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Bhaum Pradosh: क्या होता है,भौम प्रदोष व्रत? व्रत के पालन से कैसे खुश होंगे महादेव, सब कुछ जानिए इस लेख में 

Bhaum Pradosh
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Bhaum Pradosh: हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। प्रत्येक मास में विभिन्न देवी-देवताओं के व्रत और पर्व मनाए जाते हैं। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण व्रत है भौम प्रदोष व्रत। 

यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Goddess Parvati) को समर्पित है। प्रत्येक मास में दो प्रदोष व्रत आते हैं, परंतु जब यह व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती पूजा-अर्चना करने वालों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वैसे तो सभी प्रदोष व्रत शुभ माने जाते हैं, परंतु भौम प्रदोष व्रत का महत्व इनमें सबसे अधिक है। प्राचीन काल से ही भौम प्रदोष व्रत के महत्व और इससे जुड़ी कथाओं का वर्णन हिंदू पुराणों और धर्मग्रंथों में मिलता है। इस व्रत को लेकर अनेक रोचक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं।

आइए इस लेख के माध्यम से विस्तार से जानते हैं भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का महत्व, पौराणिक कथाएं, पूजा विधि और इससे जुड़ी मान्यताएं। साथ ही जानेंगे इस व्रत को करने से क्या-क्या लाभ मिलते हैं और इसे कैसे किया जाता है।

Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1भौम प्रदोष व्रत कब है?
2भौम प्रदोष व्रत क्या है?
3भौम प्रदोष व्रत का महत्व
4भौम प्रदोष व्रत के फायदे
5भौम प्रदोष व्रत व्रत नियम
6भौम प्रदोष व्रत कथा
7भौम प्रदोष व्रत कथा पीडीएफ
8भौम प्रदोष व्रत पारण समय

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भौम प्रदोष व्रत कब है? (Bhauma Pradosh kab hai?)

जून 2024 में भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) मंगलवार (Tuesday), 4 जून को मनाया जाएगा। इस दिन श्रद्धा और आस्था से व्रत रखने से आरोग्य, समृद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भौम प्रदोष व्रत क्या है? (What is  Bhauma Pradosh?)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) भगवान शिव (Lord Shiva) के सम्मान में मनाया जाता है। यह व्रत हिन्दू कैलेंडर के भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (13वें दिन) को किया जाता है। व्रत करने वाले उपवास रखते हैं, शिवलिंग (Shivlinga) की पूजा करते हैं और व्र”त “”कथा “सुनते हैं। इसे मनाने से मान्यता है कि भगवान शिव (Lord Shiva) का आशीर्वाद मिलता है और सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व क्या है? (Bhauma Pradosh significance)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का महत्व कुछ इस प्रकार है-

  • धार्मिक महत्व: भौम प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए किया जाता है। प्रदोष ‘प्रदोष काल’ का संकेत करता है, जो संध्या और रात्रि के संयोग का समय होता है और इसे भगवान शिव की उपासना के लिए उचित माना जाता है। यदि प्रदोष व्रत का दिन मंगलवार को पड़ता है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
  • आरोग्य और आर्थिक लाभ: भौम प्रदोष व्रत का पालन करने से मांगलिक दोष, ऋण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। जून 2024 में भौम प्रदोष व्रत का पालन 4 जून, मंगलवार को किया जाएगा, जिससे रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • आत्मिक उन्नति: भौम प्रदोष व्रत की कथा अटल आस्था और भगवान शिव के प्रति समर्पण का महत्व उजागर करती है। इस व्रत का पालन करने से भक्त उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और विभिन्न शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक समस्याओं को दूर कर सकते हैं। व्रत को शिवलिंग की अभिषेक और आरती करके समाप्त किया जाता है, जिससे माना जाता है कि सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है।

भौम प्रदोष व्रत के फायदे (Bhauma Pradosh Benefits)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान शिव (Lord Shiva) और हनुमान जी (Lord Hanuman) की आराधना से जुड़ा है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। पुजाहोम के अनुसार, यह व्रत मंगल दोष, ऋण मुक्ति और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए माना जाता है। भौम प्रदोष व्रत करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत की कथा में भगवान शिव (Lord Shiva) और हनुमान जी (Lord Hanuman) के भक्तों की निष्ठा और समर्पण का वर्णन है, जिससे उन्हें कष्टों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति मिलती है। भौम प्रदोष का पालन करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

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भौम प्रदोष व्रत नियम (Bhauma Pradosh Fasting Rules)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) भगवान शिव (Lord Shiva) के प्रति समर्पित होता है और इसका पालन हिन्दू कैलेंडर के हर चंद्र पक्ष या कृष्ण पक्ष के 13वें दिन किया जाता है। इसे पालन करने का कुछ नियम है जो निम्नलिखित हैं:

  • व्रत का आरंभ: व्रत का आरंभ उस दिन होता है जब मंगलवार को प्रदोष का समय होता है। इस दिन व्रती अपने आप को भगवान हनुमान और शिव की आराधना में समर्पित करते हैं।
  • उपवास: व्रती को पूरे दिन के लिए उपवास रखना होता है। यह उपवास भगवान शिव की आराधना के साथ शाम में समाप्त होता है।
  • पूजा और प्रार्थना: भौम प्रदोष व्रत के दिन, विशेष प्रार्थनाएं और अनुष्ठान भगवान शिव को समर्पित की जाती हैं।
  • व्रत का समापन: व्रत का समापन चंद्र (मून) को अर्घ्य देकर और उपवास तोड़कर किया जाता है।
  • विश्वास और समर्पण: भौम प्रदोष व्रत के पालन में विश्वास और समर्पण की भावना बहुत महत्वपूर्ण होती है। यही वह शक्ति है जो सभी इच्छाओं की पूर्ति, समृद्धि और खुशहाली लाती है।

भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhauma Pradosh vrat katha)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) की पौराणिक कथा इस प्रकार है:

एक नगर में एक वृद्ध महिला रहती थी जो हनुमान जी (Lord Hanuman) की परम भक्त थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी। एक दिन हनुमान जी ने उसकी भक्ति की परीक्षा लेने का विचार किया। वे साधु का वेश धारण कर उस वृद्धा के घर पहुंचे और भोजन की याचना की। वृद्धा ने उन्हें भोजन देने से पहले जमीन लीपने को कहा परन्तु हनुमान जी ने इनकार कर दिया।

फिर हनुमान जी (Lord Hanuman) ने वृद्धा से कहा कि वे उसके पुत्र की पीठ पर आग जलाकर भोजन पकाएंगे। वृद्धा दुविधा में पड़ गई परन्तु उसने अपने पुत्र को हनुमान जी के हवाले कर दिया। हनुमान जी ने पुत्र की पीठ पर आग जलाई और भोजन पकाया। भोजन के बाद जब हनुमान जी ने वृद्धा को पुत्र को बुलाने को कहा तो वह रोने लगी। परन्तु जब उसने पुत्र को पुकारा तो वह जीवित था। यह देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह हनुमान जी के चरणों में गिर पड़ी। तब हनुमान जी ने अपना असली रूप दिखाया और वृद्धा को आशीर्वाद दिया। इस कथा से पता चलता है कि हनुमान जी अपने भक्तों की हर परीक्षा लेते हैं और अंत में उन्हें आशीर्वाद देते हैं। भौम प्रदोष व्रत हनुमान जी और शिव जी की आराधना का पर्व है जिससे मंगल दोष, ऋण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) की कथा भक्ति, श्रद्धा और अनुशासन का प्रतीक है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा पाने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन माना जाता है। इस व्रत को सही विधि-विधान और भक्ति भाव से करने से मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कल्याण मिलता है।

भौम प्रदोष व्रत कथा पीडीएफ (Bhaum Pradosh vrat katha PDF)

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) की कथा अत्यंत कल्याणकारी है, और इसे पढ़ने मात्र से ही हनुमान जी और भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्त होती है। इस विशेष लेखक के जरिए हम आपसे यह कथा पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस कथा को कभी भी पढ़ सकते हैं।

भौम प्रदोष व्रत पारण समय (Bhauma Pradosh Parana Time)

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 4 जून 2024 को प्रातः 12:18 पर शुरू होगी और उसी दिन रात 10:01 पर समाप्त होगी।

Conclusion:-

भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat), आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सकारात्मकता लाने का एक उत्तम माध्यम है। भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर भी रोजाना विजिट करें।

FAQ’S 

Q. भौम प्रदोष व्रत क्या है?

Ans. भौम प्रदोष व्रत एक हिंदू व्रत है जिसे मंगलवार की प्रदोष समय (सायंकाल) में मनाया जाता है। इसमें भगवान शिव और हनुमान की पूजा की जाती है।

Q. भौम प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?

Ans. इस व्रत का महत्व मंगलवार को हनुमान की पूजा में है। यह खासकर उन लोगों के लिए सुझावित है जिनकी कुंडली में मंगल दोष है।

Q. जब कोई प्रदोष व्रत का पालन करता है तो क्या होता है?

Ans. व्रत और पूजा-पाठ करने से, कोई भी व्यक्ति सभी कठिनाइयों से मुक्त हो सकता है और शिव और हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त कर सकता है।

Q. प्रदोष व्रत का पालन करने के क्या लाभ हैं?

Ans. स्कंद पुराण के अनुसार, जो भक्त व्रत के दिन शिव पूजा करने के बाद प्रदोष व्रत कथा को सुनता है, वह सौ जन्मों में कभी गरीबी का सामना नहीं करेगा।

Q. भौम प्रदोष व्रत कब मनाया जाता है?

Ans. भौम प्रदोष व्रत मंगलवार के प्रदोष समय (सायंकाल) में मनाया जाता है।

Q. भौम प्रदोष व्रत की कथा के मुख्य पात्र कौन हैं?

Ans. व्रत कथा के मुख्य पात्र भगवान हनुमान और एक वृद्ध महिला है इस कथा में भगवान हनुमान वृद्ध महिला की परीक्षा लेने के लिए उसके घर में भोजन करने के लिए जाते हैं और अंत में महिला को आशीर्वाद भी देते हैं।