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Janmashtami 2024: साल 2024 में कब मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी?, जाने संपूर्ण पूजा विधि व पूजन सामग्री के बारे में 

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साल 2024 में जन्माष्टमी कब है? जाने तिथि पूजा विधि और महत्व (Krishna Janmashtami 2024): कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami), हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। हर साल, भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह पर्व बड़ी धूमधाम और भक्ति भाव से मनाया जाता है। इस दिन, भक्त व्रत रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, और भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्ष 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी? क्या आपको पता है कि इस पावन पर्व पर कौन सी पूजा विधि अपनानी चाहिए? क्या आप जानना चाहेंगे कि कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में कौन सी सामग्री का उपयोग किया जाता है? और क्या आप उस शक्तिशाली मंत्र के बारे में जानना पसंद करेंगे, जो इस दिन का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है? यदि इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने की आपमें जिज्ञासा है, तो यह लेख आपके लिए ही लिखा गया है! 

इस लेख में, हम आपको कृष्ण जन्माष्टमी Krishna Janmashtami 2024 की तिथि, पूजा विधि, पूजन सामग्री, और महत्वपूर्ण मंत्र के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही, हम उन विशेष अनुष्ठानों के बारे में भी चर्चा करेंगे जो इस पावन अवसर पर किए जाते हैं। तो देर किस बात की? आइए शुरू करते हैं…

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Table Of Content 

S.NOप्रश्न 
1कृष्ण जन्माष्टमी 2024
2कब है कृष्ण जन्माष्टमी?
3कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि
4श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा सामग्री
5श्रीकृष्ण के शक्तिशाली मंत्र
6कृष्ण जन्माष्टमी के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान

कृष्ण जन्माष्टमी 2024 (Krishna Janmashtami 2024)

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2024 में कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) 26 अगस्त, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 26 अगस्त को सुबह 3:39 बजे शुरू होगी और 27 अगस्त को सुबह 2:19 बजे समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को दोपहर 3:54 बजे से 27 अगस्त को शाम 3:39 बजे तक रहेगा। जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त की रात 12:00 बजे से 12:44 बजे तक का समय है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।

कब है कृष्ण जन्माष्टमी? (Kab Hai Krishna Janmashtami)

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कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, और यह हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को पड़ती है। यह तिथि आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में आती है। इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। 2024 में, कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं, मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है, और रात्रि को 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) का जन्मोत्सव मनाया जाता है। विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से इस पर्व की धूमधाम और श्रद्धा देखी जा सकती है।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि (Krishna Janmashtami Puja Vidhi)

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2024) की पूजा विधि इस प्रकार है:

  • पूजा की तैयारी: जन्माष्टमी के दिन पूजा स्थल को साफ़ करके फूल, माला और रंगोली से सजाएँ। श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • श्री कृष्ण का आवाहन: पूजा के समय वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए श्री कृष्ण का ध्यान करें और उनका आवाहन करें। उन्हें आसन पर विराजमान करें।
  • अभिषेक व पूजन सामग्री अर्पण: श्री कृष्ण को पाद्य, अर्घ्य, आचमन जल अर्पित करें। फिर उन्हें स्नान कराएँ। वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगंधित द्रव्य व पुष्प चढ़ाएँ।
  • धूप-दीप व नैवेद्य: श्री कृष्ण को धूप, दीप दिखाएँ। उन्हें पंचामृत, पंजीरी, मिठाई आदि का नैवेद्य तुलसी पत्र के साथ अर्पित करें।
  • आरती व प्रदक्षिणा: श्री कृष्ण की आरती उतारें और उनकी प्रदक्षिणा करते हुए पुष्प अर्पित करें। उन्हें प्रणाम करें।
  • क्षमा याचना व प्रसाद वितरण: पूजा में हुई त्रुटियों के लिए श्री कृष्ण से क्षमा माँगें। फिर नैवेद्य का प्रसाद सभी श्रद्धालुओं में बाँटें।
  • भजन-कीर्तन: श्री कृष्ण के भजन और कीर्तन गाएँ। उनके बाल रूप की कल्पना करते हुए उनकी लीलाओं का स्मरण करें।

इस प्रकार भक्ति और श्रद्धा के साथ जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। पूजा का शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि का समय होता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा सामग्री (Shri Krishna Janmashtami Puja Samagri)

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के लिए पूजन सामग्री की संपूर्ण सूची इस प्रकार है:-Krishna Janmashtami 2024

S.NOपूजन सामग्री 
1धूप बत्ती (अगरबत्ती), कपूर
2केसर, चंदन
3यज्ञोपवीत 5
4कुंकु, चावल, अबीर, गुलाल
5अभ्रक, हल्दी
6आभूषण, नाड़ा, रुई
7पान के पत्ते, पुष्पमाला
8रोली, सिंदूर, सुपारी
9कमलगट्टे, तुलसीमाला
10धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य
11कुशा व दूर्वा, पंच मेवा
12गंगाजल, शहद (मधु), शकर
13घृत (शुद्ध घी), दही, दूध
14ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि)
15इलायची (छोटी), लौंग मौली
16इत्र की शीशी
17पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते)
18सिंहासन (चौकी, आसन)
19पंचामृत, तुलसी दल
20केले के पत्ते (यदि उपलब्ध हों तो खंभे सहित)
21औषधि (जटामांसी, शिलाजीत आदि)
22श्रीकृष्ण का पाना (अथवा मूर्ति)
23गणेशजी की मूर्ति, अम्बिका की मूर्ति
24श्रीकृष्ण, गणेशजी व अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र
25जल कलश (तांबे या मिट्टी का)
26सफेद व लाल कपड़ा (आधा-आधा मीटर)
27पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार)
28दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल
29बन्दनवार, ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा)
30श्रीफल (नारियल), धान्य (चावल, गेहूं)
31एक नई थैली में हल्दी की गाँठ, खड़ा धनिया व दूर्वा आदि

श्रीकृष्ण के शक्तिशाली मंत्र (Shri Krishna ke Shaktishali Mantra)

भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) के दो शक्तिशाली मंत्र निम्नलिखित हैं:

S.NOमंत्रलाभ
1कृष्ण मूल मंत्र: “ॐ कृष्णाय नमः”इस मंत्र का अर्थ है, “हे भगवान कृष्ण, मैं आपको नमन करता हूँ।” यह मंत्र भक्त को भगवान कृष्ण के साथ आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में मदद करता है। इसके नियमित जाप से संसार के सभी दुखों को दूर करने और जीवन में ज्ञान लाने की शक्ति मिलती है।
2हरे कृष्ण महामंत्र: “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे”यह 16 शब्दों का मंत्र आत्मा और भगवान कृष्ण के बीच संबंध स्थापित करने में सहायता करता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इस मंत्र का जाप करने से शांति, समृद्धि और आत्म-ज्ञान मिलता है। “हरे” शब्द भगवान कृष्ण और राधा की शक्ति का प्रतीक है, जबकि “कृष्ण” और “राम” भगवान के नाम हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान (Krishna Janmashtami ke Dauran kiye Jane Wale Anushthan)

  • व्रत और उपवास: कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत रखने का विशेष महत्व है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और निराहार रहकर भगवान की आराधना करते हैं। कुछ भक्त फल और दूध का सेवन करते हैं, जबकि अन्य पूर्ण उपवास करते हैं। उपवास का उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध करना है ताकि भक्त भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में पूरी तरह से शामिल हो सकें।
  • पूजा और आरती: रात्रि 12 बजे, जब भगवान कृष्ण (Shri Krishna) का जन्म माना जाता है, तब विशेष पूजा और आरती का आयोजन होता है। इस समय भक्त घरों और मंदिरों में दीप जलाते हैं, भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण की मूर्ति या झांकी की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक किया जाता है और विभिन्न प्रकार के प्रसाद अर्पित किए जाते हैं।
  • झांकियां और झूला: कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) पर भगवान कृष्ण (Shri Krishna) की झांकियों का विशेष महत्व होता है। मंदिरों और घरों में भगवान कृष्ण के जीवन से संबंधित झांकियां सजाई जाती हैं। भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को झूले में बिठाकर झुलाया जाता है। भक्तजन भगवान को झूला झुलाते हैं और उनकी महिमा का गुणगान करते हैं।
  • रासलीला और नाटक: कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के अवसर पर रासलीला और नाटकों का आयोजन भी किया जाता है। इनमें भगवान कृष्ण के जीवन की प्रमुख घटनाओं का मंचन किया जाता है, जैसे कि गोवर्धन पर्वत उठाना, कंस वध और राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाएं। यह आयोजन धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए रखते हैं।
  • दही हांडी: महाराष्ट्र और उत्तर भारत में कृष्ण जन्माष्टमी पर दही हांडी का आयोजन होता है। इस खेल में दही और मक्खन से भरी हांडी को ऊँचाई पर लटकाया जाता है और युवा समूह मानव पिरामिड बनाकर उसे तोड़ने का प्रयास करते हैं। यह आयोजन भगवान कृष्ण की माखन चोरी की लीलाओं की स्मृति में किया जाता है।
  • भजन-कीर्तन: पूरे दिन भक्तजन भगवान कृष्ण (Shri Krishna) के भजन और कीर्तन करते हैं। यह भजन-कीर्तन भगवान के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक होते हैं। मंदिरों में विशेष भजन संध्या का आयोजन किया जाता है जहां भक्तजन भगवान के नाम का गुणगान करते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के ये अनुष्ठान भगवान कृष्ण के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा और प्रेम को प्रकट करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।

Summary :-Krishna Janmashtami 2024

कृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) न केवल भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है बल्कि यह हमें उनकी लीलाओं और उपदेशों को स्मरण करने का अवसर भी प्रदान करता है। व्रत, पूजा, और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से भक्तगण अपने आराध्य के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति प्रकट करते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के अत्यंत पावन पर्व से संबंधित यह बेहद खास लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया ऐसे ही और भी व्रत एवं त्योहार से संबंधित लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in/ पर रोजाना विजिट करिए।

FAQ’s:-Krishna Janmashtami 2024

Q. कृष्ण जन्माष्टमी क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?

Ans. कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। यह दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को पड़ता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के कारागार में हुआ था, और उन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। इस दिन को उनके जन्मोत्सव के रूप में भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

Q. 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी?

Ans.  2024 में, कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) 26 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। रात्रि को 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का विशेष आयोजन होता है।

Q. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कौन-कौन से धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं?

Ans.  कृष्ण जन्माष्टमी  (Krishna Janmashtami) के दिन भक्तजन उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और श्रीकृष्ण की मूर्तियों को स्नान कराते हैं। इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनके लिए विशेष भोजन (भोग) तैयार किया जाता है। रात्रि को 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने के लिए पूजा और आरती की जाती है।

Q. कृष्ण जन्माष्टमी पर मटकी फोड़ने की परंपरा का क्या महत्व है?

Ans. मटकी फोड़ने की परंपरा, जिसे दही-हांडी भी कहते हैं, कृष्ण जन्माष्टमी का प्रमुख आकर्षण है। यह परंपरा भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप में माखन चुराने की लीलाओं का प्रतीक है। इसमें युवक एक पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर लटकी मटकी को फोड़ते हैं, जो आनंद और उल्लास का प्रतीक है।

Q. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कहां हुआ था और इसके पीछे की कथा क्या है?

Ans. भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) का जन्म मथुरा के कंस के कारागार में हुआ था। उनके मामा कंस को भविष्यवाणी मिली थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसे मारेगा, इसलिए कंस ने देवकी और वासुदेव को बंदी बना लिया। श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में होते ही वासुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद बाबा और यशोदा के पास पहुंचा दिया, जिससे उनकी जान बच सकी।

Q. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन किस प्रकार का व्रत रखा जाता है?

Ans. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के दिन भक्तजन निराहार या फलाहार व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाले व्यक्ति दिनभर जल और फल ग्रहण करते हैं और रात्रि को श्रीकृष्ण (Shri Krishna) के जन्म के बाद ही भोजन करते हैं। यह व्रत आत्मसंयम, भक्ति और शुद्धि का प्रतीक है।