इस विधि से करें तुलसी विवाह,नहीं तो अधूरी रह जाएगी पूजा
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह मनाया जाता है,इस साल ये पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा।इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं।इस दिन भगवान विष्णु (शालिग्राम) का विवाह तुलसी जी के साथ होता है।
जिस स्थान पर पूजा करनी हो, उसे अच्छी तरह से साफ करें।वहां रंगोली बनाकर एक चौकी रखें और उस पर साफ कपड़ा बिछाएं।चौकी पर गन्ने का मंडप बनाएं और उसमें तुलसी का पौधा व शालिग्राम को स्थापित करें।
शालिग्राम को पीले वस्त्र चढ़ाएं, जो भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं।तुलसी जी को लाल चुनरी, सुहाग और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।दोनों को दूध में भीगी हल्दी लगाएं और गन्ने के मंडप पर हल्दीकुमकुम लगाएं।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा कर विवाह का आरंभ करें।विवाह संपन्न होने पर तांबे के पात्र में प्रसाद अर्पित करें।अंत में घी और कपूर का दीपक जलाकर आरती करें।
इस पर्व को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं, जिससे घर में सुखशांति बनी रहती है।