Maa Chandraghanta: नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप, मां चंद्रघंटा, शक्ति और सौंदर्य का अद्भुत संगम हैं। सिंह पर सवार, त्रिशूल, धनुष, गदा और तलवार धारण करने वाली मां चंद्रघंटा, दैत्यों का नाश करने वाली शक्तिशाली देवी हैं। मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, जिसके कारण उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। यह घंटा नकारात्मक ऊर्जाओं और दुष्ट विचारों को दूर करने का प्रतीक है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत भव्य और मनमोहक है। दस भुजाओं वाली देवी का मुख शांत और प्रसन्न है। मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को साहस, शक्ति, ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है। मां चंद्रघंटा के प्रति भक्तों की अटूट आस्था है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा की कृपा से हमें जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और हम सफलता के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए आगे बढ़ते हैं।
आज के इस विशेष लेख में हम आपको माता चंद्रघंटा के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे! हम आपको बताएंगे की माता चंद्रघंटा कौन है?, माता चंद्रघंटा का महत्व क्या है?, माता चंद्रघंटा की पूजा विधि क्या है?, माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की पूजा का महत्व क्या है?, साथ ही हम आपको माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) के प्रमुख मंत्र, चालीसा एवं आरती के बारे में भी बताएंगे इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ।
कौन है मां चंद्रघंटा (Who is Maa Chandraghanta)
मां चंद्रघंटा देवी नवदुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप भयंकर और शक्तिशाली है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, जिसके कारण इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। मां चंद्रघंटा दस हाथों वाली हैं। इनके हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार, खड्ग, धनुष, बाण, कमंडल, घंटा और शक्ति हैं। मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार हैं।
मां चंद्रघंटा के स्वरूप का वर्णन करते हुए स्कंद पुराण में कहा गया है कि “मां चंद्रघंटा का मुख अत्यंत सुंदर है। इनके शरीर का रंग सोने के समान है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इनके दस हाथ हैं और इनके हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार, खड्ग, धनुष, बाण, कमंडल, घंटा और शक्ति हैं। मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार हैं।”
मां चंद्रघंटा का महत्व (Maa Chandraghanta Importance )
मां चंद्रघंटा, देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप, शक्ति और साहस का प्रतीक है। नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का महत्व निम्नलिखित है:
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: मां चंद्रघंटा की पूजा से भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मां चंद्रघंटा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती हैं और भक्तों को जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करती हैं।
- शक्ति और साहस: मां चंद्रघंटा भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जीवन की हर समस्या का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: मां चंद्रघंटा भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं। जो भक्त सच्चे मन से मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- भय का नाश: मां चंद्रघंटा भक्तों के मन से भय का नाश करती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जीवन के हर डर का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।
- ज्ञान और बुद्धि: मां चंद्रघंटा भक्तों को ज्ञान और बुद्धि प्रदान करती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों में विवेक और समझदारी बढ़ती है और वे जीवन में सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
- भक्तों का रक्षण: मां चंद्रघंटा अपने भक्तों का रक्षण करती हैं। मां चंद्रघंटा भक्तों को सभी प्रकार के विपत्तियों से बचाती हैं और उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करती हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त करते हैं.
माता चंद्रघंटा की कहानी (Maa Chandraghanta ki kahani)
Maa Chandraghanta: चंद्रघंटा देवी दुर्गा (Goddess Durga) का तीसरा रूप है और इनकी पूजा नवरात्रि (Navratri) में तीसरे दिन की जाती है। जो लोग इस आकृति पर देवी की पूजा करते हैं उन्हें शाश्वत ऊर्जा और शक्ति मिलती है। वह नाभि पर स्थित मणिपुर चक्र की देवी हैं जो सूर्य द्वारा शासित है। हालाँकि पार्वती भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए दृढ़ थीं, शिव ने उनसे कहा कि वह किसी से विवाह नहीं करेंगे और अविवाहित रहेंगे। यह सुनने पर खट्टा सच, उसे नर्क की तरह कष्ट सहना पड़ा शिव से विवाह करने की चाह में। उनकी पीड़ाओं को देखने के बाद, भगवान शिव (Lord Shiva) ने उनकी मांग मान ली और उनसे विवाह (marriage) करने के लिए सहमत हो गए। शिव अन्य देवताओं, तपस्वियों, भूतों, ऋषियों और विशेष अध्यात्मवादियों के रूप में पार्वती के पिता और हिमालय के शासक राजा हिमावत के महल में पहुंचे। वहां शिव ने अपनी शाश्वत लीलाओं के हिस्से के रूप में अपनी भयानकता प्रदर्शित की। ऐसा भयानक रूप देखकर पार्वती की मां मैनावती बेहोश हो गईं। जल्द ही, पार्वती ने देवी चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) का रूप धारण कर लिया, जिसने शिव सहित सभी को चौंका दिया।
उसने शिव से प्रार्थना की कि वह अपने आकर्षक, शांत आकार में वापस आ जाए। उनके अनुरोध पर, शिव एक युवा आकर्षक व्यक्ति में बदल गए। शिव की कृपा से मेनावती फिर से होश में आई और अपनी बेटी के दिव्य विवाह समारोह से रोमांचित हो गई। देवी चंद्रघंटा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्याय और विषय की स्थापना करने वाली हैं। उसके ढाँचे की छटा सुनहरी है; वह शेर पर सवारी करती है जो “धर्म” का प्रतिनिधित्व करता है; उसके पास दस हथेलियाँ और तीन आँखें हैं; उनकी आठ भुजाएं हथियार प्रदर्शित करती हैं, जबकि अंतिम दो क्रमशः वरदान देने और नुकसान रोकने की मुद्रा में हैं। देवी माँ को ऐसे प्रस्तुत किया जाता है जैसे कि वे संघर्ष के लिए तैयार हों।’चंद्रघंटा का उच्च गुणवत्ता वाला आनंद और विशेषज्ञता, चांदनी रात में एक शानदार हवा की तरह शांति और स्थिरता की वर्षा करती है। उसके गुणों से दुःख दूर हो जाते हैं और अंदर का योद्धा जागृत हो जाता है।
नवरात्रि (Navratri) के तीसरे दिन साधक के विचार मणिपुर चक्र में प्रवेश करते हैं। उसमें दूरदर्शिता और नेतृत्व की शक्ति का विकास होता है। मां चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की कृपा से साधक के सभी पाप जल जाते हैं और बाधाएं दूर हो जाती हैं। उनकी पूजा तुरंत पूर्ण होती है. वह हमेशा ऐसी मुद्रा में रहती है मानो युद्ध के मैदान में जाने के लिए तैयार हो और तदनुसार वह भक्तों की कठिनाइयों को तुरंत दूर कर देती है। चंद्रघंटा मां (Goddess Chandraghanta) का वाहन सिंह है इसलिए इनका उपासक सिंह के समान ही वीर और निडर हो जाता है। उनकी घंटी की आवाज लगातार उनके भक्तों को बुरी आत्माओं से बचाती है।
मां चंद्रघंटा पूजा का महत्व (Maa Chandraghanta Puja Significance)
नवरात्रि (Navratri) के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की पूजा का विशेष महत्व है। माता चंद्रघंटा, देवी दुर्गा (Goddess Durga) का तीसरा रूप है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। उनकी पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- शक्ति और साहस: माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) का नाम उनके मस्तक पर अर्धचंद्र और घंटे के कारण है। अर्धचंद्र शांति का प्रतीक है, जबकि घंटे का शब्द शक्ति और साहस का प्रतीक है। माता की पूजा करने से भक्तों में शक्ति और साहस का संचार होता है, जिससे वे जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।
- भय और नकारात्मकता का नाश: माता चंद्रघंटा Goddess Chandraghanta) का भयंकर रूप भक्तों को शत्रुओं और नकारात्मक विचारों से बचाता है। उनकी पूजा करने से भय और नकारात्मकता का नाश होता है और भक्तों में आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संचार होता है।
- मनोकामना पूर्ति: माता चंद्रघंटा भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण करती हैं। यदि आप किसी विशेष इच्छा को लेकर चिंतित हैं, तो माता चंद्रघंटा की पूजा करने से आपको सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
- शिक्षा और ज्ञान: माता चंद्रघंटा (Goddess Chandrghanta) को ज्ञान और शिक्षा की देवी भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से छात्र-छात्राओं को शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है और उनकी बुद्धि का विकास होता है।
- रोगों से मुक्ति: माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की पूजा करने से भक्तों को रोगों से मुक्ति भी प्राप्त होती है। माता का दयालु स्वरूप भक्तों को रोगों से बचाता है और उन्हें स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।
मां चंद्रघंटा पूजा विधि (Maa Chandraghanta Puja Vidhi)
- कलश स्थापित करें और उसमें जल भरें।
- कलश के ऊपर नारियल रखें और मौली से बांधें।
- मां चंद्रघंटा की प्रतिमा स्थापित करें।
- दीप प्रज्वलित करें और धूप जलाएं।
- मां चंद्रघंटा को आचमन कराएं।
- षोडशोपचार पूजन करें।
- मां चंद्रघंटा को फल, फूल, मिठाई, पंचमेवा, दही, शहद, घी, गंगाजल, चंदन, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, कपूर और धूप अर्पित करें।
- मां चंद्रघंटा की आरती करें।
- मां चंद्रघंटा की चालीसा का पाठ करें।
- माता का ध्यान करें और उनसे अपनी मनोकामना प्रार्थना करें।
मां चंद्रघंटा पूजा विधि pdf (Maa Chandraghanta puja samagri pdf)
माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की पूजा से संबंधित संपूर्ण विधि हम आपसे पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो आप इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके संपूर्ण पूजा विधि को पढ़ सकते हैं।
मां चंद्रघंटा पूजा सामग्री (Maa Chandraghanta Puja Samagri )
- कलश
- दीप
- नारियल
- मौली
- सुपारी
- फल
- फूल
- मिठाई
- पंचमेवा
- दही
- शहद
- घी
- गंगाजल
- चंदन
- सिंदूर
- अक्षत
- कुमकुम
- कपूर
- धूप
- दीपक
मां चंद्रघंटा पूजा सामग्री लिस्टpdf (Maa Chandraghanta Puja Samagri list pdf)
माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की पूजा से संबंधित विस्तृत सामग्री सूची हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए सजा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके पूजा सामग्री लिस्ट देख सकते हैं
चंद्रघंटा माता की कथा (Chandraghanta Mata ki katha)
पार्वती (Goddess Parvati) भगवान शिव (Lord Shiva) को अपने पति के रूप में पाने के लिए दृढ़ थीं, शिव (Lord Shiva) ने उनसे कहा कि वह किसी से विवाह नहीं करेंगे और ब्रह्मचारी रहेंगे। इस कड़वे सच को सुनने के बाद, शिव (Lord Shiva) से विवाह (marriage) करने के लिए उन्हें नरक की तरह कष्ट सहना पड़ा। उनकी पीड़ा को देखते हुए, भगवान शिव (Lord Shiva) ने उनकी मांग मान ली और उनसे विवाह करने के लिए सहमत हो गए।
शिव (Lord Shiva) अन्य देवताओं, ऋषियों, तपस्वियों, भूतों और अन्य अध्यात्मवादियों के साथ पार्वती के पिता और हिमालय के शासक राजा हिमावत के महल में पहुंचे। वहां शिव ने अपनी अनंत लीलाओं के एक भाग के रूप में अपनी भयानकता प्रदर्शित की। ऐसा भयानक रूप देखकर पार्वती (Goddess Parvati) की मां मैनावती बेहोश हो गईं। जल्द ही, पार्वती ने देवी चंद्रघंटा का रूप धारण कर लिया,
उन्होंने शिव से प्रार्थना की कि वह अपने आकर्षक, शांत रूप में लौट आएं। माता चंद्रघंटा के अनुरोध पर, शिव की कृपा से वह एक युवा आकर्षक देवता में बदल गए और मां मैनावती अपनी बेटी के दिव्य विवाह समारोह से प्रसन्न हो गई।
देवी चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) संसार में न्याय और अनुशासन स्थापित करने वाली हैं। उसके शरीर का रंग सुनहरा है; वह शेर पर सवारी करती है जो ‘धर्म’ का प्रतिनिधित्व करता है; उसके दस हाथ और तीन आँखें हैं; उनके आठ हाथ हथियार प्रदर्शित करते हैं जबकि शेष दो क्रमशः वरदान देने और नुकसान रोकने की मुद्रा में हैं। देवी मां को ऐसे चित्रित किया गया है मानो वे युद्ध के लिए तैयार हों। ‘चंद्र घंटा’ का अर्थ है परम आनंद और ज्ञान, चांदनी रात में ठंडी हवा की तरह शांति और शांति बरसाना। उनके आशीर्वाद से दुख दूर हो जाते हैं और भीतर का योद्धा जागृत हो जाता है।
नवरात्रि के तीसरे दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रवेश करता है। वह नेतृत्व विकसित करता है। दूरदर्शिता और शक्ति मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के सभी पाप जल जाते हैं और बाधाएं दूर हो जाती हैं। इनकी पूजा तुरंत फलदायी होती है। वह हमेशा ऐसी मुद्रा में रहती है मानो युद्ध के लिए आगे बढ़ने के लिए तैयार हो और इस प्रकार वह भक्तों की कठिनाइयों को तुरंत दूर कर देती है। इनका वाहन सिंह है इसलिए इनका उपासक सिंह के समान वीर और निडर हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदैव अपने भक्तों को बुरी आत्माओं से बचाती है।
चंद्रघंटा माता की कथा pdf (Chandraghanta Mata ki katha)
माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की कथा (Katha) से संबंधित या विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप मां चंद्रघंटा की कथा को सरलता पूर्व पढ़ सकते हैं।
चंद्रघंटा चालीसा (Chandraghanta Chalisa)
देवी चंद्रघंटा माँ दुर्गा की तृतीय शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि विग्रह के तीसरे दिन इन का पूजन किया जाता है। माँ का यह स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी लिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका शरीर स्वर्ण के समान उज्ज्वल है, इनके दस हाथ हैं। दसों हाथों में खड्ग, बाण आदि शस्त्र सुशोभित रहते हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने वाली है। इनके घंटे की भयानक चडंध्वनि से दानव, अत्याचारी, दैत्य, राक्षस डरते रहते हैं। नवरात्र की तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्त्व है। इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक को अलौकिक दर्शन होते हैं, दिव्य सुगन्ध और विविध दिव्य ध्वनियाँ सुनायी देती हैं। ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं। माँ चन्द्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएँ विनष्ट हो जाती हैं। इनकी अराधना सद्य: फलदायी है। इनकी मुद्रा सदैव युद्ध के लिए अभिमुख रहने की होती हैं, अत: भक्तों के कष्ट का निवारण ये शीघ्र कर देती हैं। इनका वाहन सिंह है, अत: इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है। दुष्टों का दमन और विनाश करने में सदैव तत्पर रहने के बाद भी इनका स्वरूप दर्शक और अराधक के लिए अत्यंत सौम्यता एवं शान्ति से परिपूर्ण रहता है।
इनकी अराधना से प्राप्त होने वाला सदगुण एक यह भी है कि साधक में वीरता-निर्भरता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होता है। उसके मुख, नेत्र तथा सम्पूर्ण काया में कान्ति-गुण की वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य, अलौकिक, माधुर्य का समावेश हो जाता है। माँ चन्द्रघंटा के साधक और उपासक जहाँ भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शान्ति और सुख का अनुभव करते हैं। ऐसे साधक के शरीर से दिव्य प्रकाशयुक्त परमाणुओं का दिव्य अदृश्य विकिरण होता है। यह दिव्य क्रिया साधारण चक्षुओं से दिखलायी नहीं देती, किन्तु साधक और सम्पर्क में आने वाले लोग इस बात का अनुभव भलीभांति कर लेते हैं साधक को चाहिए कि अपने मन, वचन, कर्म एवं काया को विहित विधि-विधान के अनुसार पूर्णत: परिशुद्ध एवं पवित्र करके उनकी उपासना-अराधना में तत्पर रहे। उनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन सकते हैं। हमें निरन्तर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सदगति देने वाला है। माँ चंद्रघंटा की कृपा से साधक की समस्त बाधायें हट जाती हैं। भगवती चन्द्रघन्टा का ध्यान, स्तोत्र और कवच का पाठ करने से मणिपुर चक्र जाग्रत हो जाता है और सांसारिक परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
चंद्रघंटा चालीसा pdf (Chandraghanta Chalisa pdf)
माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की संपूर्ण चालीसा (Chalisa) हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए सजा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके माता चंद्रघंटा की चालीसा को पढ़ सकते हैं।
चंद्रघंटा चालीसा youtube (Chandraghanta Chalisa youtube)
चंद्रघंटा माता की आरती (Chandraghanta Mata Aarti)
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
‘भक्त’ की रक्षा करो भवानी
मां चंद्रघंटा मंत्र (Chandraghanta Mata Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
ऐं श्रीं शक्तयै नम:
मां चंद्रघंटा मंत्र इन हिंदी (Chandraghanta Mantra in Hindi)
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
मां चंद्रघंटा मंत्र pdf (Chandraghanta Mata Mantra pdf)
मां चंद्रघंटा के सभी प्रमुख मंत्र हम आपसे पीएफ के स्वरूप में सजा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ को डाउनलोड करके सभी मंत्र को पढ़ सकते हैं।
मां चंद्रघंटा फोटो (Chandraghanta Photo)
मां चंद्रघंटा फोटो डाउनलोड (Chandraghanta Photo Download)
मां चंद्रघंटा की इन सभी सुंदर तस्वीरें को आप बेहद ही सफलतापूर्वक डाउनलोड कर सकते हैं और अपने मित्रगणों एवं परिवार वालों को सजा भी कर सकते हैं।
Summary
मां चंद्रघंटा, नवदुर्गा की तीसरी शक्ति, शक्ति और रक्षा का प्रतीक हैं। उनकी उपासना करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप शक्ति और रक्षा की तलाश में हैं, तो मां चंद्रघंटा की उपासना अवश्य करें। मां चंद्रघंटा से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी अवश्य पढ़ें। और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
FAQ’s
Q. माता चंद्रघंटा का नाम कैसे पड़ा?
Ans. माता चंद्रघंटा का नाम उनके मस्तक पर स्थित चंद्रमा के आकार के घंटे के कारण पड़ा। यह घंटा बुरी शक्तियों को दूर रखता है और भक्तों को सुरक्षा प्रदान करता है।
Q. माता चंद्रघंटा का स्वरूप कैसा है?
Ans. माता चंद्रघंटा दस हाथों से युक्त हैं। इनके हाथों में विभिन्न प्रकार के शस्त्र और वस्तुएं हैं, जैसे कि तलवार, त्रिशूल, गदा, धनुष, बाण, कमल, चक्र, शंख, और घंटा।
Q. माता चंद्रघंटा की उपासना करने से क्या लाभ होता है?
Ans. माता चंद्रघंटा की कृपा से भक्तों को शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
Q. माता चंद्रघंटा का वाहन क्या है?
Ans. माता चंद्रघंटा का वाहन सिंह है।
Q. माता चंद्रघंटा की पूजा कब की जाती है?
Ans. माता चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। इस दिन भक्त माता चंद्रघंटा की पूजा करते हैं
Q. माता चंद्रघंटा का मंदिर कहां है?
Ans. माता चंद्रघंटा का मंदिर हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है। यह मंदिर माता चंद्रघंटा के प्रमुख मंदिरों में से एक है।