Sankashti Chaturthi Puja vidhi:- संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है यह त्योहार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का त्योहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र (Maharashtra) में इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है जहां लोग भगवान गणेश (Lord Ganesh) की मूर्ति स्थापित करके उनकी पूजा करते हैं। गुजरात में इस दिन माता पार्वती (Goddess Parvati) की पूजा की जाती है और उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता है। तमिलनाडु (Tamil Nadu) में इस दिन पिल्लैयार (गणेश) की पूजा की जाती है और मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है। संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व तो है ही, साथ ही यह लोगों को एक-दूसरे के करीब लाने का भी काम करता है। इस दिन परिवार के सदस्य एकत्र होकर पूजा करते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। कई लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं और गरीबों को भोजन कराते हैं।
तो चलिए, इस लेख में हम संकष्टी चतुर्थी के बारे में विस्तार से जानेंगे – इसका महत्व क्या है, इसे कैसे मनाया जाता है, इससे जुड़ी कथाएं और मान्यताएं क्या हैं। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि आप इस दिन क्या कर सकते हैं ताकि आपके जीवन में भी सुख-शांति और समृद्धि आए। तो पढ़ते रहिए…
Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि |
2 | क्या है संकष्टी चतुर्थी? |
3 | कैसे करें संकष्टी चतुर्थी पूजा? |
4 | संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त |
5 | संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि |
6 | संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त |
7 | संकष्टी चतुर्थी पूजन सामग्री |
8 | संकष्टी चतुर्थी पूजन सामग्री लिस्ट पीडीएफ |
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि क्या है? (Sankashti Chaturthi Puja Method)
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) की पूजन विधि निम्नानुसार है:
- प्रातःकाल उठकर स्नान आदि नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर, पवित्र वस्त्र धारण करें। गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करके उनकी पूजा-अर्चना करें।
- पूजा स्थल पर लाल वस्त्र बिछाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति के चारों ओर चावल के दानों से स्वास्तिक बनाएं।
- गणेश जी को लाल वस्त्र और लाल फूल अर्पित करें। मोदक, लड्डू आदि गणेश जी को प्रिय मिष्ठान भोग के रूप में चढ़ाएं।
- गणेश जी की आरती करते हुए उनके 108 नामों का जाप करें। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना विशेष शुभ माना जाता है।
- गणेश चालीसा का पाठ करें। इसके बाद गणेश जी को दुर्वा घास, लाल चंदन, लाल गुलाल अर्पित करें।
- गणेश जी को धूप-दीप दिखाएं। कपूर की आरती करें। भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें।
- गणेश जी से मनोकामना पूर्ति और विघ्न-बाधाओं के निवारण की प्रार्थना करें। उन्हें मन ही मन विनती करें।
- अंत में गणेश जी को प्रणाम करके आशीर्वाद लें। प्रसाद का वितरण करें। शाम के समय गणेश जी की विसर्जन विधि संपन्न करें।
संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की इस विधि से पूजा-अर्चना करने से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
क्या है संकष्टी चतुर्थी? (Kya Hai Sankashti Chaturthi?)
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi), हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे गणेश जी (Lord Ganesh) की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखकर, भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा की जाती है और उन्हें निवेदन भी किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है।
कैसे करें संकष्टी चतुर्थी पूजा? (Kaise kare Sankashti Chaturthi Puja?)
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) की पूजा में भगवान गणेश (Lord Ganesh) की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित की जाती है। पूजा के लिए लाल रंग का आसन बिछाया जाता है। भगवान गणेश को लाल वस्त्र और लाल फूल अर्पित किए जाते हैं। प्रसाद के रूप में लड्डू या मोदक चढ़ाए जाते हैं। पूजा में 21 दुर्वा के पत्ते, हल्दी, कुमकुम और अक्षत का उपयोग किया जाता है। श्रद्धालु गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa) का पाठ करते हैं और भगवान गणेश के 108 नामों का जाप करते हैं। आरती और प्रसाद वितरण के साथ पूजा संपन्न होती है। इस दिन लाल रंग का उपयोग शुभ माना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त क्या है? (Sankashti Chaturthi Puja Muhurat)
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को सुबह 06.06 बजे शुरू होकर 27 मई की सुबह 04.53 बजे समाप्त होगी। इस दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का पर्व मनाया जाएगा, जिसका शुभ मुहूर्त 26 मई को ही है। संकष्टी का चंद्रोदय रात 09.39 बजे होगा। इस अवसर पर भक्त गणपति के लिए व्रत रखेंगे और उनकी विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान श्री गणेश की कृपा से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखने वाले भक्तों को बप्पा का आशीर्वाद मिलता है।
संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि (Sankashti Chaturthi Pujan Vidhi)
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) त्योहार की पूजन विधि इस प्रकार है:
- प्रातःकाल उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। प्रतिमा को लाल वस्त्र, सिंदूर और चंदन से सजाएं। गणेश जी के समक्ष दीपक जलाएं और धूप-दीप करें।
- गणेश जी को लड्डू, मोदक या उनकी प्रिय मिठाइयां अर्पित करें। साथ ही लाल फूल, दूर्वा और अक्षत (अखंडित चावल) भी चढ़ाएं। श्रद्धा और भक्ति के साथ गणेश जी की आरती करें और उनका ध्यान करें।
- गणेश जी की पूजा के बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। इस कथा में श्रीगणेश की महिमा और उनकी कृपा से भक्तों के संकट दूर होने का वर्णन है। कथा सुनने और सुनाने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
- दिन भर उपवास रखें और शाम को गणेश जी को भोग लगाकर व्रत का पारण करें। भोग में गणेश जी को मोदक, लड्डू, फल आदि प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।
- संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना, व्रत और कथा के श्रवण से सभी बाधाएं और संकट दूर होते हैं। गणेश जी की कृपा से सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। अतः पूरे श्रद्धा-भाव से गणेश जी का पूजन और व्रत करना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Muhurat)
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को सुबह 06:06 बजे शुरू होकर 27 मई की सुबह 04:53 बजे समाप्त होगी। इस दिन भक्तजन एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाएंगे, जिसका शुभ मुहूर्त 26 मई को ही है। संकष्टी का चंद्रोदय रात 09:39 बजे होगा। इस अवसर पर गणपति की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान श्री गणेश की कृपा से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखने वाले भक्तों को बप्पा का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
संकष्टी चतुर्थी पूजन सामग्री (Sankashti Chaturthi Pujan Samagri list)
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) की पूजन सामग्री की लिस्ट कुछ इस प्रकार है-
S.NO | पूजन सामग्री |
1 | गणेश जी की मूर्ति |
2 | चौकी (एक छोटा लकड़ी का प्लेटफार्म) |
3 | लाल कपड़ा (आसन) |
4 | पानी भरा कलश |
5 | पंचामृत (शहद, चीनी, दूध, दही, और घी का मिश्रण) |
6 | रोली |
7 | तुलसी की पत्तियां |
8 | अगरबत्ती और धूप |
9 | घी का दीपक (दीया) |
10 | नारियल |
11 | गुड़ |
12 | सुपारी |
13 | हल्दी |
14 | अक्षत (चावल के दाने) |
15 | फूल और माला |
16 | दूर्वा घास |
17 | मोदक या लड्डू |
18 | पंचमेवा |
19 | बेल पत्तियां |
संकष्टी चतुर्थी पूजन सामग्री लिस्ट पीडीएफ (Sankashti Chaturthi Pujan Samagri List PDF)
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) की संपूर्ण पूजन सामग्री की सूची हम आपसे पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड करके हम आपसे संपूर्ण सूची को देख सकते हैं।
Conclusion:–
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti chaturthi) भगवान गणेश (Lord Ganesh) की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का पावन अवसर है। इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से, भक्तों को सुख-समृद्धि, विघ्नों से मुक्ति, और बुद्धि प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेखक अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इस लेख को अपने सभी प्रिय जनों के साथ साझा करें, ऐसे ही और भी पावन त्योहार और व्रत से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. संकष्टी चतुर्थी का महत्व क्या है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन भक्त गणेश जी की पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Q. संकष्टी चतुर्थी कब मनाई जाती है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में स्थित होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, एक वर्ष में 12 या 13 संकष्टी चतुर्थी आती हैं। इस दिन भक्त व्रत रखकर भगवान गणेश की आराधना करते हैं।
Q. संकष्टी चतुर्थी पर क्या किया जाता है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करते हैं। फिर वे दिन भर उपवास रखते हैं और गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं। शाम को व्रत का पारण करने से पहले गणेश जी को दूर्वा घास, लड्डू और मोदक का भोग लगाया जाता है।
Q. संकष्टी चतुर्थी व्रत कैसे किया जाता है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और साफ वस्त्र धारण करते हैं। फिर वे गणेश जी की मूर्ति या चित्र की स्थापना करके उनकी पूजा करते हैं। दिन भर निराहार रहकर गणेश जी के मंत्रों का जाप करते हैं। शाम को व्रत का पारण करने से पहले गणेश जी को प्रसाद अर्पित किया जाता है।
Q. संकष्टी चतुर्थी पर क्या खाया जाता है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और कुछ नहीं खाते। शाम को व्रत खोलने के समय वे सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं जिसमें फल, सूखे मेवे, साबुदाना और दूध के पदार्थ शामिल होते हैं। कुछ लोग सिंघाड़े के आटे से बने व्यंजन भी खाते हैं। गणेश जी को लड्डू और मोदक का भोग लगाया जाता है।
Q. संकष्टी चतुर्थी पर क्या दान किया जाता है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है। इस दिन लोग ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराते हैं। साथ ही उन्हें वस्त्र, फल, मिठाइयां और दक्षिणा भी दी जाती है। कुछ लोग गणेश मंदिरों में चावल, तिल और गुड़ का दान करते हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी पर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।