Vastu Tips For Home: क्या आप अपने सपनों का घर बनाने की योजना बना रहे हैं? एक ऐसा घर जहां सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के कुछ सरल नियमों का पालन करके आप अपने नए घर को एक स्वर्ग बना सकते हैं? जी हां, प्राचीन भारतीय वास्तु विज्ञान में ऐसे कई सिद्ध उपाय बताए गए हैं जो आपके जीवन में खुशियां और सौभाग्य लेकर आते हैं। चाहे वह घर का दिशा-निर्देश हो, प्रवेश द्वार का स्थान हो या फिर कमरों का वास्तु, इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने नए घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं।
तो आइए जानते हैं उन खास वास्तु टिप्स के बारे में जो आपके नए घर को एक खुशहाल और समृद्ध स्थान बना सकते हैं। इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे वास्तु सुझाव (Vastu tips) देंगे जिन्हें अपनाकर आप अपने नए आशियाने को वास्तु दोषों से मुक्त रख सकते हैं और एक सुखद एवं सकारात्मक वातावरण का निर्माण कर सकते हैं।
वास्तु शास्त्र क्या होता है? (What is Vaastu Shastra)
वास्तु शास्त्र प्राचीन भारत की एक पारंपरिक वास्तुकला प्रणाली है जो प्रकृति और ऊर्जा के नियमों पर आधारित है। यह हिंदू संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और घर बनाते समय या घर में चीजों की व्यवस्था करते समय इस पर विचार किया जाता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) का मुख्य उद्देश्य घर में प्राकृतिक और उपयोगी ऊर्जाओं के उचित प्रवाह और संतुलन को सुनिश्चित करना है। यह मानता है कि प्रत्येक दिशा में एक विशिष्ट ऊर्जा होती है, और सही दिशा में घर या कार्यस्थल का निर्माण सकारात्मक ऊर्जा के निरंतर प्रवाह को सुनिश्चित करता है, जिससे स्वास्थ्य, धन और खुशी मिलती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने के लिए कुछ सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, मुख्य द्वार को सही दिशा में होना चाहिए और त्रिशक्ति प्रतीक जैसे सकारात्मक प्रतीक होने चाहिए। एक नए घर में प्रवेश करते समय, शास्त्र द्वारा निर्धारित कुछ अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा में बिस्तर रखने से बचना और घर को साफ-सुथरा और अव्यवस्थित रखना भी अनुशंसित है।
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1.नए घर का प्रवेश द्वार (New House Entrance)
नए घर के मुख्य प्रवेश द्वार की दिशा का वास्तु शास्त्र में बहुत महत्व है। वास्तु के अनुसार, प्रवेश द्वार उत्तर, पूर्व, उत्तर-पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर खुलना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) को आकर्षित करती हैं। दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दिशाओं से बचना चाहिए क्योंकि वे अशुभ मानी जाती हैं। प्रवेश द्वार लकड़ी का होना चाहिए और हल्के रंग का होना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित किया जा सके। प्रवेश द्वार विशाल, अच्छी तरह से प्रकाशित और पौधों, फूलों या रंगोली से सजाया हुआ होना चाहिए। प्रवेश द्वार के पास कोई भी तेज वस्तु या भारी फर्नीचर नहीं होना चाहिए क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को अवरुद्ध करने का विश्वास है। प्रवेश द्वार साफ और व्यवस्थित रखना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) और शुभ संकेत को आमंत्रित करता है।
2.नए घर का डाइनिंग हॉल (Dining Hall of New House)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra), प्राचीन भारतीय (Ancient India) विज्ञान, एक भवन के निर्माण को प्रकृति और ब्रह्मांड के साथ सामंजस्य स्थापित करने की दिशा निर्देशित करता है। नए घर के लिए कुछ वास्तु सूत्र हैं जिनका पालन करने से घर के निवासियों के लिए सौभाग्य, समृद्धि, और खुशियाँ आती हैं।
वास्तु अनुसार, डाइनिंग हॉल (Dining Hall) का स्थान उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। इसका मतलब है कि परिवार के सदस्यों के बीच एकता को बढ़ावा देने और परिवारी विवादों को सुलझाने के लिए डाइनिंग टेबल को इन दिशाओं में स्थापित किया जाना चाहिए। डाइनिंग टेबल (Dining Table) को घर के किसी भी कोने या बेडरूम के पास नहीं रखना चाहिए। आदर्श रूप से, डाइनिंग टेबल को डाइनिंग हॉल के केंद्र में स्थापित किया जाना चाहिए। यह एकता और समृद्धि का प्रतीक होता है।इसके अलावा, डाइनिंग टेबल (Dining Table) को साफ और अव्यवस्थित नहीं रखना चाहिए। डाइनिंग टेबल पर कृत्रिम फूल नहीं रखने चाहिए, केवल ताजगी भरे फूल ही उपयोग करने चाहिए। इन फूलों को नियमित रूप से बदलना चाहिए ताकि वे मुरझाए नहीं।
3.नए घर की सीढ़ियां (Stairs for New House)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, नए घर में सीढ़ियों (Stairs) की दिशा का विशेष महत्व होता है। सर्वोत्तम स्थिति में, सीढ़ियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए, जो धन और समृद्धि को बढ़ावा देता है। यदि यह संभव न हो, तो दक्षिण या पश्चिम दिशा में भी सीढ़ियां बनाई जा सकती हैं। हालांकि, पूर्व और उत्तर दिशा में सीढ़ियों का निर्माण टालना चाहिए क्योंकि यह पारिवारिक सदस्यों के स्वास्थ्य और करियर को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा, सीढ़ियों (stairs) की संख्या 9, 11, या 15 जैसी विषम संख्या में होनी चाहिए। सीढ़ियों के शुरुआत और अंत में एक दरवाजा होना भी शुभ माना जाता है। सीढ़ियों को साफ और अच्छी हालत में रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि टूटी या गंदी सीढ़ियां नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकती हैं। इन सरल दिशानिर्देशों का पालन करके, आप अपने नए घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) और समृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं।
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4.नए घर का लिविंग रूम (Living Room of New House)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) अनुसार, घर का लिविंग रूम एक महत्वपूर्ण स्थान होता है, जहां परिवार समय बिताता है। इसलिए, ऐसे तरीके से फर्नीचर की व्यवस्था करना महत्वपूर्ण होता है जो सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का संचार करे और परिवार में सुख-शांति बढ़ाए। भारी फर्नीचर जैसे सोफे और अलमारियाँ दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें। इसके विपरीत, हल्के फर्नीचर जैसे कुर्सियां और मेज उत्तर या पूरव दिशा में रखें।
फर्नीचर का रंग भी वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण होता है। इसलिए, फर्नीचर को भूमि जैसे रंगों, जैसे कि भूरा, बेज और क्रीम, में चुनने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, दीवारों को हल्के और पेस्टल रंगों में पेंट करना चाहिए। यह रंग आपके लिविंग रूम को एक आकर्षक रूप देते हैं और सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं।
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में, आईने का उपयोग सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) संचार करने के लिए भी किया जाता है। इसलिए, आईने को लिविंग रूम की उत्तर या पूर्व दीवार पर लगाने की सिफारिश की जाती है।
5.नए घर का बेडरूम (Bedroom of New House)
वास्तु शास्त्र(Vastu Shastra) , एक प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक वास्तुकला, घर की संरचना और उसके विभिन्न हिस्सों की स्थिति को निर्धारित करने की गाइडलाइन प्रदान करता है। वास्तु के अनुसार, नए घर में बेडरुम की स्थिति महत्वपूर्ण होती है और इसे उचित दिशा में रखना चाहिए।
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) मानता है कि कमरों का आकार आयताकार या चौकोर होना चाहिए। यदि घर का प्लॉट वर्गाकार है, तो घर को आगे खुला छोड़कर पीछे बनाना चाहिए। रेक्टेंगुलर प्लॉट पर, घर को सामने बनाया जाना चाहिए। बेडरुम के दरवाजे की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। यह ऐसा होना चाहिए कि पलंग पर लेटे हुए व्यक्ति को दरवाजा सामने दिखे। इसके अलावा, बेडरूम के रंग का चयन भी वास्तु शास्त्र के अनुसार किया जाना चाहिए।
अंत में, वास्तु शास्त्र में यह भी माना जाता है कि नए घर में प्रवेश के समय एक शुभ महीना चुनना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है। यह सब वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के सामान्य सिद्धांतों पर आधारित है और किसी भी कार्रवाई से पहले वास्तु विशेषज्ञ से सत्यापित करना महत्वपूर्ण होता है।
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6.नए घर की रसोई (Kitchen of New House)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर का रसोई घर (Kitchen) अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जो घर की ऊर्जा स्थिति को निर्धारित करता है। रसोई घर को दक्षिण-पूर्वी दिशा, जिसे अग्नि क्षेत्र कहा जाता है, में स्थापित करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यदि यह संभव नहीं हो, तो उत्तर-पश्चिमी दिशा भी शुभ मानी जाती है।
रसोई घर (Kitchen) में एक ही प्रवेश द्वार होना चाहिए, जो उत्तर या पूर्व की दिशा में हो। रसोई में गैस स्टोव को दक्षिण-पूर्वी दिशा में रखा जाना चाहिए, ताकि पकाने वाला पूर्व की ओर मुह करके खाना बना सके। रसोई का सिंक उत्तर-पूर्वी दिशा में होना चाहिए, इलेक्ट्रिकल उपकरणों, जैसे कि फ्रिज, ओवन, माइक्रोवेव, टोस्टर, को दक्षिण-पश्चिम या दक्षिणी कोने में स्थापित करना चाहिए।
रसोई का प्लेटफॉर्म काले ग्रेनाइट या काले पत्थर का बना होना चाहिए, जो पृथ्वी तत्व का प्रतीक होता है। आखिर में, रसोई के लिए हल्के रंगों का चयन करना चाहिए, जो सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) और चमक को बढ़ावा देते हैं
7.बच्चों का कमरा (Kids Room)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर के विभिन्न कमरों के लिए रंगों का चयन करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। ड्राइंग रूम के लिए हल्के रंग जैसे क्रीम, बेज या हल्का हरा उपयुक्त होते हैं जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। रसोई में नारंगी, पीला या हरा रंग भोजन की गुणवत्ता में सुधार और भूख बढ़ाने में मदद करता है। हल्के नीले या हरे रंग के साथ सफेद, मास्टर बेडरूम के लिए शांत और आरामदायक माहौल बनाते हैं। पूजा कक्ष के लिए पीला, सफेद या हल्का नारंगी शुभ माने जाते हैं।
बच्चों के कमरे में हल्के पीले या हरे रंग का इस्तेमाल उनकी रचनात्मकता और सीखने की क्षमता को बढ़ावा दे सकता है।
स्टडी रूम में हल्का नीला या हरा ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। बाथरूम में सफेद और हल्के नीले रंग का संयोजन सबसे उपयुक्त होता है। इसके अलावा, घर के मुख्य द्वार को लाल या गहरे नारंगी रंग से पेंट करना शुभ और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए अनुशंसित है। हालांकि, अंततः रंगों का चयन व्यक्तिगत वरीयताओं पर निर्भर करता है, लेकिन वास्तु सिद्धांतों का पालन करते हुए उपरोक्त दिशानिर्देश सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) और सद्भाव को बढ़ावा दे सकते हैं।
8.स्टडी रूम (Study Room)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, नए घर का स्टडी रूम उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना सबसे शुभ माना जाता है। इस दिशा में स्थित स्टडी रूम में पढ़ाई करने से एकाग्रता बनी रहती है और बच्चों को चीज़ें जल्दी याद हो जाती हैं। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व दिशा में स्टडी रूम बनाने से बचना चाहिए क्योंकि इन्हें वास्तु के अनुसार गंभीर दोष माना गया है।
स्टडी रूम की खिड़कियां उत्तर या पूर्व दिशा में होनी चाहिए ताकि पर्याप्त प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सके। कमरे में विद्या की देवी सरस्वती या प्रेरक महापुरुषों की तस्वीर उत्तर-पूर्व दिशा में लगानी चाहिए। पढ़ाई करते समय मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और पीठ कभी भी खिड़की या दरवाज़े की तरफ नहीं होनी चाहिए।
स्टडी टेबल चौकोर होनी चाहिए और उस पर सफेद या क्रीम रंग का कवर लगाना चाहिए। कंप्यूटर या लैपटॉप को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। स्टडी रूम का रंग पीला, केसरिया या हरा होना चाहिए। इन सरल वास्तु नियमों का पालन करके बच्चों के लिए एक आदर्श अध्ययन वातावरण बनाया जा सकता है।
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9.नए घर का स्टोर रूम (Store Room of New House)
नए घर का वास्तु (Vastu) में स्टोर रूम (Store Room) का महत्वपूर्ण स्थान होता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार स्टोर रूम उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना सबसे शुभ माना जाता है। इससे परिवार को आर्थिक समृद्धि और मान-सम्मान मिलता है। स्टोर रूम का आकार नियमित होना चाहिए और वहां सोना वर्जित है।
दक्षिण-पूर्व में स्टोर रूम होने से आमदनी खर्च के बराबर नहीं होती, जबकि दक्षिण-पश्चिम में अनाज जल्दी खराब हो जाता है। स्टोर रूम की दीवारों पर हल्का पीला या ऑफ व्हाइट रंग करना उचित है।
घर में कहीं भी खाली बर्तन नहीं रखने चाहिए। स्टोर रूम (Store Room) का दरवाजा दो पल्लों वाला हो सकता है और खिड़कियां पूर्व या पश्चिम की ओर खुलनी चाहिए। स्टोर रूम का प्रवेश द्वार हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। इन वास्तु नियमों का पालन करके नए घर में समृद्धि और सौभाग्य लाया जा सकता है।
10.नए घर में गृह प्रवेश (Griha Pravesh in New House)
गृह प्रवेश (Grih Pravesh), नए घर में प्रवेश करने का एक पवित्र संस्कार है, जिसका महत्व वास्तु शास्त्र और ज्योतिष में मान्यता प्राप्त है। यह आपके नए घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) और समृद्धि का स्रोत बन सकता है। गृह प्रवेश का सही समय चुनना महत्वपूर्ण होता है। वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार, शुभ मुहूर्त, नक्षत्र, और वास्तु दोष की जांच करना आवश्यक होता है
अमावस्या (नया चांद) और पूर्णिमा (पूर्ण चांद) के दिन गृह प्रवेश के लिए अशुभ माने जाते हैं। इन दिनों को गृह प्रवेश के लिए टालना चाहिए। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर के मालिक के जन्म नक्षत्र और घर के स्थान के आधार पर प्रवेश द्वार की दिशा निर्धारित की जानी चाहिए। इसके लिए वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। अशुभ समय में गृह प्रवेश करने से स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक हानि, परिवार में विवाद, और अन्य दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो सकती हैं। इसलिए, वास्तु (Vastu) और ज्योतिष विशेषज्ञों की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
Conclusion:
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) सिर्फ कुछ दिशानिर्देशों का समूह है। वास्तविक सुख-समृद्धि और खुशहाली आपके कर्मों और विचारों पर निर्भर करती है। यदि आप सकारात्मक सोच रखते हैं और अच्छे कर्म करते हैं, तो आप निश्चित रूप से अपने नए घर में खुशी और समृद्धि प्राप्त करेंगे। नहीं घर के वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इस अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
FAQ’s:
Q. वास्तु शास्त्र क्या है?
Ans. वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और वास्तुकला के सिद्धांतों का अध्ययन करता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा के सकारात्मक प्रवाह को बढ़ावा देकर इमारतों में सद्भाव और समृद्धि लाना है।
Q. नए घर का निर्माण करते समय किन दिशाओं का ध्यान रखना चाहिए?
Ans. मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। पूजा कक्ष ईशान कोण में होना चाहिए। शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में और रसोईघर दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
Q. क्या घर का आकार वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण है?
Ans. हाँ, घर का आकार वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ग या आयताकार आकार वाले घर शुभ माने जाते हैं। अनियमित आकार वाले घरों में वास्तु दोष हो सकते हैं।
Q. वास्तु दोषों को कैसे दूर किया जा सकता है?
Ans. कुछ वास्तु दोषों को वास्तु विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों, जैसे कि रंगों का उपयोग, फर्नीचर का पुनर्विन्यास, या यंत्रों की स्थापना द्वारा दूर किया जा सकता है।
Q. वास्तु शास्त्र के पालन से क्या लाभ होते हैं?
Ans. वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे घर में शांति, समृद्धि, और खुशी आती है।
Q. गृह प्रवेश करते समय किन रीति-रिवाजों का पालन करना चाहिए?
Ans. गृह प्रवेश करते समय, सबसे पहले घर की लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। फिर, घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से स्वस्तिक बनाना चाहिए और घर में प्रवेश करते समय दीप प्रज्वलित करना चाहिए।