Rohini Vrat ke Upay: रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) का दिन हिंदू पंचांग में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत न केवल संतान सुख प्राप्ति के लिए बल्कि जीवन की अन्य कई समस्याओं के समाधान के लिए भी किया जाता है। क्या आप भी संतान प्राप्ति में आ रही बाधाओं से परेशान हैं? क्या आपको नौकरी या शादी में देरी हो रही है? या फिर आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं? रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाया जाने वाला यह व्रत आपकी इन सभी समस्याओं का हल हो सकता है। प्राचीन काल से ही इस व्रत को करने का विधान बताया गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से देवी लक्ष्मी और भगवान वासुदेव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से संतान सुख, धन-वैभव, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम आपको रोहिणी व्रत का महत्व, पौराणिक कथा और इसे करने की विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही यह भी जानेंगे कि किस प्रकार यह व्रत आपके जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान कर सकता है।
तो चलिए, विस्तार से जानते हैं इस पावन व्रत के बारे में…
रोहिणी व्रत के उपाय –Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | घर शांति के लिए रोहिणी व्रत के उपाय |
2 | नौकरी के लिए रोहिणी व्रत के उपाय |
3 | संतान सुख के लिए रोहिणी व्रत के उपाय |
4 | पितृ को खुश करने के लिए रोहिणी व्रत के उपाय |
शादी के लिए रोहिणी व्रत के उपाय (Rohini Vrat ke Upay For Marriage)
रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के दिन शादी में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए कुछ खास उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, व्रत रखने वाले को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर, शिव- पार्वती की पूजा करनी चाहिए और उन्हें पीले फूल अर्पित करने चाहिए। इसके बाद, गाय को रोटी में गुड़ लपेटकर खिलाना चाहिए। दिन भर व्रत रखने के बाद, शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए। अंत में, व्रत का पारण करते समय ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इन उपायों को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से शादी में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।
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नौकरी के लिए रोहिणी व्रत के उपाय (Rohini Vrat ke Upay For Job)
रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के दिन नौकरी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- शनिदेव की पूजा करें: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव की पूजा करने से नौकरी में आने वाली बाधाएं दूर हो सकती हैं। रोहिणी व्रत के दिन शनि मंदिर जाकर शनि भगवान के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होंगे और आपको कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी।
- नीलम रत्न धारण करें: रत्न शास्त्र के अनुसार, शनि की नकारात्मक ऊर्जा को कम करने के लिए नीलम रत्न धारण करना लाभदायक होता है। रोहिणी व्रत के दिन शुक्ल पक्ष के शनिवार को मध्यमा उंगली में नीलम पहनें। इससे नौकरी में आ रही परेशानियां दूर हो सकती हैं। हालांकि, रत्न धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें।
- गाय को रोटी खिलाएं: शास्त्रों के अनुसार, अगर आपको नौकरी में बाधाएं आ रही हैं या काम बिगड़ रहे हैं, तो रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के दिन शक्कर की रोटी बनाकर गाय को खिलाएं। ऐसा करने से काम बनने लगेगा और आप सफलता प्राप्त कर पाएंगे।
घर शांति के लिए रोहिणी व्रत के उपाय (Rohini Vrat ke Upay For Peace)
रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के दिन घर में शांति बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करनी चाहिए और गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान करना चाहिए। फिर पूजा स्थल को साफ करके भगवान वासुपूज्य की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान देना भी शांति लाने में सहायक होता है। व्रत के दौरान सूर्यास्त से पहले फलाहार लेना चाहिए और रात्रि भोजन से परहेज करना चाहिए। इसके साथ ही, किसी का बुरा न सोचें, क्रोध न करें और सभी जीवों के प्रति अहिंसा का भाव रखें। इन उपायों को करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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संतान सुख के लिए रोहिणी व्रत के उपाय (Rohini Vrat ke Upay for Pregnancy)
रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) संतान प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और माता रोहिणी की पूजा की जाती है। व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और ताजे वस्त्र पहनना चाहिए। भगवान कृष्ण और माता रोहिणी को फूल, फल और अन्य भोग अर्पित करना चाहिए। उनके मंत्र का जाप करना और आरती करनी चाहिए। प्रसाद का वितरण भी करना चाहिए। गरीबों को भोजन कराना इस दिन शुभ माना जाता है। व्रत के दौरान सात्विक और फलाहारी भोजन करना चाहिए। पति-पत्नी को एक साथ व्रत रखना और पूजा करनी चाहिए। इस दिन दान-पुण्य करना भी लाभदायक होता है। व्रत के साथ संतान गोपाल मंत्र (Santan Gopal Mantra) का जाप और संतान प्राप्ति के लिए विशेष पूजा भी की जा सकती है।
पितृ को खुश करने के लिए रोहिणी व्रत के उपाय (Rohini Vrat ke Upay for Pitra)
रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के दिन पितरों को खुश करने के लिए दो मुख्य उपाय हैं:
- पितरों की तस्वीर को दक्षिण दिशा में लगाएं और उनसे अपनी गलतियों की क्षमा मांगें। रोजाना उनके सामने दीपक जलाएं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
- पितरों के निमित्त विधि-विधान से तर्पण और श्राद्ध करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें। इसके अलावा साल की हर एकादशी, चतुर्दशी और अमावस्या को पितरों को जल अर्पित करें और त्रिपिंडी श्राद्ध करें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
इन उपायों को करने से पितर खुश होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में खुशहाली आती है।
Conclusion:
रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत न केवल चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति में सहायक होता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुष्टि भी प्रदान करता है। रोहिणी व्रत से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और साथ ही हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर भी रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. रोहिणी व्रत किस धर्म से संबंधित है?
Ans. रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) मुख्य रूप से जैन धर्म से संबंधित है। यह व्रत जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी की पूजा से जुड़ा हुआ है। हालांकि, हिंदू धर्म में भी इस व्रत का महत्व माना जाता है। यह व्रत 27 नक्षत्रों में से एक रोहिणी नक्षत्र के नाम पर रखा गया है।
Q. रोहिणी व्रत का महत्व क्या है?
Ans. रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) को करने से भक्त को महान समृद्धि मिलती है और उसके पापों का नाश होता है। इससे भारी पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को हर प्रकार के दुख और कष्ट से मुक्ति मिलती है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करती हैं।
Q. रोहिणी व्रत कब किया जाता है?
Ans. रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) उस दिन किया जाता है जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है। यह व्रत रोहिणी नक्षत्र में शुरू किया जाता है और अगले दिन मार्गशीर्ष नक्षत्र लगने तक चलता है। आमतौर पर एक साल में 24 रोहिणी व्रत होते हैं। इसे लगातार तीन, पांच या सात साल तक किया जाता है। इसकी आदर्श अवधि पांच वर्ष या पांच महीने मानी जाती है।
Q. रोहिणी नक्षत्र का क्या महत्व है?
Ans. रोहिणी नक्षत्र (Rohini Vrat) 27 नक्षत्रों में चौथा क्रम का है और इसे शुभ एवं सौभाग्यशाली माना जाता है। जैन धर्म में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व 12वें तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी से जुड़ा होने के कारण है।
Q. रोहिणी व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर भगवान वासुपूज्य की मूर्ति स्थापित कर पूजा करें। उन्हें सुगंधित सामग्री, फल, फूल, दूर्वा आदि अर्पित करें। शाम में सूर्यास्त से पहले आरती-आराधना कर फलाहार करें। इस व्रत में रात्रि में भोजन नहीं किया जाता। अगले दिन पूजा पूरी कर व्रत खोलें और गरीबों को दान दें।
Q. रोहिणी व्रत करने से क्या लाभ मिलते हैं?
Ans. जैन मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। इससे व्यक्ति की दरिद्रता भी दूर होती है। जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से यह व्रत करता है, उसके जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।