भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) – एक ऐसा व्रत जो आपके जीवन में खुशियों की बरसात ला सकता है! यह व्रत न केवल आपकी आध्यात्मिक यात्रा को गति देता है, बल्कि आपके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता के द्वार भी खोलता है।
प्रत्येक हिंदू कैलेंडर माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला यह व्रत भगवान शिव और हनुमान जी को समर्पित होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब यह व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है? इस दिन व्रत करने का विशेष महत्व होता है। भौम प्रदोष व्रत की एक प्राचीन कथा है जो इस व्रत के महत्व को और भी बढ़ा देती है। यह कथा एक वृद्ध महिला की अटूट श्रद्धा और भक्ति को दर्शाती है। इस कथा के अनुसार, भगवान हनुमान (Lord Hanuman) ने एक साधु का रूप धारण कर उस वृद्ध महिला की परीक्षा ली और अंत में उसकी निष्ठा से प्रसन्न होकर उसे अपना आशीर्वाद दिया। यह कथा हमें सिखाती है कि हमें अपने विश्वास और सिद्धांतों पर डटे रहना चाहिए, भले ही हमें किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़े।
तो आइए, हम इस लेख के माध्यम से भौम प्रदोष व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं। हम इस व्रत के महत्व, पूजा विधि, और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि इस व्रत को करने से हमारे जीवन में क्या-क्या लाभ हो सकते हैं….!!
भौम प्रदोष व्रत – Table Of Content
भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि (Bhaum Pradosh Puja Vidhi)
भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) के दिन की पूजा विधि निम्नानुसार है:-
- प्रातः काल उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें। शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, फूल आदि अर्पित करें।
- सायंकाल को शिव-पार्वती और हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने पूजा की थाली सजाएं। थाली में शिवलिंग, जल, दूध, धतूरा, बेलपत्र, फूल, चंदन, फल, मिठाई, घी का दीपक, धूप आदि रखें।
- पूजा शुरू करते समय शिवलिंग पर जल, दूध चढ़ाएं और मंत्रोच्चार करें। ॐ नमः शिवाय, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे आदि मंत्र का जाप करें।
- शिव मंत्र, शिव स्त्रोत, शिव चालीसा और प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें। भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारें।
- हनुमान जी (Lord Hanuman) का पूजन भी इसी विधि से करें। बजरंगबली की कृपा से आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- दिनभर निर्जल व्रत का पालन करें। सांयकाल को शिव मंदिर में जल, दूध, बेलपत्र अर्पित करके पूजा करें।
- प्रदोष व्रत के दिन तिल, गुड़ और नारियल का दान करना शुभ माना जाता है। गरीबों को भोजन भी कराएं। भौम प्रदोष के दिन तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यापार और नौकरी संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
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क्या है भौम प्रदोष व्रत? (Kya hai Bhaum Pradosh)
भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat), जो कि हिन्दू कैलेंडर के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी (13वें दिन) पर मनाया जाता है, भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Goddess Parvati) के प्रति समर्पित एक पवित्र व्रत है। इस व्रत का विशेष महत्व मंगलवार (Tuesday) के दिन आता है, जिसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इसे ध्यानपूर्वक मनाने से मान्यता है कि भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
कैसे करें भौम प्रदोष व्रत पूजा? (Kaise Kare Bhaum Pradosh Puja?
भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) एक खास व्रत है जो हिन्दू धर्म में प्रदोष काल में मनाया जाता है। इसे पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर आचरण किया जाता है।
व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले स्नान करके होती है। उसके बाद, शिवलिंग के सामने बैठकर, घी का दीपक जलाया जाता है और जल, गंगाजल, दूध, बेलपत्र, नीले फूल, सफेद चंदन, लाल या पीले गुलाल, अक्षत, धतूरा, आक का फूल, भांग, भस्म, फल, मिठाई, और घी के दीपक का समर्पण किया जाता है। व्रत के दिन अधिकतर लोग मांसाहार, लहसुन, और प्याज से बचने की सलाह देते हैं। व्रत के दिन हनुमान जी की पूजा करने को भी कहा जाता है, क्योंकि यह व्रत मंगलवार को मनाया जाता है, जो हनुमानजी को समर्पित होता है। यह व्रत खुशी, समृद्धि, और कर्ज और मुसीबतों से मुक्ति दिलाने में माना जाता है।
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भौम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त (Bhaum Pradosh Puja Muhurat)
ज्येष्ठ माह का भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) 04 जून, मंगलवार को रखा जाएगा, जो 03 जून रात 10:48 बजे से 04 जून रात 08:31 बजे तक रहेगा। इस व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 05:44 से 08:21 तक है। शिवभक्त इस समय भगवान शिव की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगे।
भौम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त | समय |
3 जून | रात 10:48 बजे से प्रारंभ |
4 जून | रात 08:31 बजे तक रहेगा |
भौम प्रदोष व्रत पूजन विधि (Bhaum Pradosh Pujan Vidhi)
भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) पर शिव जी की पूजा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्यास्त से पहले 1 घंटा 36 मिनट से लेकर सूर्यास्त के 48 मिनट बाद तक प्रदोष काल रहता है। व्रत के दिन प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र धारण करके शिव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। फिर शिवलिंग पर जल, गंगाजल, दूध, बेलपत्र, अक्का का फूल, धतूरा और नीले फूल चढ़ाएं। घी का दीपक जलाएं। साथ ही स्वच्छ चौकी पर शिव जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर विधिवत पूजन करें। प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और आरती करके गलतियों के लिए क्षमा मांगें। मंगलवार को शिव पूजा के साथ हनुमान जी का पूजन करने से विशेष लाभ मिलता है।
भौम प्रदोष व्रत मुहूर्त (Bhaum Pradosh Muhurat
भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का शुभ मुहूर्त ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 03 जून को रात 10:48 बजे से प्रारंभ होकर 04 जून को रात 08:31 बजे समाप्त होगा। इस प्रकार, ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत 04 जून, मंगलवार को रखा जाएगा। चूंकि यह व्रत मंगलवार को पड़ रहा है, इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्त पूजा करेंगे, जिसका शुभ मुहूर्त शाम 05:44 से 08:21 तक रहेगा। श्रद्धालु इस समय के दौरान भगवान शिव की आराधना कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। भौम प्रदोष व्रत शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और इस दिन की पूजा-अर्चना से उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होती है।
भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त | समय |
03 जून | रात 10:48 बजे से प्रारंभ |
04 जून | 08:31 बजे समाप्त |
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भौम प्रदोष व्रत पूजन सामग्री (Bhaum Pradosh Pujan Samagiri List)
भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) की पूजन सामग्री की सूची कुछ इस प्रकार है-
S.NO | प्रश्न |
1 | शिव की मूर्ति या चित्र |
2 | सफेद कपड़े |
3 | रंगोली के रंग |
4 | माचिस की डिब्बी |
5 | दीया (तेल का दीप |
6 | आरती थाली |
7 | अक्षत |
8 | चावल के दाने |
9 | कुमकुम |
10 | हल्दी |
11 | दूर्वा घास |
12 | स्वच्छ पानी |
13 | कलश या लोटा |
14 | शंख |
15 | घंटी |
16 | शिवलिंग को ढकने के लिए लाल कपड़ा |
17 | प्रसाद |
18 | पंचामृत |
19 | बेल पत्र |
20 | फूल |
21 | नारियल |
22 | कपूर |
23 | सुपारी |
24 | अगरबत्ती |
24 | फल |
Conclusion:
भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat), आध्यात्मिक उन्नति और मनोकामना पूर्ति का एक उत्तम माध्यम है। इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ रखने से भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो और भी प्रमुख व्रत और हिंदू त्योहार से संबंधित लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. भौम प्रदोष व्रत क्या है?
Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मंगलवार के दिन मनाया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। भौम प्रदोष व्रत का पालन करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
Q. भौम प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?
Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का बहुत महत्व माना जाता है। इस व्रत को करने से भक्तों को भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत के पालन से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस व्रत को करने से भक्तों को धन, यश, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Q. भौम प्रदोष व्रत कब किया जाता है?
Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मंगलवार के दिन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जब त्रयोदशी तिथि दिन या रात में मंगलवार को पड़ती है, तो उस दिन भौम प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। एक वर्ष में लगभग 24 भौम प्रदोष व्रत आते हैं।
Q. भौम प्रदोष व्रत में क्या पूजा की जाती है?
Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाया जाता है। भक्त शिव मंदिर जाकर रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप करते हैं। साथ ही, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है और रात्रि जागरण किया जाता है।
Q. भौम प्रदोष व्रत के दिन क्या दान करना चाहिए?
Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के दान किए जाते हैं। इस दिन गेहूं, चना, तिल, वस्त्र और भोजन का दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना और दान देना भी इस व्रत का महत्वपूर्ण अंग है। दान देने से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है।
Q. भौम प्रदोष व्रत के दिन क्या खाना चाहिए?
Ans. भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) के दिन सात्विक और फलाहारी भोजन करना चाहिए। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और एक समय भोजन ग्रहण करते हैं। व्रत के दौरान नमक, मसाले और तले हुए पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के पश्चात फल, सूखे मेवे, दूध और मीठे व्यंजनों का सेवन किया जा सकता है। कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं।