ओम जय जगदीश आरती (Om Jai Jagdish Hare): हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता और संरक्षक के रूप में पूजा जाता है। त्रिमूर्ति के तीन प्रमुख देवताओं—ब्रह्मा, विष्णु और महेश—में विष्णु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी भक्ति और आराधना में “जय जगदीश हरे” आरती का विशेष महत्व है। यह आरती न केवल श्रद्धालुओं की आस्था और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और दार्शनिक अर्थ भी निहित है।
भगवान विष्णु की आरती करते समय कुछ नियमों और परंपराओं का पालन करना अनिवार्य माना जाता है। माना जाता है कि इन नियमों का पालन करने से आरती का प्रभाव अधिक होता है और भक्त को भगवान की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन अक्सर यह सवाल उठता है कि विष्णु जी की आरती को इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? इसका उत्तर भगवान विष्णु के अद्वितीय गुणों और सृष्टि में उनके विशेष योगदान में छिपा है।
आरती के माध्यम से भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान किया जाता है, जो उनके भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आंतरिक संतोष प्रदान करता है। “जय जगदीश हरे” आरती की लिरिक्स में भगवान के नाम, रूप और लीलाओं का सुंदर वर्णन है, जो भक्तों को ईश्वर के प्रति अधिक श्रद्धा और प्रेम से भर देता है।
इस लेख में हम भगवान विष्णु के महत्व, उनकी आरती के नियम, और “जय जगदीश हरे” आरती के शब्दों,ॐ जय जगदीश हरे का महत्व पर चर्चा करेंगे। लेख के अंत में आरती का पीडीएफ भी उपलब्ध होगा, जिसे आप डाउनलोड कर सकते हैं। आइए, भगवान विष्णु की भक्ति में डूबें और उनकी कृपा का अनुभव करें।
ओम जय जगदीश आरती के बारे में | About Om Jai Jagdish Hare
“ओम जय जगदीश हरे” एक बहुत लोकप्रिय हिंदी भक्ति गीत है। यह पंडित शारदाराम फिल्लौरी (Pandit Shardaram Phillauri) द्वारा पंजाब, भारत में लिखा गया था। इसकी रचना लगभग 1870 के दशक में की गई थी। इसमें भगवान विष्णु की स्तुति और भक्त को दुखों और संकटों से बचाने का अनुरोध शामिल है। कई गैर-हिन्दी भाषी लोग इसे प्रार्थना के रूप में भी प्रयोग करते हैं।
ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में । Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्त जानो के संकट, दास जानो के संकट, संकट में डर करे |
ॐ जय जगदीश हरे ||जो ध्यावे फल पावे, दुःख-बिन से मन का, स्वामी दुःख-बिन से मन का |
सुख संपति घर आवे, सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का |
ॐ जय जगदीषा हरे ||मात पिता तुम मेरे, शरणं गहुउ मैम किसकी, स्वामी शरणं गहुउ मैम किसकी |
तुम बिन और ना दूजा, तुम बिन और ना दूजा, आस करुउ माई जिसकी |
ॐ जय जगदीश हरे ||तुम पुराणन् परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी |
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी |
ॐ जय जगदीश हरे ||तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता, स्वामी तुम पालन-कर्ता |
माई मूरख फल-कामी माई सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भरता | ॐ जय जगदीश हरे ||तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण-पति, स्वामी सबके प्राण-पति |
किस विध मिलु दयामय, किसा विध मिलु दयामय, तुमको माई कुमति |
ॐ जय जगदीश हरे ||दीना-बंधु दुख-हरता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे |
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ द्वार पैदा करो तेरे |
ॐ जय जगदीश हरे ||विसाय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वामी पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतान की सेवा |
ॐ जय जगदीश हरे ||
विष्णु भगवान की आरती PDF Download | Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Download
भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) जी की आरती ‘ओम जय जगदीश हरे लिखित में PDF’ के जरिए प्रदान कर रहे हैं, भगवान विष्णु जी की आरती डाउनलोड करने के बाद आप आरती का आनंद श्रद्धापूर्वक ले सकते हैं।
विष्णु आरती PDF Download | View Aartiओम जय जगदीश आरती फोटो | Om Jai Jagdish Aarti Photo
इस विशेष लेख के जरिए हम आपको भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) जी की आरती की फोटो प्रदान कर रहे हैं, इस फोटो को डाउनलोड करके आप अपने मित्रों व परिवारजनों को साझा कर सकते हैं।
ओम जय जगदीश आरती का महत्व | Om Jai Jagdish Hare Arti Significance
भगवान विष्णु, जिन्हें सृष्टि के पालनकर्ता और संरक्षक के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय हैं। उनकी आरती, विशेष रूप से “जय जगदीश हरे,” का गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह आरती केवल एक भक्ति-गीत नहीं है, बल्कि भगवान विष्णु की महिमा का विस्तार से वर्णन करती है और भक्तों को उनके प्रति समर्पण का अनुभव कराती है।
- ईश्वर के प्रति समर्पण: “जय जगदीश हरे” आरती के माध्यम से भक्त अपने मन, वाणी और कर्म से भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं। यह आरती आत्मा और परमात्मा के बीच के जुड़ाव को मजबूत करती है।
- आध्यात्मिक शांति: इस आरती के गायन से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। विष्णु जी को “नारायण” और “सर्वव्यापी” माना गया है, और उनकी आरती गाने से ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव होता है।
- भवसागर से पार: ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की आरती नियमित रूप से गाने से जीवन के संकट और कष्ट कम होते हैं और भक्त मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं।
- धार्मिक नियमों का पालन: आरती गाने के दौरान स्वच्छता, ध्यान, और पूर्ण श्रद्धा का पालन अनिवार्य है। यह प्रक्रिया भक्त के मन को पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है।
- भगवान की लीलाओं का स्मरण: आरती के शब्दों में भगवान विष्णु की अनंत लीलाओं और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन है, जो भक्तों को प्रेरित करता है और उनके भीतर ईश्वर के प्रति प्रेम को जाग्रत करता है।
“जय जगदीश हरे” आरती को एक साधना के रूप में देखने पर यह न केवल भगवान विष्णु की कृपा पाने का माध्यम है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने और जीवन में संतुलन लाने का मार्ग भी है।
विष्णु भगवान की आरती क्यों की जाती है | Vishnu Bhagwan ki Aarti kyun ki Jati Hai
भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) की आरती का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। “ओम जय जगदीश आरती” विष्णुजी की स्तुति में सबसे प्रचलित है। आरती करने के तीन मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- भक्ति और कृपा प्राप्ति का माध्यम: भगवान विष्णु की आरती, विशेषकर “ओम जय जगदीश आरती,” भक्तों को विष्णुजी की कृपा पाने में सहायता करती है। यह भक्तों के मन में शांति, समर्पण और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- सांसारिक समस्याओं से मुक्ति: विष्णु जी की आरती करने से व्यक्ति अपने कष्टों और समस्याओं से मुक्ति पाने की प्रार्थना करता है। यह भगवान के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और उनकी सहायता पाने का एक सरल और प्रभावी माध्यम है।
- धर्म और आध्यात्मिकता का संवर्धन: “ओम जय जगदीश आरती” गाने से धर्म और आध्यात्मिकता का प्रचार होता है। यह आरती न केवल भगवान विष्णु की महिमा का बखान करती है, बल्कि भक्तों को उनके कर्तव्यों और धार्मिकता की याद दिलाती है।
विष्णु भगवान की आरती के नियम | Vishnu Bhagwan ki Aarti ke Niyam
विष्णु भगवान (Bhagwan Vishnu) की आरती के नियम:
- आरती का समय: विष्णु भगवान की आरती ‘ओम जय जगदीश हरे’ सुबह और शाम दोनों समय की जा सकती है। विशेषकर गुरुवार को विष्णु जी की आरती और पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- आरती की तैयारी: आरती के लिए विष्णु भगवान की मूर्ति या तस्वीर, फूल, अगरबत्ती, घंटी और दीपक इकट्ठा करें। पूजा स्थल को साफ करके मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- आरती की विधि: आरती भगवान के चरणों से शुरू करें। चरणों में 4 बार, नाभि पर 2 बार, मुखमंडल पर 1 बार और सभी अंगों पर 7 बार आरती घुमाएं। इस तरह 14 बार आरती करने से 14 भुवनों तक आपका प्रणाम पहुंचता है।
- आरती के नियम: आरती हमेशा खड़े होकर और झुककर करनी चाहिए। आरती की थाली धातु की होनी चाहिए और उसमें गंगाजल, कुमकुम, चावल, चंदन, अगरबत्ती, फूल और फल या मीठा अवश्य रखें।
आरती का महत्व: नियमित रूप से पूजा-आरती करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। भगवान विष्णु की आरती करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन के संकट दूर होते हैं।
ॐ जय जगदीश हरे के पीछे आध्यात्मिक अर्थ | Spiritual Meaning Behind Om Jai Jagdish Hare
ओम जय जगदीश हरे (Om Jai Jagdish Hare) एक गहरा आध्यात्मिक संदेश देता है। यह व्यक्तियों को उच्च शक्ति के प्रति समर्पण करने और उनके जीवन में दिव्य उपस्थिति को स्वीकार करने के महत्व के बारे में एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है। यह गीत विनम्रता, कृतज्ञता और धार्मिकता की खोज पर जोर देता है, जो व्यक्तियों को आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति के मार्ग की ओर मार्गदर्शन करता है।
हिंदू अनुष्ठानों में ॐ जय जगदीश हरे की भूमिका | Role of Om Jai Jagdish Hare in Hindu Rituals
ओम जय जगदीश हरे (राजलक्ष्मी) को अक्सर आरती अनुष्ठान में शामिल किया जाता है, जिसमें स्तुति के भजन गाते हुए देवता के सामने एक जलता हुआ दीपक लहराना शामिल होता है। यह हिंदू अनुष्ठान प्रथाओं का एक अभिन्न अंग है क्योंकि यह एक पवित्र वातावरण बनाता है और परमात्मा के साथ संचार के एक रूप के रूप में कार्य करता है। यह गीत धार्मिक समारोहों और त्योहारों में आध्यात्मिक उत्साह और भक्ति जोड़ता है।
ओम जय जगदीश हरे (Om Jai Jagdish Hare) के बोल बहुत गहरे हैं और लाखों लोगों के दिलों को छू जाते हैं। यह गीत भगवान विष्णु के विभिन्न नामों के आह्वान के साथ शुरू होता है, जिसमें उनके दिव्य गुणों और ब्रह्मांड के रक्षक और पालनकर्ता के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। गीत के छंद भगवान का आशीर्वाद और दया मांगने, मार्गदर्शन मांगने और उनके प्रति भक्ति व्यक्त करने पर केंद्रित हैं।
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Conclusion
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया विष्णु भगवान की आरती पर लेख आपको पंसद आया होगा।यदि आपके मन में किसी तरह के सवाल है तो उन्हें कमेंट बॉक्स में दर्ज करें,हम जल्द से जल्द आपको उत्तर देने का प्रयास करेंगे।आगे भी ऐसे रोमांच से भरे लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोज़ाना विज़िट करे,धन्यवाद!
FAQ’s
Q. ओम जय जगदीश हरे गीत की रचना किसने की?
ओम जय जगदीश हरे की रचना 19वीं सदी में पंडित शारदा राम फिल्लौरी ने की थी। वह पंजाब, भारत के एक प्रसिद्ध संगीतकार और संगीतकार थे। उनकी रचना लोकप्रिय हो गई और तब से इसे दुनिया भर में लाखों लोगों ने गाया है।
Q. ओम जय जगदीश हरे की कुछ अन्य लोकप्रिय प्रस्तुतियाँ क्या हैं?
ओम जय जगदीश हरे को पिछले कुछ वर्षों में कई कलाकारों द्वारा रिकॉर्ड किया गया है। कुछ प्रसिद्ध प्रस्तुतियों में लता मंगेशकर, अनुराधा पौडवाल और महेंद्र कपूर की प्रस्तुतियाँ शामिल हैं। इन संस्करणों को व्यापक मान्यता मिली है और श्रोता उनकी दिल को छू लेने वाली धुनों के लिए इसे पसंद करते हैं।
Q. क्या गाना किसी भी अवसर पर गाया जा सकता है?
हां, ओम जय जगदीश हरे को विभिन्न धार्मिक और उत्सव के अवसरों पर गाया जा सकता है। यह आम तौर पर धार्मिक समारोहों के दौरान सुना जाता है, जैसे कि हिंदू मंदिरों में की जाने वाली आरती (दीपक लहराने से जुड़ा एक भक्ति अनुष्ठान)। यह गीत दिवाली और जन्माष्टमी जैसे धार्मिक त्योहारों के दौरान आशीर्वाद प्राप्त करने और दैवीय हस्तक्षेप की तलाश के लिए भी गाया जाता है।