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Mata Shailputri ki Kahani: नवरात्रि के पहले दिन क्यों होती है देवी शैलपुत्री की पूजा?, जानिए इनकी उत्पत्ति, स्तोत्र, मंत्र, प्रिय पुष्प आरती इत्यादि के बारे में l

Mata Shailputri ki Kahani
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माता शैलपुत्री की कहानी (Mata Shailputri ki Kahani): हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत महत्व रखता है, और इस पर्व में देवी माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ रूपों में से पहली शक्ति है माता शैलपुत्री, जो भगवान शिव की पत्नी हैं। माता शैलपुत्री की महिमा और शक्ति के बारे में जानने के लिए, हमें उनकी उत्पत्ति, स्वरूप, और पूजा विधि के बारे में जानना होगा। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है, और इस दिन भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। माता शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और शक्ति की प्राप्ति होती है, और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता शैलपुत्री की उत्पत्ति कैसे हुई और उनकी प्रार्थना कैसे की जाती है? क्या आप जानते हैं कि माता शैलपुत्री का स्वरूप वर्णन क्या है और उनका प्रमुख मंत्र क्या है? इस लेख में, हम माता शैलपुत्री के बारे में विस्तार से जानेंगे और उनकी महिमा को समझेंगे। हम आपको बताएंगे कि माता शैलपुत्री की उत्पत्ति, स्वरूप, और पूजा विधि क्या है, और उनका प्रमुख मंत्र और प्रिय पुष्प क्या है। 

तो आइए, माता शैलपुत्री के बारे में जानें और उनकी शक्ति का लाभ उठाएं। इस लेख के माध्यम से, हम माता शैलपुत्री की महिमा को समझेंगे और उनकी पूजा करने की विधि को जानेंगे….

देवी माता शैलपुत्री कौन हैं? (Devi Mata Shailputri kaun Hain)

माता शैलपुत्री (Mata Shailputri) देवी दुर्गा (Devi Durga) के नौ रूपों में से एक हैं। वह हिमालय की पुत्री हैं और उनके पूजा व्रत का प्रमुख दिन नवरात्रि का प्रथम दिन है। माता शैलपुत्री का वाहन बैल है और उनके हाथों में त्रिशूल तथा कमल होता है।

देवी माता शैलपुत्री की उत्पत्ति कैसे हुई? (Devi Mata Shailputri ki Utpatti kaise Hui)

माता शैलपुत्री (Mata Shailputri) देवी दुर्गा के नौ रूपों में पहली देवी हैं। इनकी उत्पत्ति का संबंध एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा से है। कहा जाता है कि जब भगवान शंकर (Bhagwan Shankar) की पत्नी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर आत्मदाह कर लिया, तो भगवान शंकर अत्यंत शोकित हुए। उनकी शोकमग्न अवस्था से संसार का संतुलन बिगड़ने लगा। तब भगवान शंकर ने सती के शरीर को लेकर तांडव करना शुरू किया, जिससे देवता और ब्रह्मा जी डर गए।

तब ब्रह्मा जी ने परम शक्ति की प्रार्थना की, जिससे सती ने पुनः जन्म लिया। इस बार उन्होंने हिमालय पर्वत की बेटी के रूप में जन्म लिया और उन्हें शैलपुत्री नाम दिया गया। शैलपुत्री (Mata Shailputri) का जन्म भगवान शंकर की शक्ति का रूप था, जो पार्वती के रूप में उनके साथ विवाह करने के लिए जन्मी। इस प्रकार शैलपुत्री देवी की उत्पत्ति हुई।

नवरात्रि पूजा (Navaratri Puja)

नवरात्रि (Navaratri) के पहले दिन मां शैलपुत्री (Mata Shailputri) की पूजा का विशेष महत्व है। वे हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं, और इसी कारण उनका यह दिव्य रूप शैलपुत्री (Mata Shailputri) कहलाता है। उनकी आराधना से मनुष्य अपनी सभी इच्छाओं की प्राप्ति कर सकता है। यदि भक्त माता के इस रूप को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो उन्हें विशेष ध्यान मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से मां शैलपुत्री शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्त की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं।

शासनाधीन ग्रह (Shashnadheen Grah)

माता शैलपुत्रि (Mata Shailputri) का शासनाधीन ग्रह चंद्रमा है। वे इस ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा और शीतलता को धारण करती हैं, जो साहस, शक्ति और वीरता का प्रतीक होता है।

स्वरूप वर्णन (Swaroop Varnan)

माँ शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की कन्या माना जाता है, जिनका वाहन वृषभ है। इस कारण उन्हें वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी पूज्य माना जाता है। देवी सती के पुनर्जन्म के समय, माँ शैलपुत्री ने इसी रूप में प्रकट होकर देवी के पहले रूप के रूप में पूजा प्राप्त की। उनकी उत्पत्ति शैल से हुई है, जो उनके दिव्य और पवित्र रूप को दर्शाता है। नवदुर्गाओं में पहले स्थान पर विराजित माँ शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं, जो न केवल भक्तों को सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि पापियों का विनाश भी करता है। उनके बाएं हाथ में सुसज्जित कमल का फूल ज्ञान और शांति का प्रतीक है, जो भक्तों को आंतरिक शांति और सच्चे ज्ञान की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।

प्रिय पुष्प (Priya Pushp)

माता शैलपुत्रिका का प्रिय पुष्प गुड़हल है। यह पुष्प उनकी पूजा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और श्रद्धालुओं द्वारा इसे अर्पित किया जाता है।

मन्त्र (Mantra)

  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।

प्रार्थना (Prarthana)

  • ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ -वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

स्तुति (stuti)

  • या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

स्तोत्र (Stotra)

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

आरती

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।


शैलपुत्री पूजा मंत्र


नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा करते समय नीचे दिए गए बीज मंत्रों का जाप अवश्य करें।

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी
पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी
रत्नयुक्त कल्याणकारिणी

ओम् ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:

बीज मंत्र- ह्रीं शिवायै नम:

वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्

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Conclusion:-Mata Shailputri ki kahani

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा) Mata Shailputri ki kahani यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s:-Mata Shailputri ki kahani

Q. माता शैलपुत्री कौन हैं?

Ans. माता शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं। वह हिमालय की पुत्री हैं और उनका वाहन बैल है। उनका प्रमुख पूजा व्रत नवरात्रि के पहले दिन होता है।

Q. माता शैलपुत्री की उत्पत्ति कैसे हुई?

Ans. माता शैलपुत्री का जन्म देवी सती के पुनर्जन्म के रूप में हुआ। उन्हें हिमालय की बेटी के रूप में जन्म लिया और भगवान शंकर के साथ विवाह के लिए पार्वती के रूप में प्रकट हुईं।

Q. माता शैलपुत्री का प्रिय पुष्प कौन सा है?

Ans. माता शैलपुत्री का प्रिय पुष्प गुड़हल है, जिसे भक्त उनकी पूजा में अर्पित करते हैं।

Q. नवरात्रि के पहले दिन किस देवी की पूजा की जाती है?

Ans. नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है।

Q. माता शैलपुत्री का शासनाधीन ग्रह कौन सा है?

Ans. माता शैलपुत्री का शासनाधीन ग्रह चंद्रमा है, जो शक्ति, साहस और शीतलता का प्रतीक है।

Q. माता शैलपुत्री के हाथ में क्या क्या होता है?

Ans. माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता है।