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Maa Brahmacharini: दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी कि पूजा, इस Pooja vidhi से करें माता को खुश

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Maa Brahmacharini: नवरात्रि (Navratri) के दूसरे दिन, भक्त माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं। ‘ब्रह्म’ का अर्थ है ‘तपस्या’ और ‘चारिणी’ का अर्थ है ‘आचरण करने वाली’, इसलिए माता ब्रह्मचारिणी ‘तपस्या करने वाली देवी’ के नाम से जानी जाती हैं। माता ब्रह्मचारिणी (Mata Brahmacharini) का स्वरूप अत्यंत शांत और तेजस्वी है। वे दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं। श्वेत वस्त्र धारण किए हुए, माता ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) ज्ञान, तपस्या, और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक हैं। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्त को ज्ञान, तपस्या, और आत्म-नियंत्रण की शक्ति प्राप्त होती है। माता भक्तों को अज्ञानता, मोह, और अहंकार से मुक्ति प्रदान करती हैं। 

नवरात्रि के दूसरे दिन, भक्त माता ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini Maa) की पूजा करते हैं और उनसे ज्ञान, तपस्या, और आत्म-नियंत्रण की शक्ति प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। आज के इस विशेष लेख में हम आपको माता ब्रह्मचारिणी  के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे! हम आपको बताएंगे की माता ब्रह्मचारिणी कौन है?, माता ब्रह्मचारिणी का महत्व क्या है?, माता शैलपुत्री की पूजा विधि क्या है? साथ ही हम आपको माता ब्रह्मचारिणी  के प्रमुख मंत्र, चालीसा एवं आरती के बारे में भी बताएंगे इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ।

कौन है मां ब्रह्मचारिणी (Who is Maa Brahmacharini)

माँ ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini Maa) नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। इनका नाम ‘ब्रह्म’ (ज्ञान) और ‘चारिणी’ (आचरण करने वाली) से मिलकर बना है। माँ ब्रह्मचारिणी ( Maa Brahmcharini) तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की देवी हैं। इनकी उपासना से मनुष्य में इन गुणों का विकास होता है। माता का स्वरूप अत्यंत मनोहारी है। इनके चार हाथ हैं। दाहिने हाथ में जपमाला और कमंडल, बाएं हाथ में अक्षय पात्र और अभय मुद्रा है। माँ कमल के फूल पर विराजमान हैं।

मां ब्रह्मचारिणी का महत्व (Maa Brahmacharini Importance)

माता ब्रह्मचारिणी नवरात्रि (Navratri) के दूसरे दिन पूजी जाने वाली देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं। उनका नाम ब्रह्मचर्य से लिया गया है, जो कि तप, त्याग, और ज्ञान प्राप्ति के लिए आवश्यक है।

माता ब्रह्मचारिणी के महत्व को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है:

  • ज्ञान और शिक्षा: माता ब्रह्मचारिणी ज्ञान और शिक्षा की देवी हैं। उनकी पूजा से ज्ञान, बुद्धि, और विद्या प्राप्त होती है।
  • तप और त्याग: माता ब्रह्मचारिणी तप और त्याग का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से भक्तों में तप, त्याग, और आत्म-संयम की भावना बढ़ती है।
  • संकटों से मुक्ति: माता ब्रह्मचारिणी भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति प्रदान करती हैं।
  • मनोबल और साहस: माता ब्रह्मचारिणी भक्तों में मनोबल और साहस का संचार करती हैं।
  • अनंत फल: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से अनंत फल प्राप्त होते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की कहानी (Maa Brahmacharini ki kahani)

Maa Brahmacharini: बहुत समय पहले पर्वतों का राजा हिमवान राज्य करता था। जब उनके यहां एक बेटी का जन्म हुआ, तो उन्होंने उसका नाम “पर्वत” शब्द के आधार पर पार्वती रखा, जिसका अर्थ है पहाड़। वह उसके लिए बेहद कीमती थी और उसने उस पर प्यार और स्नेह बरसाया। जब पार्वती बड़ी हुईं तो हिमवान ने उनके लिए एक उपयुक्त साथी की तलाश शुरू कर दी। एक पिता के रूप में, उनकी नज़र में उनकी बेटी के लिए कोई भी अच्छा नहीं लगता था। यही कारण है कि जब पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की, तो उनके माता-पिता ने उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश की।

भगवान शिव (Lord Shiva) कैलाश पर्वत पर तपस्वी जीवन व्यतीत करते थे। वे अपनी प्यारी बेटी से शादी कैसे कर सकते थे जिसका जन्म और पालन-पोषण महलों में हुआ था? वह इतनी कठोर जीवनशैली से कैसे तालमेल बिठा सकती है? लेकिन जैसा कि कहा जाता है, जब कोई वास्तव में कुछ चाहता है, तो कुछ भी या कोई भी उसके रास्ते में नहीं खड़ा हो सकता है। सफलता केवल उन्हीं को मिलती है जो इसके लिए काम करने को तैयार होते हैं। पार्वती भी अपने जन्म के सभी सांसारिक सुखों को छोड़कर, अपने पथ पर निकल पड़ीं। वह जानती थी कि उसे क्या चाहिए और वह किसी और चीज़ से सहमत नहीं होगी।

उसने महल छोड़ दिया और जंगल में आ गई जहाँ उसने अपनी घोर तपस्या शुरू की, एक ऐसी तपस्या जो पहले कभी किसी ने नहीं देखी थी। हज़ारों वर्षों तक, वह केवल फल, सब्जियाँ और गिरी हुई पत्तियाँ ही खाती रही। वह अपना तप पूरा करने के लिए ठंडे, कठोर जंगल के फर्श पर सोई। शिव (Lord Shiva) के साथ समान भागीदार बनने के लिए, वह शिव के समान गतिविधियों में संलग्न हो गईं। उन्होंने उनके तप, योग और तप के मार्ग का अनुसरण किया। पार्वती के इस रूप को ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है, युवावस्था का चरण जहां आप जो चाहते हैं उसके लिए काम करने का दृढ़ संकल्प और धैर्य बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान का सिंहासन उनके भक्त की भक्ति के धागे से बंधा होता है। जब भक्त सच्चे दिल से भगवान को ढूंढता है तो सिंहासन डोल जाता है। पार्वती के ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) रूप और उनकी अत्यधिक भक्ति के कारण, कैलाश पर्वत, जहां शिव रहते थे, हिल गया।

अंततः भगवान शिव (Lord Shiva) को ध्यान देना पड़ा। वह भेष बदलकर पार्वती से मिलने गये। जब वह उनसे मिले, तो उन्होंने उन्हें शिव में बहुत सारी कमियों के बारे में बताया और पार्वती को अपनी तपस्या छोड़ने के लिए कहा। लेकिन पार्वती अपने निश्चय पर दृढ़ रहीं। उसकी भक्ति को डिगाना नहीं था। उनकी वर्षों की तपस्या अंततः सफल हुई और उनका विवाह भगवान शिव (Lord Shiva) से हुआ। यहां तक कि उसके माता-पिता, जो वर्षों से उसकी तलाश कर रहे थे, उसकी इच्छा पर सहमत हुए और एक भव्य जुलूस में उसकी शादी भगवान शिव से कर दी। अब, पार्वती भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ कैलाश पर शासन करती हैं और उन्हें एक पुरुष और एक महिला के बीच दिव्य ऊर्जा माना जाता है। भले ही उनका व्यवहार दयालु, पालन-पोषण करने वाला है, लेकिन उनका एक उग्र, दृढ़निश्चयी पक्ष है जिसे हम मां ब्रह्मचारिणी के रूप में देखते हैं

मां ब्रह्मचारिणी पूजा का महत्व (Maa Brahmacharini Puja Significance)

  • तप और त्याग की प्रेरणा: माता ब्रह्मचारिणी स्वयं तप और त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। उनकी पूजा करने से मनुष्य में तप और त्याग की प्रेरणा मिलती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  • नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मनुष्य नकारात्मक शक्तियों से रक्षित रहता है।
  • अध्यात्मिक उन्नति: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मनुष्य में सकारात्मक विचारों का विकास होता है।
  • संयम और आत्म-नियंत्रण: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से मनुष्य में संयम और आत्म-नियंत्रण की वृद्धि होती है।
  • विजय और सफलता: माता ब्रह्मचारिणी कि कृपा से मनुष्य को जीवन में आने वाली बाधाओं पर विजय प्राप्त होती है और उसे सफलता प्राप्त होती है।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि (Maa Brahmacharini Puja Vidhi)

  • प्रातः जल्दी उठे और स्नान करें स्नान करने के बाद सच वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को स्वच्छ करें और चौकी को लाल वस्त्र से सजाएं।
  • मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें।
  • कलश स्थापित करें और उसमें जल, गंगाजल, सिक्के, सुपारी और पान डालें।
  • दीप जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  • मां ब्रह्मचारिणी को फल, मिठाई, फूल, सुपारी, पान, कपूर, चंदन, सिंदूर, हल्दी, कुमकुम, रोली और जल अर्पित करें।
  • मां ब्रह्मचारिणी का षोडशोपचार पूजन करें।
  • मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें और उनकी आरती करें।
  • मां ब्रह्मचारिणी की स्तुति और मंत्र का जाप करें।
  • प्रसाद ग्रहण करें।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि pdf (Maa Brahmacharini Puja Samagri pdf)

माता ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) की संपूर्ण पूजा विधि हम आपसे पीडीएफ (PDF) के जरिए सजा कर रहे हैं जिसे आप डाउनलोड (Download) करके पढ़ सकते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा सामग्री (Maa Brahmacharini Puja Samagri )

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:

पूजा के लिए:

  • मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर: मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर पूजा का केंद्र बिंदु होती है।
  • चौकी: मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर रखने के लिए एक चौकी या लकड़ी का आसन।
  • लाल कपड़ा: चौकी को ढकने के लिए लाल कपड़ा।
  • कलश: जल से भरा कलश।
  • नारियल: कलश के मुख पर रखने के लिए नारियल।
  • पंचमेवे: बादाम, काजू, किशमिश, अखरोट और खजूर।
  • सुगंध: धूप, दीप, अगरबत्ती।
  • फूल: मां ब्रह्मचारिणी को चढ़ाने के लिए ताजे फूल, जैसे कि गुलाब, गेंदा, चमेली, या कमल।
  • रोली: मां ब्रह्मचारिणी के चरणों में चढ़ाने के लिए रोली।
  • चंदन: मां ब्रह्मचारिणी के तिलक के लिए चंदन।
  • अक्षत: चावल के दाने।
  • फल: मां ब्रह्मचारिणी को चढ़ाने के लिए मौसमी फल, जैसे कि केला, सेब, या संतरा।
  • पान: मां ब्रह्मचारिणी को चढ़ाने के लिए पान के पत्ते।
  • सुपारी: मां ब्रह्मचारिणी को चढ़ाने के लिए सुपारी।
  • लौंग: मां ब्रह्मचारिणी को चढ़ाने के लिए लौंग।
  • दीपक: तेल या घी का दीपक।
  • घंटी: पूजा के दौरान घंटी बजाने के लिए।
  • आसन: पूजा करने के लिए आसन।
  • जल: पूजा के लिए जल।

भोग के लिए:

  • खीर: मां ब्रह्मचारिणी को भोग लगाने के लिए खीर।
  • हलवा: मां ब्रह्मचारिणी को भोग लगाने के लिए हलवा।
  • फल: मां ब्रह्मचारिणी को भोग लगाने के लिए मौसमी फल।
  • मिठाई: मां ब्रह्मचारिणी को भोग लगाने के लिए मिठाई।

ध्यान दें:

  • पूजा सामग्री खरीदते समय ध्यान रखें कि वे ताजी और शुद्ध हों।
  • पूजा के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  • पूजा करते समय मन में एकाग्रता और भक्ति भावना होनी चाहिए।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा सामग्री लिस्टpdf (Maa Brahmacharini Puja Samagri list pdf)

मां ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) की पूजा सामग्री की संपूर्ण सूची हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए सजा कर रहे हैं इस पीडीएफ को डाउनलोड करके आप पूजा सामग्री की लिस्ट डाउनलोड (Download) कर सकते हैं। 

ब्रह्मचारिणी माता की कथा (Brahmacharini Mata ki katha)

किंवदंती एक सुंदर कहानी कहती है। जब देवी पार्वती (प्रजनन और समृद्धि की देवी) को भगवान शिव (विनाश के देवता) के साथ अपने विवाह के बारे में पता चला, तो वह हर संभव तरीके से अपने पति को खुश करने के लिए दृढ़ हो गईं। तभी, ऋषि नारद (भगवान ब्रह्मा के पुत्र और हिंदू पौराणिक कथाओं के एक महत्वपूर्ण चरित्र) ने उन्हें अत्यधिक तपस्या करने का सुझाव दिया। उन्होंने उनसे भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ईमानदारी से समर्पण करने को कहा।

ऋषि नारद के सुझाव का पालन करते हुए, देवी ने खुद को एकांत और तपस्या (अत्यधिक तपस्या) में व्यस्त कर लिया और गंभीर पीड़ाएं झेलीं (केवल पत्तों पर रहकर, बिना किसी भोजन और पानी के)। उनका समर्पण इतना शुद्ध और ईमानदार था कि त्रिलोक उनकी तपस्या और भगवान शिव को पाने की इच्छा से परेशान हो गए। अंततः वर्षों की कठोर और सच्ची तपस्या के बाद, भगवान प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। यह भगवान शिव (Lord Shiva) ही थे जिन्होंने उनके इस रूप को “ब्रह्मचारिणी” नाम दिया जिसका अर्थ है “ एक समर्पित अनुयायी”।

ब्रह्मचारिणी माता की कथा pdf (Brahmacharini Mata ki Katha)

इस विशेष लेख में हम आपसे देवी ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) की संपूर्ण कथा पीडीएफ (PDF) के स्वरूप में शेयर कर रहे हैं जिसे आप कभी भी डाउनलोड (Download) कर सकते हैं, और कथा का आनंद ले सकते हैं।

ब्रह्मचारिणी चालीसा (Brahmacharini Chalisa)

दोहा: 

कोटि कोटि नमन मात पिता को,
जिसने दिया ये शरीर I

बलिहारी जाऊँ गुरू देव ने,
दिया हरि भजन में सीर

चालीसा:

जय जय जग मात ब्रह्माणी, भक्ति मुक्ति विश्व कल्याणी।
वीणा पुस्तक कर में सोहे, शारदा सब जग सोहे ।।

हँस वाहिनी जय जग माता, भक्त जनन की हो सुख दाता।
ब्रह्माणी ब्रह्मा लोक से आई, मात लोक की करो सहाई।।

क्षीर सिन्धु में प्रकटी जब ही, देवों ने जय बोली तब ही।
चतुर्दश रतनों में मानी, अद॒भुत माया वेद बखानी।।

चार वेद षट शास्त्र कि गाथा, शिव ब्रह्मा कोई पार न पाता।
आदि शक्ति अवतार भवानी, भक्त जनों की मां कल्याणी।।

जब−जब पाप बढे अति भारी, माता शस्त्र कर में धारी।
पाप विनाशिनी तू जगदम्बा, धर्म हेतु ना करी विलम्बा।।

नमो: नमो: ब्रह्मी सुखकारी, ब्रह्मा विष्णु शिव तोहे मानी।
तेरी लीला अजब निराली, सहाय करो माँ पल्लू वाली।।

दुःख चिन्ता सब बाधा हरणी, अमंगल में मंगल करणी।
अन्न पूरणा हो अन्न की दाता, सब जग पालन करती माता।।

सर्व व्यापिनी असंख्या रूपा, तो कृपा से टरता भव कूपा।
चंद्र बिंब आनन सुखकारी, अक्ष माल युत हंस सवारी।।

पवन पुत्र की करी सहाई, लंक जार अनल सित लाई।
कोप किया दश कन्ध पे भारी, कुटुम्ब संहारा सेना भारी।।

तु ही मात विधी हरि हर देवा, सुर नर मुनी सब करते सेवा।
देव दानव का हुआ सम्वादा, मारे पापी मेटी बाधा।।

श्री नारायण अंग समाई, मोहनी रूप धरा तू माई।।
देव दैत्यों की पंक्ति बनाई, देवों को मां सुधा पिलाई।।

चतुराई कर के महा माई, असुरों को तू दिया मिटाई।
नौ खण्ङ मांही नेजा फरके, भागे दुष्ट अधम जन डर के।।

तेरह सौ पेंसठ की साला, आस्विन मास पख उजियाला।
रवि सुत बार अष्टमी ज्वाला, हंस आरूढ कर लेकर भाला।।

नगर कोट से किया पयाना, पल्लू कोट भया अस्थाना।
चौसठ योगिनी बावन बीरा, संग में ले आई रणधीरा।।

बैठ भवन में न्याय चुकाणी, द्वारपाल सादुल अगवाणी।
सांझ सवेरे बजे नगारा, उठता भक्तों का जयकारा।।

मढ़ के बीच खड़ी मां ब्रह्माणी, सुन्दर छवि होंठो की लाली ।
पास में बैठी मां वीणा वाली, उतरी मढ़ बैठी महाकाली ।।

लाल ध्वजा तेरे मंदिर फरके, मन हर्षाता दर्शन करके।
दूर दूर से आते रेला, चैत आसोज में लगता मेला।।

कोई संग में, कोई अकेला, जयकारो का देता हेला।
कंचन कलश शोभा दे भारी, दिव्य पताका चमके न्यारी।।

सीस झुका जन श्रद्धा देते, आशीष से झोली भर लेते।
तीन लोकों की करता भरता, नाम लिए सब कारज सरता ।।

मुझ बालक पे कृपा कीज्यो, भुल चूक सब माफी दीज्यो।
मन्द मति जय दास तुम्हारा, दो मां अपनी भक्ती अपारा ।।

जब लगि जिऊ दया फल पाऊं, तुम्हरो जस मैं सदा सुनाऊं।
श्री ब्रह्माणी चालीसा जो कोई गावे, सब सुख भोग परम सुख पावे ।।

दोहा:

राग द्वेष में लिप्त मन, मैं कुटिल बुद्धि अज्ञान ।
भव से पार करो मातेश्वरी, अपना अनुगत जान ॥

ब्रह्मचारिणी चालीसा pdf (Brahmacharini Chalisa pdf)

मां ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) से संबंधित यह विशेष चालीसा (Chalisa) हम आपसे साझा कर रहे हैं , इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप देवी ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) की चालीसा (Chalisa) का पाठ नियमित तौर से कर सकते हैं ।

ब्रह्मचारिणी चालीसा youtube (Brahmacharini Chalisa youtube)

जय जय जग मात ब्रह्माणी,
भक्ति मुक्ति विश्व कल्याणी

वीणा पुस्तक कर में सोहे,
शारदा सब जग सोहे

हंस वाहिनी जय जग माता,
भक्त जनन की हो सुख दाता

ब्रह्माणी ब्रह्मा लोक से आई,
मात लोक की करो सहाई

क्षीर सिन्धु में प्रकटी जब ही,
देवों ने जय बोली तब ही

चतुर्दश रतनों में मानी,
अद॒भुत माया वेद बखानी

चार वेद षट शास्त्र कि गाथा,
शिव ब्रह्मा कोई पार न पाता

आदि शक्ति अवतार भवानी,
भक्त जनों की मां कल्याणी

जब-जब पाप बढे अति भारी,
माता शस्त्र कर में धारी

पाप विनाशिनी तू जगदम्बा,
धर्म हेतु ना करी विलम्बा

नमो: नमो: ब्रह्मी सुखकारी,
ब्रह्मा विष्णु शिव तोहे मानी

तेरी लीला अजब निराली,
सहाय करो माँ पल्लू वाली

दुःख चिन्ता सब बाधा हरणी,
अमंगल में मंगल करणी

अन्न पूरणा हो अन्न की दाता,
सब जग पालन करती माता

सर्व व्यापिनी असंख्या रूपा,
तो कृपा से टरता भव कूपा

चंद्र बिंब आनन सुखकारी,
अक्ष माल युत हंस सवारी

पवन पुत्र की करी सहाई,
लंक जार अनल सित लाई

कोप किया दश कन्ध पे भारी,
कुटम्ब संहारा सेना भारी

तु ही मात विधी हरि हर देवा,
सुर नर मुनी सब करते सेवा

देव दानव का हुआ सम्वादा,
मारे पापी मेटी बाधा

श्री नारायण अंग समाई,
मोहनी रूप धरा तू माई

देव दैत्यों की पंक्ती बनाई,
देवों को मां सुधा पिलाई

चतुराई कर के महा माई,
असुरों को तू दिया मिटाई

नौ खण्ङ मांही नेजा फरके,
भागे दुष्ट अधम जन डर के

तेरह सौ पेंसठ की साला,
आस्विन मास पख उजियाला

रवि सुत बार अष्टमी ज्वाला,
हंस आरूढ कर लेकर भाला

नगर कोट से किया पयाना,
पल्लू कोट भया अस्थाना

चौसठ योगिनी बावन बीरा,
संग में ले आई रणधीरा

बैठ भवन में न्याय चुकाणी,
द्वार पाल सादुल अगवाणी

सांझ सवेरे बजे नगारा ,
उठता भक्तों का जयकारा

मढ़ के बीच खड़ी मां ब्रह्माणी,
सुन्दर छवि होंठो की लाली

पास में बैठी मां वीणा वाली,
उतरी मढ़ बैठी महाकाली

लाल ध्वजा तेरे मंदिर फरके,
मन हर्षाता दर्शन करके

दूर दूर से आते रेला,
चैत आसोज में लगता मेला

कोई संग में, कोई अकेला,
जयकारो का देता हेला

कंचन कलश शोभा दे भारी,
दिव्य पताका चमके न्यारी

सीस झुका जन श्रद्धा देते,
आशीष से झोली भर लेते

तीन लोकों की करता भरता,
नाम लिए सब कारज सरता

मुझ बालक पे कृपा कीज्यो,
भुल चूक सब माफी दीज्यो

मन्द मति जय दास तुम्हारा,
दो मां अपनी भक्ती अपारा

जब लगि जिऊ दया फल पाऊं,
तुम्हरो जस मैं सदा सुनाऊं

श्री ब्रह्माणी चालीसा जो कोई गावे,
सब सुख भोग परम सुख पावे

ब्रह्मचारिणी माता की आरती (Brahmacharini Mata Aarti)

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥

ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥

कमी कोई रहने ना पाए। उसकी विरति रहे ठिकाने॥
जो तेरी महिमा को जाने। रद्रक्षा की माला ले कर॥

जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर। आलस छोड़ करे गुणगाना॥
माँ तुम उसको सुख पहुँचाना। ब्रह्मचारिणी तेरो नाम॥

पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी॥
रखना लाज मेरी महतारी।

मां ब्रह्मचारिणी मंत्र (Brahmacharini Mata Mantra)

  • ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

  • दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां ब्रह्मचारिणी मंत्र इन हिंदी (Brahmacharini Mantra in Hindi)

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

मां ब्रह्मचारिणी मंत्र pdf (Brahmacharini Mata Mantra pdf)

इस विशेष पीडीएफ (PDF) के जरिए हम आपसे मां ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) के प्रमुख मंत्र शेयर कर रहे हैं , इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप मां ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) के प्रमुख मंत्र को पढ़ सकते हैं । 

मां ब्रह्मचारिणी फोटो (Brahmacharini photo)

मां ब्रह्मचारिणी फोटो डाउनलोड (Brahmacharini photo Download)

मां ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) की इन सभी विशेष तस्वीरों को बेहद ही सरलता पूर्वक डाउनलोड (Download) भी कर सकते हैं । 

Summary

देवी ब्रह्मचारिणी नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं, जो तप, त्याग, ज्ञान और आत्म-संयम की देवी हैं। देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से भक्तों में ज्ञान, विवेक, सात्विकता और कर्तव्यनिष्ठा की वृद्धि होती है। माँ दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों को जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। देवी ब्रह्मचारिणी से संबंधित या विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें। और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

FAQ’s

Q. देवी ब्रह्मचारिणी का नाम क्यों रखा गया है?

Ans. देवी ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली और ज्ञान प्राप्त करने वाली होने के कारण ब्रह्मचारिणी कहलाती हैं।

Q. देवी ब्रह्मचारिणी का वाहन क्या है?

Ans. देवी ब्रह्मचारिणी का वाहन हंस है, जो ज्ञान और शुद्धता का प्रतीक है।

Q.  देवी ब्रह्मचारिणी के हाथों में क्या-क्या है?

Ans. देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में कमंडल और बाएं हाथ में जपमाला है।

Q. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का क्या महत्व है?

Ans. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा ज्ञान, बुद्धि और विद्या प्राप्त करने के लिए की जाती है।

Q. देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र क्या है?

Ans. देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” है।

Q. देवी ब्रह्मचारिणी को कब पूजा जाता है?

Ans.  देवी ब्रह्मचारिणी को नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा जाता है।