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Prayagraj Mahakumbh Mela 2025: प्रयागराज में कब से हो रहा है, महाकुंभ का आयोजन क्या है, इसका धार्मिक महत्व जाने इस लेख में।

Prayagraj Mahakumbh Mela 2025
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प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 | Prayagraj Mahakumbh Mela 2025: अप्रैल 2025 में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार आने वाले हैं, जो हमारे जीवन में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। इन त्यौहारों में कामदा एकादशी, रामनवमी, रोहिणी व्रत, चतुर्थी व्रत, गुड फ्राइडे, और हनुमान जयंती शामिल हैं। ये त्यौहार न केवल हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ते हैं, बल्कि हमें आध्यात्मिक ज्ञान और शांति की प्राप्ति भी कराते हैं।

इन त्यौहारों के महत्व और उनके पीछे की कहानियों को जानने से हमें अपनी जड़ों को समझने और अपनी संस्कृति को समृद्ध बनाने में मदद मिलती है। यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि ये त्यौहार क्यों मनाए जाते हैं और उनके पीछे की पौराणिक कथाएं क्या हैं। इन त्यौहारों के दौरान, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। इन त्यौहारों का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। ये त्यौहार हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझने और समृद्ध बनाने में मदद करते हैं। 

इस लेख में, हम आपको अप्रैल 2025 में आने वाले विशेष व्रत और त्यौहारों की एक पूरी लिस्ट प्रदान करेंगे, साथ ही हम आपको इन त्यौहारों के महत्व, उनके पीछे की कहानियों, और उनके आयोजन के तरीकों के बारे में भी बताएंगे….

महाकुंभ क्या होता है | Mahakumbh kya Hota Hai

Mahakumbh kya Hota Hai

महाकुंभ (Mahakumbh) हिंदू धर्म का एक अनुपम और पवित्र पर्व है, जो हर 12 वर्ष के अंतराल पर चार दिव्य स्थलों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में बड़े धूमधाम से आयोजित होता है। इस महायोग के दौरान लाखों श्रद्धालु और संत पवित्र नदियों – गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर आत्मशुद्धि और आध्यात्मिकता की अनुभूति के लिए एकत्रित होते हैं। मान्यता है कि इस पुण्य अवसर पर इन नदियों में डुबकी लगाने से जीवन के समस्त पापों का क्षय होता है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। यह महापर्व केवल धार्मिकता का नहीं, बल्कि सहिष्णुता, एकता और भाईचारे का भी प्रतीक माना जाता है।

महाकुंभ मेला 2025 शाही स्नान तिथियां | Mahakumbh 2025 Shahi Snan Dates

  • पौष पूर्णिमा – 13 जनवरी 2025
  • मकर संक्रांति – 14 जनवरी 2025
  • मौनी अमावस्या – 29 जनवरी 2025
  • बसंत पंचमी – 3 फरवरी 2025
  • माघ पूर्णिमा – 12 फरवरी 2025
  • महाशिवरात्रि – 26 फरवरी 2025

प्रयागराज में महाकुंभ क्यों हो रहा है | Prayagraj Mein hi Mahakumbh kyon Ho Raha Hai

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और धार्मिक पर्व है, जिसकी शुरुआत पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। यह कथा समुद्र मंथन से संबंधित है, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया। मंथन के दौरान अमृत का घट उत्पन्न हुआ, जिसे प्राप्त करने के लिए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को अमृत के घड़े की रक्षा का जिम्मा सौंपा। गरुड़, अमृत के घड़े को लेकर आकाश में उड़ते हुए, कुछ बूंदों को चार पवित्र स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में गिरा दिया। तभी से इन स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित होने की परंपरा शुरू हुई।

इसके अलावा, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच 12 दिवसीय युद्ध को मानव वर्षों में 12 वर्षों के बराबर माना गया है, यही कारण है कि हर बार 12 वर्ष के अंतराल पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। प्रयागराज का स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां तीन पवित्र नदियों—गंगा, यमुना और सरस्वती—का संगम होता है। हालांकि सरस्वती नदी आज विलुप्त हो चुकी है, फिर भी इसका महत्व जीवित है, क्योंकि इसे पृथ्वी के भीतर बहते हुए माना जाता है।

प्रयागराज का यह संगम स्थल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कलयुग के अंत का प्रतीक है। मान्यता है कि इस स्थान पर शाही स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। यही कारण है कि प्रयागराज को अन्य स्थानों की तुलना में अधिक पवित्र और प्रभावशाली माना जाता है। यहाँ के पवित्र जल में डुबकी लगाने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि आत्मा को परम शांति की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, कुंभ मेला एक अद्भुत धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जो न केवल भौतिक बल्कि आत्मिक मुक्ति की ओर भी मार्गदर्शन करता है।

कबसे मनाया जा रहा है महाकुंभ | Kabse Manaya ja Raha Hai Mahakumbh

Kabse Manaya ja Raha Hai Mahakumbh

प्रयागराज में महाकुंभ मेला सदियों से एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा रहा है। यह मेला गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम तट पर आयोजित होता है, जहाँ करोड़ों श्रद्धालु स्नान और पूजा-अर्चना के लिए एकत्रित होते हैं। महाकुंभ को हिंदू धर्म का सबसे विशाल और महत्वपूर्ण आध्यात्मिक आयोजन माना जाता है।

पिछले महाकुंभों की बात करें तो, 1989 में महाकुंभ का आयोजन भव्य तरीके से हुआ था। इसके बाद, 12 साल बाद 2001 में फिर से यह मेला आयोजित किया गया और फिर 2013 में एक और भव्य आयोजन हुआ। अब, आगामी महाकुंभ 2025 में होगा, जो 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक चलेगा। इस दौरान, श्रद्धालु 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या), और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) को शाही स्नान करेंगे। इसके अतिरिक्त, 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा), 12 फरवरी (माघी पूर्णिमा), और 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को भी शाही स्नान होंगे।

महाकुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और विश्वास का प्रतीक भी है, जो श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है।

  • प्रारंभ तिथि – 1989 से अभी तक
S.NOस्थान&आयोजन वर्ष
1प्रयागराज महाकुंभ 1989
2प्रयागराज महाकुंभ2001
3प्रयागराज महाकुंभ2013
4प्रयागराज महाकुंभ2025 (आगामी)

महाकुंभ मेले में जाने का रास्ता | Mahakumbh Mela Mein jane ka Rasta

  • वायु मार्ग: प्रयागराज का अपना हवाई अड्डा है, बाबातपुर एयरपोर्ट। देश के प्रमुख शहरों से यहां सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से मेला क्षेत्र तक पहुंचने के लिए आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा का उपयोग कर सकते हैं। यह सबसे तेज़ और सुविधाजनक विकल्प है, खासकर लंबी दूरी से आने वाले यात्रियों के लिए।
  • प्रयागराज हवाई अड्डा पूर्व में (इलाहाबाद एयरपोर्ट) से त्रिवेणी संगम की दूरी लगभग 13 किमी है। ड्राइविंग या ऑटो रिक्शा से आप मात्र 15 मिनट में संगम पहुंच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग: प्रयागराज अच्छी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। देश के विभिन्न हिस्सों से बसें और निजी वाहन यहां आते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्रयागराज को देश के अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं। मेला के समय, अतिरिक्त बसें और अन्य परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
  • त्रिवेणी संगम के निकट बस स्टेशन ‘दारागंज बस ऑटो स्टॉप’ है यहां से आप बस लेकर त्रिवेणी संगम पहुंच सकते हैं ऑटो स्टॉप से संगम की दूरी केवल 4.3 किलोमीटर है और आप केवल 9 मिनट में ही संगम घाट पर पहुंच जाएंगे
  • रेल मार्ग: प्रयागराज रेलवे स्टेशन उत्तर भारत का एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है। देश के विभिन्न हिस्सों से यहां ट्रेनें आती हैं। रेलवे स्टेशन से मेला क्षेत्र तक पहुंचने के लिए आप टैक्सी, ऑटो रिक्शा या बस का उपयोग कर सकते हैं। रेल यात्रा एक किफायती विकल्प है और आप यात्रा के दौरान आसपास के दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
  • प्रयागराज रेलवे स्टेशन से त्रिवेणी संगम की दूरी केवल 9.2 किलोमीटर  है टैक्सी या ऑटो की सहायता से आप यहां आधे घंटे में ही पहुंच जाएंगे
  • प्रयागराज जंक्शन, पूर्व में इलाहाबाद जंक्शन, प्रमुख रेलवे स्टेशन है, जो भारत के शहरों से जुड़ा है। यहां से 10 किमी दूर त्रिवेणी संगम पहुंचने के लिए टैक्सी, ऑटो उपलब्ध हैं।

नोट: महाकुंभ के दौरान यात्रा करने की योजना बनाते समय, आपको पहले से ही अपनी यात्रा की बुकिंग कर लेनी चाहिए, क्योंकि भीड़ बहुत होती है। 

Conclusion

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया ( प्रयागराज में कबसे मनाया जा रहा है, महाकुंभ) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s

Q. महाकुंभ क्या होता है?

Ans. महाकुंभ हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो हर 12 वर्ष के अंतराल पर प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। इस दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए एकत्रित होते हैं।

Q. महाकुंभ मेला क्यों प्रयागराज में आयोजित होता है?

Ans. महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में होता है क्योंकि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। इसे विशेष धार्मिक स्थान माना जाता है और यहां स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Q. महाकुंभ का आयोजन क्यों हर 12 साल में होता है?

Ans. महाकुंभ हर 12 साल में होता है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और असुरों के बीच युद्ध को 12 वर्षों के बराबर माना गया था, और अमृत की बूंदें चार पवित्र स्थानों पर गिरीं।

Q. महाकुंभ मेला कब से मनाया जा रहा है?

Ans. महाकुंभ मेला सदियों से मनाया जा रहा है, और इसका आयोजन पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। पहले महाकुंभ का आयोजन 1989 में हुआ था, और आगामी महाकुंभ 2025 में होगा।

Q. महाकुंभ मेले के दौरान प्रमुख स्नान तिथियाँ कौन सी हैं?

Ans. महाकुंभ मेले में प्रमुख स्नान तिथियाँ 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या), और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) हैं, साथ ही 12 फरवरी (माघी पूर्णिमा) और 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को भी शाही स्नान होंगे।

Q. महाकुंभ में कितने स्थानों पर आयोजन होता है?

Ans. महाकुंभ मेला चार पवित्र स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।