Yogini Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यधिक महत्व है। हर महीने दो एकादशी आती हैं – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इन विशेष एकादशियों में से एक है योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi)।
यह व्रत आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस साल, योगिनी एकादशी 21 जून 2025, मंगलवार को पड़ेगी। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, और व्रति को भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करना चाहिए। इस व्रत का एक ऐतिहासिक संदर्भ भी है, जिसमें कुबेर के माली हेम को कुबेर द्वारा कोढ़ी होने का श्राप प्राप्त हुआ था, और योगिनी एकादशी का व्रत करने पर वह श्रापमुक्त हो गया था। योगिनी एकादशी का व्रत करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि भी आती है। इस व्रत के फल के समान पुण्य मिलता है जैसे 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराना। साथ ही, इस व्रत की महिमा इतनी व्यापक है कि यह किसी भी प्रकार के श्राप से मुक्ति दिला सकता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।इस योगिनी एकादशी के शुभ अवसर पर व्रत रखें और भगवान विष्णु की आराधना करें, जिससे आपका जीवन धन्य और समृद्ध हो….
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Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | क्या है योगिनी एकादशी |
2 | योगिनी एकादशी कब है |
3 | योगिनी एकादशी का महत्व |
4 | योगिनी एकादशी व्रत विधि |
5 | योगिनी एकादशी व्रत कथा |
6 | योगिनी एकादशी व्रत कथा पीडीएफ |
क्या है योगिनी एकादशी । Yogini Ekadashi Kya Hai
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) हिन्दू धर्म की एक प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है, जो आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे मनाने से यह माना जाता है कि सभी पापों का नाश होता है और भक्त और उनके परिवार को खुशी, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है। योगिनी एकादशी की कथा कुबेर के उद्यानी के बारे में है, जिसे गदहा बनने का श्राप मिलता है, लेकिन उसे योगिनी एकादशी के व्रत का पालन करने से मुक्ति मिलती है। इस व्रत का पालन करने से इच्छाओं की पूर्ति, बाधाओं का निवारण, और आध्यात्मिक विकास और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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योगिनी एकादशी कब है । yogini ekadashi kab hai
साल 2025 में योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का शुभ अवसर 21 जून को आएगा, और इसका पारणा अनुष्ठान 22 जून को सम्पन्न होगा। इस विशेष दिन पर भक्तगण प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। भगवान विष्णु के समक्ष दीप प्रज्वलित कर, तुलसी के पत्तों और फूलों से उनका पूजन किया जाता है। व्रतधारी दिनभर फलाहार कर, भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं और रात्रि में जागरण करते हैं।
योगिनी एकादशी का महत्व । Yogini Ekadashi Significance
पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति: योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को विधिवत रखने से किसी के दिए हुए श्राप का भी निवारण हो जाता है। योगिनी एकादशी का व्रत सभी उपद्रवों को शांत करके सुख और समृद्धि प्रदान करता है।
तीनों लोकों में प्रसिद्ध: योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत तीनों लोकों – भूलोक, पाताल लोक और स्वर्ग लोक में प्रसिद्ध है। इस व्रत को विधिवत रखने से इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति की प्राप्ति होती है। यह व्रत समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट करके सुंदर रुप, गुण और यश प्रदान करता है।
इस प्रकार योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का महत्व अत्यंत विशेष है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि व्यक्ति को पुण्य, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति भी कराता है। इसलिए हर व्यक्ति को इस पवित्र एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
योगिनी एकादशी व्रत विधि । Yogini Ekadashi Vrat Vidhi
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत की पूजा विधि निम्नलिखित 5 चरणों में की जा सकती है:
तैयारी: भक्त को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद, पूरी श्रद्धा और ईमानदारी के साथ व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
कलश स्थापना: एक मिट्टी या धातु के कलश को शुद्ध जल से भरकर एक साफ चौकी पर रखा जाना चाहिए। कलश को आम के पत्तों, हल्दी और सिंदूर से सजाया जाना चाहिए। कलश के ऊपर एक नारियल रखा जाना चाहिए और उसकी भगवान विष्णु के प्रतीक के रूप में पूजा की जानी चाहिए।
भगवान विष्णु का आह्वान: भक्त को मंत्रों का उच्चारण करके और प्रार्थना करके भगवान विष्णु की उपस्थिति का आह्वान करना चाहिए। सबसे आम मंत्र “ॐ नमो नारायणाय” है, जिसका अर्थ है “मैं भगवान नारायण (विष्णु) को नमन करता हूं।”
भोग लगाना: भक्त को भगवान विष्णु को फल, फूल, धूप और अन्य वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए। इन भोगों को नैवेद्य कहा जाता है और माना जाता है कि वे देवता को प्रसन्न करते हैं।
ध्यान और जप: भोग लगाने के बाद, भक्त को भगवान विष्णु के दिव्य स्वरूप पर ध्यान करना चाहिए और 108 बार “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जप करना चाहिए। यह मन को केंद्रित करने और देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
योगिनी एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसका उल्लेख विभिन्न हिंदू शास्त्रों में किया गया है। कहा जाता है कि भक्ति और ईमानदारी से इस व्रत को मनाने से समृद्धि, खुशी और मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है।
योगिनी एकादशी व्रत कथा । Yogini Ekadashi Vrat Katha
स्वर्गधाम की अलकापुरी नगरी में, शिवभक्त राजा कुबेर निवास करते थे, जो प्रतिदिन श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करते थे। उनके लिए मानसरोवर से पुष्प लाने का कार्य हेम नामक माली करता था, जिसकी पत्नी विशालाक्षी अनुपम सुंदरता की धनी थी।
एक दिन, हेम माली फूल तो ले आया, परंतु अपनी पत्नी के साथ हास-परिहास में खो गया। राजा कुबेर उनकी प्रतीक्षा में क्रोधित हो उठे और सेवकों को माली का पता लगाने भेजा। सेवकों ने लौटकर बताया कि हेम माली अपनी पत्नी के साथ व्यस्त है। यह सुनकर कुबेर ने क्रोध में आकर उसे शाप दिया कि वह स्त्री वियोग सहते हुए मृत्युलोक में कोढ़ी हो जाएगा। शापित हेम माली का स्वर्ग से पतन हुआ और पृथ्वी पर आते ही वह श्वेत कोढ़ से पीड़ित हो गया। उसकी पत्नी भी अदृश्य हो गई। हेम माली जंगल में भटकता रहा, पर शिवभक्ति के प्रभाव से उसे अपने पूर्व जन्म की स्मृतियां थीं। एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम पहुंचा और उनके चरणों में गिरकर अपनी व्यथा सुनाई। ऋषि ने सत्य जानकर उसे आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी के व्रत का विधान बताया। हेम माली ने विधिपूर्वक व्रत किया और व्रत के प्रभाव से वह अपने पूर्व स्वरूप में लौट आया।
योगिनी एकादशी के व्रत के प्रभाव से उसके समस्त पाप नष्ट हो गए और वह अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्वक रहने लगा। यह व्रत समस्त पापों का नाश कर अंत में स्वर्ग की प्राप्ति कराता है।
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योगिनी एकादशी व्रत कथा पीडीएफ । Yogini Ekadashi Vrat Katha PDF)
योगिनी एकादशी व्रत कथा PDF Download | View Kathaयोगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के पावन व्रत से संबंधित विशेष पौराणिक कथा हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप योगिनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ सरलता पूर्वक कर सकते हैं।
योगिनी एकादशी मंत्र (Yogini Ekadashi Mantra)
- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् …
- ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:।
- ओम नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
- ओम ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः।
योगिनी एकादशी व्रत कैसे करें? (Yogini Ekadashi Vrat kaise kare?)
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत कैसे करें:
- स्नान और उबटन: योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के दिन स्नान के लिए धरती माता की रज (मिट्टी) का उपयोग करें। स्नान से पहले शरीर पर तिल के उबटन का प्रयोग करें, जो न केवल शारीरिक शुद्धि प्रदान करता है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करता है।
- व्रत का संकल्प और पूजन: सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद, पूजा के लिए मिट्टी का कलश स्थापित करें और उसमें जल, अक्षत (चावल), मुद्रा (सिक्का) रखें। कलश के ऊपर एक दीया रखें और उसमें चावल अर्पित करें।
- धार्मिक समर्पण: इस पवित्र विधि के माध्यम से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करें। यह व्रत शुभ फलों की प्राप्ति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
योगिनी एकादशी व्रत के नियम (Yogini Ekadashi vrat ke Niyam)
योगिनी एकादशी व्रत (Yogini Ekadashi vrat) के नियम:
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा: योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करना चाहिए। श्रद्धालुओं को शुद्ध मन से दीप, धूप, पुष्प, और नैवेद्य अर्पित कर भगवान से सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
- चावल का सेवन वर्जित: जो व्यक्ति इस दिन व्रत नहीं रख रहे हैं, उन्हें भी चावल का सेवन करने से बचना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाना अशुभ माना जाता है, और इससे व्रत का प्रभाव कम हो सकता है।
- रात्रि जागरण का महत्व: व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं के लिए रात्रि जागरण करना अत्यंत फलदायी माना गया है। यह भगवान लक्ष्मी नारायण को प्रसन्न करने का एक विशेष माध्यम है, जो घर में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण उत्पन्न करता है।
- पारण का नियम: व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत का समापन करना अनिवार्य है। इसके लिए प्रातः स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें और तुलसी के पत्तों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
- आध्यात्मिक लाभ और सकारात्मकता: योगिनी एकादशी व्रत और इसके नियमों का पालन करने से न केवल आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी होता है। व्रत रखने से पाप
योगिनी एकादशी पारण समय (Yogini Ekadashi Parana time)
- योगिनी एकादशी 2025 – 21 जून
- पारण का समय- 22 जून, दोपहर 01:40 बजे से शाम 04:11 बजे तक
Conclusion
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यंत ही गहरा है। पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के पावन त्यौहार से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. योगिनी एकादशी का व्रत कब मनाया जाता है?
Ans. योगिनी एकादशी का व्रत प्रतिवर्ष आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2025 में यह व्रत 21 जून को रखा जाएगा।
Q. योगिनी एकादशी व्रत का महत्व क्या है?
Ans. धार्मिक मान्यतानुसार योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत सभी पापों को दूर करने वाला माना जाता है। यह व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है तथा श्री लक्ष्मी-विष्णु जी के पूजन के लिए बहुत ही खास है।
Q. योगिनी एकादशी का व्रत करने से क्या लाभ होता है?
Ans. योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत करने से पारिवारिक सुख, समृद्धि की प्राप्ति, सिद्धि और सफलता मिलती है। यह व्रत हर संकट से मुक्ति, उपद्रव, दरिद्रता तथा पापों का नाश करने वाला माना गया है।
Q. इस व्रत के दिन कितने ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है?
Ans. भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने कहा है कि योगिनी एकादशी Yogini (Ekadashi) का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है।
Q. योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। मिट्टी के कलश में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की प्रतिमा स्थापित कर तुलसी, फूल, फल चढ़ाएं। विधि-विधान से पूजन, कथा पाठ और आरती करें।
Q. इस व्रत में क्या मंत्र का जाप करना चाहिए?
Ans. योगिनी एकादशी व्रत में ‘ॐ नमो नारायण’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करने का विधान है।