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Solar Eclipse : अप्रैल में इस दिन लगेगा  का साल का पहला सूर्य ग्रहण,कब, कहां किसे,दिखेगा? जाने सब कुछ

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Solar Eclipse : सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse), प्रकृति का एक अद्भुत दृश्य, जब चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करता है, तब यह खगोलीय घटना घटित होती है। यह एक दुर्लभ घटना है जो केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही होती है। सूर्य ग्रहण के दौरान, चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है और सूर्य की रोशनी को अवरुद्ध करता है। यह घटना तब होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है और सूर्य के सामने आ जाता है। चंद्रमा का आकार सूर्य से छोटा होता है, इसलिए वह सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है। 

सूर्य ग्रहण खगोलविदों के लिए सूर्य और चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। कई संस्कृतियों में सूर्य ग्रहण को एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक घटना माना जाता है। सूर्य ग्रहण पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक घटना है और यह कई देशों के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी बन गया है। आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, साथ ही हम आपको बताएंगे कि सूर्य ग्रहण क्या है? सूर्य ग्रहण का महत्व क्या है? 2024 में सूर्य ग्रहण कब लगेगा? इत्यादि! इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए ।

सूर्य ग्रहण 2024 कब लगेगा 

2024 में दो सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) लगेंगे। पहला 8 अप्रैल को लगेगा, जो एक खग्रास ग्रहण होगा। यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका North America , दक्षिणी अमेरिका South America, अटलांटिक महासागर Atlantic Ocean और अंटार्कटिका Antarctica में दिखाई देगा। दूसरा सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) 2 अक्टूबर को लगेगा, जो एक आंशिक ग्रहण होगा। यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा।

सूर्य ग्रहण का समय (Timing of Solar Eclipse)

साल 2024 में, 8 अप्रैल को पहला सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) होगा। इस दिन रात 9 बजकर 12 मिनट पर सूर्यग्रहण आरंभ होगा, और मध्य रात्रि में 1 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा। 

सूतक काल का समय (Timing of Sutak kaal)

  • साल 2024 के पहले सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) में सूतक काल, जो ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाती है, 8 अप्रैल 2024 को सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर आरंभ होगी। 

सूतक काल क्या होता है (Kya Hota Hai Sutak kaal)

सूतक काल (Sutak time) एक धार्मिक अवधारणा है जो जन्म और मृत्यु जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ी होती है। यह एक ऐसा समय होता है जब कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है, ताकि नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर रखा जा सके और सकारात्मक ऊर्जाओं को प्रोत्साहित किया जा सके।

सूतक काल (Sutak time) की अवधि घटना के प्रकार पर निर्भर करती है। सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) के दौरान, सूतक काल 12 घंटे पहले शुरू होता है, जबकि चंद्र ग्रहण के दौरान यह 9 घंटे पहले शुरू होता है। मृत्यु के मामले में, सूतक काल 10 दिनों तक रहता है, जबकि जन्म के मामले में यह 3 दिनों तक रहता है।

सूतक काल के दौरान, कुछ विशेष कार्यों से बचना चाहिए, जैसे:

  • धार्मिक अनुष्ठान: सूतक काल के दौरान किसी भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने से बचना चाहिए।
  • शुभ कार्य: सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य, जैसे कि शादी, मुंडन, या गृह प्रवेश, नहीं करना चाहिए।
  • भोजन: सूतक काल के दौरान, मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
  • शारीरिक संबंध: सूतक काल के दौरान पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध नहीं होने चाहिए।

ग्रहण किसे कहते है (What is Eclipse)

ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब एक खगोलीय पिंड किसी दूसरे पिंड की छाया में आ जाता है। यह घटना तब होती है जब तीन खगोलीय पिंड, जैसे कि सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी, एक सीध में आते हैं।

ग्रहण कितने प्रकार के होते है (Types of Eclipse)

ग्रहण दो प्रकार के होते हैं:

  • सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है और सूर्य को ढक लेता है, तो सूर्य ग्रहण होता है।
  • चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्रमा को ढक लेती है, तो चंद्र ग्रहण होता है।

सूर्य ग्रहण कैसे पड़ता है (Surya Grahan Kaise Padta Hai)

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है। यह घटना तब होती है जब तीन खगोलीय पिंड, सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी, एक सीध में आते हैं।

सूर्य ग्रहण के प्रकार:

  • पूर्ण सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है, तो पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है। यह घटना केवल अमावस्या को ही हो सकती है।
  • आंशिक सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढक लेता है, तो आंशिक सूर्य ग्रहण होता है। यह घटना अमावस्या के आसपास हो सकती है।
  • वलयाकार सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य के केंद्र से होकर गुजरता है, तो वलयाकार सूर्य ग्रहण होता है।
  • संकर सूर्य ग्रहण: यह वलयाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है।

सूर्य ग्रहण कब होता है (Surya Grahan Kab Hota Hai)

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है। यह घटना तब होती है जब तीन खगोलीय पिंड, सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी, एक सीध में आते हैं।

वैज्ञानिक विधि:

  • चंद्रमा की कक्षा: चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा लगभग 27.3 दिनों में करता है। चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी की कक्षा के सापेक्ष 5.1 डिग्री झुकी हुई है।
  • अमावस्या: जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच होता है, तो अमावस्या होती है।
  • सूर्य ग्रहण: यदि अमावस्या के दौरान चंद्रमा सूर्य के सामने से गुजरता है, तो सूर्य ग्रहण होता है।
  • ग्रहण की अवधि: सूर्य ग्रहण की अवधि चंद्रमा और सूर्य की सापेक्ष स्थिति पर निर्भर करती है।

सूर्य ग्रहण कब है (Surya Grahan kab Hai)

पहला सूर्य ग्रहण:

तिथि: 8 अप्रैल 2024, सोमवार
प्रकारखग्रास सूर्य ग्रहण

दृश्यता:

  • उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, अटलांटिक महासागर, उत्तरी ध्रुव, दक्षिणी ध्रुव,
  • भारत में दिखाई नहीं देगा।

सूर्य ग्रहण क्यों होता है (Surya Grahan Kyon Hota Hai)

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने से रोकता है। यह घटना सिर्फ अमावस्या (Amavasya) के दिन ही हो सकती है।

सूर्य ग्रहण क्या होता है (Surya Grahan kya Hota Hai)

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) तब होता है जब चंद्रमा सूर्य को “ग्रहण” कर लेता है। इसका मतलब यह है कि चंद्रमा, पृथ्वी की परिक्रमा करते समय, सूरज (earth) और पृथ्वी (earth) के बीच में आ जाता है, जिससे सूरज अवरुद्ध हो जाता है और सूरज की रोशनी हम तक नहीं पहुंच पाती है।

सूर्य ग्रहण किसे कहते हैं (Surya Grahan kise Kahate Hain)

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) एक खगोलीय घटना है जो तब घटित होती है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है और सूर्य को पूर्ण या आंशिक रूप से ढक लेता है। यह घटना केवल अमावस्या को ही हो सकती है, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है।

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) खगोल विज्ञान के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है। यह प्राचीन काल से ही लोगों को आकर्षित करता रहा है और कई संस्कृतियों में इसका धार्मिक महत्व भी है। सूर्य ग्रहण का उपयोग सूर्य और चंद्रमा की गति का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

सूर्य ग्रहण कैसे लगता है (Surya Grahan Kaise lagta Hai)

सूर्य ग्रहण, जो कि आकाशीय घटना है, वह वक्रिम तारा समय के एक अद्वितीय क्षण का निरीक्षण करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। इस घटना का कारण है कि चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है, जिससे सूर्य की किरणें पूरी तरह से बंद हो जाती हैं। यह दृश्य विश्व के विभिन्न हिस्सों से देखा जा सकता है, जो आकाश में चमकीली ताजगी के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का अद्वितीय संवाद है। यह ग्रहण समय समय पर होता है और लोग इसे धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ देखते हैं। सूर्य ग्रहण के दौरान, लोगों को एक अद्वितीय अनुभव होता है जिसमें वे इस आश्चर्यजनक घटना की साक्षात्कार करते हैं, जो उन्हें आकाशीय संवाद के साथ जोड़ता है।

सूर्य ग्रहण में क्या नहीं करना चाहिए (Surya Grahan Mai kya Nahi karna Chahiye)

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है। यह घटना अमावस्या को ही हो सकती है। सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ सावधानियां बरतना जरूरी होता है, क्योंकि इस दौरान सूर्य से निकलने वाली हानिकारक किरणें पृथ्वी तक पहुंच सकती हैं।

  • सूर्य को नंगी आंखों से न देखें: सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को नंगी आंखों से देखना बहुत खतरनाक हो सकता है। इससे आंखों की रोशनी कम हो सकती है या स्थायी रूप से अंधापन भी हो सकता है।
  • विशेष चश्मे का इस्तेमाल करें: सूर्य ग्रहण को देखने के लिए विशेष चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए। ये चश्मे सूर्य से निकलने वाली हानिकारक किरणों को रोकते हैं।
  • गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए: गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के दौरान बाहर निकलने से बचना चाहिए। यदि उन्हें बाहर जाना पड़े, तो उन्हें विशेष चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए और धूप से बचाव के लिए अन्य सावधानियां भी बरतनी चाहिए।
  • खाना-पीना न करें: सूर्य ग्रहण के दौरान खाना-पीना नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान ग्रहण की अशुद्धता भोजन को दूषित कर सकती है।
  • धार्मिक कार्यों में भाग लें: सूर्य ग्रहण को एक पवित्र घटना माना जाता है। इस दौरान लोग धार्मिक कार्यों में भाग लेते हैं, जैसे कि स्नान, दान, पूजा आदि।

सूर्य ग्रहण में क्या करना चाहिए (Surya Grahan Mai kya Karna Chahiye)

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है। यह घटना अमावस्या को ही हो सकती है। सूर्य ग्रहण को लेकर कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं।

  • स्नान करें: सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे ग्रहण की अशुद्धता दूर होती है।
  • दान करें: सूर्य ग्रहण के दौरान दान करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पुण्य प्राप्त होता है।
  • पूजा करें: सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव की पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
  • मंत्र जप करें: सूर्य ग्रहण के दौरान मंत्र जप करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे मन शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • ग्रहण का ध्यान करें: सूर्य ग्रहण के दौरान ग्रहण का ध्यान करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे आध्यात्मिक उन्नति होती है।

Summary

सूर्य ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है जो हमें सौरमंडल की गति और ब्रह्मांड के अद्भुत रहस्यों से परिचित कराता है। यह घटना हमें प्रकृति की महानता और उसकी शक्ति का अनुभव कराती है। सूर्य ग्रहण से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें । और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

FAQ’s

Q. सूर्यग्रहण क्या होता है?

Ans. सूर्यग्रहण एक प्रकार का घटना है जब चंद्रमा पूर्णतया सूर्य के सामने आकर आधा हिस्सा ढक लेता है।

Q. सूर्यग्रहण कितनी बार होता है?

Ans. सामान्यत: सूर्यग्रहण साल में कम से कम एक बार और अधिकतम सात बार होता है।

Q. सूतक काल क्या है और क्यों मान्यता है?

Ans. सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू होकर लोगों को धार्मिक और सामाजिक अवसरों से दूर रखने के लिए मान्यता है।

Q. पूर्ण और आंशिक सूर्यग्रहण में क्या अंतर है?

Ans. पूर्ण सूर्यग्रहण में सूर्य पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे जाता है, जबकि आंशिक सूर्यग्रहण में केवल हिस्सा ढकता है।

Q. सूतक क्या होता है?

Ans. सूतक ग्रहण के समय लगने वाला एक अशुभ काल होता है। यह ग्रहण की शुरुआत से पहले कुछ समय तक रहता है।

Q. सूतक के दौरान क्या करना चाहिए?

Ans. सूतक के दौरान स्नान, दान, पूजा-पाठ, जप-तप आदि शुभ कार्य करना चाहिए।