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जानिए कौन है जीवित सती कही जाने वाली बाला सती रूप कंवर जी? जिनके भक्त खुद भारत के राष्ट्रपति थे

Bala Sati Roop Kanwar
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Bala Sati Temple: बाला सती माता जी (Bala Sati Roop Kanwar) – एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत में अपनी अलग ही पहचान रखता है। उनका जन्म 1903 में राजस्थान के जोधपुर जिले के रावणियाँ (वर्तमान रूपनगर) गांव में हुआ था। बचपन से ही वे अलौकिक प्रतिभा की धनी थीं। महज़ दो साल की उम्र में ही उन्होंने बोलना शुरू कर दिया था और छह साल की उम्र तक वे गहरी समाधि में लीन हो जाती थीं।

संत गुलाबदास महाराज के मार्गदर्शन में उन्होंने आध्यात्मिक साधना का मार्ग अपनाया और भगवान राम (Lord Ram) व भगवान शिव (Lord Shiva) की उपासना में लीन हो गईं। उनका जीवन त्याग, तपस्या और सेवा भाव से परिपूर्ण था। विवाह के बंधन में न बंधकर उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन किया और समाज सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया।

उनकी अध्यात्म साधना और करिश्माई शक्तियों की चर्चा चारों ओर फैल गई। लोग दूर-दूर से उनके दर्शन और आशीर्वाद पाने आते थे। 

बाला सती रूप कंवर (Bala Sati Roop Kanwar) जी का जीवन साधना, सेवा और समर्पण की एक अनूठी मिसाल है। आइए, उनके इस प्रेरणादायक जीवन की यात्रा पर एक नज़र डालते हैं…

बाला सती माता रूप कंवर के बारे में (About Bala Sati Mata Roop Kanwar)

बाला सती धाम का फोन नंबरकोई आधिकारिक फोन नंबर उपलब्ध नहीं
बाला सती धाम का पताबाला, जोधपुर शहर, भारत, राजस्थान
बाला सती धाम की फेसबुक प्रोफाइलhttps://www.facebook.com/roopkanwarbala
जोधपुर एयरपोर्ट से धाम की दूरी8.7 किलोमीटर
जोधपुर रेलवे स्टेशन से धाम की दूरी6.8 किलोमीटर
बस स्टैंड से धाम की दूरी7.2 किलोमीटर
Google Maphttps://maps.app.goo.gl/Cc7PAtyTeZKMt32eA

बाला सती माता रूप कंवर कौन हैं? (Who is Bala Sati Mata Roop Kanwar)

Bala Sati Mata Roop Kanwar

बाला सती माता रूप कंवर (Bala Sati Roop Kanwar) का जन्म 16 अगस्त 1903 को राजस्थान के जोधपुर जिले के रूप नगर गाँव में हुआ था। उनका जन्म भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के जन्म के शुभ समय पर वृषभ राशि, रोहिणी नक्षत्र और चंद्र दशा में हुआ था, जिसमें शनि, सूर्य और बृहस्पति उनके प्रभावशाली ग्रह थे। रूप कंवर जी बचपन से ही आध्यात्मिक रुचि रखती थीं और 5 साल की उम्र से ही ध्यान करने लगीं। उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को सत्य, भक्ति और निःस्वार्थ सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।

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बाला सती माता रूप कंवर की जीवनी (Biography of Bala Sati Mata Roop Kanwar) 

Bala Sati Mata Roop Kanwar Biography: परम पूज्य बाला सती माता रूप कंवर (Bala Sati Roop Kanwar) जी एक महान आध्यात्मिक शक्ति थीं। उनका जन्म 19 अगस्त 1903 को जोधपुर जिले के रावणियाँ गाँव (वर्तमान रूपनगर) में हुआ था। उनके पिता श्री लालसिंह और माता श्रीमती धाकड़ कुँवर थे। बचपन से ही उनकी रुचि धर्म और आध्यात्म में थी। उनके ताऊ श्री चंद्रसिंह के प्रभाव से उन्हें शिव भक्ति का संस्कार मिला। 

10 मई 1919 को रूप कंवर जी का विवाह बालागाँव निवासी जुझारसिंह से हुआ। परंतु 15 दिन बाद ही वे विधवा हो गईं। इस दुःख को उन्होंने धैर्य से सहन किया और अपना जीवन आध्यात्म में समर्पित कर दिया। वे भूमि पर सोती और एक समय भोजन करती थीं। शेष समय भजन-कीर्तन में बिताती थीं। 

15 फरवरी 1942 को उन्हें आध्यात्मिक अनुभूति हुई और उनकी वाणी से चमत्कार होने लगे। उन्होंने कई मृतकों को जीवित किया जिससे लोग उन्हें ‘बापजी’ कहने लगे। उन्होंने संत गुलाबदास जी से दीक्षा ली और श्वेत वस्त्र धारण किए। उन्होंने 43 वर्ष तक अन्न-जल का त्याग किया और हवा के सहारे जीवित रहीं। 

उन्हें भगवान शिव (Lord Shiva) के दर्शन हुए थे। उस स्थान पर उन्होंने शिव मंदिर का निर्माण करवाया। वे कभी पैसों को नहीं छूती थीं। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद उनके भक्त थे और उनके आग्रह पर वे 7 दिन राष्ट्रपति भवन में रहीं। 

महासती रूप कंवर जी ने पहले से घोषित दिनांक 16 नवंबर 1986 को महासमाधि ले ली। उनकी स्मृति में उनका जन्म स्थान रावणियाँ गाँव अब रूपनगर के नाम से जाना जाता है। वे एक जीवित साक्षात देवी थीं जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानवता की सेवा और कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।

बाला सती धाम कैसे पहुंचे? (How to Reach Bala Sati Dham?)

परम पूज्य बाला सती माता रूप कंवर जी के मंदिर पहुंचने के तीन मुख्य मार्ग हैं:

  • रेल मार्ग: सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन जोधपुर है। जोधपुर से आप बस या टैक्सी द्वारा बालदा गांव पहुंच सकते हैं, जहां माता रूप कंवर जी का मंदिर स्थित है। जोधपुर से बालदा गांव की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है।
  • सड़क मार्ग: जोधपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 114 द्वारा आप बालदा गांव पहुंच सकते हैं। जोधपुर से बालदा गांव तक बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। कार द्वारा भी आप आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
  • वायु मार्ग: सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा जोधपुर में है। जोधपुर हवाई अड्डे (Jodhpur Airport) से आप टैक्सी या बस द्वारा बालदा गांव पहुंच सकते हैं।

बाला सती मंदिर की फोटो (Photo of Bala Sati Dham)

Bala Sati Dham

बाला सती रूप कंवर जी (Bala Sati Roop Kanwar) का मंदिर राजस्थान के झुंझुनू जिले में स्थित एक मंदिर है। इस विशेष लेख के माध्यम से हम आपसे बाला सती मंदिर की कुछ तस्वीरें साझा कर रहे हैं जो राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। 

विशेष अयोजन (Special event)

बाला सती धाम (Bala Sati Dham) में धार्मिक आयोजन या कार्यक्रम होना आम बात है, परंतु इस धाम में गुरु पूर्णिमा के दिन बाला सती धाम में विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है और धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं।

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बाला सती मंदिर Map Location

Conclusion:

बाला सती रूप कंवर (Bala Sati Roop Kanwar) जी का मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह साहस, त्याग और पतिव्रता का प्रतीक भी है। से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी आर्टिकल्स को भी एक बार जरूर पढ़िए, इस लेख को पढ़ने के बाद अगर आपके मन में कोई प्रश्न उत्पन्न हुआ हो तो कृपया अपने प्रश्न को कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें, हम आपके प्रश्नों का हर संभव जवाब देने का प्रयास करेंगे और ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर रोजाना विजिट https://janbhakti.in करें। 

FAQ’s:

Q. बाला सती माता रूप कंवर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Ans. बाला सती माता रूप कंवर का जन्म 16 अगस्त 1903 को राजस्थान के जोधपुर जिले के गाँव में हुआ था। 

Q. बाला सती माता रूप कंवर का विवाह कब और किससे हुआ था? 

Ans. बाला सती माता रूप कंवर का विवाह 10 मई 1919 को बाला गाँव के निवासी जुझार सिंह जी के साथ हुआ था। हालाँकि, विवाह के महज 15 दिन बाद ही जुझार सिंह जी का अचानक बीमारी के कारण निधन हो गया

Q. बाला सती माता रूप कंवर ने अपने पति की मृत्यु के बाद क्या किया? 

Ans. बाला सती माता रूप कंवर ने अपने पति की अचानक मृत्यु के बाद भी शोक या दुख का कोई संकेत नहीं दिखाया। उन्होंने विधवा होने को गरिमा और सम्मान के साथ स्वीकार किया और अपना जीवन आध्यात्मिक साधना और भगवान शिव की पूजा को समर्पित कर दिया।

Q. बाला सती माता रूप कंवर को लोग क्यों पूजने लगे? 

Ans. बाला सती माता रूप कंवर की आध्यात्मिक साधना और भगवान शिव के प्रति समर्पण ने उन्हें एक दिव्य आत्मा के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई।

Q. बाला सती माता रूप कंवर का जीवन किस बात का प्रमाण था? 

Ans. बाला सती माता रूप कंवर का जीवन भगवान शिव में उनकी अटूट आस्था और आध्यात्मिक साधना के प्रति समर्पण का प्रमाण था। 

Q. रूप कुंवर की सती का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा? 

Ans. रूप कुंवर की सती ने भारत में लैंगिक असमानता और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया। इसने आधुनिक भारतीय समाज में परंपरा और संस्कृति की भूमिका पर भी बहस छेड़ दी। सरकार ने 1987 में सती निवारण अधिनियम पारित किया, जिसने सती प्रथा को आपराधिक अपराध घोषित किया।