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Janmashtami Vrat Me Kya khaye Aur kya Nahi 2024: जन्माष्टमी व्रत में क्या खाएं क्या ना खाएं?, जानिए विस्तार से इस लेख में 

Janmashtami Vrat Me Kya khaye Aur kya Nahi 2024
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जन्माष्टमी व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं (Janmashtami Vrat Me kya Khaye Aur kya Nahi): जन्माष्टमी (Janmashtami) का पावन पर्व हर साल भारत में बड़ी धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। श्रीकृष्ण (Shri Krishna) के जन्मोत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार पर लाखों लोग निर्जला व्रत रखते हैं और पूरे दिन भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि इस कठिन व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए और किन चीजों से परहेज करना चाहिए? क्या आप अवगत हैं उन खास टिप्स से जो व्रत के दौरान आपकी सेहत और ऊर्जा को बरकरार रख सकते हैं? जन्माष्टमी का व्रत पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर निभाना आसान नहीं होता। ऐसे में अगर हम बिना सोचे-समझे कुछ भी खा लें तो शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं सही आहार लेने से हमारी इम्यूनिटी बूस्ट होती है और व्रत के प्रति हमारी सहनशीलता भी बढ़ती है। 

तो आइए जानते हैं उन फूड्स के बारे में जो जन्माष्टमी (Janmashtami Vrat Me kya Khaye Aur Kya Nahi) के व्रत में लाभदायक हैं और उन चीजों के बारे में भी जो नहीं खानी चाहिए…

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Table Of Content :-Janmashtami Vrat Me kya Khaye Aur Kya Nahi

S.NOप्रश्न
1कृष्ण जन्माष्टमी कब है?
2कृष्ण जन्माष्टमी व्रत में क्या खाएं?
3कृष्ण जन्माष्टमी व्रत में क्या ना खाएं?

कृष्ण जन्माष्टमी कब है? (Krishna Janmashtami kab Hai)

Krishna Janmashtami kab Hai

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कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) 2024 में 26 अगस्त को मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह उत्सव भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से श्रीकृष्ण (Shri Krishna) के बाल स्वरूप के उपासक धूमधाम से मनाते हैं। रातभर मंदिरों में भजन-कीर्तन होते हैं, और मटकी फोड़ प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। भक्त उपवास रखते हैं और श्रीकृष्ण के जन्म के समय, मध्यरात्रि में, विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन की महत्ता और पवित्रता को देखते हुए, जन्माष्टमी का पर्व संपूर्ण भारत में अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत में क्या खाएं? (Krishna Janmashtami Vrat Mein Kya Khaye)

जन्माष्टमी व्रत (Janmashtami Vrat) के दौरान संतुलित और पौष्टिक भोजन करने से न केवल आपका व्रत सफल होता है, बल्कि आप ऊर्जा से भी भरपूर रहते हैं। यहाँ कुछ विशेष खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जो व्रत के दौरान आपके भोजन को विशेष और स्वादिष्ट बना सकते हैं:

  • कुट्टू की खिचड़ी: हल्के भूरे या हरे रंग के दानों से बनी कुट्टू की खिचड़ी पौष्टिकता और स्वाद का अनूठा मिश्रण है। आलू और मसालों के साथ बनाई गई यह खिचड़ी उपवास के दिनों में एक बेहतरीन विकल्प है। इसके अलावा, कुट्टू की रोटी या पूरी भी बनाई जा सकती है।
  • मखाने: मखानों की खीर न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसमें लौह, कैल्शियम और फास्फोरस की भी भरपूर मात्रा होती है। यह व्रत के दौरान पेट भरे रखने के साथ-साथ आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करती है। आप इसे अपनी आवश्यकता अनुसार चीनी मिलाकर बना सकते हैं।
  • फल: फलों का सेवन पूरे वर्ष लाभदायक होता है, और व्रत के दौरान यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। मौसमी फल या आपके पसंदीदा फलों से बनी फ्रूट चाट ऊर्जा का अच्छा स्रोत होती है और व्रत में भी ताजगी बनाए रखती है।
  • साबूदाना: उपवास का प्रमुख भोजन साबूदाना कार्ब्स और स्टार्च से भरपूर होता है। साबूदाना की खिचड़ी, खीर, पापड़, और अन्य व्यंजन व्रत के दौरान आपके आहार को विविधता प्रदान करते हैं और ऊर्जा से भरपूर रखते हैं।
  • दूध: दूध का सेवन व्रत में कई रूपों में किया जा सकता है। मिल्कशेक बनाकर, केले, स्ट्रॉबेरी, खरबूजे जैसे फलों के साथ दूध का सेवन न केवल टेस्टी होता है, बल्कि हाइड्रेशन भी बनाए रखता है।
  • दही: दही के साथ फलों का सेवन भी किया जा सकता है। नाशपाती, सेब और अंगूर मिलाकर दही का आनंद लें, और शहद मिलाकर इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं।
  • सिंघारे के आटे का समोसा: चाय के साथ सिंघारे के आटे, सेंधा नमक और मसालों से बना समोसा एक बेहतरीन नाश्ता होता है। इसे धनिये की चटनी के साथ और भी स्वादिष्ट बनाया जा सकता है।
  • सूखे मेवे: किशमिश, खजूर, अखरोट और बादाम जैसे सूखे मेवे व्रत के दौरान अच्छे विकल्प होते हैं। इन्हें थोड़ी मात्रा में सेवन करना चाहिए।
  • आलू: आलू को विभिन्न तरीकों से पकाया जा सकता है, जैसे आलू कढ़ी, आलू की सब्जी, खट्टे मीठे आलू, और आलू मूंगफली। ये सभी व्यंजन उपवास करने वालों के लिए उपयुक्त होते हैं।
  • नारियल: नारियल का आटा, नारियल और नारियल का दूध व्रत के दौरान विभिन्न व्यंजन और मिठाइयाँ बनाने में उपयोगी होते हैं। नारियल के आटे से पैनकेक, नारियल के दूध की खीर आदि बनाई जा सकती है।
  • केला अखरोट लस्सी:  केले, दही, अखरोट और शहद या चीनी से बनी यह टेस्टी और पौष्टिक लस्सी आपको दिनभर ऊर्जावान बनाए रखती है।

इन स्वादिष्ट और पौष्टिक खाद्य पदार्थों के साथ, आपका जन्माष्टमी व्रत एक सुखद और स्वस्थ अनुभव बन सकता है।

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत में क्या ना खाएं (Krishna Janmashtami Vrat Mein Kya Na Khaye)

Krishna Janmashtami Vrat Mein Kya Na Khaye

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जन्माष्टमी व्रत (Janmashtami Vrat) के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों का परहेज करना चाहिए। यहाँ 11 ऐसी चीजें हैं जिन्हें व्रत के दौरान नहीं खानी चाहिए और उनके पीछे के कारण:

  • अनाज: व्रत के दौरान अनाज का सेवन वर्जित है। इसे पवित्रता और तपस्या बनाए रखने के लिए नहीं खाया जाता।
  • दालें: दालों में प्रोटीन अधिक होता है, लेकिन व्रत के दौरान उन्हें नहीं खाया जाता क्योंकि उन्हें भारी माना जाता है।
  • मसालेदार खाना: व्रत के समय तेज मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए क्योंकि यह पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
  • तामसिक भोजन: प्याज और लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह रजसिक और तामसिक प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं।
  • नमक: साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है क्योंकि साधारण नमक को अशुद्ध माना जाता है।
  • मांस और मछली: सभी प्रकार के मांसाहारी खाद्य पदार्थों का व्रत के दौरान पूरी तरह से परहेज करना चाहिए।
  • अंडा: अंडे का सेवन भी व्रत के दौरान नहीं किया जाता क्योंकि यह तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है।
  • शराब: शराब और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन व्रत के दौरान वर्जित है क्योंकि यह आध्यात्मिक शुद्धता को भंग करता है।
  • प्रोसेस्ड फूड: व्रत के दौरान प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से बचना चाहिए क्योंकि इनमें प्रिज़र्वेटिव्स और अशुद्धियां हो सकती हैं।
  • तले हुए खाद्य पदार्थ: अत्यधिक तले हुए खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए क्योंकि यह पाचन को भारी करते हैं।
  • कैफीन: चाय और कॉफी में कैफीन होता है, जिससे बचना चाहिए क्योंकि यह शरीर को निर्जलित कर सकता है और पाचन को प्रभावित कर सकता है।

व्रत का उद्देश्य आत्मानुशासन और भगवान के प्रति समर्पण को बढ़ाना है। इस दौरान साधारण और सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर और मन दोनों की शुद्धि बनी रहे।

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Conclusion:-Janmashtami Vrat Me kya Khaye Aur Kya Nahi

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जन्माष्टमी व्रत (Janmashtami Vrat) के दौरान पौष्टिक और सात्विक भोजन लेना चाहिए। फल, सूखे मेवे, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा आदि उपयुक्त विकल्प हैं। वहीं तली-भुनी चीजें, मसालेदार भोजन और अल्कोहल से दूर रहना उचित होगा। संतुलित आहार लेने से शरीर को ऊर्जा मिलेगी और आप भक्ति भाव से भगवान की पूजा कर पाएंगे। कृष्ण जन्माष्टमी के अत्यंत पावन पर्व से संबंधित यह बेहद खास लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया ऐसे ही और भी व्रत एवं त्योहार से संबंधित लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करिए।

FAQ’s:-Janmashtami Vrat Me kya Khaye Aur Kya Nahi

Q. जन्माष्टमी व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है?

Ans. जन्माष्टमी व्रत का उद्यापन व्रत के समाप्ति पर होता है। भक्त मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण के जन्म के समय पूजा करते हैं और उसके बाद फलाहार या विशेष प्रसाद ग्रहण कर व्रत समाप्त करते हैं।

Q. कृष्ण जन्माष्टमी 2024 में कब मनाई जाएगी?

Ans. कृष्ण जन्माष्टमी 2024 में 26 अगस्त को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और इसे देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

Q. कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व क्या है?

Ans. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यह पर्व भक्तों को श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को याद दिलाता है। श्रीकृष्ण के जन्मदिन को उत्सव के रूप में मनाकर लोग धर्म और भक्ति के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।

Q. कृष्ण जन्माष्टमी के मुख्य आयोजन क्या होते हैं?

Ans. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के दिन विशेष पूजा, झांकियां, भजन-कीर्तन, और रासलीला का आयोजन होता है। मंदिरों में भगवान कृष्ण की मूर्ति को सजाया जाता है और उन्हें झूला झुलाया जाता है। रात को 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है।

Q. कृष्ण जन्माष्टमी पर उपवास का महत्व क्या है?

Ans. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) पर उपवास का विशेष महत्व है। भक्तजन पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात को श्रीकृष्ण के जन्म के समय फलाहार करते हैं। यह उपवास आत्मशुद्धि और भक्ति की भावना को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

Q. जन्माष्टमी व्रत का संकल्प कैसे लिया जाता है?

Ans. जन्माष्टमी व्रत का संकल्प लेने के लिए भक्त सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लेते हैं और पूरे दिन उपवास करने का निश्चय करते हैं।