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Rohini Vrat 2024: आखिर क्यों जैन और हिंदुओं के बीच प्रसिद्ध है रोहिणी व्रत? जानिए

Rohini Vrat 2024
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Rohini Vrat: रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) – जैन समुदाय के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिवस। यह व्रत हर महीने रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। इस दिन जैन धर्म के अनुयायी पूरे विश्व में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के दुख, कष्ट और दुखों से मुक्ति मिल सकती है।

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) का महत्व रोहिणी नक्षत्र के नाम के अनुरूप है। इस दिन का व्रत खुशहाली, शांति और सुख के लिए किया जाता है। यह व्रत लोगों में आत्म-संयम, नियंत्रण और सद्भाव को बढ़ावा देने में मदद करता है। इसके अलावा यह परिवार के सदस्यों के बीच पारस्परिक समझ को प्रोत्साहित करने में भी सहायक होता है। महिलाएं इस शुभ दिन पर अपने पति की लंबी आयु और पति के लिए व्रत रखती हैं। यह गरीबी को दूर करने और जीवन में समृद्धि और धन को आमंत्रित करने में भी मदद कर सकता है। 

तो आइए, इस लेख में हम रोहिणी व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं-इसका महत्व क्या है? इसे कैसे मनाया जाता है? इस दिन क्या-क्या किया जाता है। साथ ही यह भी जानेंगे कि इस व्रत को करने से हमें क्या लाभ मिलते हैं। पढ़िए यह रोचक और ज्ञानवर्धक लेख अंत तक।

रोहिणी व्रत – Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1रोहिणी व्रत कब है? 
2रोहिणी व्रत क्या है?
3रोहिणी व्रत का महत्व
4रोहिणी व्रत के फायदे
5रोहिणी व्रत नियम
6रोहिणी व्रत कथा
7रोहिणी व्रत कथा पीडीएफ
8रोहिणी व्रत पारण समय

रोहिणी व्रत कब है? (Rohini Vrat Kab Hai)

इस वर्ष रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) 6 जून 2024, दिन गुरुवार को पड़ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और रोहिणी देवी की पूजा की जाती है। यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु और पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। इस व्रत में उपवास रखा जाता है और दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं।

रोहिणी व्रत क्या है? (What is Rohini Vrat)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) जैन धर्म (Jainism) का एक बहुत महत्वपूर्ण व्रत है, जो वसुपूज्य स्वामी, बारहवें तीर्थंकर के समर्पित होता है। यह व्रत रोहिणी नक्षत्र के दिन किया जाता है, जो 27 नक्षत्रों में चौथा है। यह आस्था है कि इस व्रत को करने से भक्तों को अधिक समृद्धि मिलती है और उनके संचित पाप नष्ट होते हैं। यह व्रत महिलाओं द्वारा उनके पतियों की दीर्घायु की कामना के लिए किया जाता है। व्रत की कथा कुरुजंगला के राज्य से जुड़ी हुई है, जहां रानी रोहिनी ने जीवन, मृत्यु और दुःख के बारे में समझने के लिए व्रत किया।

रोहिणी व्रत का महत्व (Rohini Vrat Significance)

रोहिणी व्रत का महत्व कुछ इस प्रकार है: – 

  • खगोलीय संबंध: रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) रोहिणी नक्षत्र के समर्पित है, जो हिन्दू चंद्रमा कैलेंडर में प्रत्येक महीने एक बार दिखाई देता है। यह व्रत उस दिन मनाया जाता है, जब रोहिणी नक्षत्र अपने सबसे प्रभावशाली रूप में होता है।
  • धार्मिक महत्व: रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) का पालन करने से आशा जताई जाती है कि इससे व्यक्ति के पत्नी के लिए दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह व्रत विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति और दैवीय आशीर्वाद प्राप्त करने का मार्ग प्रदान करता है।

रोहिणी व्रत के फायदे (Rohini Vrat Benefits)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो रोहिणी नक्षत्र के दिन किया जाता है। यह व्रत प्रमुख रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और कुशलता के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) करने से संचित पापों का नाश होता है और अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करने से कर्म बंधनों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है। रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के पीछे एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा भी है जो इसके महत्व और फायदों को दर्शाती है।

रोहिणी व्रत नियम (Rohini Vrat Fasting Rules)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के दिन निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:

  • प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के पानी में गंगाजल मिला सकते हैं।
  • आचमन कर व्रत का संकल्प लें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
  • पूजा स्थल की साफ-सफाई करके भगवान वासुपूज्य की मूर्ति स्थापित करें।
  • पूजा में भगवान को फल, फूल, गंध, दूर्वा आदि अर्पित करें।
  • शाम को सूर्यास्त से पहले पूजा-पाठ करने के बाद सिर्फ फलाहार ग्रहण करें।
  • रोहिणी व्रत के दिन रात्रि में भोजन वर्जित है। अगले दिन पूजा-पाठ पूर्ण कर व्रत खोलें।
  • रोहिणी व्रत कम से कम 5 साल तक करने का विधान है। इसका उद्यापन भी आवश्यक है।
  • व्रत का उद्यापन करते समय गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी क्षमता अनुसार दान दें और भोजन कराएं।

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) को श्रद्धा और भक्ति भाव से करने से सभी कष्ट दूर हो सकते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महिलाएं इस व्रत को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए करती हैं।

रोहिणी व्रत कथा (Rohini Vrat Vrat Katha)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) एक महत्वपूर्ण व्रत है जो जैन समुदाय में मनाया जाता है। यह व्रत पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किया जाता है, हालांकि यह विशेष रूप से महिलाओं के लिए अनुशंसित है। यह व्रत कम से कम 5 महीने और अधिकतम 5 साल तक चलता है। यह रोहिणी नक्षत्र के दिन किया जाता है, जो महीने में दो बार आता है।

रोहिणी व्रत की एक लोकप्रिय कथा है। एक समय की बात है, धनमित्र नाम का एक राजा था जिसका वसुपाल नाम का एक मित्र था। धनमित्र की एक बेटी थी जिसका नाम दुर्गंधा था, जो बदबू के साथ पैदा हुई थी। धनमित्र को उसके विवाह की चिंता थी और उसने अपनी बेटी की शादी वसुपाल के बेटे श्रीसेन से करने का फैसला किया। हालाँकि, शादी के एक महीने बाद, दुर्गंधा बदबू के कारण अपने पति के घर छोड़ कर चली गई। एक दिन जंगल में भटकते हुए दुर्गंधा की मुलाकात अमृतसेन मुनि से हुई, जिन्होंने उसे अपनी समस्या से छुटकारा पाने के लिए रोहिणी व्रत करने का सुझाव दिया। अमृतसेन मुनि ने उसे भूपाल नाम के एक राजा और उनकी रानी सिंधुमति के बारे में बताया, जो एक पास के शहर में रहते थे। उन्होंने दुर्गंधा को उनके महल में जाने और रानी से रोहिणी व्रत करने का अनुरोध करने की सलाह दी। दुर्गंधा ने अमृतसेन मुनि की सलाह मानी और राजा भूपाल के महल गई। उसने रानी सिंधुमति से मुलाकात की और उनसे रोहिणी व्रत करने का अनुरोध किया। रानी सिंधुमति ने दुर्गंधा की मदद करने के लिए सहमति व्यक्त की और बड़ी भक्ति के साथ व्रत किया। परिणामस्वरूप, दुर्गंधा की बदबू गायब हो गई और वह एक सामान्य जीवन जी सकी।

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) को जैन धर्म (Jainism) में बहुत शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि इस व्रत का पालन करने से आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने, आत्मा को शुद्ध करने और सुख-समृद्धि लाने में मदद मिल सकती है। यह भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से स्वास्थ्य, धन और रिश्तों से संबंधित विभिन्न समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

रोहिणी व्रत कथा पीडीएफ (Rohini Vrat Vrat Katha PDF)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) की कथा हिंदू और जैन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, इस लेख में हम आपसे रोहिणी व्रत से संबंधित पीडीएफ (PDF) शेयर कर रहे हैं अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ को डाउनलोड (PDF Download) करके रोहिणी व्रत की कथा को कभी भी और कहीं भी पढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष:

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat), आध्यात्मिक उन्नति और मन की शुद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को विधि-विधानपूर्वक करने से भक्तों को अनेक शुभ फल प्राप्त होते हैं। रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और साथ ही हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर भी रोजाना विजिट करें।

FAQ’s :

Q. रोहिणी व्रत क्या है?

Ans. रोहिणी व्रत जैन समुदाय में महत्वपूर्ण उपवास है, जिसे हर माह के रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। यह व्रत समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य, और धन की प्राप्ति के लिए माना जाता है। 

Q. रोहिणी व्रत का महत्व क्या है?

Ans. रोहिणी व्रत का पालन करने से विश्वास और समर्पण के साथ समृद्धि, सुख, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Q. रोहिणी व्रत की पूजा कैसे की जाती है?

Ans. रोहिणी व्रत की पूजा में भोर के समय स्नान, अचमन, और उपवास का संकल्प लेना शामिल है। तत्पश्चात्, भक्त सूर्य देवता को जल चढ़ाते हैं और पूजा स्थल की सफाई करते हैं।

Q. रोहिणी व्रत को कितने समय तक मनाया जाता है?

Ans. रोहिणी व्रत को कम से कम पांच वर्षों तक मनाया जाता है, और हर पांच वर्षों के बाद इसका पालन जारी रखना चाहिए।

Q. रोहिणी व्रत का लाभ क्या है?

Ans. रोहिणी व्रत का पालन करने से शाश्वत सुख, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह स्वास्थ्य और धन से संबंधित सभी समस्याओं का उपचार करता है।

Q. रोहिणी व्रत को किस प्रकार किया जाता है?

Ans. रोहिणी व्रत का पालन शुद्ध वस्त्र पहनकर, पवित्र होकर, और पूजा करने में शामिल होता है।