Home Jayanti Shani Jayanti:- जानिए जून में कब मनाई जाएगी शनि जयंती? और क्या...

Shani Jayanti:- जानिए जून में कब मनाई जाएगी शनि जयंती? और क्या है इसकी पौराणिक कथा, जाने इसका इतिहास और महत्व

Join Telegram Channel Join Now

Shani Jayanti: क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है? जी हां, शनि देव हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। 

शनि देव (Lord Shanidev) को ग्रहों का राजा भी कहा जाता है क्योंकि वह सभी नवग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं और एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की दशा और अंतर्दशा व्यक्ति के जीवन में सुख-दुःख, लाभ-हानि और उन्नति-अवनति का कारण बनती है। शनि जयंती का पर्व प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन शनि देव का जन्मदिन मनाया जाता है और उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शनि देव को प्रसन्न करने से जातक के जीवन के कष्ट दूर होते हैं और वह समृद्धि और सफलता प्राप्त करता है। शनि जयंती के दिन शनि देव को तेल, ऊँ और काले वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। शनि चालीसा और आरती का पाठ करने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं।

शनि देव (Lord Shanidev) को मंदगामी, सूर्य पुत्र और शनिश्वर जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। उनके स्वभाव के कारण उन्हें कठोर और दंडकारी देवता भी माना जाता है। हालांकि, शनि देव को मोक्ष प्रदाता भी कहा जाता है। जो व्यक्ति अनुचित व्यवहार करता है उसे शनि देव दंड देते हैं और जो परहित के कार्यों में लगा रहता है उसे समृद्धि और सफलता का वरदान देते हैं।

आइए इस लेख में हम शनि जयंती (Shani Jayanti) के महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा और लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे। साथ ही यह भी जानेंगे कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए क्या उपाय करने चाहिए। तो चलिए शुरू करते हैं…

Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1शनि जयंती कब है?
2शनि जयंती क्या है?
3शनि जयंती का महत्व
4शनि जयंती के फायदे
5शनि जयंती व्रत नियम
5शनि जयंती व्रत कथा
7शनि जयंती व्रत कथा पीडीएफ
8शनि जयंती पारण समय

शनि जयंती कब है? (Shani Jayanti kab hai)

शनि जयंती (Shani Jayanti), न्याय के देवता भगवान शनि (Lord Shanidev) का जन्मोत्सव, हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। 2024 में, शनि जयंती 6 जून, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान शनि की आराधना और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। शनिदेव कर्मफलदाता के नाम से जाने जाते हैं, अर्थात वे प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देते हैं।

शनि जयंती क्या है? (What is  Shani Jayanti )

शनि जयंती (Shani Jayanti) हिंदू धर्म में शनि देव के जन्मदिन को मनाया जाने वाला त्योहार है। शनि देव (Lord Shanidev) को न्याय और कर्मों का फल देने वाला देवता माना जाता है। शनि जयंती (Shani Jayanti) वैशाख माह की अमावस्या को मनाई जाती है। शनि देव की कृपा पाने के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है और पूजा-पाठ किया जाता है। शनि चालीसा का पाठ, दीपक जलाना और पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से जीवन की परेशानियां और कष्ट दूर होते हैं।

शनि जयंती का महत्व (Shani Jayanti significance)

शनि जयंती के महत्व के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  • कर्म और न्याय का प्रतीक: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनिदेव सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। शनिदेव (Shani Jayanti) को न्याय और प्रतिकार का देवता माना जाता है। वे लोगों के कर्मों के आधार पर उन्हें अच्छे या बुरे परिणाम देते हैं। जो लोग अच्छे कर्म करते हैं उन्हें पुरस्कृत करते हैं और जो बुरे कर्म करते हैं उन्हें दंडित करते हैं। इसलिए शनि जयंती का दिन शनिदेव की कृपा प्राप्त करने और उनके क्रोध से बचने के लिए मनाया जाता है।
  • व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव: शनि जयंती (Shani Jayanti) मनाने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं, जैसे कि करियर में वृद्धि, आर्थिक स्थिरता, सौहार्दपूर्ण संबंध और समग्र कल्याण। यह दिन अपने कर्मों पर विचार करने, पिछली गलतियों के लिए क्षमा मांगने और जीवन में सदाचार और संतुलन के लिए प्रयास करने का अवसर प्रदान करता है।

शनि जयंती के फायदे (Shani Jayanti benefits)

शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन शनि देव (Lord Shanidev) की पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। शनि देव (Lord Shanidev) को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी कृपा से जीवन की कई समस्याएं दूर हो सकती हैं। शनि देव की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। शनि देव की पूजा करने से बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है। शनि देव की कृपा पाने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और ग्रह-नक्षत्रों का दोष भी दूर होता है। शनि जयंती के दिन व्रत रखने, दान-पुण्य करने और शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शनि जयंती व्रत नियम (Shani Jayanti fasting rules)

शनि जयंती (Shani Jayanti), जो 2024 में 6 जून को मनाया जाएगा, एक बहुत ही पवित्र दिन है, जिसका समर्पण हिंदू धर्म में न्याय और कर्म के देवता, भगवान शनि (Lord Shanidev) की उपासना के लिए किया जाता है। इस दिवस के आचरण के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं:

  • दान करें और सम्मान करें: शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन आवश्यकतामंद लोगों को खाना, धन, और कपड़े दान करें, और बड़ों का सम्मान करें।
  • तामसिक वस्तुओं से दूर रहें: दूसरों की आलोचना करने या उनसे विवाद करने से बचें।
  • तेल का दीपक जलाएं: पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं।
  • काले तिल और काला उद्द दान करें: इस दिन काले तिल और काला उद्द (एक प्रकार का पक्षी) दान करें।
  • मंदिर जाएं: शनि देव की पूजा करने के लिए मंदिर जाएं।
  • मंत्र जपें: शनि देव के इन मंत्रों का जप करें।

शनि जयंती व्रत कथा ( Shani Jayanti vrat katha)

शनि जयंती पर शनि देव की पौराणिक कथा इस प्रकार है:

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, शनिदेव (Lord Shanidev) ने भगवान शिव (Lord Shiva) की कठोर तपस्या और भक्ति से नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया। एक बार जब सूर्यदेव अपनी पत्नी छाया के पास गर्भाधान के लिए गए, तो छाया ने सूर्य के तेज से डरकर आँखें बंद कर ली। बाद में छाया के गर्भ से श्याम वर्ण वाले शनिदेव का जन्म हुआ। शनि के काले रंग को देखकर सूर्य ने छाया पर शनि को अपना पुत्र न मानने का आरोप लगाया। तभी से शनि अपने पिता सूर्य से शत्रुता रखते हैं।

कई वर्षों तक भूखे-प्यासे रहकर शिव की आराधना और घोर तपस्या करने पर शिव ने प्रसन्न होकर शनि को वरदान मांगने को कहा। शनि ने प्रार्थना की कि उनकी मां छाया को सूर्य द्वारा सदा अपमानित किया गया है, अतः वे अपने पिता से भी अधिक शक्तिशाली और पूज्य बनना चाहते हैं। तब शिव ने वरदान दिया कि नवग्रहों में शनि का स्थान सर्वश्रेष्ठ होगा और वे पृथ्वी के न्यायाधीश व दंडाधिकारी होंगे। देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर और नाग भी शनि के नाम से भयभीत रहेंगे। ग्रंथों के अनुसार शनिदेव कश्यप गोत्रीय हैं और सौराष्ट्र उनका जन्मस्थल माना जाता है। शनि जयंती या प्रत्येक शनिवार को विशेष मंत्रों का जाप करने से यश, सुख, समृद्धि, सफलता और अपार धन-धान्य मिलता है। 

शनि जयंती व्रत कथा पीडीएफ (Shani Jayanti vrat katha PDF)

भगवान शनि देव (Lord Shanidev) की जयंती से संबंधित व्रत कथा हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके शनिदेव जी की व्रत कथा कभी भी और कहीं भी पढ़ सकते हैं।

शनि जयंती पारण समय (Shani Jayanti parana time)

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 5 जून को शाम 7:54 बजे शुरू होगी और 6 जून को शाम 6:07 बजे समाप्त होगी। तिथियों की गणना उदया तिथि से की जाती है, इसलिए शनि अमावस्या 6 जून को मनाई जाएगी। यह महत्वपूर्ण तिथि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, जब भक्तगण शनि देव की पूजा-अर्चना करते हैं। इस पवित्र दिन को सही तरीके से मनाने के लिए पंचांग का पालन करना आवश्यक है, ताकि शनि देव की कृपा प्राप्त हो सके और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे।

Conclusion:-

शनि जयंती (Shani Jayanti) हमें अपने कर्मों के प्रति सचेत रहने और सदैव सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। भगवान शनि की पूजा करके हम उनसे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और सुख-समृद्धि प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। शनि जयंती से संबंधित हमारा यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया ऐसे ही और भी शानदार लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें

FAQ’s 

Q. शनि देव को हिंदू धर्म में क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?

शनि देव को हिंदू धर्म में न्याय और कर्मफल देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। उन्हें व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार फल देने का अधिकार प्राप्त है। शनि देव को प्रसन्न करने से जीवन में सुख-समृद्धि और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसलिए शनि देव को हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

Q. शनि देव का जन्म कब और कैसे हुआ था?

Ans. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनि देव का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। वे सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। शनि को जन्म के समय ही काला वर्ण और भयानक रूप प्राप्त हुआ था। उनके भयानक रूप को देखकर सभी देवता डर गए थे।

Q. शनि देव की पूजा का क्या महत्व है?

Ans. शनि देव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। उनकी कृपा से व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शनि देव को प्रसन्न करने से आर्थिक संकट, रोग-व्याधि और अन्य समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसलिए शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है।

Q. शनि जयंती कब मनाई जाती है?

Ans. शनि जयंती हर साल हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। सन् 2024 में शनि जयंती 6 जून, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। यह दिन शनि देव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और इस दिन शनि देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

Q. शनि जयंती पर क्या-क्या किया जाता है?

Ans. शनि जयंती के दिन प्रातः काल स्नान करके शनि देव की मूर्ति या तस्वीर के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है। शनि चालीसा का पाठ किया जाता है और व्रत रखा जाता है। इस दिन काले रंग के वस्त्र, तिल और लोहे से बनी वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है।

Q. शनि देव को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है?

Ans. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उनकी मूर्ति या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। शनि चालीसा और अन्य स्तुतियों का नियमित पाठ करना चाहिए। शनिवार के दिन उपवास रखना और दान-पुण्य करना शुभ होता है। शनि देव को काले तिल, लोहा और काले कपड़े अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं।