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Bhagwan Shiv ki 5 betiya: कैसे हुआ भगवान शिव की पांच बेटियों का जन्म और क्या है इनकी उत्पत्ति का रहस्य? जाने इस लेख में

Bhagwan Shiv ki 5 betiya
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भगवान शिव की पांच बेटियां ( bhagwan Shiv ki 5 Betiya ): भगवान शिव (Lord Shiva) हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवताओं में से एक हैं। उन्हें महादेव, भोलेनाथ और त्रिलोकीनाथ जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। भगवान शिव के परिवार में उनकी पत्नी माता पार्वती और दो पुत्र – गणेश और कार्तिकेय प्रमुख हैं। 

क्या आप जानते हैं कि इनके अलावा भगवान शिव (Lord Shiva) की पांच पुत्रियां भी थीं? जी हां, पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव की पांच पुत्रियां थीं, जिनका जन्म एक अनोखे तरीके से हुआ था। यह कहानी इतनी रोचक है कि इसके बारे में जानने के बाद आप भगवान शिव (Lord Shiva) और उनके परिवार के प्रति और भी अधिक श्रद्धा से भर जाएंगे। भगवान शिव (Lord Shiva) की पांच पुत्रियों के जन्म की कथा बेहद रहस्यमयी है। इसके अलावा, इन पुत्रियों की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है। क्या आप उत्सुक हैं जानने के लिए कि आखिर शिव जी की पांचों पुत्रियों का जन्म कैसे हुआ था? क्या आप जानना चाहते हैं कि इन पुत्रियों के क्या नाम थे और इनकी पूजा करने से क्या लाभ मिलते हैं? तो पढ़ते रहिए यह लेख, जिसमें हम विस्तार से चर्चा करेंगे भगवान शिव की पांचों पुत्रियों के बारे में…

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Table Of Content :-Bhagwan Shiv ki 5 Betiya

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S.NOप्रश्न
1भगवान शिव की 5 पुत्री का नाम एवं कैसे हुई उनकी उत्पति
2भगवान शिव की पांच पुत्रियां
3भगवान शिव की 5 पुत्री का नाम
4भगवान् शिव की पुत्रियों की उत्पति कैसे हुई?
5भगवान शिव की पुत्रियाँ की पूजा का महत्व

भगवान शिव की 5 पुत्री का नाम और उनकी उत्पति कैसे हुई (Bhagwan Shiv ki 5 Putri ka Name Aur Unki Utpatti kaise Hui)

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प्राचीन कथाओं के अनुसार एक समय की बात है, जब देवों के देव महादेव और जगत जननी माँ पार्वती एक सुंदर सरोवर में जल क्रीड़ा कर रहे थे। उस समय, भगवान शिव का वीर्यस्खलन हो गया और उन्होंने उसे एक पत्ते पर रख दिया। इस दिव्य वीर्य से पाँच कन्याओं का जन्म हुआ, परन्तु वे मनुष्य रूप में नहीं, बल्कि सर्प रूप में उत्पन्न हुईं। 

माँ पार्वती (Goddess Parvati) इस घटना से अनजान थीं, लेकिन भगवान शिव (Lord Shiva) जानते थे कि वे अब पाँच नाग कन्याओं के पिता बन गए हैं। पिता का पुत्री को प्यार करना किसे नहीं भाता? महादेव भी अपनी पुत्रियों के संग खेलने और समय बिताने के लिए लालायित हो उठे। अब प्रतिदिन वे उस सरोवर पर जाते और अपनी नाग कन्याओं के साथ खेलते। उनके इस रोज़ाना आने-जाने से देवी पार्वती को संदेह हुआ और उन्होंने इसका रहस्य जानने का निर्णय लिया। एक दिन, जब भगवान शिव सरोवर की ओर जा रहे थे, देवी पार्वती ने चुपके से उनका पीछा किया। वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि भगवान शिव (Bhagwan Shiv ki 5 Betiya) नाग कन्याओं के साथ आनंदित होकर खेल रहे थे। यह दृश्य देखकर देवी पार्वती क्रोधित हो उठीं। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने सच्चाई बताई कि ये नाग कन्याएँ उनकी पुत्रियाँ हैं। अचंभित देवी पार्वती ने पूरी कथा सुनी और तब उनका क्रोध शांत हुआ। उन्होंने उन पाँच नाग कन्याओं को अपनी पुत्रियों के रूप में स्वीकार कर लिया। भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों का नाम बताते हुए कहा – जया, विषहर, शामिलबारी, देव, और दोतलि।

भगवान शिव (Lord Shiva) ने यह भी बताया कि सावन के महीने में जो भी इन नाग कन्याओं की पूजा करेगा, उसे सर्प भय नहीं सताएगा। इनकी पूजा करने से परिवार के सदस्यों को सर्पदंश से सुरक्षा मिलेगी। यही कारण है कि सावन के महीने में भगवान शिव की इन पाँच नाग पुत्रियों की पूजा की जाती है।

भगवान शिव की पांच पुत्रियां (Bhagwan Shiv ki 5 Putriya)

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भगवान शिव (Lord Shiva) की पांच पुत्रियां जया, विषहर, शामिलबारी, देव, और दोतलि सर्प रूप में जन्मी थीं। जया का नाम उनके विजयशील स्वरूप को दर्शाता है, जो हर संकट को दूर करती हैं। विषहर, विष का नाश करने वाली, विषैले सर्पों से रक्षा करती हैं। शामिलबारी, शत्रुओं के विनाश की शक्ति की प्रतीक हैं। देव, दिव्यता और पवित्रता की मूर्ति हैं, जो अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। दोतलि, दो लोकों (स्वर्ग और पृथ्वी) की रक्षा करती हैं, उनके नाम से दोनों लोकों की सुरक्षा का भाव प्रकट होता है। सावन में इनकी पूजा करने से सर्प भय दूर रहता है और परिवार को सर्पदंश से मुक्ति मिलती है।

भगवान शिव की 5 पुत्री का नाम (Bhagwan Shiv ki 5 Putri ka Name)

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वेद और पुराणों के अनुसार भगवान शिव की पांच बेटियां हैं, और इन पांचो बेटियों के नाम निम्नलिखित है-

S.NOभगवान शिव की पांच पुत्रियों के नाम
1जया
2विषहर
3शामिलबारी
4देव
5दोतलि

भगवान शिव की पुत्रियों की उत्पति कैसे हुई? (Bhagwan Shiv ki Putriyon ki Utpatti kaise Hui)

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भगवान शिव (Bhagwan Shiv ki 5 Betiya) और माँ पार्वती (Goddess Parvati) एक दिन सरोवर में जल क्रीड़ा कर रहे थे, तभी भगवान शिव का वीर्यस्खलन हो गया। महादेव (Lord Shiva) ने उस दिव्य वीर्य को एक पत्ते पर रख दिया। इस वीर्य से पाँच कन्याओं का जन्म हुआ, लेकिन वे मनुष्य रूप में नहीं, बल्कि सर्प रूप में उत्पन्न हुईं। इन पाँच नाग कन्याओं का नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव, और दोतलि रखा गया। महादेव अपनी पुत्रियों से अत्यधिक स्नेह करते थे और उनसे मिलने व खेलने के लिए प्रतिदिन सरोवर पर जाते थे। जब माँ पार्वती ने इस रहस्य को जाना, तो उन्होंने इन नाग कन्याओं को अपनी पुत्रियों के रूप में स्वीकार कर लिया। 

भगवान शिव और माता पार्वती की पांच बेटियों जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि बारे में विस्तार से जानकारी निम्नलिखित है :

1.जया (Jaya)

जया को भगवान शिव और पार्वती की प्रथम कन्या माना जाता है। जया का नाम ‘विजय’ से उत्पन्न हुआ है और वे विजय का प्रतीक मानी जाती हैं। वे एक योद्धा देवी के रूप में पूजी जाती हैं जो युद्ध में विजय दिलाने में सहायक होती हैं। प्राचीन कथाओं में उन्हें एक साहसी और निडर देवी के रूप में वर्णित किया गया है, जो बुराई और अन्याय के खिलाफ लड़ाई करती हैं।

2.विषहर (Vishhar)

विषहर का नाम ‘विष’ और ‘हर’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है विष को हरने वाली। वे एक ऐसी देवी हैं जो सभी प्रकार के जहर और विष से रक्षा करती हैं। विषहर देवी की पूजा विशेष रूप से उन लोगों द्वारा की जाती है जो विषैले जीवों जैसे सांपों से डरते हैं। उनके नाम का जिक्र कई पुराणों में किया गया है, जहां वे विष का नाश करने वाली देवी के रूप में प्रकट होती हैं।

3.शामिलबारी (Shamilbari)

शामिलबारी देवी की पूजा शत्रुओं से रक्षा करने के लिए की जाती है। माना जाता है कि शत्रु चाहे जितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो लेकिन शामिलबारी देवी शत्रु का नाश कर देती हैं और अपने भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। मान्यताओं के अनुसार शामिलबारी देवी की पूजा सावन के महीने में जरूर करनी चाहिए ताकि उनका आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहे। 

4.देव (Dev)

देव देवी का नाम ‘देवता’ या ‘दिव्यता’ से उत्पन्न हुआ है। वे दिव्यता और आध्यात्मिकता की प्रतीक मानी जाती हैं। देव देवी की पूजा विशेष रूप से उन लोगों द्वारा की जाती है जो आध्यात्मिक मार्ग पर चलना चाहते हैं। वे आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने में सहायक होती हैं। उनके बारे में कई प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख मिलता है, जहां उन्हें भगवान शिव की प्रिय बेटी के रूप में वर्णित किया गया है।

5.दोतलि (Dotali)

दोतलि देवी की महिमा पुराणों में विख्यात है क्योंकि दोतलि देवी पृथ्वी और स्वर्ग लोक की रक्षा करने के लिए जानी जाती हैं, न केवल स्वर्ग व पृथ्वी लोक बल्कि दोतलि देवी की पूजा परिवार की रक्षा करने के लिए और शांति बनाए रखने के लिए की जाती है।

भगवान शिव की पुत्रियों की पूजा का महत्व (Bhagwan Shiv ki 5 Putriyon ki Pooja ka Mahatva )

भगवान शिव (Lord Shiva) की पांच पुत्रियों—जया, विषहर, शामिलबारी, देव, और दोतलि की पूजा का विशेष महत्व है, जो शिवभक्तों के जीवन में कई लाभ और सुरक्षा प्रदान करती है। जया की पूजा से जीवन में विजय और सफलता प्राप्त होती है, हर प्रकार की कठिनाईयों से पार पाने में सहायता मिलती है। विषहर की पूजा विषैले जीव-जंतुओं से रक्षा करती है और विष निवारण में सहायक होती है। शामिलबारी की पूजा शत्रुओं से सुरक्षा और शांति प्रदान करती है, जिससे जीवन में संघर्ष कम होते हैं। देव की पूजा से दिव्यता, पवित्रता, और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, जो जीवन को आध्यात्मिकता से भर देती है। दोतलि की पूजा दो लोकों स्वर्ग और पृथ्वी की सुरक्षा के साथ-साथ परिवार की समृद्धि के लिए की जाती है।

सावन के पवित्र महीने में इन नाग कन्याओं की पूजा करने से सर्प भय दूर रहता है और सर्पदंश से सुरक्षा मिलती है। इस पूजा के माध्यम से शिवभक्त अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का अनुभव करते हैं।

Conclusion:-Bhagwan Shiv ki 5 Betiya

शिव ने अपनी पुत्रियों को एक विशेष वरदान दिया। जो भी उनकी पूजा करेगा, उसके परिवार को कभी सर्पदंश का भय नहीं रहेगा और उनकी कृपा से धन-धान्य की कमी नहीं होगी। इसलिए सावन माह में शिव के साथ-साथ उनकी इन पांच पुत्रियों की भी विशेष पूजा की जाती है। इससे भक्तों को सुख-समृद्धि और सर्पदोष से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव की पांच पुत्रियों से संबंधित यह बेहद खास लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इस लेख को अपने सभी प्रिय मित्रों वी शिव भक्तों के साथ साझा करें। ऐसे ही और भी धार्मिक, व्रत एवं त्योहार से संबंधित और भी लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s:-Bhagwan Shiv ki 5 Betiya

Q. भगवान शिव की पांच पुत्रियों के नाम क्या हैं? 

Ans. भगवान शिव की पांच पुत्रियों के जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि हैं। 

Q. भगवान शिव की पांच पुत्रियों का जन्म कैसे हुआ? 

Ans. पुराणों के अनुसार, एक बार जब शिव-पार्वती एक सरोवर में जल क्रीड़ा कर रहे थे, तब शिव का वीर्य एक पत्ते पर गिर गया। उसी वीर्य से पांच कन्याओं का जन्म हुआ, जो मनुष्य रूप में न होकर नाग रूप में थीं।

Q. क्या माता पार्वती को भगवान शिव की पांच पुत्रियों के बारे में पता था? 

Ans. नहीं, माता पार्वती को शुरू में इन पांच पुत्रियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वे अनजान थीं कि शिवलीला के दौरान इन नाग कन्याओं का जन्म हुआ है।

Q. भगवान शिव अपनी पांच पुत्रियों से कैसा व्यवहार करते थे? 

Ans. भगवान शिव को अपनी पांचों पुत्रियों के बारे में पता था और वह उनसे गणेश-कार्तिकेय की तरह ही स्नेह रखते थे। वह रोज सुबह उनसे मिलने सरोवर जाते और उनके साथ खेलते थे।

Q. माता पार्वती ने पांच नाग कन्याओं को कब स्वीकारा? 

Ans. जब माता पार्वती ने शिव को इन कन्याओं के साथ खेलते देखा तो उन्हें क्रोध आया। लेकिन जब शिव ने उन्हें इनके जन्म की कहानी सुनाई, तब पार्वती ने भी इन्हें अपनी पुत्रियों के रूप में स्वीकार कर लिया।

Q. भगवान शिव की पांच पुत्रियों की पूजा का क्या महत्व है? 

Ans. जो भी व्यक्ति भगवानशिव की पूजा के साथ इन नाग कन्याओं अर्थात भगवान शिव की पांच बेटियों की भी पूजा करेगा, उसके परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रहेगा।