Home General Sharad Purnima 2024: चांद की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर?...

Sharad Purnima 2024: चांद की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर? जाने इसका महत्व विस्तार से।

Sharad Purnima 2024
Join Telegram Channel Join Now

शरद पूर्णिमा में खीर का क्या महत्व है(Sharad Purnima 2024): शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima)- एक ऐसी रात जब चांद अपनी सोलह कलाओं के साथ जगमगाता है, जब आसमान से अमृत की बौछार होती है, और जब हर दिल में आशा की किरण जगमगाती है। यह वह रात है जब हम अपनी प्राचीन परंपराओं और मान्यताओं को जीवंत करते हैं, जब हम अपने आध्यात्मिक और भौतिक जगत के बीच एक अनूठा संबंध स्थापित करते हैं। 

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) न सिर्फ एक त्योहार है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और विरासत का एक अमूल्य हिस्सा है। इस दिन, हर घर की रसोई में खीर की मीठी सुगंध फैलती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खीर का महत्व सिर्फ इसके स्वाद तक ही सीमित नहीं है? शरद पूर्णिमा की खीर में छिपे हैं कई रहस्य और वैज्ञानिक तथ्य जो इसे सिर्फ एक मिष्ठान्न से कहीं अधिक बना देते हैं। तो आइए, इस लेख में हम गहराई से जानते हैं कि आखिर शरद पूर्णिमा क्या होती है, इस दिन खीर का क्या महत्व है, और इस प्राचीन परंपरा के पीछे छिपा है कौन सा विज्ञान। हम समझेंगे कि कैसे हमारे पूर्वजों ने सदियों पहले ही इस दिन और इस व्यंजन के पीछे के रहस्यों को जाना और समझा था। तो चलिए शुरू करते हैं इस विशेष लेख को और जानते हैं शरद पूर्णिमा के दिन खीर के महत्व के बारे में…

शरद पूर्णिमा क्या है? (Sharad Purnima kya Hai)

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात को कृष्ण और ब्रज की गोपियों के बीच हुई अद्भुत रासलीला के लिए विशेष माना जाता है। इस दिव्य नृत्य में शामिल होने की इच्छा से भगवान शिव (Bhagwan Shiva) ने गोपीश्वर महादेव का रूप धारण किया था। इस महत्वपूर्ण रात का विस्तार से वर्णन ब्रह्म पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण और लिंग पुराण में मिलता है, जहाँ इसे अत्यंत पवित्र और अद्वितीय घटना के रूप में प्रस्तुत किया गया है। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की यह रात्रि भक्तों के लिए अध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण मानी जाती है।

शरद पूर्णिमा में खीर (Sharad Purnima Mein kheer

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है जिसका विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है और उसकी किरणों को अमृत तुल्य माना जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की चांदनी में खीर रखने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने और खाने की परंपरा है। कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में खीर रखने से उसमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इस दिन खीर को चंद्रमा के सामने रखकर भोग लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस प्रकार शरद पूर्णिमा पर खीर का धार्मिक और आयुर्वेदिक दोनों दृष्टि से महत्व है।

शरद पूर्णिमा में खीर का क्या महत्व है? (Sharad Purnima Mein kheer ka kya Mahatva Hai)

  • पोषक और चिकित्सीय गुणों का विस्तार: खीर (Kheer) पर चंद्रमा की किरणों का पड़ना, उसके पोषक और चिकित्सीय गुणों को बढ़ाता है। यह मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सबसे शक्तिशाली और शुभ अवस्था में होता है, और उसकी किरणें अमृत (अमरत्व की अमृत) के समान होती हैं।
  • आध्यात्मिक महत्व: शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन खीर की तैयारी और उसे चंद्रमा को चढ़ाने का आध्यात्मिक महत्व होता है। इसे करके भक्त अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और दैवीय आशीर्वाद की कामना करते हैं. यह अनुष्ठान परिवार को समृद्धि, खुशी, और स्वास्थ्य लाने के लिए माना जाता है।
  • सांस्कृतिक परंपरा: शरद पूर्णिमा के दिन खीर तैयार करने और खाने की परंपरा भारत के कई हिस्सों में लंबे समय से चली आ रही है। यह प्रथा पीढ़ीयों के माध्यम से नीचे उतरी है, और परिवार खुशी और उत्साह के साथ त्योहार मनाने के लिए एकत्र होते हैं। चंद्रमा को खीर चढ़ाने की परंपरा का प्रतीकात्मक अर्थ है, जो मानव और ब्रह्मांड के बीच संबंध को दर्शाता है।

शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व (Sharad Purnima ka Vaigyanik Mahatva)

श्रीमद्भागवत महापुराण (Shrimad Bhagwat Mahapuran) में चन्द्रमा को औषधि का देवता कहा गया है, और शरद पूर्णिमा को इसका विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ अमृत की वर्षा करता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह पूर्णिमा अद्वितीय है, और इसके पीछे कई वैज्ञानिक सिद्धांत हैं। इस रात चावल और दूध से बनी खीर को चांदनी में रखकर सुबह 4 बजे सेवन करना रोगनाशक माना गया है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 

वैज्ञानिक शोध के अनुसार, इस दिन चांदी के पात्र में दूध से बने उत्पाद का सेवन करने से विषाणुओं से बचाव होता है, क्योंकि चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इसके अलावा, इस दिन कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा के स्नान से दमा रोगियों को विशेष लाभ मिलता है, और पूरे वातावरण में स्वास्थ्यवर्धक प्रभाव होता है।

यह भी पढ़े:चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में अंतर | शारदीय नवरात्रि दुर्गा आरती | देवी कात्यायनी | दुर्गा स्तोत्र | दुर्गा चालीसा | दुर्गा के 108 नाम | नौ देवियों बीज मंत्रशरद पूर्णिमा |रमा एकादशी व्रत कथा | शरद पूर्णिमा आरती | नवरात्रि के 9 दिन नौ रंगो | माँ दुर्गा के नौ रूप | विजयदशमी | रावण का परिवार |दशहरा | धनतेरस | दशहरा शस्त्र पूजा | रावण दहन | धनतेरस पूजा | करवा चौथ आरती |धनतेरस खरीदारी |करवा चौथ कहानी | पहली बार करवा चौथ कैसे करें | करवा चौथ व्रत खाना | करवा चौथ शुभकामनाएं | देवी शैलपुत्री कहानी देवी ब्रह्मचारिणी कहानी | देवी चंद्रघंटा कहानी | करवा चौथ पूजन विधि सामग्री | माता कुष्मांडा पूजा |माता स्कंदमाता कहानी |माता कालरात्रि कहानी | माता महागौरी कहानी | माता सिद्धिदात्री कहानी

Conclusion

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (क्यों कहते हैं चांद की रोशनी में रखी खीर) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s

शरद पूर्णिमा 2024 कब है?

शरद पूर्णिमा 2024 में 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्णिमा की अवस्था में होता है, और इसे वर्ष का सबसे शुभ पूर्णिमा माना जाता है।

शरद पूर्णिमा का क्या महत्व है?

  • चंद्रमा की किरणों का लाभ:
    मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में विशेष ऊर्जा होती है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि लाती है। इसलिए इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है और इसे बाद में प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
  • धन की प्राप्ति:
    शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “कौन जाग रहा है?”। इस दिन मां लक्ष्मी रात के समय उन लोगों को आशीर्वाद देती हैं जो जागरण करते हैं और उनकी आराधना करते हैं।

शरद पूर्णिमा की रात को क्या करना चाहिए?

  • चंद्रमा को अर्घ्य देना:
    इस दिन भक्तगण चंद्रमा को दूध और पानी का अर्घ्य देते हैं, जिससे उनकी जीवन में सकारात्मकता आती है।
  • खीर बनाना और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखना:
    शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें इस खीर में अमृत का प्रभाव डालती हैं, जिसे बाद में प्रसाद के रूप में परिवार के साथ बांटा जाता है।

शरद पूर्णिमा से कौन से पौराणिक कथा जुड़े हैं?

  1. रास पूर्णिमा:
    शरद पूर्णिमा को भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
  2. लक्ष्मी पूजा:
    इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है, ताकि जीवन में धन-धान्य की कमी न हो। मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

क्या शरद पूर्णिमा केवल भारत में मनाई जाती है?

शरद पूर्णिमा मुख्य रूप से भारत में मनाई जाती है, लेकिन भारत के बाहर बसे हिंदू समुदाय भी इस दिन को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। नेपाल और मॉरीशस जैसे देशों में भी यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है।

शरद पूर्णिमा की तैयारियां कैसे करें?

  1. मां लक्ष्मी की पूजा:
    घर की साफ-सफाई कर मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और उनकी पूजा करें।
  2. खीर बनाएं:
    परंपरागत रूप से खीर बनाकर चांदनी रात में उसे कुछ समय तक बाहर रखें और फिर सभी को प्रसाद के रूप में बांटें।
  3. जागरण करें:
    शरद पूर्णिमा की रात को जागरण करना शुभ माना जाता है। यह रात मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का विशेष समय होता है।