Saraswati Chalisa: माँ सरस्वती, जिन्हें ज्ञान और कला की देवी के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी हैं। उन्हें श्वेत हंस पर विराजमान, हाथों में वीणा, माला और पुस्तक धारण किए हुए दर्शाया जाता है। श्वेत हंस ज्ञान का प्रतीक है, वीणा संगीत का प्रतीक है, माला भक्ति का प्रतीक है और पुस्तक ज्ञान का प्रतीक है। सरस्वती चालीसा का पाठ भक्तों को माँ सरस्वती से ज्ञान, बुद्धि, स्मरण शक्ति और कलात्मक प्रतिभा प्राप्त करने में मदद करता है।
यह छात्रों और विद्वानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो अपनी शिक्षा और करियर में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, अगर आप भी छात्र हैं और किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफल होना चाहते हैं या अपने करियर में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको भी नियमित तौर से मां सरस्वती की चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए ।
॥ दोहा ॥
जनक जननि पद्मरज,
निज मस्तक पर धरि ।
बन्दौं मातु सरस्वती,
बुद्धि बल दे दातारि ॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव,
महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को,
मातु तु ही अब हन्तु ॥
॥ चालीसा ॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी ।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥
जय जय जय वीणाकर धारी ।
करती सदा सुहंस सवारी ॥
रूप चतुर्भुज धारी माता ।
सकल विश्व अन्दर विख्याता ॥4
जग में पाप बुद्धि जब होती ।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति ॥
तब ही मातु का निज अवतारी ।
पाप हीन करती महतारी ॥
वाल्मीकिजी थे हत्यारा ।
तव प्रसाद जानै संसारा ॥
रामचरित जो रचे बनाई ।
आदि कवि की पदवी पाई ॥8
कालिदास जो भये विख्याता ।
तेरी कृपा दृष्टि से माता ॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना ।
भये और जो ज्ञानी नाना ॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा ।
केव कृपा आपकी अम्बा ॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी ।
दुखित दीन निज दासहि जानी ॥12
पुत्र करहिं अपराध बहूता ।
तेहि न धरई चित माता ॥
राखु लाज जननि अब मेरी ।
विनय करउं भांति बहु तेरी ॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा ।
कृपा करउ जय जय जगदंबा ॥
मधुकैटभ जो अति बलवाना ।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना ॥16
समर हजार पाँच में घोरा ।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा ॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला ।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला ॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी ।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी ॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता ।
क्षण महु संहारे उन माता ॥20
रक्त बीज से समरथ पापी ।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी ॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा ।
बारबार बिन वउं जगदंबा ॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा ।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा ॥
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई ।
रामचन्द्र बनवास कराई ॥24
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा ।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा ॥
को समरथ तव यश गुन गाना ।
निगम अनादि अनंत बखाना ॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी ।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी ॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी ।
नाम अपार है दानव भक्षी ॥28
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा ।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता ।
कृपा करहु जब जब सुखदाता ॥
नृप कोपित को मारन चाहे ।
कानन में घेरे मृग नाहे ॥
सागर मध्य पोत के भंजे ।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे ॥32
भूत प्रेत बाधा या दुःख में ।
हो दरिद्र अथवा संकट में ॥
नाम जपे मंगल सब होई ।
संशय इसमें करई न कोई ॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई ।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई ॥
करै पाठ नित यह चालीसा ।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा ॥36
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै ।
संकट रहित अवश्य हो जावै ॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा ।
निकट न आवै ताहि कलेशा ॥
बंदी पाठ करें सत बारा ।
बंदी पाश दूर हो सारा ॥
रामसागर बाँधि हेतु भवानी ।
कीजै कृपा दास निज जानी ॥40
॥दोहा॥
मातु सूर्य कान्ति तव,
अन्धकार मम रूप ।
डूबन से रक्षा करहु,
परूँ न मैं भव कूप ॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि,
सुनहु सरस्वती मातु ।
राम सागर अधम को,
आश्रय तू ही देदातु ॥
सरस्वती चालीसा डाउनलोड लिंक | Saraswati Chalisa Download Link
सरस्वती चालीसा(Saraswati Chalisa) डाउनलोड करने के लिए हम आपसे लिंक साझा कर रहे हैं, आप इस लिंक को टच करके सरस्वती चालीसा डाउनलोड कर सकते हैं ।
FAQ’S
Q. मां सरस्वती को किस नाम से भी जाना जाता है?
Ans. मां सरस्वती को वीणावादिनी, शारदा, जगन्माता, ब्रह्मचारिणी इत्यादि नाम से भी जाना जाता है।
Q. मां सरस्वती के हाथों में कौन-सी वस्तुएं होती हैं?
उत्तर: मां सरस्वती के हाथों में वीणा, माला, पुस्तक और कमंडल आदि वस्तुएं होती हैं ।
Q.मां सरस्वती को किस कला का प्रतीक माना जाता है?
उत्तर: मां सरस्वती को संगीत, कला, शिक्षा और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है ।
Q.मां सरस्वती का मुख्य त्यौहार कौन सा है?
Ans. मां सरस्वती का मुख्य त्योहार ‘बसंत पंचमी’ है।
Q. मां सरस्वती का वाहन कौन सा है?
उत्तर: मां सरस्वती का वाहन हंस है ।