मांग की। भूखे-प्यासे चित्रभानु ने अगले दिन कर्ज चुकाने का वादा किया। आश्चर्यजनक रूप से, व्यापारी ने उसका वादा मान लिया और उसे रिहा कर दिया। चित्रभानु तुरंत शिकार के लिए जंगल में चला गया। थकान और भूख से बेहाल, वह एक जलाशय के पास पहुंचा और पानी पीने के लिए किनारे के पेड़ पर चढ़ गया। पत्तियाँ तोड़ते समय कुछ बेलपत्र अनजाने में एक शिव लिंग पर गिर गए, और इस प्रकार, भूखे-प्यासे रहते हुए उसने शिवरात्रि का अनुष्ठान पूरा किया। रात होते ही एक गर्भवती हिरणी पानी पीने आई। चित्रभानु ने तीर चलाया, जिससे फिर से कुछ पत्तियाँ और पानी की बूंदें शिव लिंग पर गिरीं। हिरणी ने शिकारी से विनती की, “मैं गर्भवती हूं और जल्द ही प्यारे से बच्चे को जन्म भी दूंगी। मुझपर दया करो और मेरी जान बख्श दो; मैं अपनी संतान से मिलकर तुम्हारे पास जल्दी लौट आऊंगी।” उसकी बातों से द्रवित होकर चित्रभानु ने उसे जाने दिया। थोड़ी देर बाद, एक और हिरणी आई, और चित्रभानु ने फिर से बेलपत्र और पानी गिराकर अनजाने में शिवरात्रि का दूसरा व्रत पूरा किया।
हिरणी ने कहा, “मैं अभी अपने प्रिय से मिलकर लौट रही हूं। मुझे थोड़ी देर के लिए छोड़ दो, और मैं उससे मिलकर तुम्हारे पास लौट आऊंगी।” चित्रभानु ने उसे भी जाने दिया। शिकार में असमर्थता और अपने दयालु हृदय से परेशान होकर, वह बेलपत्र तोड़ने के लिए पेड़ पर बैठा। अनजाने में उसने शिवरात्रि का तीसरा व्रत भी पूरा कर दिया।
आधी रात को एक और हिरण आया। चित्रभानु ने तीर चलाने का निश्चय किया, लेकिन हिरण ने रोते हुए कहा, “यदि तुमने पहले तीन हिरणियों को मार डाला है, तो मुझे भी मार डालो ताकि मुझे उनके वियोग की पीड़ा न सहनी पड़े।” चित्रभानु का दिल करुणा से भर गया और उसने अपने हिंसक तरीकों को छोड़ दिया। शिवरात्रि के अनुष्ठान पूरा करने से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उसे शांति और समृद्धि का आशीर्वाद दिया और उसे गुहा नाम दिया।
यही गुहा, भगवान राम का मित्र बना। इस प्रकार, शिवरात्रि की कथा उपवास, सतर्कता और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा की अद्भुत कहानी बनकर समाप्त हुई। “ॐ नमः शिवाय!”
सावन शिवरात्रि व्रत कथा पीडीएफ (Sawan Shivratri Vrat Katha PDF)
सावन शिवरात्रि व्रत से संबंधित इस विशेष लेख में हम आपसे सावन शिवरात्रि की व्रत कथा (sawan shivratri vrat katha) को पीडीएफ के जरिए साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) में सावन शिवरात्रि (sawan shivratri) की संपूर्ण व्रत कथा सरलता से लिखी हुई है जिसे आप श्रद्धापूर्वक पढ़ सकते हैं।
सावन शिवरात्रि व्रत कथा PDF Download | View Kathaसावन शिवरात्रि 2024 मुहूर्त (Sawan Shivratri 2024 Muhurta)
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पंचांग के अनुसार, सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 2 अगस्त 2024 को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट से होगा, और यह अगले दिन 3 अगस्त 2024 को दोपहर 3 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार, इस बार का सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri Vrat 2024) व्रत 2 अगस्त 2024, शुक्रवार को रखा जाएगा। सावन की पावन छटा में शिव भक्त इस विशेष दिन को शिव की आराधना और व्रत के साथ मनाएंगे, जिससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का संचार होगा। शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्ति के इस अवसर पर भक्तगण भक्ति भाव में लीन होकर भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना करेंगे।
तिथि प्रारंभ | 2 अगस्त 2024 को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट से |
तिथि समापन | 3 अगस्त 2024 को दोपहर 3 बजकर 50 मिनट तक |
सावन शिवरात्रि का व्रत पारण समय (Sawan Shivratri Fasting Time)
सावन माह की पावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 2 अगस्त को दोपहर 3:26 बजे से शुरू होकर 3 अगस्त को दोपहर 3:50 बजे समाप्त होगी। इस शुभ तिथि पर, शुक्रवार, 2 अगस्त 2024 को, सावन शिवरात्रि व्रत मनाया जाएगा। और व्रत का पारण 3 अगस्त को किया जाएगा। इस दिव्य अवसर पर श्रद्धालु भक्त भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना में लीन होकर विशेष व्रत का पालन करेंगे, जिससे उनके जीवन में आनंद और शांति का संचार होगा। यह व्रत उनकी भक्ति को और भी अधिक सुदृढ़ बनाएगा, और उनके जीवन को सुख-समृद्धि से परिपूर्ण करेगा।
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जलाभिषेक का मुहूर्त (Jalabhishek Muhurta)
सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) के पावन अवसर को 2 अगस्त को मनाया जाएगा, इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व माना जाता है। आपको बता दें कि इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का शुभ मुहूर्त पूरे दिन का है। जी हां, यह पूरा दिन ही अत्यंत शुभ है और आप कभी भी जलाभिषेक कर सकते हैं। अगर आप शिवलिंग पर जलाभिषेक ब्रह्म मुहूर्त में करते हैं तो यह अत्यंत शुभ होगा।
सावन शिवरात्रि व्रत का महत्व (Importance Of Sawan Shivratri Fast)
सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) का महत्व निम्नलिखित दो प्रमुख बिंदुओं में विस्तृत जानकारी के साथ प्रस्तुत किया गया है:
- भगवान शिव की आराधना: सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) का मुख्य महत्व भगवान शिव की आराधना और पूजा में निहित है। यह पर्व सावन महीने के दौरान आता है, जो भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और विभिन्न पूजन सामग्री अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शिव की आराधना करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत करने और शिवलिंग का पूजन करने से पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है।
- संपूर्ण पारिवारिक सुख और समृद्धि: सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) का एक और महत्वपूर्ण पहलू है पारिवारिक सुख और समृद्धि की प्राप्ति। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, अविवाहित लड़कियां इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव (Lord Shiva) से अच्छे वर की प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं। इस दिन शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली कठिनाइयों का नाश होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही, इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है, जिससे परिवार में समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है।
Conclusion:- Sawan Shivratri Vrat Katha 2024
सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) एक अद्वितीय धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्तों को भगवान शिव के समीप लाता है और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करता है। यह पर्व भक्ति और पवित्रता की भावना को मजबूत करता है और समाज में एकता और समरसता का संदेश भी देता है। सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे इस लेख को अपने सभी परिजनों के साथ अवश्य साझा करें। व्रत एवं त्योहार से संबंधित और भी लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. सावन शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
Ans. सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मनाई जाती है। यह माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए यह दिन शुभ और पवित्र माना जाता है।
Q. 2024 में सावन शिवरात्रि कब मनाई जाएगी?
Ans. 2024 में सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) 2 अगस्त, शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ दोपहर 3:26 बजे होगा और अगले दिन 3 अगस्त को सुबह 3:50 बजे समाप्त होगा।
Q. सावन शिवरात्रि पर कौन सा मंत्र जाप करना चाहिए?
Ans. सावन शिवरात्रि पर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना लाभदायक होता है। इसके अलावा शिव पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय॑ जूं सः” और शिव गायत्री मंत्र “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥” का भी जाप कर सकते हैं।
Q. सावन शिवरात्रि पर क्या दान करना चाहिए?
Ans. सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) पर ब्राह्मणों को तिल, वस्त्र, भोजन आदि का दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा दूध, दही, शहद, फल, बेलपत्र आदि का भी दान कर सकते हैं। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना भी पुण्य का काम है।
Q. सावन शिवरात्रि पर क्या उपवास रखना चाहिए?
Ans. सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) पर निर्जला व्रत रखना सर्वोत्तम माना जाता है। जो लोग पूरे दिन बिना पानी के उपवास नहीं रख सकते, वे फलाहार कर सकते हैं। कुछ लोग रात्रि जागरण करते हुए व्रत रखते हैं और अगले दिन सुबह पारण करते हैं।
Q. सावन शिवरात्रि व्रत का क्या महत्व है?
Ans. सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) व्रत को फाल्गुन माह की महाशिवरात्रि के समान फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस व्रत से पाप नाश होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।