Yogini Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व है। प्रत्येक मास में दो एकादशी आती हैं – एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इन्हीं एकादशियों में से एक है – योगिनी एकादशी।
यह व्रत आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस वर्ष योगिनी एकादशी 2 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती है। व्रत के दौरान व्रती को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय‘ का जाप करना चाहिए। इस व्रत का संबंध एक प्राचीन कथा से भी जुड़ा हुआ है जिसमें कुबेर के माली हेम को कुबेर द्वारा कोढ़ी होने का श्राप मिला था, जिससे वह योगिनी एकादशी का व्रत करके मुक्त हुआ था। योगिनी एकादशी का व्रत करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है। यह व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है। साथ ही इस व्रत की महिमा इतनी अधिक है कि इससे किसी के द्वारा दिए गए श्राप का भी निवारण हो जाता है। इस एकादशी (Ekadashi) को करने से व्यक्ति का मन पवित्र होता है और उसके सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
तो आइए, इस योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के पावन अवसर पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करें और अपने जीवन को धन्य बनाएं।
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Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | क्या है योगिनी एकादशी |
2 | योगिनी एकादशी कब है |
3 | योगिनी एकादशी का महत्व |
4 | योगिनी एकादशी व्रत विधि |
5 | योगिनी एकादशी व्रत कथा |
6 | योगिनी एकादशी व्रत कथा पीडीएफ |
क्या है योगिनी एकादशी (What is Yogini Ekadashi)
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) हिन्दू धर्म की एक प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है, जो आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे मनाने से यह माना जाता है कि सभी पापों का नाश होता है और भक्त और उनके परिवार को खुशी, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है। योगिनी एकादशी की कथा कुबेर के उद्यानी के बारे में है, जिसे गदहा बनने का श्राप मिलता है, लेकिन उसे योगिनी एकादशी के व्रत का पालन करने से मुक्ति मिलती है। इस व्रत का पालन करने से इच्छाओं की पूर्ति, बाधाओं का निवारण, और आध्यात्मिक विकास और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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योगिनी एकादशी कब है (When is Yogini Ekadashi)
साल 2024 में योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का शुभ अवसर 2 जुलाई को आएगा, और इसका पारणा अनुष्ठान 3 जुलाई को सम्पन्न होगा। इस विशेष दिन पर भक्तगण प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। भगवान विष्णु के समक्ष दीप प्रज्वलित कर, तुलसी के पत्तों और फूलों से उनका पूजन किया जाता है। व्रतधारी दिनभर फलाहार कर, भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं और रात्रि में जागरण करते हैं।
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योगिनी एकादशी का महत्व (Yogini Ekadashi Importance)
- पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति: योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को विधिवत रखने से किसी के दिए हुए श्राप का भी निवारण हो जाता है। योगिनी एकादशी का व्रत सभी उपद्रवों को शांत करके सुख और समृद्धि प्रदान करता है।
- तीनों लोकों में प्रसिद्ध: योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत तीनों लोकों – भूलोक, पाताल लोक और स्वर्ग लोक में प्रसिद्ध है। इस व्रत को विधिवत रखने से इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति की प्राप्ति होती है। यह व्रत समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट करके सुंदर रुप, गुण और यश प्रदान करता है।
इस प्रकार योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का महत्व अत्यंत विशेष है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि व्यक्ति को पुण्य, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति भी कराता है। इसलिए हर व्यक्ति को इस पवित्र एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
योगिनी एकादशी व्रत विधि (Yogini Ekadashi Vrat Vidhi)
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत की पूजा विधि निम्नलिखित 5 चरणों में की जा सकती है:
- तैयारी: भक्त को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद, पूरी श्रद्धा और ईमानदारी के साथ व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- कलश स्थापना: एक मिट्टी या धातु के कलश को शुद्ध जल से भरकर एक साफ चौकी पर रखा जाना चाहिए। कलश को आम के पत्तों, हल्दी और सिंदूर से सजाया जाना चाहिए। कलश के ऊपर एक नारियल रखा जाना चाहिए और उसकी भगवान विष्णु के प्रतीक के रूप में पूजा की जानी चाहिए।
- भगवान विष्णु का आह्वान: भक्त को मंत्रों का उच्चारण करके और प्रार्थना करके भगवान विष्णु की उपस्थिति का आह्वान करना चाहिए। सबसे आम मंत्र “ॐ नमो नारायणाय” है, जिसका अर्थ है “मैं भगवान नारायण (विष्णु) को नमन करता हूं।”
- भोग लगाना: भक्त को भगवान विष्णु को फल, फूल, धूप और अन्य वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए। इन भोगों को नैवेद्य कहा जाता है और माना जाता है कि वे देवता को प्रसन्न करते हैं।
- ध्यान और जप: भोग लगाने के बाद, भक्त को भगवान विष्णु के दिव्य स्वरूप पर ध्यान करना चाहिए और 108 बार “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जप करना चाहिए। यह मन को केंद्रित करने और देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
योगिनी एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसका उल्लेख विभिन्न हिंदू शास्त्रों में किया गया है। कहा जाता है कि भक्ति और ईमानदारी से इस व्रत को मनाने से समृद्धि, खुशी और मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है।
योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha)
स्वर्गधाम की अलकापुरी नगरी में, शिवभक्त राजा कुबेर निवास करते थे, जो प्रतिदिन श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करते थे। उनके लिए मानसरोवर से पुष्प लाने का कार्य हेम नामक माली करता था, जिसकी पत्नी विशालाक्षी अनुपम सुंदरता की धनी थी।
एक दिन, हेम माली फूल तो ले आया, परंतु अपनी पत्नी के साथ हास-परिहास में खो गया। राजा कुबेर उनकी प्रतीक्षा में क्रोधित हो उठे और सेवकों को माली का पता लगाने भेजा। सेवकों ने लौटकर बताया कि हेम माली अपनी पत्नी के साथ व्यस्त है। यह सुनकर कुबेर ने क्रोध में आकर उसे शाप दिया कि वह स्त्री वियोग सहते हुए मृत्युलोक में कोढ़ी हो जाएगा। शापित हेम माली का स्वर्ग से पतन हुआ और पृथ्वी पर आते ही वह श्वेत कोढ़ से पीड़ित हो गया। उसकी पत्नी भी अदृश्य हो गई। हेम माली जंगल में भटकता रहा, पर शिवभक्ति के प्रभाव से उसे अपने पूर्व जन्म की स्मृतियां थीं। एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम पहुंचा और उनके चरणों में गिरकर अपनी व्यथा सुनाई। ऋषि ने सत्य जानकर उसे आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी के व्रत का विधान बताया। हेम माली ने विधिपूर्वक व्रत किया और व्रत के प्रभाव से वह अपने पूर्व स्वरूप में लौट आया।
योगिनी एकादशी के व्रत के प्रभाव से उसके समस्त पाप नष्ट हो गए और वह अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्वक रहने लगा। यह व्रत समस्त पापों का नाश कर अंत में स्वर्ग की प्राप्ति कराता है।
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योगिनी एकादशी व्रत कथा पीडीएफ (Yogini Ekadashi Vrat Katha PDF)
योगिनी एकादशी PDF Downloadयोगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के पावन व्रत से संबंधित विशेष पौराणिक कथा हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप योगिनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ सरलता पूर्वक कर सकते हैं।
Conclusion:-
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यंत ही गहरा है। पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के पावन त्यौहार से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. योगिनी एकादशी का व्रत कब मनाया जाता है?
Ans. योगिनी एकादशी का व्रत प्रतिवर्ष आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में यह व्रत 02 जुलाई, दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
Q. योगिनी एकादशी व्रत का महत्व क्या है?
Ans. धार्मिक मान्यतानुसार योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत सभी पापों को दूर करने वाला माना जाता है। यह व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है तथा श्री लक्ष्मी-विष्णु जी के पूजन के लिए बहुत ही खास है।
Q. योगिनी एकादशी का व्रत करने से क्या लाभ होता है?
Ans. योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत करने से पारिवारिक सुख, समृद्धि की प्राप्ति, सिद्धि और सफलता मिलती है। यह व्रत हर संकट से मुक्ति, उपद्रव, दरिद्रता तथा पापों का नाश करने वाला माना गया है।
Q. इस व्रत के दिन कितने ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है?
Ans. भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने कहा है कि योगिनी एकादशी Yogini (Ekadashi) का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है।
Q. योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। मिट्टी के कलश में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की प्रतिमा स्थापित कर तुलसी, फूल, फल चढ़ाएं। विधि-विधान से पूजन, कथा पाठ और आरती करें।
Q. इस व्रत में क्या मंत्र का जाप करना चाहिए?
Ans. योगिनी एकादशी व्रत में ‘ॐ नमो नारायण’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करने का विधान है।