हरियाली अमावस्या 2024 व्रत, पूजन विधि और नियम (Hariyali Amavasya 2024 Vrat): हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) सावन के पवित्र महीने में आने वाली एक विशेष तिथि है। यह दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की कृपा पाने का सुनहरा अवसर लेकर आता है। इस दिन प्रकृति अपनी पूरी हरियाली के साथ मुस्कुराती है और हमें भी अपने जीवन में नई ऊर्जा और उमंग भरने का संदेश देती है। हरियाली अमावस्या का दिन सदियों से हमारी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ा हुआ है। इस दिन की पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास का विशेष महत्व है। यह वह समय है जब हम अपने पितरों और देवताओं को याद करते हैं, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 2024 में हरियाली अमावस्या कब है? क्या आप हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) की सही पूजन विधि और सामग्री से परिचित हैं? क्या आपको पता है इस दिन किन नियमों का पालन करना चाहिए? अगर नहीं, तो चिंता की कोई बात नहीं।
हमारा यह लेख आपके सभी सवालों का समाधान करेगा। हम आपको हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे ताकि आप इस पावन दिन का पूरा लाभ उठा सकें। तो देर किस बात की, पढ़ते रहिए यह रोचक और ज्ञानवर्धक लेख…
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Table Of Content
S.NO | पूजन सामग्री |
1 | हरियाली अमावस्या 2024 व्रत |
2 | हरियाली अमावस्या पूजन विधि |
3 | हरियाली अमावस्या नियम |
4 | हरियाली अमावस्या पूजन सामग्री |
5 | हरियाली अमावस्या पूजन सामग्री पीडीएफ |
हरियाली अमावस्या 2024 व्रत (Hariyali Amavasya 2024 Fasting)
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पवित्र सावन महीने के दौरान हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) का पर्व विशेष महत्त्व रखता है और इसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस हरियाली अमावस्या के दिन लोग व्रत रहते हैं भगवान शिव की पूजा करते हैं। श्रावण शिवरात्रि के अगले दिन पड़ने वाली हरियाली अमावस्या अक्सर हरियाली अमावस्या का व्रत अत्यंत फलदाई होता है। इस बार हरियाली अमावस्या का शुभ अवसर रविवार, 4 अगस्त 2024 को है। हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के तीन दिन पश्चात हरियाली तीज का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रकृति से जुड़ने और उसके संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी उजागर करता है।
हरियाली अमावस्या पूजन विधि क्या है? (Hariyali Amavasya Pujan Vidhi)
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हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) की पूजन विधि निम्नलिखित 7 बिंदुओं में समझाई जा सकती है:
- प्रातःकालीन स्नान और सूर्य अर्घ्य: भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या तीर्थ में स्नान करना चाहिए। उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देना भी विधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना अनिवार्य है। अविवाहित महिलाएं अपने भावी पति की भलाई और दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत (बिना पानी के उपवास) रखती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए आंशिक उपवास रखती हैं।
- पितृ तर्पण: पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना विधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृ तर्पण करने से दिवंगत आत्माओं को शांति और जीवित लोगों को आशीर्वाद मिलता है।
- दान और परोपकार: इस दिन जरूरतमंदों और गरीबों को भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि ऐसे दया के कार्य जीवन में समृद्धि और खुशी लाते हैं।
- पौधे लगाना: जैसा कि नाम से पता चलता है, हरियाली अमावस्या प्रकृति के सौंदर्य और संरक्षण को समर्पित है। इस दिन पेड़ लगाना, विशेष रूप से पीपल का पेड़, अत्यंत शुभ माना जाता है।
- भगवान शिव को प्रसाद अर्पित करना: भगवान शिव को प्रसाद तैयार करना और अर्पित करना विधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भक्त देवता को भेंट करने के लिए खीर, मालपुआ और अन्य मिठाइयां जैसे विभिन्न व्यंजन तैयार करते हैं।
- मंत्रों का जाप: भगवान शिव, विष्णु और अन्य देवताओं को समर्पित मंत्रों का जाप विधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भक्त शांति, समृद्धि और खुशी के लिए महामृत्युंजय मंत्र, शिव मंत्र या विष्णु मंत्र का जाप कर सकते हैं।
हरियाली अमावस्या नियम (Hariyali Amavasya 2024 Niyam)
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हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya), जिसे श्रावण अमावस्या (Hariyali Amavasya) भी कहा जाता है, विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण को समर्पित है। इस दिन के मुख्य नियमों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- वृक्षारोपण: हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन पेड़ लगाना शुभ माना जाता है। लोग अधिक से अधिक पौधे लगाते हैं और उनकी देखभाल का संकल्प लेते हैं।
- पूजा-अर्चना: इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। शिवालयों और मंदिरों में विशेष अनुष्ठान और हवन किए जाते हैं।
- जल संरक्षण: इस दिन जल संरक्षण के उपायों को भी महत्व दिया जाता है। तालाबों, कुओं और नदियों की सफाई की जाती है।
- व्रत और उपवास: कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं और उपवास करते हैं, विशेषकर महिलाएं परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए।
- पारंपरिक व्यंजन: विशेष प्रकार के पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं और प्रसाद के रूप में बांटे जाते हैं।
हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का महत्वपूर्ण पर्व है।
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हरियाली अमावस्या पूजन सामग्री (Hariyali Amavasya Puja Material)
हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) की पूजन सामग्री की सूची इस प्रकार है:
S.NO | पूजन सामग्री |
1 | फूल (विशेष रूप से सफेद या बेलपत्र) |
2 | अगरबत्ती |
3 | दीपक (तेल का दीया) |
4 | पूजा थाली |
5 | स्वस्तिक या ॐ का प्रतीक |
6 | महालक्ष्मी यंत्र |
7 | गेहूं और ज्वार |
8 | आटा |
9 | सिंदूर और चमेली का तेल |
10 | भगवान शिव के लिए सफेद वस्त्र |
11 | प्रसाद के रूप में फल और मिठाइयां |
12 | गंगाजल या पवित्र जल |
13 | दूब, कुशा, कमल, नीलकमल आदि पत्ते |
14 | दूध (शिवलिंग अभिषेक के लिए) |
15 | शंख |
हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन इन सामग्रियों से भगवान शिव, पितृ देवता, यक्ष, नाग और गंधर्वों की पूजा की जाती है। इससे पितृ दोष, कालसर्प दोष और शनि दोष दूर होने की मान्यता है। इस दिन विशेष रूप से दान, ध्यान और स्नान का महत्व होता है।
Conclusion:-
हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) का पर्व हमें प्रकृति के प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है। इस दिन की पूजा विधि और नियमों का पालन करने से न केवल धार्मिक लाभ मिलता है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है। हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेखा अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे इस लेख को अपने सभी परिजनों के साथ अवश्य साझा करें। व्रत एवं त्योहार से संबंधित और भी लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. हरियाली अमावस्या 2024 कब मनाई जाएगी?
Ans. हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) 2024 को 4 अगस्त को मनाया जाएगा। यह तिथि 3 अगस्त 2024 को दोपहर 03:50 बजे से शुरू होकर 4 अगस्त 2024 को शाम 04:42 बजे तक रहेगी।
Q. हरियाली अमावस्या का महत्व क्या है?
Ans. हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन पौधा लगाकर उसकी देखरेख करना और उसे जल-खाद देने से पुण्य मिलता है। इसे ध्यान में रखकर ही हमारे पुरातन पंडित और ज्योतिषियों ने हरियाली अमावस्या के दिन पौधा लगाने को पुण्य का काम बताया है।
Q. हरियाली अमावस्या पर कौन से पौधे लगाने चाहिए?
Ans. हरियाली अमावस्या के दिन आरोग्य प्राप्ति के लिए नीम, संतान सुख की प्राप्ति के लिए केला, सुख के लिए तुलसी और माता लक्ष्मी के लिए आंवले का पौधा लगाने की परंपरा है। इसके अलावा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए बिल्वपत्र, सौभाग्य के लिए अर्जुन, अशोक, नारियल या वट का वृक्ष लगाना चाहिए।
Q. हरियाली अमावस्या की पूजन विधि क्या है?
Ans. हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें। फिर पितरों को जल, तिल और फूल अर्पित करके तर्पण विधि करें। देवताओं को दीपक जलाकर और प्रार्थना करके पूजा करना भी शुभ माना जाता है
Q. हरियाली अमावस्या की पूजन सामग्री में क्या शामिल होता है?
Ans. पूजन सामग्री में पवित्र जल, तिल, फूल, दीपक, धूप और घंटी शामिल होती है। पितरों को फल, मिठाई और पकाया हुआ चावल अर्पित करने की भी परंपरा है।
Q. हरियाली अमावस्या पर क्या नियम पालन करने चाहिए?
Ans. हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन मांसाहार, शराब और हिंसा से परहेज करना चाहिए। इस दिन बाल कटवाने या शेविंग करने से भी बचना चाहिए।