Sheetla Mata Chalisa: भारत में, शीतला माता को देवी का एक महत्वपूर्ण रूप माना जाता है। गर्मी के मौसम में, विशेष रूप से चैत्र और वैशाख के महीनों में, शीतला माता की पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि शीतला माता उन्माद, ताप, चेचक और अन्य बीमारियों से बचाती हैं। शीतला माता का स्वरूप अत्यंत शांत और क्षमाशील माना जाता है। उन्हें अक्सर एक गधे पर सवार, हाथों में नीम के पत्ते, सूप और जल का कलश लिए हुए चित्रित किया जाता है। नीम के पत्ते शीतलता का प्रतीक हैं, सूप बीमारों को भोजन कराने का प्रतीक है, और जल का कलश जीवन का प्रतीक है। शीतला माता चालीसा शीतला माता की शक्तियों और कृपा का वर्णन करता है। इसका पाठ करने से शीतला माता की कृपा प्राप्त होती है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इसीलिए आप भी प्रतिदिन शीतला माता की चालीसा का पाठ अवश्य करें ।
॥ दोहा॥
जय जय माता शीतला ,तुमहिं धरै जो ध्यान ।
होय विमल शीतल हृदय,विकसै बुद्धी बल ज्ञान ॥घट-घट वासी शीतला, शीतल प्रभा तुम्हार ।
शीतल छइयां में झुलई,मइयां पलना डार ॥
॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय श्री शीतला भवानी | जय जग जननि सकल गुणधानी ॥
गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित ।पूरण शरदचंद्र समसाजित ॥विस्फोटक से जलत शरीरा ।शीतल करत हरत सब पीड़ा ॥
मात शीतला तव शुभनामा ।सबके गाढे आवहिं कामा ॥शोक हरी शंकरी भवानी ।बाल-प्राणक्षरी सुख दानी ॥
शुचि मार्जनी कलश करराजै ।मस्तक तेज सूर्य सम साजै ॥चौसठ योगिन संग में गावैं ।वीणा ताल मृदंग बजावै ॥
नृत्य नाथ भैरौं दिखलावैं ।सहज शेष शिव पार ना पावैं ॥धन्य धन्य धात्री महारानी ।सुरनर मुनि तब सुयश बखानी ॥
ज्वाला रूप महा बलकारी ।दैत्य एक विस्फोटक भारी ॥घर घर प्रविशत कोई न रक्षत ।रोग रूप धरी बालक भक्षत ॥
हाहाकार मच्यो जगभारी ।सक्यो न जब संकट टारी ॥तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा ।कर में लिये मार्जनी सूपा ॥
विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्हो ।मूसल प्रमाण बहुविधि कीन्हो ॥बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा ।मैय्या नहीं भल मैं कछु कीन्हा ॥
अबनहिं मातु काहुगृह जइहौं ।जहँ अपवित्र वही घर रहि हो ॥अब भगतन शीतल भय जइहौं ।विस्फोटक भय घोर नसइहौं ॥
श्री शीतलहिं भजे कल्याना ।वचन सत्य भाषे भगवाना ॥पूजन पाठ मातु जब करी है ।भय आनंद सकल दुःख हरी है ॥
विस्फोटक भय जिहि गृह भाई ।भजै देवि कहँ यही उपाई ॥कलश शीतलाका सजवावै ।द्विज से विधीवत पाठ करावै ॥
तुम्हीं शीतला, जगकी माता ।तुम्हीं पिता जग की सुखदाता ॥तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी ।नमो नमामी शीतले देवी ॥
नमो सुखकरनी दु:खहरणी ।नमो- नमो जगतारणि धरणी ॥नमो नमो त्रलोक्य वंदिनी ।दुखदारिद्रक निकंदिनी ॥
श्री शीतला , शेढ़ला, महला ।रुणलीहृणनी मातृ मंदला ॥हो तुम दिगम्बर तनुधारी ।शोभित पंचनाम असवारी ॥
रासभ, खर , बैसाख सुनंदन ।गर्दभ दुर्वाकंद निकंदन ॥सुमिरत संग शीतला माई,जाही सकल सुख दूर पराई ॥
गलका, गलगन्डादि जुहोई ।ताकर मंत्र न औषधि कोई ॥एक मातु जी का आराधन |और नहिं कोई है साधन ॥
निश्चय मातु शरण जो आवै ।निर्भय मन इच्छित फल पावै ॥कोढी, निर्मल काया धारै ।अंधा, दृग निज दृष्टि निहारै ॥
बंध्या नारी पुत्र को पावै ।जन्म दरिद्र धनी होइ जावै ॥मातु शीतला के गुण गावत ।लखा मूक को छंद बनावत ॥
यामे कोई करै जनि शंका ।जग मे मैया का ही डंका ॥‘कमल’ प्रभुदासा ।तट प्रयाग से पूरब पासा ॥
ग्राम तिवारी पूर मम बासा ।ककरा गंगा तट दुर्वासा ॥अब विलंब मैं तोहि पुकारत ।मातृ कृपा कौ बाट निहारत ॥
पड़ा द्वार सब आस लगाई ।अब सुधि लेत शीतला माई ॥
॥ दोहा ॥
यह चालीसा शीतला,पाठ करे जो कोय ।
सपनें दुख व्यापे नही,नित सब मंगल होय ॥बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल,भाल भल किंतू ।
जग जननी का ये चरित,रचित भक्ति रस बिंतू ॥॥ इति श्री शीतला चालीसा ॥
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FAQ’S :-Sheetla Mata Chalisa
Q. शीतला माता का वाहन क्या है?
Ans. शीतला माता का वाहन गधा है।
Q. शीतला माता को किस रंग का वस्त्र प्रिय है?
Ans. शीतला माता को लाल रंग का वस्त्र प्रिय है।
Q. शीतला माता का पूजन कैसे किया जाता है?
Ans. शीतला माता का पूजन ‘कच्चे मिट्टी के बर्तन’ में ‘जौ’ बोकर और ‘दीपदान’ करके किया जाता है।
Q. शीतला माता को क्या पसंद है?
Ans. मान्यता है कि शीतला माता को ‘बासी और ठंडा प्रसाद’ अत्यधिक प्रिय है ।
Q. शीतला माता का प्रतीक चिन्ह क्या है?
Ans. शीतला माता की चारों भुजाओं में झाड़ू, घड़ा, सूप और कटोरा सुशोभित होते हैं जो सफाई का प्रतीक चिन्ह हैं।