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Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष कब है? जानें सही विधि, श्राद्ध कर्म तिथि एवं मंत्र।

Pitru Paksha 2024
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पितृ पक्ष कब है (Pitru Paksha 2024) :  पितृपक्ष (Pitrapaksha) , एक ऐसा समय जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू परंपरा है, जो हमें अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता की भावना को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है। पितृपक्ष (Pitrapaksha) के दौरान, हम अपने पूर्वजों को श्राद्ध तर्पण के माध्यम से याद करते हैं और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करते हैं। यह एक ऐसा समय है जब हम अपने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने की कामना करते हैं। पितृपक्ष (Pitrapaksha) के दौरान, हम अपने पूर्वजों की याद में विभिन्न अनुष्ठान और पूजा करते हैं, जैसे कि श्राद्ध तर्पण, पिंड दान, और अन्य। यह एक ऐसा समय है जब हम अपने पूर्वजों के प्रति अपनी कृतज्ञता को व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने की कामना करते हैं। इस लेख में, हम पितृपक्ष के बारे में विस्तार से जानेंगे, जैसे कि इसका महत्व, श्राद्ध तर्पण की विधि, और इसके नियम। हम यह भी जानेंगे कि पितृपक्ष 2024 में कब से है और इसके दौरान हमें क्या करना चाहिए। 

हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता की भावना को व्यक्त करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। तो आइए, पितृपक्ष के बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें…

यहाँ पढ़े पितृ पक्षके प्रमुख लेख:-

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पितृपक्ष क्या होता है? (pitru paksha meaning?)

पितृपक्ष (Pitrapaksha) एक हिंदू धार्मिक अवधि है, जिसमें पितरों (पूर्वजों) की आत्माओं को श्रद्धांजलि दी जाती है। यह 16 दिनों तक चलता है, भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक, जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इस समय परिवार के लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों से आशीर्वाद देने के लिए आह्वान की प्रतीक्षा करते हैं। पितृपक्ष में किया गया श्राद्ध और दान उन्हें संतुष्ट करता है और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

श्राद्ध कब से शुरू है? (sharad kab se shuru hai?)

2024 में श्राद्ध 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। यह 16 दिनों की अवधि होती है, जिसमें हिंदू धर्म के अनुयायी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध कर्म करते हैं। पितृपक्ष का आरंभ भाद्रपद पूर्णिमा से होता है और इसका समापन आश्विन अमावस्या को होता है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इस अवधि में पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों से आशीर्वाद की प्रतीक्षा करते हैं। पितरों को संतुष्ट करने के लिए इस समय किए गए श्राद्ध और दान को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

पितृ पक्ष कब से शुरू है? (Pitru paksha kab hai?) ( Day list)

Date / Day/ Shradh

  • 17 सितंबर, मंगलवार: पूर्णिमा श्राद्ध
  • 18 सितंबर, बुधवार: प्रतिपदा श्राद्ध
  • 19 सितंबर, गुरुवार: द्वितीया श्राद्ध
  • 20 सितंबर, शुक्रवार: तृतीया श्राद्ध
  • 21 सितंबर, शनिवार: चतुर्थी श्राद्ध, महाभरणी
  • 22 सितंबर, रविवार: पंचमी श्राद्ध
  • 23 सितंबर, सोमवार: षष्ठी श्राद्ध, सप्तमी श्राद्ध
  • 24 सितंबर, मंगलवार: अष्टमी श्राद्ध
  • 25 सितंबर, बुधवार: नवमी श्राद्ध, मातृ नवमी
  • 26 सितंबर, गुरुवार: दशमी श्राद्ध
  • 27 सितंबर, शुक्रवार: एकादशी श्राद्ध
  • 29 सितंबर, रविवार: द्वादशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध
  • 30 सितंबर, सोमवार: त्रयोदशी श्राद्ध
  • 1 अक्तूबर, मंगलवार: चतुर्दशी श्राद्ध
  • 2 अक्तूबर, बुधवार: अमावस्या श्राद्ध, सर्व पितृ अमावस्या

पहला श्राद्ध कब है? (Pehla Shraddha Kabse Hai)

2024 में पितृ पक्ष (Pitrapaksha) का पहला श्राद्ध 17 सितंबर को है, जिसे पूर्णिमा श्राद्ध कहा जाता है। इस दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है, जो 2 अक्टूबर तक चलेगा।

पहला श्राद्ध17 सितंबर
अंतिम श्राद्ध2 अक्टूबर

दूसरा श्राद्ध कब है? (Doosra Shraddha Kab Hai)

2024 में पितृ पक्ष (Pitrapaksha) का दूसरा श्राद्ध 18 सितंबर को है, जिसे प्रतिपदा श्राद्ध कहा जाता है।

एकादशी श्राद्ध कब है? (Ekadashi ka shradh kab Hai)

एकादशी का श्राद्ध 2024 में 27 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण, पिंडदान, और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। एकादशी का श्राद्ध पितृपक्ष Pitru Paksha 2024 की अवधि में आने वाले महत्वपूर्ण दिनों में से एक है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और फलदायी माना जाता है।

पितृ तर्पण विधि एवं मंत्र (Pitra Tarpan Vidhi Aur Mantra)

पितृ पक्ष (Pitrapaksha) या अमावस्या तिथि (Amavasya) पर पितरों के तर्पण का महत्व अत्यधिक माना गया है, और इसे सही विधि से करना आवश्यक है। तर्पण के दौरान आवश्यक सामग्री में कुश, अक्षत, जौ, और काले तिल का प्रयोग किया जाता है। प्रारंभ में, पूर्व दिशा की ओर मुख करके पितरों के तर्पण की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसमें पहले कुश, जौ और अक्षत के साथ उनके प्रार्थना मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस प्रार्थना के माध्यम से, पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करते हुए उनकी कृपा के लिए प्रार्थना की जाती है।

तर्पण की इस विधि में पूर्व दिशा की ओर मुख करते हुए, सबसे पहले ऋषियों के लिए जौ और कुश का तर्पण करना चाहिए। ऋषियों का तर्पण करने के पश्चात, उत्तर दिशा की ओर मुख करके, जौ और कुश के साथ मानव तर्पण की प्रक्रिया को पूरा करना आवश्यक है। यह तर्पण उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो इस संसार में नहीं हैं और उन्हें सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। अंत में, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके, काले तिल और कुश का प्रयोग करते हुए पितरों का तर्पण करना चाहिए। यह तर्पण हमारे पितृ पुरखों के लिए है, जिनके आशीर्वाद से हम जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं।

पूजा के अंत में, यदि तर्पण विधि में कोई त्रुटि या गलती हो गई हो, तो इसके लिए पितरों से क्षमायाचना करना आवश्यक है। इस विधि से किए गए तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से वंश में सुख और समृद्धि का संचार होता है।

पितृ तर्पण मंत्र-

  • माता, पिता, दादा और दादी के तर्पण के दौरान श्रद्धापूर्वक मंत्रों का उच्चारण करते समय गोत्र का नाम लेकर जलांजलि दी जाती है।
  • माता जी के तर्पण के लिए, अपने गोत्र का नाम लेते हुए बोलें, “गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः।” इसे तीन बार दोहराते हुए जलांजलि दें।
  • पिता के तर्पण के समय गोत्र का नाम लेकर कहें, “गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः।” इस मंत्र का भी तीन बार जाप करें।
  • दादा जी के तर्पण के लिए, गोत्र का नाम लेकर बोलें, “गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा का नाम) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः।” और इसी मंत्र को तीन बार दोहराते हुए जल चढ़ाएं।
  • दादी जी के तर्पण के लिए, अपने गोत्र का नाम लेकर मंत्र पढ़ें, “गोत्रे अस्मत्पितामह (दादी का नाम) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः।” पूरब दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार जलांजलि दें।

पितृ पक्ष श्राद्ध तर्पण नियम  (Pitrapaksha Shraddha Tarpan ke Niyam) 

  1. पितरों की शांति और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए पितृ पक्ष Pitru Paksha 2024 में विशेष रूप से श्राद्ध और तर्पण विधि का पालन किया जाता है। श्राद्ध कर्म के दौरान, पवित्र अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर का अर्पण करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। ब्राह्मण भोजन से पूर्व पंचबलि की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें गाय, कुत्ता, कौआ, देवता और चींटी के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकाली जाती है। ऐसा विश्वास है कि पितर इन्हीं पांच रूपों में पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और अपनी संतान को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  1. श्राद्ध कर्म में दक्षिणाभिमुख होकर, कुश, जौ, तिल, चावल और जल का संकल्प लेते हुए एक या तीन ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इस प्रक्रिया में विशेष ध्यान दिया जाता है कि ब्राह्मण भोजन के लिए थाली या पत्ते पर भोजन परोसा जाए। धर्म शास्त्रों के अनुसार, कुछ तिथियां और समय होते हैं जब श्राद्ध नहीं करना चाहिए, जैसे कि शुक्ल पक्ष के दौरान, रात्रि के समय, और उन दिनों में जब दो तिथियों का संयोग हो रहा हो। इसके अलावा, अपने जन्मदिन पर भी श्राद्ध का आयोजन नहीं करना चाहिए।
  1. धर्म ग्रंथों के अनुसार, सायंकाल का समय राक्षसों का माना जाता है, इसलिए इस समय में श्राद्ध जैसे शुभ कर्म नहीं किए जाते। पितरों की संतुष्टि और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए इन नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है। श्राद्ध तर्पण के ये नियम हमें हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान और कर्तव्य का बोध कराते हैं, जिससे हम उनकी आत्मा को शांति प्रदान कर सकते हैं और अपने जीवन में उनके आशीर्वाद को सुनिश्चित कर सकते हैं।

Conclusion:-Pitru Paksha 2024

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (पितृ पक्ष कब है) Pitru Paksha 2024 यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s:-Pitru Paksha 2024

Q.1 पितृ पक्ष क्या है?

Ans. पितृ पक्ष एक पवित्र हिंदू समय है जब भक्त अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध अनुष्ठान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस समय के दौरान पितरों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं और अपने परिवारों से श्राद्ध और तर्पण की अपेक्षा करती हैं।

Q.2 पितृ पक्ष का महत्व क्या है?

Ans.पितृ पक्ष का महत्व अत्यधिक आध्यात्मिक है। यह समय अपने पितरों की आत्माओं की तृप्ति के लिए होता है ताकि वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद दें। पितृ पक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध और तर्पण से परिवार के सदस्यों के लिए समृद्धि, शांति, और शुभता प्राप्त होती है।

Q.3 पितृ पक्ष कब मनाया जाता है?

Ans.पितृ पक्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होकर अमावस्या (महालय अमावस्या) तक चलता है। यह आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर के महीनों के बीच आता है। इस अवधि में श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व होता है।

Q.4 पितृ पक्ष के दौरान कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?

Ans.पितृ पक्ष के दौरान मुख्य रूप से निम्नलिखित अनुष्ठान किए जाते हैं:

  1. तर्पण: यह एक जल-दान प्रक्रिया है जिसमें जल, तिल, और फूलों के साथ पितरों को अर्पित किया जाता है।
  2. पिंडदान: चावल, जौ, तिल, और आटे से बने पिंड (गोलाकार आकृति) पितरों की आत्मा की शांति के लिए अर्पित किए जाते हैं।
  3. श्राद्ध अनुष्ठान: श्राद्ध कर्म के दौरान विशेष भोजन पकाया जाता है और ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को भोजन कराकर दान दिया जाता है।

Q.5 पितृ पक्ष के दौरान कौन से दिन महत्वपूर्ण होते हैं?

Ans.पितृ पक्ष के दौरान प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि हर दिन का संबंध विशेष तिथि और पूर्वज की मृत्यु तिथि से होता है। सबसे महत्वपूर्ण दिन “महालय अमावस्या” होता है, जिसे “सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या” भी कहा जाता है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती।

Q.6 पितृ पक्ष के दौरान क्या करना चाहिए?

Ans.पितृ पक्ष के दौरान निम्नलिखित कार्य करना शुभ माना जाता है:

  • पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध अनुष्ठान करें।
  • पवित्रता और स्वच्छता का पालन करें।
  • ब्राह्मणों, गरीबों, और जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान दें।
  • पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें और पवित्र स्थानों पर जाकर पूजा-अर्चना करें।

Q.7 पितृ पक्ष के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

Ans.पितृ पक्ष के दौरान कुछ कार्यों से बचना चाहिए, जैसे:

  • नए कपड़े खरीदना या पहनना।
  • घर में कोई नया कार्य या शुभ कार्य शुरू करना।
  • खाने में प्याज और लहसुन का सेवन।
  • नकारात्मक सोच और व्यवहार से बचना चाहिए।