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Shravan Somvar Vrat Katha: श्रावण सोमवार व्रत कथा सुनने से मिलेगा भगवान शिव का आशीर्वाद, इस लेख में पढ़िए संपूर्ण कथा 

Shravan Somvar Vrat Katha
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श्रावण सोमवार व्रत कथा (Shravan Somvar Vrat Katha): श्रावण मास हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और धार्मिक महीनों में से एक माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है और उनकी कृपा पाने के लिए व्रत रखे जाते हैं। इन्हीं व्रतों में से एक है श्रावण सोमवार व्रत। 

मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव (Lord Shiva) प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। श्रावण सोमवार (Shravan Somvar) व्रत कथा का महत्व सदियों से चला आ रहा है। इस कथा में एक साहूकार की कहानी है जिसने अपनी संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की आराधना की थी। इस कथा से हमें श्रद्धा, धैर्य और भक्ति का संदेश मिलता है। साथ ही, यह हमें बताती है कि कैसे हमारी सच्ची लगन और प्रार्थना से भगवान प्रसन्न होकर हमारी मुरादें पूरी करते हैं। इस लेख में हम श्रावण सोमवार व्रत कथा का विस्तार से वर्णन करेंगे। (Shravan Somvar Vrat Katha)साथ ही, इस पावन कथा का पीडीएफ भी पाठकों के साथ साझा करेंगे ताकि वे इसे डाउनलोड कर अपने परिवार और मित्रों के साथ भी बांट सकें। इसके अलावा, हम श्रावण महीने में पड़ने वाले सोमवारों की संख्या के बारे में भी जानकारी देंगे ताकि आप अपनी सुविधानुसार व्रत की तैयारी कर सकें।

तो चलिए श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ते हैं यह विशेष लेख और जानते हैं साल 2024 के श्रावण सोमवार के बारे में सब कुछ…

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Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1श्रावण सोमवार व्रत कथा
2श्रावण सोमवार व्रत कथा पीडीएफ डाउनलोड
32024 में कितने श्रावण सोमवार आएंगे?

श्रावण सोमवार व्रत कथा (Shravan Monday Fasting Story)

Shravan Monday

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एक समय की बात है, एक नगर में एक धनी साहूकार रहता था। उसके पास धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी, लेकिन संतान के अभाव में वह बहुत दुखी था। पुत्र रतन की प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार (Monday) को व्रत रखता और पूरे मन से शिव मंदिर जाकर भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की पूजा करता। उसकी भक्ति देखकर एक दिन माता पार्वती ने भगवान शिव से उसकी मनोकामना पूरी करने का आग्रह किया। 

शिवजी ने कहा, “हे पार्वती, इस संसार में प्रत्येक प्राणी को उसके कर्मों का फल भोगना पड़ता है, और जो भाग्य में लिखा हो, वही होता है।” परंतु माता पार्वती (Goddess Parvati) ने साहूकार के भक्ति भाव का मान रखते हुए उसकी मनोकामना पूरी करने का आग्रह दोहराया। उनके आग्रह पर भगवान शिव (Lord Shiva) ने साहूकार को पुत्र रत्न का आशीर्वाद दिया, लेकिन यह भी कहा कि उसके पुत्र की आयु केवल बारह वर्ष होगी। साहूकार को स्वप्न आया कि उसके पुत्र की मृत्यु 12 वर्ष के बाद हो जाएगी, लेकिन वह न तो खुश हुआ और न ही दुखी। वह पहले की तरह भगवान शिव की पूजा करता रहा। कुछ समय बाद साहूकार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ।

जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ, तो उसे शिक्षा के लिए काशी भेजने का निर्णय लिया गया। साहूकार ने अपने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा कि वह बालक को काशी ले जाए और मार्ग में यज्ञ करवाता जाए, जहां ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा दी जाए। यात्रा के दौरान, वे एक नगर पहुंचे जहां राजा की पुत्री का विवाह हो रहा था। राजकुमार एक आंख से काना था, और उसके पिता ने इस बात को छिपाने की योजना बनाई। उन्होंने साहूकार के पुत्र को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह करवा दिया। साहूकार का पुत्र ईमानदार था और उसने राजकुमारी की चुन्नी पर लिख दिया कि वह काशी जा रहा है और राजकुमार एक आंख से काना है। राजकुमारी ने यह बात अपने माता-पिता को बताई और बारात वापस चली गई।

साहूकार का पुत्र और उसका मामा काशी (Kashi) पहुंचे और वहां यज्ञ किया। जिस दिन बालक की आयु बारह वर्ष की हुई, उसी दिन उसकी तबीयत खराब हो गई और उसकी मृत्यु हो गई। पुत्र का मामा विलाप करने लगा। उसी समय माता पार्वती और भगवान शिव वहां से गुजर रहे थे। माता पार्वती ने शिवजी से कहा कि वे इस व्यक्ति के कष्ट को दूर करें। शिवजी ने बताया कि यह वही साहूकार का पुत्र है जिसे उन्होंने बारह वर्ष की आयु का वरदान दिया था। माता पार्वती (Goddess Parvati) के आग्रह पर भगवान शिव ने बालक को जीवित कर दिया।

बालक और उसका मामा शिक्षा पूरी करके अपने नगर लौटे। रास्ते में वे उस नगर में पहुंचे जहां उसका विवाह हुआ था। वहां भी उन्होंने यज्ञ किया और राजा ने उन्हें पहचान लिया। साहूकार और उसकी पत्नी अपने पुत्र की प्रतीक्षा कर रहे थे और उसके जीवित होने का समाचार पाकर अत्यंत प्रसन्न हुए। उसी रात भगवान शिव (Lord Shiva) ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा कि उसके सोमवार के व्रत और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर उन्होंने उसके पुत्र को दीर्घायु प्रदान की है। जो कोई भी सोमवार का व्रत करता है, उसके सभी दुख दूर होते हैं और सभी इच्छाएं भी पूर्ण होती हैं।

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श्रावण सोमवार व्रत कथा पीडीएफ डाउनलोड (Shravan Somvar Vrat Katha PDF Download)

इस विशेष लेख के जरिए हम आपसे श्रावण सोमवार (Shravan Somvar) के व्रत कथा को पीडीएफ के जरिए साझा कर रहे हैं। इस पीडीएफ को डाउनलोड करके आप श्रावण सोमवार (Shravan Somvar) की व्रत कथा को श्रद्धापूर्वक पढ़ सकते हैं और इस पीडीएफ (PDF) को सरलता पूर्वक अपने सभी प्रिय जनों के साथ भी साझा कर सकते हैं।

श्रावण सोमवार व्रत कथा PDF Download

2024 में कितने श्रावण सोमवार आएंगे? (How Many Shravan Mondays Will Come in 2024)

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इस वर्ष श्रावण का महीना 22 जुलाई को शुरू हो रहा है और 19 जुलाई को श्रावण मास का महीना खत्म होगा। इस माह में पांच श्रावण सोमवार आएंगे जिनकी तिथि निम्नलिखित है-

श्रावण सोमवारतिथि
पहला श्रावण सोमवार22 जुलाई 
दूसरा श्रावण सोमवार29 जुलाई 
तीसरा श्रावण सोमवार5 अगस्त 
चौथा श्रावण सोमवार12 अगस्त 
पांचवा श्रावण सोमवार 19 अगस्त

Conclusion:- Shravan Somvar Vrat Katha

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श्रावण सोमवार (Shravan Somvar) का व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति समर्पित है। इस व्रत को करने से भक्तों को अनेक लाभ होते हैं। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास करने से मनुष्य के पाप कट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रावण सोमवार व्रत कथा से संबंधित यह विशेष लेखक अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे और भी धार्मिक रोचक लेख जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s:-Shravan Somvar Vrat Katha

Q. श्रावण सोमवार व्रत का महत्व क्या है?

Ans. श्रावण सोमवार (Shravan Somvar) व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। यह व्रत भक्तों को सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और मोक्ष प्राप्त करने में कोई मदद करता है। श्रावण माह में सोमवार को व्रत रखना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

Q. श्रावण सोमवार व्रत कब शुरू होता है और कितने सोमवार तक चलता है? 

Ans. श्रावण सोमवार (Shravan Somvar) व्रत हिंदू कैलेंडर के श्रावण माह (जुलाई-अगस्त) के पहले सोमवार से शुरू होता है और लगातार 16 सोमवार तक चलता है। कुछ भक्त पूरे श्रावण माह में हर सोमवार को व्रत रखते हैं।

Q. श्रावण सोमवार व्रत की पूजा विधि क्या है? 

Ans. श्रावण सोमवार व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं, शिवलिंग पर जल, दूध, बेल पत्र और फूल चढ़ाते हैं। व्रत कथा सुनने के बाद शिव चालीसा और अन्य मंत्रों का पाठ करते हैं। दिन भर उपवास रखा जाता है और रात में पूजा के बाद व्रत खोला जाता है।

Q. श्रावण सोमवार व्रत के दौरान क्या खाया जा सकता है? 

Ans. श्रावण सोमवार व्रत के दौरान भक्त दिन भर निराहार या फलाहार रहते हैं। कुछ लोग केवल एक बार भोजन करते हैं जिसमें फल, दूध, सिंघाड़े का आटा, समा के चावल, आलू आदि शामिल होते हैं। व्रत के दौरान प्याज, लहसुन, मांस, अंडे और मदिरा का सेवन वर्जित है।

Q. श्रावण सोमवार व्रत के क्या लाभ हैं? 

Ans. श्रावण सोमवार व्रत करने से भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जीवन में सुख-शांति आती है, रोगों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह व्रत पारिवारिक सौहार्द और समृद्धि बढ़ाने में भी मददगार है।

Q. श्रावण सोमवार व्रत के दौरान क्या नियम पालन करने चाहिए? 

Ans. श्रावण सोमवार व्रत के दौरान भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, शुद्ध और सात्विक भोजन करना चाहिए, दिन भर उपवास रखना चाहिए, संयम और सदाचार का पालन करना चाहिए। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना में मन लगाना चाहिए और व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए।