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श्री कृष्ण चालीसा | Shri Krishna Chalisa

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Shri Krishna Chalisa: हिंदू धर्म में, भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। वे भगवान के सबसे लोकप्रिय अवतारों में से एक हैं और उन्हें प्रेम, दया और करुणा के देव के रूप में पूजा जाता है। श्री कृष्ण चालीसा भगवान कृष्ण की आराधना का एक पावन चालीसा है। श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से भक्तों को कई लाभ होते हैं। यह चालीसा भक्तों को भगवान कृष्ण के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है। यह चालीसा भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और शांति प्रदान करती है। यह चालीसा भक्तों को अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने में मदद करती है। इसीलिए आप भी श्री कृष्ण जी की कृपा प्राप्त करने के लिए कृष्ण चालीसा नियमित तौर से पढ़ें । 

॥ दोहा॥

बंशी शोभित कर मधुर,

नील जलद तन श्याम ।

अरुण अधर जनु बिम्बफल,

नयन कमल अभिराम ॥

पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,

पीताम्बर शुभ साज ।

जय मनमोहन मदन छवि,

कृष्णचन्द्र महाराज ॥

॥ चौपाई ॥

जय यदुनंदन जय जगवंदन ।

जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।

जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥

जय नटनागर, नाग नथइया |

कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया ॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो ।

आओ दीनन कष्ट निवारो ॥4॥

वंशी मधुर अधर धरि टेरौ ।

होवे पूर्ण विनय यह मेरौ ॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो ।

आज लाज भारत की राखो ॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे ।

मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ॥

राजित राजिव नयन विशाला ।

मोर मुकुट वैजन्तीमाला ॥8॥

कुंडल श्रवण, पीत पट आछे ।

कटि किंकिणी काछनी काछे ॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे ।

छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ॥

मस्तक तिलक, अलक घुँघराले ।

आओ कृष्ण बांसुरी वाले ॥

करि पय पान, पूतनहि तार्यो ।

अका बका कागासुर मार्यो ॥12॥

मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला ।

भै शीतल लखतहिं नंदलाला ॥

सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई ।

मूसर धार वारि वर्षाई ॥

लगत लगत व्रज चहन बहायो ।

गोवर्धन नख धारि बचायो ॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई ।

मुख मंह चौदह भुवन दिखाई ॥16॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो ।

कोटि कमल जब फूल मंगायो ॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें ।

चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें ॥

करि गोपिन संग रास विलासा ।

सबकी पूरण करी अभिलाषा ॥

केतिक महा असुर संहार्यो ।

कंसहि केस पकड़ि दै मार्यो ॥20॥

मातपिता की बन्दि छुड़ाई ।

उग्रसेन कहँ राज दिलाई ॥

महि से मृतक छहों सुत लायो ।

मातु देवकी शोक मिटायो ॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी ।

लाये षट दश सहसकुमारी ॥

दै भीमहिं तृण चीर सहारा ।

जरासिंधु राक्षस कहँ मारा ॥24॥

असुर बकासुर आदिक मार्यो ।

भक्तन के तब कष्ट निवार्यो ॥

दीन सुदामा के दुःख टार्यो ।

तंदुल तीन मूंठ मुख डार्य ॥

श्री कृष्ण चालीसा डाउनलोड लिंक | Shri Krishna Chalisa Download Link

श्री कृष्ण चालीसा(Shri Krishna Chalisa) डाउनलोड करने के लिए हम आपसे लिंक साझा कर रहे हैं, आप इस लिंक को टच करके श्री कृष्ण चालीसा डाउनलोड कर सकते हैं ।

FAQ’S

Q. श्री कृष्ण जी का पालन-पोषण किसने किया था?

Ans. श्री कृष्ण जी का पालन-पोषण नंद बाबा और यशोदा माता ने किया था।

Q. श्री कृष्ण जी के प्रमुख अस्त्र कौन से थे?

Ans. श्री कृष्ण जी के प्रमुख अस्त्र सुदर्शन चक्र, कौमौदकी गदा, नंदक खड्ग थे।

Q. श्री कृष्ण जी की कितनी पत्नी थी?

Ans. श्री कृष्ण जी की 16108 पत्नी थी ।

Q. श्री कृष्ण जी के प्रमुख सखा कौन थे?

Ans. श्री कृष्ण जी के प्रमुख सखा सुदामा, उद्धव और अर्जुन थे ।

Q. श्री कृष्ण जी की माता का नाम क्या था?

Ans. श्री कृष्ण जी की माता का नाम देवकी था।

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सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।