Home हिन्दू पंचांग कैलेंडर हिन्दू कैलेंडर सितम्बर 2025 में कौन-कौन से व्रत, त्यौहार, और तिथियां हैं? पूरी...

हिन्दू कैलेंडर सितम्बर 2025 में कौन-कौन से व्रत, त्यौहार, और तिथियां हैं? पूरी डेट लिस्ट पढ़ें | September Festival List 2025

September Festival List 2025
Join Telegram Channel Join Now

सितम्बर कैलेंडर 2025 (September  Calendar 2025):-सितंबर 2025 में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार आने वाले हैं, जो हमारे जीवन में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। इन त्यौहारों में प्रदोष व्रत, ओणम, रोहिणी व्रत, कालाष्टमी, शरद ऋतू, अग्रसेन जयंती, सोमवार व्रत, नवरात्री, मास शिवरात्रि, माघ श्राद्ध, प्रदोष व्रत, कन्या संक्रांति, इंदिरा एकादशी, और विश्वकर्मा जयंती शामिल हैं। इन त्यौहारों का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। ये त्यौहार हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझने और समृद्ध बनाने में मदद करते हैं। इन त्यौहारों के दौरान, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। हम आपको सितंबर 2025 में आने वाले विशेष व्रत और त्यौहारों की सम्पूर्ण सूची प्रदान करेंगे, साथ ही हम आपको इन सभी त्यौहारों के महत्व, उनके पीछे की कहानियों, और उनके आयोजन के तरीकों के बारे में भी बताएंगे। 

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ये त्यौहार क्यों मनाए जाते हैं और उनके पीछे की पौराणिक कथाएं क्या हैं, तो इन सभी व्रत एवं त्योहार के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें…

तारीख दिनत्यौहार 
03-09-2025बुधवारपार्ष्व एकादशी
05-09-2025शुक्रवारशिक्षक दिवस,  प्रदोष व्रत, ओणम
06-09-2025शनिवारगणेश विसर्जन
07-09-2025रविवारभाद्रपद पूर्णिमा
08-09-2025सोमवारप्रतिपदा श्राद्ध
10-09-2025बुधवारसंकष्टी गणेश चतुर्थी
11-09-2025बृहस्पतिवारभरणी श्राद्ध
14-09-2025रविवारराष्ट्रीय भाषा दिवस, रोहिणी व्रत, कालाष्टमी
15-09-2025शुक्रवारअविधवा नवमी
17-09-2025बुधवारकन्या संक्रांति, इंदिरा एकादशी, विश्वकर्मा जयंती
19-09-2025शुक्रवारमास शिवरात्रि, माघ श्राद्ध, प्रदोष व्रत
21-09-2025रविवारमहालय श्राद्ध पक्ष पूर्ण, अमावस्या
22-09-2025सोमवारशरद ऋतू, अग्रसेन जयंती, सोमवार व्रत, नवरात्री
23-09-2025मंगलवारचंद्र दर्शन, सिंधारा दूज
25-09-2025बृहस्पतिवारवरद चतुर्थी
26-09-2025शुक्रवारललित पंचमी
27-09-2025शनिवारविश्व पर्यटन दिवस
28-09-2025रविवारषष्टी, दुर्गा पूजा
29-09-2025सोमवारसरस्वती आवाहन
30-09-2025मंगलवारदुर्गाष्टमी व्रत, सरस्वती पूजा, दुर्गाष्टमी

हिन्दू कैलेंडर सितंबर, 2025 | September 2025 Hindu Calendar

ऊपर हम आपको सितंबर महीने के सभी त्योहारों की लिस्ट इमेज के माध्यम से प्राप्त करा रहे हैं जिसमें आप देख सकते हैं कि कौनसा त्यौहार किस तारीख को है और उसका शुभ मुहूर्त क्या है। आप इस इमेज को डाउनलोड कर सकते है और अपन मित्रो को शेयर कर सकते हैं।

1. पार्श्व एकादशी

पार्श्व एकादशी, जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी के रूप में मनाई जाती है, को विभिन्न नामों से भी जाना जाता है—परिवर्तिनी एकादशी, जलझूलनी एकादशी, देवझूलनी एकादशी, और वामन एकादशी। इस वर्ष, 2025 में यह पवित्र दिन 3 सितंबर, शनिवार को पड़ रहा है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, यह वही दिन है जब भगवान विष्णु योग निद्रा से जागकर करवट लेते हैं।

  • दिनांक- 3 सितंबर 2025 :-प्रारंभ तिथि- (3 सितंबर सुबह 3:53 बजे)
  • दिन- बुधवार:-समापन तिथि – (4 सितंबर 4:22 बजे)

2. शिक्षक दिवस । Teacher’s Day

दुनिया के कई देशों में शिक्षकों के योगदान और उनकी महत्ता को मान्यता देने के लिए शिक्षक दिवस मनाया जाता है। कुछ देशों में इस दिन छुट्टी रहती है, जबकि अन्य देशों में कामकाजी दिन के दौरान इसे मनाया जाता है। भारत में यह विशेष दिन भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो शिक्षकों के प्रति सम्मान और आदर को दर्शाता है।

  • दिनांक- 5 सितंबर 2025
  • दिन- शुक्रवार 

3. गणेश विसर्जन । Ganesh Visarjan

गणेश विसर्जन, भगवान गणेश की प्रतिमा को जल में विसर्जित करने की प्रक्रिया है, जो गणेश चतुर्थी के त्योहार के समापन पर होती है। यह परंपरा विशेष रूप से महाराष्ट्र और अन्य हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। विसर्जन का मुख्य उद्देश्य यह है कि जैसे भगवान गणेश धरती पर आए थे और मनुष्यों की भलाई के लिए कार्य किए, वैसे ही उन्हें वापस उनके मूल स्थान पर भेज दिया जाए। इसे एक तरह से भगवान से विदाई का प्रतीक माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु गणेश प्रतिमा को पानी में विसर्जित करने के लिए जुलूस निकालते हैं और भक्ति गीत गाते हैं। विसर्जन का समय आमतौर पर अनंत चतुर्दशी को होता है, जो गणेश चतुर्थी के 10वें दिन होता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी यह एक खास अवसर होता है, जब लोग एक साथ आकर सामूहिक रूप से आनंदित होते हैं। गणेश विसर्जन सितंबर 2025 में 6 तारीख को किया जाएगा

  • दिनांक- 6 सितंबर 2025:-  प्रारंभ तिथि- (5 सितंबर शाम 5:42 बजे)
  • दिन- शनिवार :-समापन  तिथि – 6 सितंबर को शाम 4:11 बजे)

4. भाद्रपद पूर्णिमा । Bhadrapada Purnima

भाद्रपद पूर्णिमा, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम पूर्णिमा को मनाई जाती है, एक विशेष धार्मिक अवसर है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करके व्रत रखा जाता है, और यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से जीवन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। स्नान और दान करना भी इस दिन अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। इसके अलावा, पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसके चारों ओर परिक्रमा करना इस दिन की एक खास परंपरा है। इस दिन पितरों के नाम से दान-पुण्य करने से आशीर्वाद मिलता है। भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष का आरंभ होता है, जो पितरों की श्रद्धांजलि का समय है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। 2025 में यह पवित्र दिन 7 सितंबर को मनाया जाएगा।

  • दिनांक- 7 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि-  (7 सितंबर सुबह 1:41 बजे)
  • दिन- रविवार :-समापन तिथि – (7 सितंबर रात्रि 11:28 बजे)

5. प्रतिपदा श्राद्ध । Pratipada Shraddha

पितृपक्ष के पहले दिन को प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध कहा जाता है, जो विशेष रूप से उन पितरों के लिए आयोजित किया जाता है, जिनकी मृत्यु हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिपदा तिथि को हुई हो। इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान अर्पित किया जाता है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके और उनका आशीर्वाद प्राप्त हो। प्रतिपदा श्राद्ध का आयोजन एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है, जो पितृों के प्रति श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करता है। 2025 में यह श्राद्ध 8 सितंबर से आरंभ हो रहा है, और यह दिन विशेष रूप से पितृों के प्रति कृतज्ञता और पुण्य अर्जन का होता है।

  • दिनांक- 8 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि- 7 सितंबर रात्रि 11: 38 बजे)
  • दिन- सोमवार:-समापन तिथि – (8 सितंबर सुबह 09:11 बजे)

6. संकष्टी गणेश चतुर्थी । Sankashti Ganesh chaturthi

संकष्टी गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और भक्ति का एक विशेष दिन है, जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि संकष्टी गणेश चतुर्थी के व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति का वास होता है, साथ ही वह अपनी सभी समस्याओं से मुक्त हो जाता है। यह दिन विशेष रूप से समृद्धि और शांति की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। 2025 में यह पवित्र दिन 10 सितंबर को पड़ रहा है, जो हर भक्त के लिए एक आशीर्वाद का अवसर है।

  • दिनांक-10 सितंबर 2025:- प्रारंभ तिथि- (10 सितंबर दोपहर 3:37 बजे)
  • दिन- बुधवार :-समापन तिथि – (11 सितंबर दोपहर 12:45 बजे)

7. भरणी श्राद्ध । Bhardi Shradha

भरणी श्राद्ध, पितृपक्ष के दौरान किए जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो विशेष रूप से भरणी नक्षत्र में मनाया जाता है। यह नक्षत्र, आश्विन महीने के दौरान आता है और चतुर्थी या पंचमी तिथि पर पड़ता है। इस श्राद्ध को महाभरणी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसे विशेष श्रद्धा और विधिपूर्वक किया जाता है। भरणी श्राद्ध के द्वारा पितरों को तर्पण और सम्मान अर्पित किया जाता है, ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके। 2025 में यह विशेष श्राद्ध 11 सितंबर को मनाया जाएगा, जो पितृों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का दिन है।

  • दिनांक- 11 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि- (11 सितंबर दोपहर 1:58 बजे)
  • दिन- गुरुवार :-समापन तिथि – (12 सितंबर सुबह 11:58 बजे)

8. रोहिणी व्रत । Rohini Vrat

रोहिणी व्रत, जैन धर्म में विशेष महत्व रखने वाला एक व्रत है, जिसे रोहिणी नक्षत्र के दिन किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों में से एक नक्षत्र रोहिणी है, जो हर महीने के 27वें दिन आकर यह व्रत मनाने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन को विशेष रूप से पूजा, उपासना और व्रत के लिए निर्धारित किया जाता है। रोहिणी व्रत के दौरान श्रद्धालु अपने जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करते हैं। 2025 में यह पवित्र व्रत 14 सितंबर को मनाया जाएगा, जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।

  • दिनांक- 14 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि- (13 सितंबर सुबह 11:13 बजे)
  • दिन- रविवार:-समापन तिथि – (14 सितंबर सुबह 08:41 बजे)

9. कालाष्टमी । Kalashtami

कालाष्टमी, जिसे भैरवाष्टमी भी कहा जाता है, एक विशेष हिन्दू पर्व है, जो भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से शिव और काल भैरव की आराधना करने तथा उपवास रखने का महत्व है। 2025 में यह पुण्य पर्व 14 सितंबर को मनाया जाएगा, जब भक्त भैरव के रूप में शिव के रौद्र रूप की पूजा कर कष्ट निवारण और आशीर्वाद की कामना करते हैं।

  • दिनांक- 14 सितंबर 2025
  • दिन- रविवार 

10. इंदिरा एकादशी । Indira Ekadashi

आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत रखने से न केवल सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि यह हर प्रकार के दुख और कष्टों से मुक्ति भी दिलाती है। इंदिरा एकादशी के आयोजन से जीवन में शांति और समृद्धि का वास होता है। वर्ष 2025 में यह महत्वपूर्ण पर्व 17 सितंबर को मनाया जाएगा।

  • दिनांक- 17 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि-16 सितंबर को रात 12:21 बजे से ।
  • दिन- बुधवार :-समापन तिथि – 17 सितंबर को रात 11:39 बजे तक ।

11. विश्वकर्मा पूजा । Vishwakarma Puja

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्री विश्वकर्मा पूजा का पर्व कन्या संक्रांति के दिन बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह धार्मिक उत्सव न केवल भारत बल्कि नेपाल में भी धूमधाम से आयोजित किया जाता है। कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी विशेष धूम देखने को मिलती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह पर्व प्रतिवर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है, और 2025 में भी यह तिथि वही रहेगी। इस पावन दिन पर भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

  • दिनांक- 17 सितंबर 2025
  • दिन- बुधवार 

12. मासिक शिवरात्रि । Masik Shivratri

मासिक शिवरात्रि, हिंदू धर्म में भगवान शिव और देवी पार्वती के परम मिलन का उत्सव है, जिसे हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है, जिसमें भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शंकर की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। मासिक शिवरात्रि को शिव-पार्वती के दिव्य विवाह का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन भगवान शिव अपनी प्रसन्नता से भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में शुभता का वास होता है। भक्त इस दिन भक्ति, तप, और समर्पण के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। 2025 में मासिक शिवरात्रि का पर्व 19 सितम्बर को मनाया जाएगा।

  • दिनांक- 19 सितंबर 2025
  • दिन- शुक्रवार 

13. प्रदोष व्रत । Pradosh Vrat

प्रदोष व्रत, हिन्दू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है, जिसे हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस विशेष व्रत के माध्यम से भक्त अपने जीवन के सभी दोषों को दूर करने और शिव धाम की प्राप्ति की दिशा में कदम बढ़ाते हैं। यह व्रत पापों के नाश का कारण बनता है और मोक्ष की प्राप्ति के लिए एक पवित्र मार्ग प्रदान करता है। विशेष रूप से इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से विवाहित महिलाएं और अविवाहित कन्याएं भी अनेक प्रकार के आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। 2025 में प्रदोष व्रत का आयोजन सितम्बर माह में 19 तारीख को किया जाएगा।

  • दिनांक- 19 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि- (18 सितंबर रात 11:24 बजे)
  • दिन- शुक्रवार :-समापन तिथि – (19 सितंबर रात 11:36 बजे)

14. अमावस्या । Amavasya

अमावस्या, हिंदू पंचांग के अनुसार, वह विशेष दिन है जब चंद्रमा पूरी तरह से गायब हो जाता है और उसकी छाया नहीं दिखाई देती। इस दिन चंद्रमा की ऊर्जा मंद पड़ जाती है, जबकि पितरों का प्रभाव और आशीर्वाद अधिक महसूस होता है। यही कारण है कि अमावस्या को पितरों की पूजा और श्रद्धांजलि देने का दिन माना जाता है। इस दिन चंद्रमा और सूर्य का मिलन होता है, जिससे अंतर शून्य हो जाता है। हिंदू धर्म में यह दिन अत्यंत महत्व रखता है, और इसे विशेष रूप से पितृ तर्पण और पिंडदान के लिए पूजा जाता है। अमावस्या के दिन स्नान करने, बुरे आचरणों से बचने और पितरों की याद में तर्पण करने का महत्व है। 2025 में, मासिक शिवरात्रि के साथ 21 सितम्बर को अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा।

  • दिनांक- 21 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि- (21 सितंबर सुबह 12:21 बजे
  • दिन- रविवार:-समापन तिथि – (23 सितंबर को सुबह 1:23 बजे)

15. शारदीय नवरात्रि । Shardiya Navratri

शारदीय नवरात्रि का पर्व हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है, जो भक्तों के लिए अत्यधिक श्रद्धा और उल्लास का समय होता है। इस अवसर पर मां दुर्गा की उपासना की जाती है, जो महिषासुर के साथ नौ दिनों तक चले ऐतिहासिक युद्ध में विजय प्राप्त कर धरती पर आई थीं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह युद्ध अश्विन माह में हुआ था, और उसी समय से नवरात्रि का महत्व भी जुड़ा हुआ है। 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से आरंभ हो रही है, जो पूरे देशभर में उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी।

  • दिनांक- 22 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि- (22 सितंबर से)
  • दिन- सोमवार :-समापन तिथि – (1 अक्टूबर तक)

16. चंद्र दर्शन । Chandra Darshan

धार्मिक ग्रंथों में चंद्रमा को शांति, समृद्धि और मानसिक संतुलन का प्रतीक माना गया है। हर महीने की अमावस्या के बाद, जब चंद्रमा अपनी पहली रोशनी से रात को आकाश को आलोकित करता है, वह समय विशेष महत्व रखता है। इस दिन चंद्र दर्शन करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है, जो जीवन में सुख और समृद्धि को आमंत्रित करता है। यह एक विशेष अवसर है, जब चंद्रमा की दिव्य ज्योति से जीवन में नई आशा और समृद्धि का संचार होता है। 2025 में, यह शुभ चंद्र दर्शन 23 सितम्बर को मनाया जाएगा।

  • दिनांक- 23 सितंबर 2025
  • दिन- मंगलवार 

17. सिंधारा दूज । Sindhara Dooj

सिंधारा दूज, जो श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, एक खास अवसर है जो हरियाली तीज से पहले मनाया जाता है। यह दिन खासकर महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसे श्रृंगार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने परिवार तथा पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। इस पर्व पर महिलाएं एक-दूसरे को उपहार देती हैं, पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं और अपने हाथों में सुंदर मेहंदी रचाती हैं। नई चूड़ियां खरीदना और सावन के झूलों का आनंद लेना भी इस दिन की खासियत है। इस साल, सिंधारा दूज 23 सितंबर को मनाया जाएगा, और यह दिन महिलाओं की खुशी और समृद्धि की कामना के साथ मनाया जाएगा।

  • दिनांक- 23 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि- (23 सितंबर सुबह 02:56 बजे)
  • दिन- मंगलवार :-समापन तिथि -( 24 सितंबर सुबह 4:52 बजे)

18. वरद चतुर्थी ।Varad Chaturthi

वरद चतुर्थी, जिसे गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित होता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, और इस दिन उनकी मूर्ति स्थापित कर विधिपूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करने के लिए रखा जाता है। वरद चतुर्थी को कभी-कभी वरद वरद चतुर्थी भी कहा जाता है। 2025 में यह शुभ पर्व 25 सितंबर को मनाया जाएगा, जब भक्त गणेश जी के आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाने की प्रार्थना करेंगे।

  • दिनांक- 25 सितंबर 2025
  • दिन- गुरुवार 

19. ललिता पंचमी ।Lalita Panchami

ललिता पंचमी, शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है, जो मां ललिता की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है। इसे उपांग ललिता व्रत के नाम से भी जाना जाता है और यह खासकर गुजरात और महाराष्ट्र में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से व्रत रखकर मां ललिता की आराधना करती हैं, ताकि उनके जीवन में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद बना रहे। 2025 में यह पर्व 26 सितंबर को मनाया जाएगा, जब भक्त मां ललिता के आशीर्वाद से अपने जीवन को रोशन करने की कामना करेंगे।

  • दिनांक- 26 सितंबर 2025:-प्रारंभ तिथि- (26 सितंबर सुबह 9:33 बजे)
  • दिन- शुक्रवार :-समापन तिथि – (27 सितंबर दोपहर 12:03 बजे)

20. षष्ठी । Shashthi

षष्ठी (Shashthi) का अर्थ है किसी पक्ष का छठा दिन, और हिंदू धर्म में इन्हें महादेवी का स्थान प्राप्त है। भगवती के रूप में पूजित षष्ठी देवी को बच्चों की रक्षक और कल्याणकारी शक्ति माना जाता है। उनकी आराधना हर शुक्रवार को की जाती है, लेकिन विशेष रूप से छठ पर्व के दौरान इनकी पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। षष्ठी देवी को वनस्पति और प्रजनन की देवी के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें माता षष्ठी और मातृ देवी के नाम से संबोधित किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वे ब्रह्मा की मानस पुत्री मानी जाती हैं। प्रतीकात्मक रूप से षष्ठी देवी को कई रूपों में दर्शाया गया है, जैसे मिट्टी का घड़ा, बरगद के वृक्ष या उसकी शाखा, या फिर ऐसे वृक्ष के नीचे रखे गए लाल पत्थर के रूप में। उनकी यह विविधता प्रकृति और जीवन की गहराइयों से उनके गहरे संबंध को दर्शाती है। 2025 में यह 28 सितम्बर को मनाया जाएगा।

  • दिनांक- 28 सितंबर 2025:-सूर्योदय – सुबह 6:02 बजे होगा
  • दिन- रविवार :-सूर्यास्त  – शाम 5:59 बजे होगा

21. मासिक दुर्गाष्टमी । Masik Durgashtami

मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जो हर महीने की अष्टमी तिथि को बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन देवी दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है, ताकि उनके आशीर्वाद से जीवन में शांति और सुख-समृद्धि का वास हो। मान्यता के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी पापों का नाश होता है। 2025 में यह पवित्र व्रत 30 सितंबर को मनाया जाएगा, जब श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की आराधना करेंगे।

  • दिनांक- 30 सितंबर 2025
  • दिन- मंगलवार 

इससे संबंधित लेख:- हिन्दू कैलेंडर जनवरी 2025 | फरवरी 2025 | मार्च 2025 अप्रैल 2025 | मई 2025 | जून 2025 |

Conclusion

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (सितम्बर 2025 के व्रत एवं त्यौहार) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

Q. पार्श्व एकादशी कब मनाई जाती है और इसे अन्य किस नाम से जाना जाता है?

Ans. पार्श्व एकादशी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे परिवर्तिनी एकादशी, जलझूलनी एकादशी, देवझूलनी एकादशी और वामन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

Q. भारत में शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?

Ans. भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है, जो भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में है। यह दिन शिक्षकों के योगदान और महत्ता को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

Q. गणेश विसर्जन कब और क्यों किया जाता है?

Ans. गणेश विसर्जन गणेश चतुर्थी के दसवें दिन किया जाता है। यह भगवान गणेश की मूर्ति को जल में विसर्जित करने की प्रक्रिया है, जो उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस भेजने का प्रतीक है।

Q. भाद्रपद पूर्णिमा पर कौन सी प्रमुख पूजा की जाती है?

Ans. भाद्रपद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से जीवन की इच्छाएं पूरी होती हैं।

Q. प्रतिपदा श्राद्ध किस दिन मनाया जाता है?

Ans. प्रतिपदा श्राद्ध पितृपक्ष के पहले दिन मनाया जाता है, जो विशेष रूप से उन पितरों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई हो।

Q. संकष्टी गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है और इसके क्या लाभ होते हैं?

Ans. संकष्टी गणेश चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान गणेश को प्रसन्न करता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।