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Guru Purnima Katha: गुरु पूर्णिमा कथा से मिलेगा गुरुओं का आशीर्वाद और होगी ज्ञान की प्राप्ति

Guru Purnima Katha
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गुरु पूर्णिमा की कथा (Guru Purnima Katha): गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। जो संस्कृत शब्द, ‘गुरु’ की दो जड़ें हैं – ‘गु’ का अर्थ है ‘अंधकार’ और ‘रु’ का अर्थ है ‘अंधकार या अज्ञान को दूर करना।’ गुरु की कृपा हमारे अज्ञान को दूर करती है और हमें आनंद और मोक्ष का मार्ग दिखाती है। इसलिए, गुरुओं द्वारा हमें सिखाए गए अपार मूल्यों और पाठों के लिए उनका सम्मान और आभार व्यक्त करना महत्वपूर्ण है। यह दिन हमारे जीवन में गुरुओं के महत्व और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर है। 

गुरु वह होता है जो हमें अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। वह हमारा मार्गदर्शक, शिक्षक और आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शक होता है। गुरु पूर्णिमा का यह पावन पर्व हमें अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का सुअवसर प्रदान करता है। 2024 में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima Katha) 21 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान वेद व्यास की जयंती भी है, जिन्हें आदि गुरु कहा जाता है। उन्होंने वेदों का विभाजन किया और पुराणों एवं महाभारत (Mahabharata) जैसे महाकाव्यों की रचना की। उनका जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। तो आइए, गुरु पूर्णिमा 2024 के इस पावन अवसर पर हम जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा के पीछे की पौराणिक कथा और कहानी क्या कहती है तो इस लेख में अंत तक जरूर बने रहिए… 

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Table Of Content :-Guru Purnima Katha

S.NOप्रश्न
1गुरु पूर्णिमा की कथा
2गुरु पूर्णिमा की कहानी

गुरु पूर्णिमा की कथा (Guru Purnima katha)

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गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है और यह महर्षि वेदव्यास की पौराणिक कथा से गहराई से जुड़ा हुआ है। वेदव्यास, जो भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं, ऋषि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे। बाल्यावस्था से ही अध्यात्म में गहरी रुचि रखने वाले वेदव्यास ने एक दिन अपने माता-पिता से प्रभु दर्शन की प्रबल आकांशा व्यक्त की और जंगलों में जाकर तपस्या करने की अनुमति मांगी।

प्रारंभ में माता सत्यवती (Mata Satyawati) ने उनकी इस मांग को अस्वीकार कर दिया, लेकिन वेदव्यास (Vedvyas)  के अटल संकल्प के आगे झुकते हुए उन्होंने आखिरकार अनुमति दे दी, यह कहते हुए कि जब भी घर की याद आए तो लौट आना। वन में जाकर वेदव्यास ने कठोर तपस्या की और तपस्या के परिणामस्वरूप संस्कृत भाषा में अद्वितीय निपुणता प्राप्त की। उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया और महाभारत, अठारह महापुराण, और ब्रह्मसूत्र जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। महर्षि वेदव्यास को अमरता का वरदान प्राप्त है, और ऐसा कहा जाता है कि वे आज भी किसी न किसी रूप में हमारे बीच विद्यमान हैं। वेद व्यास को कृष्णद्वैपायन के नाम से भी जाना जाता है और हिन्दू धर्म में भगवान के रूप में पूजा जाता है। वेदव्यास का जन्मदिन होने के कारण इस पर्व को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

गुरु पूर्णिमा की कहानी (Story of Guru Purnima)

Story of Guru Purnima

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वैशाख का महीना, संस्कृत भाषा का एक अनमोल उपहार है, जिसे पाली में वेसाख के नाम से जाना जाता है। इस पवित्र महीने में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, और उनके जीवन की महत्ता यहीं से शुरू होती है। बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे कठोर तपस्या के बाद, उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति की। फिर, लगभग 80 वर्ष की आयु में, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर (गोरखपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर) में वैशाख महीने की पूर्णिमा को महात्मा बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को बड़ी श्रद्धा और भव्यता से मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर महात्मा बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति, और महापरिनिर्वाण दिवस को एक साथ मनाने की परंपरा है। भारत, तिब्बत, मंगोलिया सहित कई देशों में इस दिन को विशेष आयोजन के साथ मनाया जाता है, जिसमें आस्था और उल्लास का संगम देखने को मिलता है।

Conclusion:- Guru Purnima Katha

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गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का यह पावन पर्व हमें गुरु के महत्व और उनके प्रति समर्पण की याद दिलाता है। गुरु हमारे जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं और हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। गुरु पूर्णिमा के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी आर्टिकल्स को भी एक बार जरूर पढ़िए साथ ही साथ हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करिए।

FAQ’s:- Guru Purnima Katha

Q. गुरु पूर्णिमा का महत्व क्या है? 

Ans. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) हिंदू कैलेंडर के आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन गुरुओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने के लिए समर्पित है। गुरु हमें ज्ञान और आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं, और इस दिन हम उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

Q. गुरु पूर्णिमा 2024 कब मनाई जाएगी? 

Ans. 2024 में गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को शाम 5:59 बजे शुरू होकर 21 जुलाई को दोपहर 3:46 बजे समाप्त होगी।

Q. महर्षि वेद व्यास का गुरु पूर्णिमा से क्या संबंध है?

Ans. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) महर्षि वेद व्यास के जन्मदिन के रूप में भी मनाई जाती है। वे चार वेदों, 18 पुराणों, महाभारत और श्रीमद्भागवतम् के रचयिता माने जाते हैं। हिंदू धर्म में वे सबसे महान गुरुओं में से एक हैं और उनकी शिक्षाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रसारित होती रही हैं।

Q. गुरु पूर्णिमा बौद्ध धर्म में क्यों महत्वपूर्ण है? 

Ans. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस दिन को चिह्नित करती है जब भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया था, जिसे धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त कहा जाता है। इस उपदेश ने बौद्ध धर्म की शुरुआत की और इस त्योहार को ज्ञान प्राप्ति के दिन के रूप में मनाया जाता है।

Q. गुरु पूर्णिमा पर क्या किया जाता है? 

Ans. गुरु पूर्णिमा पर लोग अपने गुरुओं की पूजा करते हैं, उन्हें फूल, फल, मिठाइयाँ और उपहार भेंट करते हैं। मंदिरों में विशेष धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहाँ भक्त भजन, कीर्तन और गुरुओं के जीवन और शिक्षाओं पर प्रवचनों में भाग लेते हैं। इस दिन दान करना भी शुभ माना जाता है।

Q. गुरु पूर्णिमा जैन धर्म में क्यों महत्वपूर्ण है? 

Ans. जैन धर्म में, गुरु पूर्णिमा उस दिन के रूप में मनाई जाती है जब भगवान महावीर, 24वें तीर्थंकर को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भक्त उपवास और ध्यान का पालन करते हैं, आध्यात्मिक विकास और ज्ञान की खोज करते हैं।