गुरु प्रदोष व्रत 2024, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व (Guru Pradosh Vrat july 2024): हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। हर महीने में में कई सारे व्रत आते हैं, जिनमें से सबसे विशेष है प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat)।
प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) देवों के देव महादेव और उनकी पत्नी देवी पार्वती को समर्पित होता है। यह बेहद खास व्रत प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। गुरु प्रदोष व्रत उन्हीं में से एक है। मान्यता है कि गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है और वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों का निवारण होता है। इस व्रत को करने से भगवान शिव और भगवान बृहस्पति दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जुलाई 2024 में गुरु प्रदोष व्रत कब है? गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है? इस व्रत का क्या महत्व है और इसमें कौन सी पूजन सामग्री का उपयोग किया जाता है?
अगर आप भी इन सवालों के जवाब जानने के लिए उत्सुक हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। इस लेख में हम आपको गुरु प्रदोष व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से बताएंगे। तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत के बारे में सबकुछ..
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गुरु प्रदोष व्रत 2024 (Guru Pradosh July Vrat 2024)
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जुलाई 2024 में गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) का आयोजन 18 जुलाई को होगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई को रात 08:43 बजे आरंभ होगी और 19 जुलाई की शाम 07:42 बजे समाप्त होगी। शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखकर और भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, साथ ही सुख-समृद्धि जीवन में बनी रहती है।
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प्रदोष व्रत | तारीख |
गुरु प्रदोष व्रत (शुक्ल) | 18 जुलाई 2024, गुरुवार |
गुरु प्रदोष व्रत (कृष्ण) | 01 अगस्त 2024, गुरुवार |
गुरु प्रदोष व्रत (कृष्ण) | 28 नवंबर 2024, गुरुवार |
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time Of Pradosh Fast)
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गुरु प्रदोष व्रत आषाढ़ के महीने में 18 जुलाई को मनाया जाएगा और पूजा का शुभ समय संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट से लेकर 09 बजकर 23 मिनट तक है।
शुभ मुहूर्त का प्रारंभ | संध्या काल में 8:44 बजे |
शुभ मुहूर्त का अंत | रात्रि 9:23 पर बजे |
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व (Importance of Guru Pradosh Vrat)
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गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) का महत्व दो मुख्य बिंदुओं में इस प्रकार है:
- शिव-पार्वती की कृपा प्राप्ति: गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की विधिवत पूजा-अर्चना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भक्ति भाव से उनकी आराधना करने से भक्तों के सभी दुख-कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जनसत्ता के अनुसार, “जो व्यक्ति पूरे दिन व्रत रखकर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करता है, उसको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।”
- वैवाहिक जीवन में सुख-शांति: गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) का एक प्रमुख महत्व यह भी है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और दांपत्य जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। “इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होगा और दांपत्य जीवन की समस्याएं खत्म होती हैं।” जिन लोगों के विवाह में अड़चन आ रही हो तो इस व्रत को रखने से विवाह के योग बनते हैं।”
गुरु प्रदोष शिव पूजा का समय (Guru Pradosh Shiva Puja Timings)
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गुरु प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानी कि शाम के समय में की जाती है इस विशेष समय सारणी में सभी भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं, गुरु प्रदोष व्रत 18 जुलाई को मनाया जाएगा और इस दिन पूजा का शुभ समय संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट से लेकर 09 बजकर 23 मिनट तक है। इस 39 मिनट के प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाएगी।
शुभ मुहूर्त का प्रारंभ | संध्या काल में 8:44 बजे |
शुभ मुहूर्त का अंत | रात्रि 9:23 पर बजे |
गुरु प्रदोष पूजा विधि (Method Of Guru Pradosh Puja)
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- व्रत की तैयारी: व्रत के दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, और पीले या हल्के रंग के कपड़े पहनना चाहिए। बृहस्पति और भगवान शिव को पीले फूल, मिठाई, और पीले कपड़े की चढ़ावा देना चाहिए।
- बृहस्पति पूजा: बृहस्पति की पूजा पीले फूल, मिठाई, और पीले कपड़ों की चढ़ावा देने के साथ की जाती है। भक्त बृहस्पति स्तोत्रम का पाठ करते हैं और देवता पर ध्यान करते हैं।
- भगवान शिव पूजा: भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा बिल्व पत्र, फूल, दूध, और बेल पत्र की चढ़ावा देने के साथ की जाती है। शिवलिंग को पानी, दूध, और शहद से स्नान कराया जाता है, और शिव मंत्र “ऊँ नमः शिवाय” का जाप किया जाता है।
- उपवास और जाप: इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और आध्यात्मिक वृद्धि और आशीर्वाद के लिए बृहस्पति मंत्र “ऊँ बृं बृहस्पतये नमः” और शिव मंत्र “ऊँ नमः शिवाय” का जाप करते हैं।
- गुरु प्रदोष व्रत के लाभ: व्रत से भक्तों को ज्ञान, धन, और संतान प्राप्त होती है। यह परिवार के विवाद और संघर्ष का समाधान करने में भी मदद करता है।
- गुरु प्रदोष व्रत कथा: गुरु प्रदोष व्रत कथा (Guru Pradosh Vrat) की कथा में इंद्र और दानव वृत्रासुर का समावेश है। इंद्र के खिलाफ एक युद्ध हारने के बाद, वृत्रासुर ने देवताओं के खिलाफ युद्ध चलाने का निर्णय लिया। देवताओं ने बृहस्पति की मदद मांगी, जिन्होंने उन्हें शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए गुरु प्रदोष व्रत का पालन करने की सलाह दी। इंद्र ने व्रत का पालन किया, भगवान शिव को प्रसन्न किया, और उन्हें वृत्रासुर को पराजित करने की शक्ति प्राप्त हुई।
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गुरु प्रदोष पूजा सामग्री (Guru Pradosh Puja Samagri)
गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) के लिए पूजन सामग्री की सूची इस प्रकार है:
S.NO | पूजन सामग्री |
1 | कलश या लोटा |
2 | कुश का आसन |
3 | धूप |
4 | दीपक |
5 | शिवलिंग |
6 | जल |
7 | चावल |
8 | घी |
9 | फूल |
10 | बेल पत्र |
11 | दूर्वा घास |
12 | हल्दी |
13 | कुमकुम |
14 | चंदन |
15 | रोली |
16 | मौली |
17 | जनेऊ |
18 | नारियल |
19 | फल |
20 | मिठाई |
21 | कपूर |
22 | गंगाजल |
23 | माचिस |
24 | हवन सामग्री |
25 | ब्राह्मणों के लिए दक्षिणा |
Conclusion:-
गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) का पालन करने से भक्तों को आध्यात्मिक लाभ और भगवान शिव-पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया व्रत एवं त्योहार से संबंधित हमारे और भी लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. जुलाई 2024 में गुरु प्रदोष व्रत कब है?
Ans. 2024 में गुरु प्रदोष व्रत 18 जुलाई, बुधवार को है।
Q. गुरु प्रदोष व्रत का क्या महत्व है?
Ans. हिंदू धर्म में गुरु प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ माना जाता है। श्रद्धा और निष्ठा से इस व्रत को करने से आशीर्वाद, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन की बाधाओं और चुनौतियों को पार करने में भी यह मददगार होता है।
Q. गुरु प्रदोष व्रत की पूजा के लिए क्या सामग्री चाहिए?
Ans. गुरु प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शिवलिंग, भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर या मूर्ति, फूल, धूप, घंटी, दीपक और प्रसाद चाहिए। भक्त भगवान शिव को बेलपत्र, दूर्वा और भांग भी अर्पित करते हैं।
Q. गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है?
Ans. गुरु प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल (सायंकाल) को पूजा के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है। वर्ष 2024 में 18 जुलाई को प्रदोष काल शाम 08:44 बजे से शुरू होकर 19 जुलाई को रात 09:22 बजे तक रहेगा।
Q. गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि में पूजा स्थल की सफाई, शिवलिंग और अन्य पूजन सामग्री की स्थापना, भगवान शिव और माता पार्वती को फूल, धूप आदि अर्पित करना और मंत्रों व प्रार्थनाओं का पाठ करना शामिल है। भक्त पूजा के दौरान शिव तांडव स्तोत्रम और महा मृत्युंजय मंत्र का भी जाप करते हैं।
Q. गुरु प्रदोष व्रत करने से क्या लाभ होते हैं?
Ans. गुरु प्रदोष व्रत करने से आशीर्वाद, समृद्धि और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है। यह जीवन की बाधाओं और चुनौतियों को पार करने तथा शत्रुओं पर विजय पाने में भी मददगार होता है। विवाहित महिलाएं सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए शिव-पार्वती का आशीर्वाद पाने हेतु यह व्रत करती हैं।