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Baba Ramdev ji ka superhit Bhajan: बाबा रामदेव जी के सुपरहिट भजन सुनिए इस लेख में।

Baba Ramdev ji ka superhit Bhajan
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बाबा रामदेव जी का सुपरहिट भजन (Baba Ramdev ji ka Superhit Bhajan): बाबा रामदेव जी महाराज – एक ऐसा नाम जो हर भक्त के दिल में श्रद्धा और भक्ति की ज्योति जगाता है। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश समेत पूरे भारत में लाखों लोग इन्हें अपना इष्ट मानते हैं। लोग उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का अवतार मानते हैं तो कुछ रामसा पीर के नाम से पुकारते हैं। उनके अलौकिक चमत्कारों और करिश्माई जीवन की कहानियां आज भी लोगों की जुबान पर हैं। भक्तों के मन में बसे रामसा पीर (Ramsa Pir) के प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास देखते ही बनता है। लोग अपनी मुरादें पूरी करने और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए उनका स्मरण करते हैं।

भक्ति और आस्था से भरे उनके भजन गाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही दिव्य भजनों के बारे में जो बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev ji) की महिमा और उनके अद्भुत जीवन का बखान करते हैं। इन भजनों में उनके जन्म से लेकर बाल लीलाओं और फिर युवावस्था में किए गए अनेक चमत्कारों का वर्णन मिलता है। कैसे वो एक साधारण बालक से महान संत बने, कैसे उन्होंने भैरव राक्षस का वध किया, कैसे एक व्यापारी को डूबने से बचाया, एक मृत बालक को जीवनदान दिया, ऐसी अनेक लोककथाएं इन भजनों में मौजूद हैं।

तो चलिए, आगे के लेख में हम आपको सुनाते हैं कुछ ऐसे ही सुमधुर भजन जो बाबा रामदेव जी की अलौकिक शक्तियों और उनके प्रेरणादायक संदेशों से भरे हुए हैं। ये भजन न सिर्फ आपके मन को शांति देंगे बल्कि जीवन जीने की नई राह भी दिखाएंगे…

यह भी पढ़े:- बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय

Table Of Content:-Baba Ramdev ji ka superhit Bhajan

S.NOप्रश्न
1रामदेव जी का सबसे सुंदर भजन
2रामापीर जी के भजन
3बाबा रामदेव जी का सुपरहिट भजन

यहाँ जानें बाबा रामदेव जी प्रमुख लेख:-

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रामदेव जी का सबसे सुंदर भजन (Ramdev ji ka Sabse Sundar Bhajan)

  • जग घूमिया थारे जैसा ना कोई बाबा रामदेवजी 

जय रामदेव अवतारी,
लीले घोड़े वाली असवारी,
अजमल घर अवतारी,
जय हो जय हो म्हारा बाबा थारी,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई,
रुणिचे रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
सब पे दया तू रखना,,,,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई,
रुणिचे रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
द्वारिका रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई।।

तू ही तो है राम म्हारो,
तू ही घनश्याम रे,
तू ही वाहेगुरु म्हारो,
तू ही अल्लाह नाम रे,
थाने तो सब ही ध्यावे,
थाने तो सब ही ध्यावे,
हिंदू मुसलमान रे,
हिंदू कहे बाबा थाने,
पीर मुसलमान रे,
प्याला मक्का सु मंगाया तू ही,
पाचो पीरा ने जिमाया तू ही,
घोड़ो आकाशा उड़ाया तू ही,
पग कुंकु रा मंडाया तू ही,
सब पे दया तू रखना,,,,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई,
रुणिचे रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
द्वारिका रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई।।
अमरकोट राणी नेतल प्रकटिया,
उडुकाश्मीर माही रूनिचेरा धणिया,
पगा सु लाचार,
पगा सु लाचार राणी ने,
पगल्या दिराया,
रानी नेतल थाने हिये में बसाया,
ब्याह राणी से रचाया थे ही,
राणी रूनिचे में लाया थे ही
मन प्रेम बसाया थे ही,
दातार कहाया थे ही,
सब पे दया तू रखना,,,,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई,
रुणिचे रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
द्वारिका रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई।।

जय रामदेव अवतारी,
लीले घोड़े वाली असवारी,
अजमल घर अवतारी,
जय हो जय हो म्हारा बाबा थारी,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई,
रुणिचे रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
सब पे दया तू रखना,,,,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई,
रुणिचे रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
द्वारिका रा नाथ थारे जैसा ना कोई,
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई।।

  • पिचम धरा सू म्हारा पीरजी

पिचम धरा सू म्हारा पीरजी
पिछम धरा सु मारो ,
आलम राजा आवे वो।
धोळी धजा खरकावे ,
रामा धनिया जी हो।

गणी गणी खम्मा मारा ,
इंदु पथ राजा ने।
खर्चो कीदो दुनिया माई ,
बाबा रामदेव जी वो।

पहलो पहलो पर्चो ,
माता मेणादे ने दिदो रामा।
उफनता दूध दबाया ,
रामा धनिया जी हो।
पिछम धरा सु। …..

दूजोडो पर्चो पिता ,
अजमल जी ने दिदो रामा।
कंकु रा पगलिया मंडाया ,
रामा धनिया जी हो।
पिछम धरा सु। …..

तीजोड़ो पर्चो लाखो ,
बिणजारा ने दिदो रामा।
मिश्री रा लूण बनाया ,
रामा धनिया जी हो।
पिछम धरा सु। …..

चोथोड़ो पर्चो बाणिया ,
मोहिता ने दिदो रामा।
समंदा मु जहाज तिराई ,
रामा धनिया जी हो।
पिछम धरा सु। …..

पांचवो पर्चो साधु ,
पीरा ने दिदो रामा ।
मक्का सु कटोरा मंगाया ,
रामा धनिया जी हो।
पिछम धरा सु। …..
हरी का चरना में ,
भाटी अरज बोले रामा।
सुख दुःख सरना राखो ,
रामा धनिया जी हो।
पिछम धरा सु। …..

रामापीर जी के भजन (Ramapir ji ke Bhajan)

  • धजबन्द लाज रखो म्हारी रामदेवजी सायल लिरिक्स

धजबन्द लाज रखो म्हारी,
ओ बापजी कलम रखो म्हारी,
तीन लोक और चौदह भवन में,
अखण्ड जोत थारी।।

घर अजमल अवतार धारियों,
भीरमदे भाई,
माता मैणादे थोरी करे है आरती,
हाथ लिवी झारी।।

पिछम धरा में भणियो देवरो,
मौज बणी भारी,
घृत मिठाई बाबा चढ़े ओ चूरमो,
रुपियो री निज झारी।।

दड़िया रमते दैत मारियो,
कीनो जुदद भारी,
भैरव रागस ने मार हटायो,
राखयो ला एक धारी।।

रामसरोवर आप ख़ुदायो रामा,
पाल बणाई भारी,
बाबा ओ थोरे घाट पर ओ,
बणिया ओ गिरधारी।।

दूर देश रा आवे जातरू,
स जोड़े नरनारी,
अलगी भौम रा आवे जातरी,
निवण करे नर नारी।।

हरि शरणे भाटी हरजी बोले,
भाने रो भीड़द बधाई,
धजबन्द लाज रखों म्हारी,
ओ बापजी कलम रखो म्हारी।।

धजबन्द लाज रखो म्हारी,
ओ बापजी कलम रखो म्हारी,
तीन लोक और चौदह भवन में,
अखण्ड जोत थारी।।

  • पिछम धरा में राजा रामदेव वे जोधा अजमल वाला भजन 

पिछम धरा में राजा रामदेव,
वे जोधा अजमल वाला।

श्लोक पूंगलगढ़ रा उजड्या बाग़ में ,
जद तंदुरो खनकायो,
डाल डाल में सरगम गुंजी ,
पत्तो पत्तो हर्षायो।
लेवे वारना मनसा मालन ,
जद शरणा शीश निवायो,
सुन सुन कलिया गजरो बनायो ,
मारा बाबा ने पहरायो।।

पिछम धरा में राजा रामदेव,
वे जोधा अजमल वाला,
दड़िया रमता देत मारियो,
बालीनाथ ने है प्यारा,
राम रणुजे रात पधारी,
अखंड ज्योत मालिक थारी रे,
मनसा मालन गुण थारा गावे,
उठो कंवर पेरो माला रे।।

रनक भवन में गणपति जागा,
देव निराला सुंडाला,
विघ्नविनाशक मंगल दाता,
रिद्धि रिद्धि का है संगवाला,
राम रणुजे रात पधारी,
अखंड ज्योत मालिक थारी रे,
मनसा मालन गुण थारा गावे,
उठो कंवर पेरो माला रे।।

कैलाश पर्वत शिवजी विराजे,
वे जोधा निराकार,
जटा मुकुंट में गंगा विराजे,
पार्वती ने है प्यारा,
राम रणुजे रात पधारी,
अखंड ज्योत मालिक थारी रे,
मनसा मालन गुण थारा गावे,
उठो कंवर पेरो माला रे।।

ब्रह्म लोक में ब्रह्मा जागे,
सात समंदर रखवाला ।
पल में दाता सृस्टि रसाई,
ए दाता रसने वाला ।।
राम रणुजे रात पधारी,
अखंड ज्योत मालिक थारी रे,
मनसा मालन गुण थारा गावे,
उठो कंवर पेरो माला रे।।

चुन चुन कलियॉ माला बनाई,
डाल डाल में जनकारा,
कोयल मीठा गीत सुनावे,
बोले मोरिया मतवाला,
राम रणुजे रात पधारी,
अखंड ज्योत मालिक थारी रे,
मनसा मालन गुण थारा गावे,
उठो कंवर पेरो माला रे।।

रुणिजे रा राजा रामदेव,
खोलो थी भक्तारा ताला,
हरी शरणे भाटी हरजी बोलिया,
आप धणी हो रखवाला,
राम रणुजे रात पधारी,
अखंड ज्योत मालिक थारी रे,
मनसा मालन गुण थारा गावे,
उठो कंवर पेरो माला रे।।
पिछम धरा में राजा रामदेव,
वे जोधा अजमल वाला,
दड़िया रमता देत मारियो,
बालीनाथ ने है प्यारा,
राम रणुजे रात पधारी,
अखंड ज्योत मालिक थारी रे,
मनसा मालन गुण थारा गावे,
उठो कंवर पेरो माला रे।।

बाबा रामदेव जी का सुपरहिट भजन (Baba Ramdev ji ka Superhit Bhajan)

यह भी पढ़े:- बाबा रामदेव जी की आरती

  • मार्ग में रामदेव मिल गया

मार्ग में रामदेव मिल गया
गेला में बापूजी मिल गया,
मारी गाया ने कंचन कर
गया वह बाबा रामदेव,

पहलो पहलो प्रचो पिता
अजमल जी ने दिनों,
कुकु कुकू रा पगल्या
बनाया ओ बाबा रामदेव॥

दूसरों तो प्रचो माता
मेणादे ने दिनों,
ओपणतो दूध डबाया
हो बाबा रामदेव॥

तिसरो तो प्रचो बाण्या
बोईता ने दिनो,
डूबतडी जहाज़
तिरायाओ बाबा रामदेव॥

चोथो चोथो पर्चो लाखू
बिणजारा ने दिनों,
मिश्री रो लुण बना
गया वो बाबा रामदैव ॥

पाचवो तो पर्चो
पाचू पीरा ने दिनो ,
मक्का सु कटोरा
मंगाया हो बाबा रामदेव॥

हरी का चरणा मैं
माटी हरी गुण गावे,
म्हाने जूग जूग शरणा
राखो वो बाबा राम देव ॥

  • धाम रूणीचै रा धणी, नाम राम सा पीर।

।। दोहा ।।
धाम रूणीचै रा धणी, नाम राम सा पीर।
काम भगत जन रा करै, राख ह्रदा मन धीर।

झीणा झीणा घूघरा,
रुणीचे बाजे जोर रा।
लीले री सवारी आवे,
लागे घणा फूटरा।
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।

आकाशा उड़ावे बाबा,
कपडे रो घोड़लो।
दर्जी पूकारे अर्जी,
बाबा पाछो मोड़लो।
अरे रे रे घूमे रे ,
आकाशा थारो घोड़लो।
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।

पाला पाला चालस्या,
बाबा रा गुण गावस्या।
रुणीचा रा मेला माई,
धोक लगावस्या।
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।

धोली धोली धज्जा हाथ,
जोधाणे में जावस्या।
भाकर मसुरिये में,
बाबे रा गुण गावस्या,
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।

भगत घणेरा आवे,
शीश नवावता।
पाला पाला आवे बाबा,
गुण थारा गावता।
अरे रे रे घूमे रे,
रुणीचे थारो घोड़लो।

Conclusion:-Baba Ramdev ji ka superhit Bhajan

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FAQ’s

Q. बाबा रामदेव जी का जन्म कब और कहां हुआ था?

Ans. बाबा रामदेव जी का जन्म विक्रम संवत् 1409 में भाद्रपद मास की दूज को पोकरण के निकट रुणिचा में हुआ था।

Q. बाबा रामदेव जी ने कौन सा पंथ स्थापित किया?

Ans. बाबा रामदेव जी ने कामड़िया पंथ की स्थापना की थी।

Q. बाबा रामदेव जी ने किस राक्षस का वध किया?

Ans. बाबा रामदेव जी ने बाल्यावस्था में तांत्रिक भैरव राक्षस का वध किया।

Q. बाबा रामदेव जी की पूजा किन-किन राज्यों में होती है?

Ans. बाबा रामदेव जी की पूजा राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में होती है।

Q. बाबा रामदेव जी ने कब और कहां समाधि ली?

Ans. बाबा रामदेव जी ने विक्रम संवत् 1442 में रामदेवरा (रुणेचा) में समाधि ली।

Q. बाबा रामदेव जी के साथ किस धार्मिक समरसता का प्रतीक बने?

Ans. बाबा रामदेव जी हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बने और हिंदुओं के लिए देवता और मुसलमानों के लिए रामसा पीर के रूप में पूजे जाते हैं।