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Tanot Mata Mandir Jaisalmer: जैसलमेर का यह मंदिर है बेहद चमत्कारी, पाकिस्तान के गिराए बम आज तक नहीं फटे।

Tanot Mata Mandir Jaisalmer
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तनोट माता मंदिर जैसलमेर (Tanot Mata Mandir Jaisalmer): राजस्थान (Rajasthan) के जैसलमेर (Jaisalmer) जिले में स्थित तनोट माता मंदिर, हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह मंदिर माता तनोट राणी को समर्पित है, जो भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं। तनोट माता मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिक ऊर्जा के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। क्या आप जानते हैं कि तनोट माता मंदिर का इतिहास क्या है? इसकी वास्तुकला कैसी है? मंदिर में दर्शन का समय क्या है? और यहां कैसे पहुंचा जा सकता है? क्या आप जानते हैं कि तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Mandir) का प्रवेश शुल्क क्या है? इस लेख में, हम आपको तनोट माता मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको बताएंगे कि तनोट माता मंदिर की विशेषताएं क्या हैं, इसका महत्व क्या है, और यहां क्या देखा जा सकता है।

यह लेख तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Mandir) के जातकों के लिए तो उपयोगी होगा ही, साथ ही अन्य पर्यटकों को भी तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Mandir) के बारे में जानने में मदद करेगा। तो आइए, जानें तनोट माता मंदिर के बारे में विस्तार से जाने…

तनोट माता मंदिर जैसलमेर क्या है? (Tanot Mata Mandir Jaisalmer kya hai?)

तनोट माता का मंदिर (Tanot Mata Mandir), जैसलमेर (Jaisalmer) जिले से लगभग 130 किमी दूर तनोट नामक गांव में स्थित है। इस मंदिर को ‘तनोट राय’ के नाम से भी जाना जाता है। देवी आवड़, जो मामडिया चारण की पुत्री थीं, को तनोट माता के रूप में पूजा जाता है। प्राचीन चारण साहित्य में तनोट माता को हिंगलाज माता का अवतार माना गया है, जिनका प्रमुख मंदिर वर्तमान पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है। वि.सं. 828 में भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने इस मंदिर का निर्माण कर मूर्ति की स्थापना की थी। आज भी भाटी और जैसलमेर के आस-पास के क्षेत्र के लोग तनोट माता की श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं।

तनोट माता मंदिर जैसलमेर का इतिहास क्या है? (Tanot Mata Mandir Jaisalmer ka itihas kya hai?) 

मंदिर के एक पुजारी ने तनोट माता के इतिहास से जुड़ी एक दिलचस्प कथा का उल्लेख किया। बहुत समय पहले एक मामड़िया चारण थे, जिनके कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति की इच्छा से उन्होंने सात बार पैदल यात्रा कर हिंगलाज माता की उपासना की। हर बार यात्रा में उन्होंने माता से आशीर्वाद मांगा, लेकिन संतान का सुख नहीं मिला। एक रात माता ने स्वप्न में आकर चारण से पूछा, “तुम्हें बेटा चाहिए या बेटी?” चारण ने बड़ी श्रद्धा से उत्तर दिया, “मुझे कुछ नहीं चाहिए, आप स्वयं मेरे घर जन्म लें।” इस अनोखी भक्ति से प्रसन्न होकर हिंगलाज माता ने उन्हें आशीर्वाद दिया, जिसके फलस्वरूप उनके घर सात पुत्रियों और एक पुत्र का जन्म हुआ। 

उन्हीं सात पुत्रियों में से एक देवी आवड़ थीं, जिन्हें आज तनोट माता के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि के पावन अवसर पर तनोट माता मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है, जहां हर किसी की आस्था का सैलाब देखा जा सकता है। यहां आने वाले भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं और दिन में दो बार—दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे होने वाली आरती में सम्मिलित होते हैं। 

तनोट माता की आरतियों में पूरे मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है, और आरती के बाद चारों ओर माता के जयकारों से मंदिर गूंज उठता है। यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है, विशेष रूप से 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के बाद इसकी ख्याति और बढ़ी है। तनोट माता को “रुमाल वाली देवी” के नाम से भी जाना जाता है, और भक्तगण यहां रुमाल बांधकर मन्नत मांगते हैं, जिसे पूरी होने पर वापस आकर खोलते हैं।

इस अनोखी परंपरा का पालन आम जनता के साथ ही मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी, सेना और सीमा सुरक्षा बल के जवान भी करते हैं। जैसलमेर के पास स्थित इस मंदिर को युद्ध के समय पाकिस्तान द्वारा गिराए गए हजारों बमों से भी कोई नुकसान नहीं हुआ। सैकड़ों बम मंदिर के आसपास गिरे, लेकिन एक भी बम फटा नहीं। आज भी वे बम मंदिर परिसर में रखे हुए हैं, जो तनोट माता की दिव्य शक्ति और आस्था का प्रतीक बने हुए हैं।

तनोट माता मंदिर की वास्तुकला कैसी है? (Tanot Mata Mandir Jaisalmer ki Vastu Kala kaisi hai?)

तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Mandir) की वास्तुकला अपनी सादगी में भी गहरी आकर्षक है। मंदिर की दीवारें और छतें अत्यंत बारीक नक्काशी और मूर्तियों से अलंकृत हैं, जो इसकी भव्यता को और भी प्रभावी बनाती हैं। मुख्य द्वार पर दोनों ओर दो विशालकाय हाथियों की प्रतिमाएं खड़ी हैं, जो आगंतुकों का स्वागत करती हैं, और भीतर प्रवेश करते ही तनोट देवी की एक भव्य मूर्ति दिखाई देती है। गर्भगृह में स्थित देवी के पवित्र पादुका (पैरों के निशान) को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस मंदिर की स्थापत्य कला विशेष है, जो प्राकृतिक पवन ऊर्जा के उपयोग की क्षमता रखती है, और पर्यटक यहां पवन ऊर्जा जनरेटर भी देख सकते हैं। लगभग 1200 वर्ष पहले भाटी राजपूत राव तनुजी द्वारा निर्मित यह प्राचीन मंदिर न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि अपनी सरल और मनोहारी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है।

तनोट माता मंदिर जैसलमेर कैसे पहुंचे? (Tanot Mata Mandir Jaisalmer kaise pahunche?)

  • हवाई मार्ग: तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Mandir) के लिए निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है, जो लगभग 300 किलोमीटर दूर है। जोधपुर से जैसलमेर तक टैक्सी से 4 घंटे का सफर होता है, और फिर जैसलमेर से मंदिर तक पहुंचने में लगभग 2 घंटे लगते हैं।
  • सड़क मार्ग: जैसलमेर से तनोट माता मंदिर लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसे कार, बस या टैक्सी से 2 घंटे में तय किया जा सकता है। यह मंदिर भारत-पाक सीमा के निकट है।
  • रेल मार्ग: जैसलमेर रेलवे स्टेशन, जो मंदिर से लगभग 123 किलोमीटर दूर है, निकटतम रेलवे स्टेशन है। वहां से टैक्सी या कैब द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

तनोट माता मंदिर जैसलमेर में दर्शन का समय क्या है? (Tanot Mata Mandir Jaisalmer mein Darshan ka samay kya hai?)

तनोट माता मंदिर (Tanot Mata Mandir), जैसलमेर (Jaisalmer), भक्तों के लिए पूरे सप्ताह खुला रहता है, जहां आप सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम 8:00 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। यहां हर दिन शाम 6:00 बजे से 7:00 बजे के बीच होने वाली आरती भक्तों के बीच खास आकर्षण का केंद्र है, जो दिव्यता और श्रद्धा से परिपूर्ण होती है। 

तनोट माता मंदिर जैसलमेर में प्रवेश शुल्क क्या है? (Tanot Mata Mandir Jaisalmer mein Darshan ka samay kya hai?)

जैसलमेर में प्रसिद्ध देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिर तनोट माता मंदिर में भक्तों से किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है। 

Conclusion:-Tanot Mata Mandir Jaisalmer

आशा करते हैं की (तनोट माता मंदिर जैसलमेर) से संबंधित यह बेहद खास लेख आपको पसंद आया होगा अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in/ पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

1. तनोत माता मंदिर कहाँ स्थित है?

तनोत माता मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है, जो भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट है। यह मंदिर जैसलमेर शहर से लगभग 120 किलोमीटर दूर है।

2. तनोत माता मंदिर का क्या इतिहास है?

तनोत माता को हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इन युद्धों के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा दागे गए सैकड़ों बम मंदिर के आस-पास गिरे, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। इसे माता की चमत्कारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

3. क्या तनोट माता मंदिर में प्रवेश शुल्क है?

नहीं, तनोट माता मंदिर में प्रवेश निशुल्क है। सभी भक्त बिना किसी शुल्क के यहां आ सकते हैं और माता के दर्शन कर सकते हैं।

4. तनोत माता मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है?

जैसलमेर से तनोट माता मंदिर तक पहुँचने के लिए निजी टैक्सी या बस सेवा का उपयोग किया जा सकता है। सड़क मार्ग द्वारा मंदिर तक पहुंचना आसान है। निकटतम रेलवे स्टेशन जैसलमेर है, और सबसे निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर में स्थित है।

5. तनोत माता मंदिर का दर्शन करने का सही समय कौन सा है?

तनोत माता मंदिर में दर्शन करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब मौसम ठंडा और सुखद होता है। गर्मी के मौसम में तापमान काफी अधिक हो सकता है, जिससे यात्रा कठिन हो सकती है।

6. क्या तनोट माता मंदिर के पास ठहरने की सुविधा है?

तनोत माता मंदिर के निकट ठहरने की विशेष सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन जैसलमेर में कई होटल और गेस्ट हाउस हैं जहां पर्यटक आराम से ठहर सकते हैं। इसके अलावा, बीएसएफ कैंप के पास कुछ विश्राम गृह भी हैं जो विशेष अनुमति के साथ उपयोग किए जा सकते हैं।

7. तनोत माता मंदिर के पास अन्य आकर्षण क्या हैं?

तनोत माता मंदिर के पास भारत-पाकिस्तान सीमा का ऐतिहासिक स्थल ‘लौंगेवाला पोस्ट’ स्थित है, जहां 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने वीरता से विजय प्राप्त की थी। यह स्थान युद्ध के इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

8. क्या मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति है?

मंदिर के परिसर में सामान्य फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन कृपया परिसर के नियमों का पालन करें। कुछ सीमित क्षेत्र हो सकते हैं जहां फोटोग्राफी प्रतिबंधित हो सकती है, इसलिए स्थानीय गाइड या सुरक्षा कर्मियों से जानकारी लेना उचित होगा।

9. तनोत माता मंदिर से जुड़े किस प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान होते हैं?

मंदिर में नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। विशेष अवसरों पर, जैसे नवरात्रि के दौरान, यहाँ विशेष पूजा, भजन और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त हिस्सा लेते हैं।

10. क्या तनोट माता मंदिर से जुड़े कोई प्रसिद्ध मेले या उत्सव होते हैं?

नवरात्रि के दौरान तनोट माता मंदिर में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं, जिसमें दूर-दूर से लोग आकर भाग लेते हैं। इस समय मंदिर में धार्मिक गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।