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Govardhan Puja kab Hai 2024: गोवर्धन पूजा कब है, और क्या है शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र व पौराणिक कथा? जाने इस लेख में।

Govardhan Puja kab Hai 2024
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गोवर्धन पूजा कब है?  जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि (Govardhan Puja kab Hai 2024): गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) की महिमा का प्रतीक है और हमें उनकी शक्ति और कृपा की याद दिलाता है। गोवर्धन पूजा के दिन लोग अपने घरों में गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं और उनकी कृपा की प्रार्थना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गोवर्धन पूजा 2024 में कब है? क्या आप जानते हैं कि गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का शुभ मुहूर्त क्या है? और क्या आप जानते हैं कि गोवर्धन पूजा की पूजा विधि और कथा क्या है? इस लेख में, हम आपको गोवर्धन पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे और इसके महत्व को समझाएंगे। हम आपको बताएंगे कि कैसे गोवर्धन पूजा हमारे जीवन में सुख और समृद्धि लाती है और कैसे यह त्योहार हमें भगवान कृष्ण के साथ जोड़ता है। तो आइए, गोवर्धन पूजा के बारे में जानें और इसकी महत्ता को समझें। 

इस लेख के माध्यम से, हम आपको गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आप इसकी महत्ता को समझ सकें और इसका लाभ उठा सकें…

गोवर्धन पूजा 2024 कब है? (Govardhan Puja 2024 kab Hai)

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर 2024 को सायं 6:16 बजे से होगा, और इसका समापन 2 नवंबर 2024 को रात 8:21 बजे पर होगा। चूंकि उदयातिथि का महत्व होता है, इसलिए गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस पावन अवसर पर लोग गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करेंगे, जिससे प्रकृति और धर्म के प्रति समर्पण का भाव व्यक्त किया जाएगा।

गोवर्धन पूजा 2024 शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja 2024 Shubh Muhurat)

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त प्रात: 6:00 बजे से 8:00 बजे तक रहेगा और पूजा का अनुकूल समय दोपहर 3:23 से 5:35 तक है।

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्तप्रात: 6:00 बजे से 8:00 बजे तक
पूजा का अनुकूल समयदोपहर 3:23 से 5:35 तक है

गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की विधि को निम्नलिखित मुख्य चरणों में विस्तार से समझा जा सकता है:

  • स्नान एवं पूजा प्रारंभ: गोवर्धन पूजा के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। अपने इष्ट देवता की विधिवत पूजा करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • गोबर से गोवर्धन आकृति बनाना: शुद्ध गाय का गोबर इकट्ठा करें और ध्यान दें कि उसमें कंकड़, पत्थर, या गंदगी न हो। इस गोबर से भगवान गोवर्धन की शयन मुद्रा में आकृति बनाएं।
  • दीपक का स्थान एवं पूजन सामग्री: भगवान गोवर्धन की आकृति की नाभि के स्थान पर मिट्टी का दीपक रखें और उसे दूध, दही, शहद, बताशे, और गंगाजल से भर दें। फिर भगवान की आकृति को सुंदर फूलों से सजाएं।
  • नैवेद्य अर्पण एवं दीप प्रज्वलन: भगवान गोवर्धन को नैवेद्य (भोग) और फल अर्पित करें। दीप प्रज्वलित करें और मन में भगवान का ध्यान करते रहें।
  • परिक्रमा एवं जल छिड़काव: भगवान गोवर्धन की सात बार परिक्रमा करें। परिक्रमा के दौरान लोटे में गंगाजल भरकर आकृति के चारों ओर जल छिड़कते चलें और जौ के बीज बोते जाएं।
  • आरती एवं प्रसाद वितरण: परिक्रमा समाप्त होने पर भगवान गोवर्धन की आरती उतारें और नाभि वाले दीपक में रखे प्रसाद का वितरण करें। अंत में भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें।

गोवर्धन पूजा मंत्र (Govardhan Puja Mantra) 

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) में “गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक, विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव” मंत्र का जप किया जाता है, जो गोवर्धन पर्वत की महिमा और सुरक्षा का प्रतीक है।

गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja ka Mahatva)

  • गोवर्धन पर्वत का महत्व: भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) ने इंद्र का मान-मर्दन कर ब्रजवासियों को गौ-धन और पर्यावरण की महत्ता समझाई। गोवर्धन पर्वत को ‘गिरिराज’ कहा जाता है, जो भगवान कृष्ण का प्रतीक है और ब्रज का एकमात्र स्थिर अवशेष है।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता: श्रीनाथजी के प्राकट्य स्थल होने के कारण गोवर्धन की धार्मिक महत्ता बढ़ जाती है। गर्ग संहिता में इसे भगवान हरि का प्रिय बताया गया है और धरती और स्वर्ग का श्रेष्ठ तीर्थ कहा गया है।
  • गोवर्धन पूजा का महत्व: गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) के दिन तेलाभ्यंग करने से आयु, आरोग्य और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन प्रसन्नचित्त रहकर जो व्यक्ति भगवान के चरणों में शुद्ध भाव से समर्पित होता है, वह पूरे साल सुखी और समृद्ध रहता है।

गोवर्धन पूजा से जुड़ीं कथा (Govardhan Puja Se Judi katha)

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की यह प्राचीन परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। उस समय, ब्रज में इंद्र की पूजा की जाती थी। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Krishna) ने गोकुलवासियों को यह समझाया कि इंद्र से कोई वास्तविक लाभ नहीं होता है। इंद्र का काम केवल वर्षा करना है, जबकि गोवर्धन पर्वत का महत्व गौ-धन के संवर्धन और संरक्षण में है, जो कि पर्यावरण को शुद्ध करता है। इसीलिए, इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन की आराधना करनी चाहिए।

इंद्र ने गोकुलवासियों को डराने के लिए प्रचंड वर्षा का प्रयास किया, परंतु श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर सभी को उनकी नाराजगी से बचा लिया। तब से ही गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा का आरंभ हुआ। यह परंपरा आज भी जीवित है। ब्रजवासी सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत की शरण में रहते हैं। सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक भी पानी की बूंद नहीं गिरती। ब्रह्मा जी ने इंद्र से कहा कि अब श्री कृष्ण का अवतार हो चुका है, इसलिए तुमसे वैर लेना उचित नहीं है। जब इंद्र ने इस बात को सुना, तो अपनी मूर्खता पर उन्हें बहुत शर्मिंदगी हुई और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। श्रीकृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रजवासियों को निर्देश दिया कि वे प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व को खुशी के साथ मनाएं।

गोवर्धन पूजा से जुड़ीं कथा पीडीएफ (Govardhan Puja Se Judi katha PDF)

इस विशेष लेख के जरिए हम आपसे गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) से जुड़ी पौराणिक तथा का एक पीडीएफ साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड करने के बाद गोवर्धन पूजा से जुड़ी कथा को श्रद्धा भाव से सरलता पूर्वक पढ़ सकते हैं।

गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF Download

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 Conclusion:-Govardhan Puja kab Hai 2024

आशा करते हैं की (गोवर्धन पूजा कब है? जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि) से संबंधित यह बेहद खास लेख आपको पसंद आया होगा अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

1.गोवर्धन पूजा किस दिन होती है?

यह पूजा दीपावली के अगले दिन, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को होती है।

2.गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?

यह भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्रदेव के क्रोध से गोकुलवासियों की रक्षा के उपलक्ष्य में की जाती है।

3.गोवर्धन पूजा में क्या खास होता है?

इस दिन गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है।