Home चालीसा शिव चालीसा | Shiv Chalisa

शिव चालीसा | Shiv Chalisa

Join Telegram Channel Join Now

Shiv Chalisa :हिंदू धर्म में भगवान शिव को देवों के देव, महादेव, शंकर, भोलेनाथ आदि नामों से जाना जाता है। वे सृष्टि के सृजन, पालन और संहार के देवता हैं। शिव को ज्ञान, शक्ति, भक्ति, क्षमा और दया के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। शिव चालीसा एक भक्तिपूर्ण रचना है जो भगवान शिव की महिमा का गान करती है। शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ भक्तों को ज्ञान, शक्ति, भक्ति और क्षमा प्रदान करता है।

शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पाठ करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। जो व्यक्ति शिव चालीसा का नियमित रूप से पाठ करता है, उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। उसका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाता है। वह पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है। इसीलिए आप भी प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें ।

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन,

मंगल मूल सुजान ।

कहत अयोध्यादास तुम,

देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला ।

सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।

कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।

मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।

छवि को देखि नाग मन मोहे ॥  4

मैना मातु की हवे दुलारी ।

बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।

करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।

सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।

या छवि को कहि जात न काऊ ॥  8

देवन जबहीं जाय पुकारा ।

तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी ।

देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।

लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

आप जलंधर असुर संहारा ।

सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥  12

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।

सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ।

पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।

सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

वेद नाम महिमा तव गाई।

अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥  16

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।

जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।

नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।

जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी ।

कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥  20

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।

कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।

भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।

करत कृपा सब के घटवासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।

भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥  24

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।

येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।

संकट से मोहि आन उबारो ॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।

संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।

आय हरहु मम संकट भारी ॥  28

धन निर्धन को देत सदा हीं ।

जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन ।

मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।

शारद नारद शीश नवावैं ॥  32

नमो नमो जय नमः शिवाय ।

सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई ।

ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।

पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।

निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥  36

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।

ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।

ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।

शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ।

अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥  40

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।

जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥

नित्त नेम कर प्रातः ही,

पाठ करौं चालीसा ।

तुम मेरी मनोकामना,

पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,

संवत चौसठ जान ।

अस्तुति चालीसा शिवहि,

पूर्ण कीन कल्याण ॥

शिव चालीसा डाउनलोड लिंक

शिव चालीसा(Shiv Chalisa) डाउनलोड करने के लिए हम आपसे लिंक साझा कर रहे हैं आप इस लिंक को टच करके शिव चालीसा डाउनलोड कर सकते हैं ।

FAQ’S 

Q. शिव चालीसा का रचनाकार कौन है?

Ans. शिव चालीसा का रचनाकार तुलसीदास जी हैं।

Q. शिव चालीसा में कितने श्लोक हैं?

Ans. शिव चालीसा में 40 श्लोक हैं।

Q. शिव चालीसा में भगवान शिव को किस नाम से संबोधित किया गया है?

Ans. शिव चालीसा में भगवान शिव को “शिव”, “महादेव”, “भगवान”, “शंकर”, “नीलकंठ”, “नीलकमल”, “नीललोहित”, “भवानीपति”, “अमरनाथ”, “भूतनाथ”, आदि नामों से संबोधित किया गया है।

Q. भगवान शिव का निवास स्थान कहाँ है?

Ans. भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत है।

Q. भगवान शिव का प्रतीक चिन्ह क्या है?

Ans. भगवान शिव का प्रतीक चिन्ह त्रिशूल, डमरू, और रुद्राक्ष है।

Previous articleश्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman Chalisa
Next articleश्री दुर्गा चालीसा | Shri Durga Chalisa
सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।