माता लक्ष्मी के होते हुए तुलसी से क्यों किया भगवान विष्णु ने विवाह ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, तुलसी का विवाह हर साल देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से मनाया जाता है। जानते हैं इसके पीछे की कथा।
कहानी के अनुसार, एक बार तुलसी ने भगवान विष्णु को नाराज़ होकर श्राप दिया कि वे काले पत्थर बन जाएं। इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए विष्णु ने शालिग्राम पत्थर के रूप में अवतार लिया। शालिग्राम रूप में भगवान विष्णु ने तुलसी से विवाह किया, और इसी कारण देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है।
तुलसी माता को माता लक्ष्मी का अवतार माना गया है, और वे भगवान विष्णु को प्रिय हैं। उनके बिना भगवान किसी भी पूजा को अधूरा मानते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, तुलसी का पौधा वृंदा नामक स्त्री की राख से उत्पन्न हुआ था। इसी कारण तुलसी को "वृंदा" के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान विष्णु ने कहा था कि बिना तुलसी के किसी भी शुभ कार्य का भोग नहीं स्वीकार करेंगे। तुलसी के बिना उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है।