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Til Chauth Vrat Katha PDF Download: क्या कहती है तिल चौथ व्रत कथा? क्या है पूजा विधि, व्रत विधि, नियम, आरती, मंत्र आदि विस्तार से जानिए इस लेख में

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तिल चौथ व्रत कथा । Til chauth vrat katha PDF Download: हिंदू धर्म में विभिन्न व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण व्रत है तिल चौथ व्रत (Til Chauth Vrat)। यह व्रत माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, तिल चौथ व्रत का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह हमें सुख-समृद्धि और संतान की कामना व संतान के सुखी जीवन की कामना का अवसर भी प्रदान करता है।

इस व्रत के माध्यम से, हम भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं। तिल चौथ व्रत की कथा और पूजा विधि भी बहुत महत्वपूर्ण है, जो हमें इस व्रत के महत्व को समझने में मदद करती है। इस लेख में, हम आपको तिल चौथ व्रत के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको बताएंगे कि तिल चौथ व्रत क्या होता है, तिल चौथ व्रत क्यों रखा जाता है, तिल चौथ व्रत के नियम क्या हैं, पूजा विधि और व्रत विधि क्या है, तिल चौथ व्रत की कथा क्या है, और आरती क्या है। तिल चौथ व्रत के फायदे भी कई हैं, और हमारे जीवन को अध्यात्मिक रूप से समृद्ध बना देते हैं। तो आइए, जानें तिल चौथ व्रत के बारे में और अपने जीवन को सुखी-समृद्ध बनाएं। 

तिल चौथ व्रत कथा Til Chauth Fast Story Overview

टॉपिकतिल चौथ व्रत कथा Til Chauth fast story
व्रततिल चौथ का व्रत 
प्रमुख देवताभगवान गणेश
व्रत की तिथि कृष्ण पक्ष के चौथे दिन
महतभगवान गणेश के प्रमुख व्रत में से एक
व्रत का लाभसंतान की दीर्घायु एवं शिक्षा में उन्नति
व्रत का अन्य नाम सकट चौथ

तिल चौथ व्रत कथा । Til Chauth Vrat Katha

हिंदू धर्म ग्रंथो (religious scriptures) के अनुसार एक बार एक गांव (Village) में एक वृद्ध अंधी औरत रहती थी। उस महिला का एक बेटा (son) और बहू (daughter in law) भी थी, वह बुढ़िया भगवान गणेश (Lord Ganesh) की प्रबल भक्त थी।

वह दिन-रात केवल भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा (Prayer) किया करती थी, बूढी महिला के पूजा एवं भक्ति भाव से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उसे दर्शन दिया, और बुढ़िया से एक वरदान मांगने के लिए भी कहा लेकिन बुढ़िया को समझ नहीं आ रहा था कि वह वरदान में भगवान गणेश से क्या मांगे! तो बुढ़िया ने भगवान गणेश से कहा कि आप कल जरूर आइएगा , मैं आपसे कल वरदान मांगूंगी। बुढ़िया ने अपने पुत्र से सुझाव मांगा कि उसे भगवान से क्या वरदान मांगना चाहिए तो उसके पुत्र ने कहा कि आप अपार धन और वैभव मांगिए , बुढ़िया ने अपनी बहू से पूछा तो उसकी बहू ने कहा कि आप मेरे लिए एक बेटा मांगिए , इन सुझावों के बावजूद बुढ़िया असमंजस में थी तभी उसने अपने पड़ोसन से भी सुझाव मांगा कि उसे भगवान गणेश से क्या मांगना चाहिए तभी पड़ोसन ने सुझाव दिया कि तुम भगवान से अपनी आंखों की रोशनी मांग लो ।

पड़ोसन के दिए गए सुझाव के बाद अगले दिन जब भगवान गणेश दोबारा बुढ़िया को दर्शन देने आए तो बुढ़िया ने कहा कि हे भगवान! आप मुझे – “धनवान जीवन, स्वस्थ शरीर, आंखों की रोशनी और एक पोता” दे दीजिए। बूढी औरत के वचन को सुनकर भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसके वरदान को भी पूर्ण किया। तभी से तिल चौथ (Til Chauth) के व्रत कि यह प्रथा अब तक चली आ रही है ।

तिल चौथ व्रत कथा PDF Download । Til Chauth Vrat Katha PDF Download

तिल चौथ व्रत कथा PDF Download | View katha

चौथ माता की आरती | Chauth Mata ki Aarti

ओम जय श्री चौथ मैया, बोलो जय श्री चौथ मैया
सच्चे मन से सुमिरे, सब दुःख दूर भया

ओम जय श्री चौथ मैया
ऊंचे पर्वत मंदिर, शोभा अति भारी

देखत रूप मनोहर, असुरन भयकारी
ओम जय श्री चौथ मैया

महासिंगार सुहावन, ऊपर छत्र फिरे
सिंह की सवारी सोहे, कर में खड्ग धरे

ओम जय श्री चौथ मैया
बाजत नौबत द्वारे, अरु मृदंग डैरु

चौसठ जोगन नाचत, नृत्य करे भैरू
ओम जय श्री चौथ मैया

बड़े बड़े बलशाली, तेरा ध्यान धरे
ऋषि मुनि नर देवा, चरणो आन पड़े

ओम जय श्री चौथ मैया
चौथ माता की आरती, जो कोई सुहगन गावे

बढ़त सुहाग की लाली, सुख सम्पति पावे
ओम जय श्री चौथ मैया।

तिल चौथ व्रत की पूजा विधि Til Chauth Vrat Puja Vidhi

  • इस दिन, व्रत रखने वाली विवाहित महिलाएं जल्दी उठती हैं और स्नान करती हैं, जिसके बाद वे नए कपड़े पहनती हैं, पूजा स्थल को साफ करती हैं और 108 बार “ओम गणेशाय नमः” मंत्र का जाप करती हैं। दिन के दौरान भक्त उपवास रखते हैं। हालाँकि दूध, चाय और फलों की अनुमति है।
  • शाम को एक मंडप सजाया जाता है जिसमें गणेश जी की मूर्ति रखी जाती है। मूर्ति को फूलों और दूर्वा (घास) से सजाया जाता है और गणेश को तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं। इन विशेष मिठाइयों को “नैवैद्य” कहा जाता है।
  • इस पूजा के अंत में गणेश आरती गाई जाती है। कुछ लोग इस पूजा का प्रसाद पूरी रात गणेश जी की मूर्ति के सामने रखते हैं और अगली सुबह परिवार के सदस्यों के साथ बांटते हैं
  • इस दिन चंद्र देव (Moon God) की भी पूजा की जाती है। रात में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और सकट चौथ कथा सुनने के बाद व्रत खोला जाता है। यदि बारिश और बादलों के कारण चंद्रमा दिखाई नहीं देता है, तो पूजा चंद्रमा के उदय के समय के अनुसार की जाती है।
  • तिलकुट एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है जो तिल और गुड़ से बनाई जाती है। गणेश जी को कुछ तिलकुट और मोदक चढ़ाने के बाद, भक्त इसे अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटते हैं।
  • विवाहित महिलाएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य, धन और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं। सकट चौथ का व्रत करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन माताएं व्रत रखती हैं जिससे उनके बच्चों के जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं।

तिल चौथ व्रत विधि Til Chauth Vrat Vidhi

तिल चौथ व्रत विधि के 6 प्रमुख बिंदु:

  1. प्रारंभिक तैयारी: तिल चौथ व्रत (Til Chauth Vrat) की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से होती है। व्रति महिलाएं स्वच्छ होकर नए और साफ कपड़े पहनती हैं। पूजा स्थल को भी पूरी तरह से साफ किया जाता है, ताकि वातावरण शुद्ध रहे। 
  2. 108 बार “ॐ गणेशाय नमः” का जाप: पूजा की शुरुआत में महिलाएं भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए 108 बार “ॐ गणेशाय नमः” मंत्र का जाप करती हैं।
  3. उपवासी रहना: इस दिन व्रति महिलाएं दिनभर उपवासी रहती हैं, हालांकि उन्हें दूध, चाय, और फल खाने की अनुमति होती है। यह उपवास संतान सुख और परिवार की समृद्धि की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। 
  4. गणेश जी की पूजा और नैवैद्य अर्पण: शाम को व्रति घर में एक मंडप सजाती हैं, जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति रखी जाती है। मूर्ति को सुंदर फूलों और दूर्वा घास से सजाया जाता है। इसके बाद, गणेश जी को तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ, जैसे तिलकुट और मोदक, अर्पित की जाती हैं। 
  5. गणेश आरती और प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में गणेश जी की आरती की जाती है, जो पूरे परिवार को एक साथ जोड़ने का कार्य करती है। कुछ व्रति इस दिन का प्रसाद रात भर गणेश जी की मूर्ति के सामने रखते हैं और अगली सुबह प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों के साथ बांटते हैं। 
  6. चंद्र देव की पूजा और व्रत का समापन: रात को चंद्रोदय के बाद, महिलाएं चंद्र देव की पूजा करती हैं और उन्हें अर्घ्य देती हैं। इसके बाद व्रत खोलने की परंपरा है, जिससे व्रति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यदि चंद्रमा दिखाई नहीं देता, तो पूजा चंद्रमा के प्रकट होने के समय के अनुसार की जाती है। 

तिल चौथ व्रत के नियम । Til Chauth Vrat ke Niyam

तिल चौथ व्रत के प्रमुख नियम इस प्रकार हैं:

  • यह व्रत माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है।
  • प्रातः स्नान के बाद भगवान श्री गणेश और तिल चौथ माता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर पूजा की जाती है। पूजन सामग्री में फूल, कुंकुम, चावल, रोली, मेहँदी आदि का उपयोग किया जाता है।
  • इस दिन तिल और गुड़ का विशेष महत्व है। तिल और गुड़ को कूटकर प्रसाद बनाया जाता है और भगवान गणेश को भोग लगाया जाता है। गरीबों को भी तिल, गुड़ आदि का दान दिया जाता है।
  • व्रत के दौरान भगवान गणेश के मंत्रों का जाप किया जाता है। श्री गणेश अथर्वशीर्ष और गणेश चालीसा का पाठ भी किया जाता है। दिन में या गोधूली वेला में श्री गणेश के दर्शन अवश्य करने चाहिए।
  • रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद तिलकुट्टे का प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन तिल चौथ व्रत कथा पढ़ने या सुनने का भी विशेष महत्व है।

तिल चौथ व्रत का महत्व क्या है Til Chauth Vrat Mahatav

सकट गणेश चतुर्थी हमारे देश के उत्तरी भाग में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक त्योहार है। यह व्रत महिलाओं द्वारा सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है, और अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य उच्च शिक्षा एवं ज्ञान के लिए भगवान गणेश (Lord Ganesh से प्रार्थना की जाती है। महिलाएं पारंपरिक कपड़े पहनती हैं और अपना दिन अनुष्ठानों और उत्सवों को समर्पित करती हैं। सकट पूजा विधि के अनुसार भगवान गणेश को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद तिल और गुड़ से बना होता है और इसे तिल कूट कहा जाता है

तिल चौथ व्रत के प्रमुख मंत्र क्या है Til Chauth Mantra

ॐ गं गणपतये नमः..!

ॐ श्री गणेशाय नमः..!!

ॐ वक्रतुण्ड महाकाये सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरुमाये देव सर्व कार्येषु सर्वदा!!

Conclusion

तिल चौथ एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भक्ति, विश्वास और मातृत्व का प्रतीक है। यह व्रत महिलाओं को अपने बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। तिल चौथ के व्रत से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।

FAQ’S 

Q. तिल चौथ कब मनाया जाता है?

Ans. तिल चौथ हर साल कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश और देवी पार्वती को समर्पित है।

Q. तिल चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है?

Ans. तिल चौथ का व्रत सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति एवं जीवन में खुशहाली के लिए रखा जाता है।

Q. तिल चौथ व्रत के दौरान क्या-क्या खाया जाता है?

Ans. तिल चौथ व्रत के दौरान, लोग तिल से बने भोग जैसे कि तिल लड्डू, तिल की चिक्की, और तिल का हलवा खाते हैं।

Q. तिल चौथ व्रत की पूजा कैसे की जाती है?

Ans. तिल चौथ व्रत की पूजा में भगवान गणेश और देवी पार्वती की मूर्ति स्थापित की जाती है। उन्हें तिल, फूल, और फल चढ़ाए जाते हैं।

Q. तिल चौथ व्रत का महत्व क्या है?

Ans. तिल चौथ व्रत का महत्व यह है कि यह व्रत सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाता है।