Apara Ekadashi: हिंदू धर्म में व्रत और उपवास का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह की एकादशी (Ekadashi) तिथि को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित किया जाता है और भक्तगण इस दिन व्रत-उपवास करते हैं। ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष अपरा एकादशी 2 जून 2024 को पड़ रही है।
एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) का महत्व शास्त्रों में विस्तार से वर्णित है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। भक्त प्रातः काल स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर भगवान के मंदिर जाते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। एकादशी व्रत को लेकर कई मान्यताएं भी प्रचलित हैं जैसे इस दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है, पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। एकादशी व्रत के नियम भी काफी कठोर होते हैं। व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और दिनभर उपवास रखना चाहिए। रात्रि में भी सोने से पहले कुछ नहीं खाना चाहिए। अगले दिन सूर्योदय के बाद ही पारण करना चाहिए। व्रत के दौरान अनाज का सेवन वर्जित होता है। इस प्रकार एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। यह एक ऐसा व्रत है जो भक्तों को ईश्वर के प्रति समर्पित होने का अवसर प्रदान करता है। साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना जाता है। अगर आप भी इस अपरा एकादशी पर व्रत रखने की सोच रहे हैं तो आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा।
इस लेख में हम आपको अपरा एकादशी के बारे में विस्तार से बताएंगे ताकि आप इस पावन पर्व का पूरा लाभ उठा सकें…
अपरा एकादशी – Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | अपरा एकादशी कब है? |
2 | अपरा एकादशी क्या है? |
3 | अपरा एकादशी का महत्व |
4 | अपरा एकादशी के फायदे |
5 | अपरा एकादशी व्रत नियम |
6 | अपरा एकादशी व्रत कथा |
7 | अपरा एकादशी व्रत कथा पीडीएफ |
8 | अपरा एकादशी पारण समय |
अपरा एकादशी कब है? (Apara ekadashi kab hai?
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi), जिसे जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू पंचांग के अनुसार 2024 में 2 और 3 जून को मनाया जाएगा। इस व्रत की शुरुआत 2 जून को सुबह 05:04 बजे होगी, और 3 जून को सुबह 08:05 बजे समाप्त होगी। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है, और मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से अनंत धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। व्रत का पारण वैष्णव सम्प्रदाय के लिए 4 जून को सुबह 05:05 से 08:10 तक होगा।
अपरा एकादशी क्या है? (What is Apara Ekadashi)
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi), हिन्दू मास ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर मनाई जाती है। इस व्रत को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण है और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित किया जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और विधि-विधान से श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अपरा एकादशी व्रत से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। वर्ष 2024 में अपरा एकादशी की तिथि 2 जून है।
अपरा एकादशी का महत्व (Apara Ekadashi Significance)
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है जिसका व्रत रखने से कई लाभ माने जाते हैं। इस व्रत का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:
- पापों से मुक्ति: अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) का व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत को मनाने से अनंत खुशी और पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। ‘अपरा’ शब्द का अर्थ है अनंत या अपरिमेय, जो इस व्रत को मनाने से प्राप्त होने वाले विशाल लाभों को दर्शाता है।
- भगवान विष्णु की कृपा: अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) भगवान विष्णु को समर्पित है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत को मनाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं। इससे भक्तों को दिव्य आशीर्वाद और अपार खुशी प्राप्त होती है।
- अनंत धन-संपदा: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत रखने से अनंत धन-संपदा और लाभ प्राप्त होते हैं। महाभारत में भी इस व्रत के महत्व का उल्लेख है, जहां भगवान कृष्ण ने पांडव राजा युधिष्ठिर को इसका महत्व समझाया था। कहा जाता है कि जो लोग इस व्रत को मनाते हैं, वे अपने सदाचार के कारण अपार यश प्राप्त करते हैं।
अपरा एकादशी के फायदे (Apara Ekadashi Benefits)
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) व्रत करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। हिंदू धर्म में इस व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति के रोग, दोष और आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है। इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति से करने वाले साधक को असीमित सुख, धन और प्रसिद्धि प्राप्त होती है। अपरा एकादशी व्रत से जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है तथा पुण्य कर्मों का लाभ मिलता है। यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
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अपरा एकादशी व्रत नियम (Apara Ekadashi Fasting Rules
अपरा एकादशी व्रत (Apara Ekadashi Vrat) भारतीय धर्मग्रंथों में वर्णित एक प्रमुख व्रत है जो हिंदुओं द्वारा विशेष रूप से पालन किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु की उपासना के लिए किया जाता है। निम्नलिखित हैं इस व्रत के पालन के आठ मुख्य नियम:
- तैयारी: व्रत की तैयारी कई दिन पहले शुरू होती है, जिसमें घर की सफाई, स्नान करना और स्वच्छ कपड़े पहनना शामिल होता है।
- उपवास: अपरा एकादशी के दिन भक्त एक कठोर उपवास का पालन करते हैं, जिसमें सभी प्रकार के भोजन और पेय सहित पानी का त्याग करना शामिल होता है। हालांकि, उन लोगों के लिए जो पूर्ण उपवास नहीं कर सकते, वे फल, दूध, और अन्य हल्के भोजन का सेवन कर सकते हैं।
- मंत्र जप: भक्त विष्णु सहस्रनाम, एक पवित्र स्तोत्र जो भगवान विष्णु के हजारों नामों की प्रशंसा करता है, और हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं।
- ध्यान: भक्त ध्यान का समय बिताते हैं, भगवान विष्णु के दैवीय गुणों पर चिंतन करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
- प्रार्थना: भक्त भगवान विष्णु को प्रार्थना पेश करते हैं, जिसमें अगरबत्ती, फूल, और अन्य प्रस्तावों का उपयोग होता है। वे विष्णु पुराण, एक पवित्र ग्रंथ जो भगवान विष्णु की शिक्षाओं को समाविष्ट करता है, का पाठ करते हैं।
- आरती: भक्त एकादशी माता की आरती करते हैं, जिसमें उन्हें प्रकाश, अगरबत्ती, और अन्य प्रस्ताव पेश करते हैं।
- दान: भक्त दान की क्रियाएँ करते हैं, जैसे कि खाने, कपड़े, और अन्य आवश्यक वस्त्रों का दान करना।
- उपवास तोड़ना: अगले दिन, सूर्योदय के बाद, उपवास तोड़ा जाता है, जिसमें फल, दूध, और अन्य हल्के भोजन का सेवन किया जाता है।
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अपरा एकादशी व्रत कथा (Apara Ekadashi Vrat Katha)
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi), जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका नाम “अपरा” का अर्थ है “अनंत देने वाली”, जो इस व्रत को मानने से प्राप्त होने वाले अपार आशीर्वाद और लाभों को दर्शाता है।
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) की कथा दो भाइयों, महिध्वज और वज्रध्वज के इर्द-गिर्द घूमती है, जो क्रमशः धर्म और अधर्म के प्रतीक थे। महिध्वज एक सदाचारी राजा थे, जबकि वज्रध्वज एक क्रूर, अनैतिक और ईर्ष्यालु व्यक्ति थे जो अपने भाई से द्वेष रखते थे। एक दिन, वज्रध्वज ने अपने भाई की हत्या कर दी और उनके शव को एक पीपल के पेड़ के पास जंगल में छोड़ दिया। राजा महिध्वज की आत्मा भूत का रूप ले लिया और उस क्षेत्र में लोगों में भय और अशांति पैदा करने लगी। एक रात, ऋषि धौम्य उस भूतिया क्षेत्र से गुजरे और भूतिया राजा की उपस्थिति को महसूस किया। अपनी आध्यात्मिक दृष्टि और शक्तियों का उपयोग करके, उन्होंने पूरी स्थिति को समझा और मृत राजा की मदद करने का निर्णय लिया। उन्होंने भूत को आमंत्रित करने के लिए एक अनुष्ठान किया और फिर उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद करने के लिए दिव्य ज्ञान प्रदान किया।
ऋषि धौम्य ने फिर राजा महिध्वज के उद्धार में और मदद करने के लिए अपरा एकादशी व्रत करने का निर्णय लिया। व्रत पूरा करने के बाद, उन्होंने अर्जित पुण्य (पुण्य) को भूतिया राजा को स्थानांतरित कर दिया, जिन्हें फिर अपने प्रेत (भूत) रूप से मुक्त कर दिया गया और एक दिव्य शरीर प्राप्त हुआ। उन्होंने ऋषि का धन्यवाद किया और एक दिव्य रथ में स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया।
अपरा एकादशी पारण समय (Apara Ekadashi Parana Time)
गृहस्थजन अपरा एकादशी व्रत का पारण 3 जून को सुबह 08:05 बजे से 08:10 बजे के बीच करना चाहिए। इस समयावधि में पारण कर व्रत का समापन करना उचित होगा। दूसरी ओर, वैष्णवजन अपने व्रत का पारण 4 जून को सुबह 05:23 बजे से 08:10 बजे के बीच कर सकते हैं। दोनों के लिए यह समय महत्वपूर्ण है, अतः ध्यानपूर्वक पालन करें।
एकादशी व्रत | एकादशी व्रत का पारण समय |
3 जून | सुबह 08:05 बजे से 08:10 बजे |
4 जून | सुबह 05:23 बजे से 08:10 बजे |
Conclusion:
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) का व्रत रखने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि अध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। अपरा एकादशी से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया व्रत एवं त्योहार से संबंधित हमारे अन्य सभी लेख भी जरूर पढ़िए। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
FAQ’S
Q. अपरा एकादशी कब मनाई जाती है?
Ans. अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह मई या जून के महीने में पड़ती है। 2024 में अपरा एकादशी 2 जून को मनाई जाएगी।
Q. अपरा एकादशी का क्या महत्व है?
Ans. अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) को समस्त पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशियों में से एक माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों को असीमित सुख, धन और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत करने वालों को पापों से मुक्ति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
Q. अपरा एकादशी के दिन कैसे पूजा की जाती है?
Ans. अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। फिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। एकादशी व्रत का संकल्प लेकर भगवान को पीले वस्त्र और भोग अर्पित करें। इस दिन ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ माना जाता है।
Q. अपरा एकादशी की कथा क्या है?
Ans. पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिद्वाज नामक एक धर्मपरायण राजा थे जिन्हें उनके भाई वज्रध्वज ने मार दिया था। अप्राकृतिक मृत्यु के कारण महिद्वाज की आत्मा मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाई। एक ऋषि ने अपरा एकादशी का व्रत कर उनकी आत्मा को मुक्त करवाया। तभी से यह व्रत मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है।
Q. अपरा एकादशी व्रत का क्या लाभ है?
Ans. अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) का व्रत करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत करने वालों को विभिन्न रोगों, दोषों और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है। इस व्रत से भक्तों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
Q. अपरा एकादशी पर क्या दान करना चाहिए?
Ans. अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) की पूर्व संध्या पर दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करने से व्रत का विशेष फल मिलता है। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना भी इस दिन के व्रत का एक महत्वपूर्ण अंग है।