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Sharad Purnima Ke Din Kya Karna Chahiye Kya Nahi Karna Chahiye: शरद पूर्णिमा के दिन भूलकर भी न करें ये कार्य, जिंदगी भर रहेंगे परेशान।

Sharad Purnima
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शरद पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए? क्या नहीं करना चाहिए(Sharad Purnima Ke Din Kya Karna Chahiye kya Nahi Karna Chahiye): शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार चंद्र की चमक और माता लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी पूरी चमक के साथ आकाश में दिखाई देता है, और इसे लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष महत्व दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरद पूर्णिमा 2024 में कब है? क्या आप जानते हैं कि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? इस लेख में, हम आपको शरद पूर्णिमा के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे और इसके महत्व को समझाएंगे। हम आपको बताएंगे कि कैसे शरद पूर्णिमा हमारे जीवन में सुख और समृद्धि लाती है और कैसे यह त्योहार हमें माता लक्ष्मी की कृपा की ओर ले जाता है। तो आइए, शरद पूर्णिमा के बारे में जानें और इसकी महत्ता को समझें। 

इस लेख के माध्यम से, हम आपको शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आप इसकी महत्ता को समझ सकें और इसका लाभ उठा सकें….

शरद पूर्णिमा क्या है? (Sharad Purnima Kya Hai?)

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात को माँ लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं, और भक्त अपनी आस्था से उनकी विधिवत पूजा करते हैं। इस विशेष दिन पर चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से पूर्ण होता है, और उसकी चांदनी अमृत की वर्षा करती है। ऐसी मान्यता है कि इस अमृतमयी चांदनी में रखी खीर से दिव्य ऊर्जा का संचार होता है। रातभर चंद्रमा की किरणों में खीर रखी जाती है, जिसे अगले दिन माँ लक्ष्मी को अर्पित कर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को देशभर में मनाई जाएगी।

शरद पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए? (Sharad Purnima Ke Din Kya Karna Chahiye)

  • चांदनी में दूध रखना: शरद पूर्णिमा की रात, चांद की रोशनी में एक चांदी के बर्तन में दूध रखें। यह दूध चंद्र देव को अर्पित किया जाता है और अगले दिन इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
  • खीर का नैवेद्य: भक्त पूर्ण चंद्रमा की पूजा करते हैं और उसके लिए खीर का नैवेद्य चढ़ाते हैं। खीर को चांद की रोशनी में रखकर अगले दिन खाया जाता है, जिससे इसे चंद्र किरणों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा: इस दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी, चंद्र देव, शिव, कुबेर और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। इन देवताओं की कृपा से आर्थिक समृद्धि और खुशहाली प्राप्त होती है।
  • पीपल को जल अर्पित करना: शास्त्रों के अनुसार, हर पूर्णिमा को मां लक्ष्मी पीपल पर आती हैं। इस दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करना चाहिए, जिससे सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  • चंद्रमा को दूध का अर्ध्य देना: दाम्पत्य जीवन में मधुरता के लिए पति-पत्नी को चंद्रमा को दूध का अर्ध्य देना शुभ माना जाता है। यह परंपरा उनके संबंधों को मजबूत बनाने में मदद करती है।
  • विष्णु लक्ष्मी मंदिर में प्रार्थना: इस दिन विष्णु लक्ष्मी मंदिर में जाकर इत्र और सुगंधित धूप अर्पित करें। माता लक्ष्मी से समृद्धि की प्रार्थना करें।
  • चंद्र दोष से मुक्ति: यदि किसी की कुंडली में चंद्र दोष हो, तो इस दिन चंद्र से जुड़ी वस्तुएँ दान करना या दूध बाँटना लाभकारी होता है। इससे मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
  • 6 नारियल बहती नदी में प्रवाहित करना: ग्रहण दोष दूर करने के लिए 6 नारियल बहती नदी में प्रवाहित करें। यह उपाय ग्रहों की शांति के लिए किया जाता है।

शरद पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए? (Sharad Purnima Ke Din Kya Nahi Karna Chahiye?

  • तामसिक भोजन से परहेज: शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन मांस, मछली, लहसुन, प्याज और अत्यधिक मसालेदार भोजन का सेवन वर्जित है। इस दिन केवल सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए, जिससे शुद्धता और संतुलन बना रहे।
  • शराब का सेवन न करें: इस दिन शराब या किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ का सेवन पूरी तरह से त्याग दें। चंद्रमा के प्रभाव से मस्तिष्क अधिक संवेदनशील होता है, और शराब इसका नकारात्मक प्रभाव और बढ़ा सकती है।
  • क्रोध पर नियंत्रण: शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) पर चंद्रमा की ऊर्जा न्यूरॉन सेल्स को अत्यधिक सक्रिय कर देती है, जिससे व्यक्ति आसानी से क्रोधित या भावुक हो सकता है। इस दिन संयमित और शांत रहना अत्यधिक आवश्यक है।
  • भावनात्मक संतुलन: जिन लोगों को मंदाग्नि या पाचन की समस्या होती है, वे इस दिन भोजन के बाद नशा जैसा अनुभव कर सकते हैं। इस कारण, भावनाओं में बहने से बचें और मानसिक संतुलन बनाए रखें।
  • स्वच्छ जल का सेवन: चंद्रमा का जल पर गहरा प्रभाव होता है। मानव शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल होता है, जिससे चंद्रमा का असर शरीर में जल की गति और गुण बदल देता है। इस दिन स्वच्छ और शुद्ध जल का सेवन अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • उपवास रखें: शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन उपवास रखना अत्यंत फलदायी होता है। यदि आप उपवास नहीं रख पा रहे हैं, तो सात्विक आहार का ही सेवन करें। इससे शरीर और मन दोनों ही शुद्ध बने रहते हैं।
  • काले रंग से परहेज: इस दिन काले रंग का वस्त्र या अन्य सामग्री का प्रयोग न करें। ऐसा माना जाता है कि काले रंग का नकारात्मक ऊर्जा पर प्रभाव पड़ता है, जो इस दिन की सकारात्मक ऊर्जा को बाधित कर सकता है।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें: शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन नकारात्मक बातें सोचने या बोलने से बचें। इस दिन के प्रभाव से आपका मानसिक और भावनात्मक स्तर बेहद संवेदनशील हो सकता है, इसलिए सकारात्मक सोच बनाए रखना बेहद आवश्यक है।

Conclusion:- 

आशा करते हैं की (शरद पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए? क्या नहीं करना चाहिए) से संबंधित यह बेहद खास लेख आपको पसंद आया होगा अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’S

Q. शरद पूर्णिमा क्या है?

Ans. शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से चंद्रमा की रोशनी और स्वास्थ्य लाभ से जुड़ा हुआ है।

Q. शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व क्या है?

Ans. शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा, व्रत और विशेष खीर प्रसाद के रूप में मनाया जाता है। इसे भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा पाने का दिन माना जाता है।

Q. शरद पूर्णिमा की रात क्यों महत्वपूर्ण मानी जाती है?

Ans. माना जाता है कि इस रात को चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है और उसकी रोशनी से स्वास्थ्य लाभ होता है। इसी कारण लोग इस रात खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखते हैं।

Q. शरद पूर्णिमा पर कौन सा व्रत रखा जाता है?

Ans. कई लोग शरद पूर्णिमा पर दिनभर व्रत रखते हैं और रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही भोजन करते हैं। यह व्रत विशेष रूप से स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाता है।

Q. शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का क्या महत्व है?

Ans. शरद पूर्णिमा की रात खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने का रिवाज है। ऐसा माना जाता है कि इस खीर का सेवन करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

Q. शरद पूर्णिमा कब मनाई जाती है?

Ans. शरद पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा को आती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर महीने में होती है।