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Kajri Teej 2024: कजरी तीज कब मनाई जाएगी? जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

Kajri Teej 2024
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कजरी तीज कब है? जानें सही तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व (Kajri Teej 2024): कजरी तीज (Kajri Teej) – यह वह त्योहार है जो हर सुहागिन के जीवन में खुशियों और सौभाग्य की बहार लेकर आता है। यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है और इसका विशेष महत्व है। कजरी तीज को बड़ी तीज, सातुड़ी तीज या कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं। वे सज-धजकर अपने हाथों में मेंहदी रचाती हैं, नए कपड़े पहनती हैं और देवी पार्वती की आराधना करती हैं। इस दिन नीम के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है। कजरी तीज का उत्सव मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन झूला झूलती हैं और कजरी के मधुर गीत गाती हैं। इस पर्व से जुड़ी कई रोचक परंपराएं और रीति-रिवाज हैं जो इसे और भी खास बनाते हैं। 

आइए जानते हैं कि 2024 में कजरी तीज कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन की पूजा विधि क्या है। साथ ही यह भी जानेंगे कि कजरी तीज का क्या महत्व है और इस व्रत को करने से क्या लाभ मिलते हैं…

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Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1कजरी तीज क्या होती है?
2कजरी तीज कब है?
3कजरी तीज का महत्व क्या है?
4कजरी तीज की पूजा विधि क्या है?
5कजरी तीज का शुभ मुहूर्त क्या है? 

कजरी तीज क्या होती है? (Kajri Teej kya Hoti Hai)

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कजरी तीज (Kajri Teej), जिसे कजली तीज भी कहते हैं, एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो खासकर उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह तीज का पर्व सावन मास की तीसरी तिथि को आता है, जो आमतौर पर अगस्त-सितंबर में पड़ता है। यह दिन विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, और वे इस दिन व्रत रखती हैं। कजरी तीज के दिन महिलाएं संतान सुख और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। इस अवसर पर, महिलाएं विशेष पूजा-अर्चना के साथ गाने-बजाने की परंपरा निभाती हैं। कजरी तीज की रात्रि को विशेष भजन और गीत गाए जाते हैं, जो ‘कजली’ के नाम से प्रसिद्ध होते हैं। यह त्योहार समर्पण, भक्ति और पारंपरिक गीत-संगीत की भावनाओं को उजागर करता है।

कजरी तीज कब है? (Kajri Teej Kab Hai)

इस साल 2024 में कजरी तीज (Kajri Teej) 22 अगस्त को मनाई जाएगी। यह तीज सावन मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को होती है। कजरी तीज (Kajri Teej) के दिन महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, और संतान सुख एवं पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन विशेष रूप से पारंपरिक गीत और भजन गाए जाते हैं, जो ‘कजली’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह पर्व समर्पण, भक्ति और पारंपरिक रस्मों का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

कजरी तीज का महत्व क्या है? (Kajri Teej ka Mahatva kya Hai)

  • धार्मिक महत्व

कजरी तीज (Kajri Teej) हिन्दू महिलाओं द्वारा अपने पतियों की दीर्घायु और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Goddess Parvati) की पूजा के साथ अपनी उच्चतम शिखर पर पहुंचता है, जिन्हें सामरस्य और वैवाहिक आनंद का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व के दौरान विवाहित महिलाएं उपवास रखती हैं, अपने सर्वश्रेष्ठ वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, और विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करती हैं।

  • प्राकृतिक संबंध 

कजरी तीज (Kajri Teej) का नाम कजरी वृक्ष के नाम पर पड़ा है और यह मानसून के मौसम से जुड़ा हुआ है। मानसून का मौसम उर्वरता और विकास से जुड़ा होता है, और कजरी तीज पृथ्वी की नवीनीकरण का उत्सव है। इस पर्व के दौरान महिलाएं नीम के पेड़ की पूजा करती हैं, जिसे कुछ क्षेत्रों में नीमड़ी मा के नाम से जाना जाता है।

  • सामाजिक एकता

कजरी ती (Kajri Teej) एक ऐसा पर्व है जो सम्प्रदाय और परिवार के बंधनों को मजबूत करता है। यह पर्व प्रेम, आस्था, और समर्पण की अभिव्यक्ति है, और इसे भारत भर में विभिन्न रीति-रिवाजों और रस्मों के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान पारंपरिक गीतों का गाना, नृत्य, और सामूहिक सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है।

कजरी तीज की पूजा विधि क्या है? (Kajri Teej ki Puja Vidhi kya Hai)

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कजरी तीज (Kajri Teej) के पावन त्यौहार की पूजा विधि निम्नलिखित है: 

  • पूजा की तैयारी: यह पूजा एक पवित्र स्थान की तैयारी के साथ शुरू होती है, जहां भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियाँ रखी जाती हैं। मूर्तियाँ मिट्टी से बनाई जाती हैं और उन्हें लाल कपड़े से सजाया जाता है।
  • स्नान और षोडशोपचार पूजा: महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और फिर षोडशोपचार पूजा की अनुष्ठान करती हैं, जिसमें देवताओं को 16 वस्त्र चढ़ाई जाती हैं। इन वस्त्रों में फूल, धूप, चंदन की पेस्ट, सिंदूर, हल्दी, चावल, और मिठाई शामिल होती हैं।
  • चन्द्र को अर्घ्य: कजरी तीज (Kajri Teej) पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा चन्द्रमा को अर्घ्य देना होता है। यह शाम को किया जाता है, और महिलाएं चन्द्रमा को जल चढ़ाकर अपने पतियों की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करती हैं।
  • पारण: चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत तोड़ा जाता है, और इसे पारण कहा जाता है। महिलाएं चन्द्रमा की पूजा करके उसकी आशीर्वाद लेती हैं और फिर अपना व्रत तोड़ती हैं।
  • भोजन की चढ़ाई: कजरी तीज (Kajri Teej) पर, महिलाएं विभिन्न प्रकार के खाने की चीजें, जैसे की मिठाई, नमकीन, और पेय पदार्थ तैयार करती हैं। इन चीजों को देवताओं को चढ़ाया जाता है और बाद में परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों के बीच वितरित किया जाता है।
  • कथा सुनाना: महिलाएं इकट्ठी होकर कजरी तीज से संबंधित कथाएं सुनती हैं। ये कथाएं भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Goddess Parvati) के प्यार और त्योहार के महत्व के आसपास घूमती हैं।
  • उत्सव मनाना: कजरी तीज (Kajri Teej) को बड़ी उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है। महिलाएं अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनती हैं, अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं, और पारंपरिक गीत गाती हैं।”

कजरी तीज का शुभ मुहूर्त क्या है? (Kajri Teej ka Shubh Muhurat kya Hai)

इस साल 2024 में कजरी तीज (Kajri Teej) 22 अगस्त को मनाई जाएगी। सुबह का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 52 मिनट से 7 बजकर 29 मिनट तक रहेगा और दोपहर का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 22 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।

सुबह का शुभ मुहूर्तसुबह 5 बजकर 52 मिनट से 7 बजकर 29 मिनट तक
दोपहर का शुभ मुहूर्तदोपहर 12 बजकर 22 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक

Conclusion

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया कजरी तीज से संबंधित यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

Q. कजरी तीज क्या होती है?

Ans. कजरी तीज, जिसे कजली तीज भी कहते हैं, सावन मास की तीसरी तिथि को मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। यह दिन विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, जब वे व्रत रखकर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं।

Q. कजरी तीज कब है?

Ans. 2024 में कजरी तीज 22 अगस्त को मनाई जाएगी। यह तीज सावन मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को आती है।

Q. कजरी तीज का महत्व क्या है?

Ans. कजरी तीज का धार्मिक महत्व पतियों की दीर्घायु और समृद्धि के लिए पूजा करने से जुड़ा है। यह पर्व मानसून और पृथ्वी की नवीनीकरण से भी संबंधित है।

Q. कजरी तीज की पूजा विधि क्या है?

Ans. कजरी तीज की पूजा में पूजा स्थल की तैयारी, षोडशोपचार पूजा, चन्द्रमा को अर्घ्य देना, और पारण शामिल होता है। महिलाएं इस दिन पारंपरिक गीत गाती हैं और विशेष भोजन तैयार करती हैं।

Q. कजरी तीज पर क्या विशेष पूजा की जाती है?

Ans. कजरी तीज पर महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, चन्द्रमा को अर्घ्य देती हैं और संतान सुख तथा पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

Q. कजरी तीज का शुभ मुहूर्त क्या है?

Ans. कजरी तीज का सुबह का शुभ मुहूर्त 5:52 बजे से 7:29 बजे तक और दोपहर का शुभ मुहूर्त 12:22 बजे से 3:37 बजे तक है।