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श्री गंगा चालीसा | Shri Ganga Chalisa

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Ganga Chalisa: भारतीय संस्कृति में गंगा नदी केवल एक नदी नहीं, बल्कि माँ का रूप है, जो जीवनदायी जल प्रदान करती हैं और पापों का नाश करती हैं। गंगा माता की चालीसा एक भक्तिमय पाठ है, भक्तों द्वारा गंगा माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। 

गंगा माता की चालीसा भक्तों को गंगा माता की महिमा और उनके दिव्य गुणों का स्मरण कराता है। यह भक्तों को गंगा माता की भक्ति में प्रेरित करता है और उन्हें आत्मिक शांति और मोक्ष प्रदान करता है। चालीसा का पाठ करने से भक्तों को गंगा माता की कृपा प्राप्त होती है, जिसके फलस्वरूप उन्हें जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी,

जयति देवसरि गंग ।

जय शिव जटा निवासिनी,

अनुपम तुंग तरंग ॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी ।

आनंद करनी गंगा महारानी ॥

जय भगीरथी सुरसरि माता ।

कलिमल मूल डालिनी विख्याता ॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी ।

भीष्म की माता जगा जननी ॥

धवल कमल दल मम तनु सजे ।

लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई ॥

वहां मकर विमल शुची सोहें ।

अमिया कलश कर लखी मन मोहें ॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण ।

हिय मणि हर, हरानितम दूषण ॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी ।

तरल तरंग तुंग मन भावनी ॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान ।

इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना ॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी ।

श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि ॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो ।

गंगा सागर तीरथ धरयो ॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन ।

लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन ॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता ।

धरयो मातु पुनि काशी करवत ॥ 

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी ।

तरनी अमिता पितु पड़ पिरही ॥

भागीरथी ताप कियो उपारा ।

दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा ॥

जब जग जननी चल्यो हहराई ।

शम्भु जाता महं रह्यो समाई ॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी ।

रहीं शम्भू के जाता भुलानी ॥ 

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो ।

तब इक बूंद जटा से पायो ॥

ताते मातु भें त्रय धारा ।

मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा ॥

गईं पाताल प्रभावती नामा ।

मन्दाकिनी गई गगन ललामा ॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी ।

कलिमल हरनी अगम जग पावनि ॥ 

धनि मइया तब महिमा भारी ।

धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी ॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी ।

धनि सुर सरित सकल भयनासिनी ॥

पन करत निर्मल गंगा जल ।

पावत मन इच्छित अनंत फल ॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत ।

तबहीं ध्यान गंगा महं लागत ॥ 

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही ।

तई जगि अश्वमेघ फल पावहि ॥

महा पतित जिन कहू न तारे ।

तिन तारे इक नाम तिहारे ॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं ।

निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं ॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै ।

विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे ॥ 

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना ।

धर्मं मूल गंगाजल पाना ॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत ।

गृह गृह सम्पति सुमति विराजत ॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत ।

दुर्जनहूं सज्जन पद पावत ॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै ।

रोगी रोग मुक्त हवे जावै ॥ 

गंगा गंगा जो नर कहहीं ।

भूखा नंगा कभुहुह न रहहि ॥

निकसत ही मुख गंगा माई ।

श्रवण दाबी यम चलहिं पराई ॥

महं अघिन अधमन कहं तारे ।

भए नरका के बंद किवारें ॥

जो नर जपी गंग शत नामा ।

सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा ॥ 

सब सुख भोग परम पद पावहीं ।

आवागमन रहित ह्वै जावहीं ॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि ।

धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी ॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा ।

सुन्दरदास गंगा कर दासा ॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा ।

मिली भक्ति अविरल वागीसा ॥ 

॥ दोहा ॥

नित नए सुख सम्पति लहैं , धरें गंगा का ध्यान।

अंत समाई सुर पुर बसल , सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी , राम जन्म दिन चैत्र।

पूरण चालीसा किया , हरी भक्तन हित नेत्र॥

श्री गंगा चालीसा डाउनलोड लिंक | Shri Ganga Chalisa Download Link

श्री गंगा चालीसा(Ganga Chalisa) डाउनलोड करने के लिए हम आपसे लिंक साझा कर रहे हैं, आप इस लिंक को टच करके श्री गंगा चालीसा डाउनलोड कर सकते हैं । 

FAQ’S

Q1. गंगा नदी का उद्गम कहाँ है?

Ans. गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर में होता है।

Q2. गंगा नदी को कितने राज्यों से होकर गुजरती है?

Ans.  गंगा नदी 5 राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल) से होकर गुजरती है।

Q3. गंगा नदी की कुल लंबाई कितनी है?

Ans. गंगा नदी की कुल लंबाई 2,525 किलोमीटर है।

Q4. गंगा नदी से जुड़े कुछ प्रसिद्ध तीर्थस्थल कौन से हैं?

Ans.  गंगा नदी से जुड़े कुछ प्रसिद्ध तीर्थस्थल हैं: गंगोत्री, यमुनोत्री, हरिद्वार, ऋषिकेश, काशी, प्रयागराज, गंगा सागर आदि।

Q5. गंगा नदी का पर्यावरणीय महत्व क्या है?

Ans.  गंगा नदी लाखों लोगों को पीने का पानी प्रदान करती है और कृषि के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।