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Vastu Tips Attached Toilet: अगर आपके घर में हैं संलग्न टॉयलेट और बाथरूम तो आज़माएं यह विशेष वास्तु टिप्स

Vastu Tips Attached Toilet
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Vastu Tips Attached Toilet: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) प्राचीन भारतीय विद्या है जो हमारे घर, कार्यालय और अन्य भवनों में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए दिशाओं, डिजाइन और स्थान का उपयोग करती है। हमारे घर का हर कोना महत्वपूर्ण होता है, लेकिन अक्सर हम बाथरूम और टॉयलेट जैसे स्थानों पर वास्तु के नियमों को लागू करना भूल जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि गलत दिशा या डिजाइन में बने बाथरूम और टॉयलेट आपके जीवन में नकारात्मकता और समस्याएं ला सकते हैं? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, बाथरूम और टॉयलेट से जुड़े कुछ मुख्य सिद्धांत हैं जिनका पालन करना चाहिए। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं! अगर आपके घर में पहले से ही वास्तु के विपरीत बाथरूम या टॉयलेट बना हुआ है, तो भी कुछ सरल उपायों से आप इन नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं।  

तो आइए जानते हैं कि वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार आपके बाथरूम और टॉयलेट कैसे होने चाहिए, और उनसे जुड़े दोषों को दूर करने के क्या उपाय हैं। इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि कैसे आप अपने घर के इन महत्वपूर्ण हिस्सों को वास्तु के अनुकूल बनाकर अपने जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि ला सकते हैं।

Table of Content 

S.NOप्रश्न 
1वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम की दिशा क्या होनी चाहिए?
2वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम की टॉयलेट सीट किस दिशा में होनी चाहिए?
3वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम का टॉयलेट फ्लश किस दिशा में होना चाहिए?
4वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम का टॉयलेट फ्लश किस दिशा में होना चाहिए?
5वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम में ब्यूरेट किस दिशा में होना चाहिए?
6वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम में वाशिंग मशीन किस दिशा में होनी चाहिए?
7वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम में एग्जॉस्ट फैन किस दिशा में होना चाहिए?
8वास्तु के अनुसार अटैच्ड टॉयलेट-बाथरूम से नकारात्मक ऊर्जा कैसे दूर करें?
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वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम की दिशा क्या होनी चाहिए? 

वास्तुशास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, अटैच बाथरूम और टॉयलेट का दरवाजा कुछ खास दिशाओं में ही होना चाहिए। सबसे उत्तम दिशा उत्तर या पूर्व मानी जाती है। इसके अलावा, दरवाजे का निर्माण लोहे की जगह लकड़ी से करना श्रेयस्कर होता है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि बाथरूम और टॉयलेट का दरवाजा हमेशा बंद रखना चाहिए। खुला रहने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि संभव हो तो बाथरूम और टॉयलेट को अलग-अलग रखना उचित माना जाता है। क्योंकि दोनों को एक साथ रखने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। इन बातों का ध्यान रखकर अटैच बाथरूम और टॉयलेट के दरवाजे का निर्माण करना चाहिए।

वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम की टॉयलेट सीट किस दिशा में होनी चाहिए?

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra), एक प्राचीन भारतीय वास्तुकला और निर्माण की विज्ञान, हमें एक घर की योजना कैसे बनानी चाहिए, इसके बारे में मार्गदर्शन करता है। वास्तु के अनुसार, उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में एक बाथरूम मंगलमय माना जाता है, जबकि दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, या दक्षिण-पश्चिम दिशा में एक बाथरूम अशुभ माना जाता है।

अटैच्ड बाथरूम और टॉयलेट की स्थिति का भी वास्तु में महत्व है. इसके अनुसार, टॉयलेट सीट की आदर्श दिशा उत्तर-पश्चिम या पश्चिम होनी चाहिए। यदि आपका बाथरूम और टॉयलेट एक ही कमरे में हैं, तो इसका उपयोग केवल उसके इरादे के अनुसार ही करना चाहिए। वास्तु शास्त्र में यह भी बताया गया है कि घर के मुख्य प्रवेश द्वार के सीधे सामने बाथरूम का दरवाजा नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, बाथरूम के दरवाजे को हमेशा बंद रखना चाहिए। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, एक अटैच्ड बाथरूम और टॉयलेट की वास्तु-अनुकूल योजना तैयार की जा सकती है, जो न केवल स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करती है, बल्कि यह घर के निवासियों को समृद्धि, खुशी, और अच्छे स्वास्थ्य की ओर भी ले जाती है।

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, एक अटैच्ड बाथरूम और टॉयलेट की वास्तु-अनुकूल योजना तैयार की जा सकती है, जो न केवल स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करती है, बल्कि यह घर के निवासियों को समृद्धि, खुशी, और अच्छे स्वास्थ्य की ओर भी ले जाती है।

वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम घर में कौन सी दिशा में होना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, अटैच बाथरूम और टॉयलेट का स्थान हमेशा आपके घर के उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा (Direction) में ही होना चाहिए। साथ ही इसे जमीन से एक से दो फीट ऊंचा बनाना सबसे उचित माना जाता है। 

दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बाथरूम का निर्माण वर्जित है। फेंग शुई के अनुसार भी इन दिशाओं में शौचालय बनाने से ची ऊर्जा का अस्थिर परिवर्तन हो सकता है, जिससे घर में रहने वालों की जीवन शक्ति प्रभावित हो सकती है। वास्तु टिप्स (Vastu Tips) के मुताबिक, अटैच बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखना चाहिए और इसका उपयोग केवल निर्धारित प्रयोजन के लिए ही करना चाहिए। बाथरूम में पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था और पौधों का प्रयोग भी सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने में मददगार हो सकता है।

वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम का टॉयलेट फ्लश किस दिशा में होना चाहिए? 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, अटैच बाथरूम और फ्लश टॉयलेट का स्थान घर के उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे स्वास्थ्य, धन और रिश्तों में परेशानी आ सकती है। 

इसके अलावा, उत्तर-पूर्व दिशा और घर के केंद्र में भी शौचालय नहीं होना चाहिए। टॉयलेट सीट का मुंह उत्तर या पूर्व की ओर नहीं होना चाहिए। बाथरूम का दरवाजा उत्तर या पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार इन बातों का ध्यान रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। 

वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम में ब्यूरेट किस दिशा में होना चाहिए? (According to Vastu, in which direction should the burette be in the attached toilet-bathroom?) 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, टॉयलेट के अंदर पानी वाली टूटी दक्षिण-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। इस दिशा को पृथ्वी तत्व से जोड़ा गया है और अपशिष्ट निपटान के लिए शुभ माना जाता है।

टॉयलेट सीट हमेशा इस प्रकार रखनी चाहिए कि इसका उपयोग करने वाले व्यक्ति का मुख उत्तर या पूर्व की ओर हो। पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठने से गैस, कब्ज आदि की शिकायत नहीं होती है। इसके विपरीत, दक्षिण या पश्चिम की ओर मुंह करके बैठने वाले व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, बाथरूम और टॉयलेट को अलग-अलग बनाना चाहिए। बाथरूम को पूर्व या उत्तर दिशा में बनाना चाहिए, जबकि टॉयलेट को दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। यदि बाथरूम और टॉयलेट एक साथ बनाए जाते हैं, तो यह वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) और वास्तु दोष पैदा होता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में व्यक्ति के जीवन से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताया गया है। घर बनवाने से लेकर इसकी सजावट तक वास्तु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए घर बनाते समय वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है ताकि घर में रहने वाले लोगों की भलाई और खुशी सुनिश्चित हो सके।

वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम में वाशिंग मशीन किस दिशा में होनी चाहिए? (According to Vastu, in which direction should the washing machine be in an attached toilet-bathroom?)

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, अटैच बाथरूम और टॉयलेट के लिए वॉशिंग मशीन का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। वॉशिंग मशीन को बाथरूम या टॉयलेट के अंदर नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह वास्तु दोष पैदा कर सकता है। इसके बजाय, वॉशिंग मशीन को बाथरूम या टॉयलेट के बाहर, उत्तर या पूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है। यदि संभव हो तो वॉशिंग मशीन के लिए एक अलग स्थान बनाना बेहतर होगा। साथ ही, वॉशिंग मशीन के आसपास पर्याप्त जगह और वेंटिलेशन होना चाहिए। इन वास्तु टिप्स (Vastu Tips) का पालन करके, आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) बनाए रख सकते हैं और वास्तु दोषों से बच सकते हैं।

वास्तु के अनुसार अटैच टॉयलेट-बाथरूम में एग्जॉस्ट फैन किस दिशा में होना चाहिए? (According to Vastu, in which direction should the exhaust fan be in attached toilet-bathroom?)

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, अटैच बाथरूम और शौचालय (Toilet) में एग्जॉस्ट फैन की दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 

सर्वोत्तम वास्तु अनुपालन के लिए एग्जॉस्ट फैन को पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करना चाहिए। इन दिशाओं में एग्जॉस्ट फैन लगाने से स्नानघर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। दक्षिण या पश्चिम दिशा में एग्जॉस्ट फैन लगाने से बचना चाहिए क्योंकि ये दिशाएं वास्तु के अनुसार अशुभ मानी जाती हैं। एग्जॉस्ट फैन की सही दिशा के साथ-साथ स्नानघर की साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था और आंतरिक डिजाइन का भी ध्यान रखना चाहिए ताकि नकारात्मक ऊर्जा को कम किया जा सके और सकारात्मक वास्तु प्रभाव बना रहे।

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वास्तु के अनुसार अटैच्ड टॉयलेट-बाथरूम से नकारात्मक ऊर्जा कैसे दूर करें? (How to Remove Negative Energy From Attached Toilet- Bathroom as Per Vastu?)

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, अटैच टॉयलेट-बाथरूम से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए निम्नलिखित पांच उपाय अपनाएं: 

  • नमक के पानी का गिलास रखें: नमक और ग्लास दोनों राहु ग्रह से संबंधित होते हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं। बाथरूम में नमक के पानी का गिलास रखने से यह ऊर्जा नष्ट हो सकती है।
  • लेमन ग्रास का तेल इस्तेमाल करें: आरोमाथेरेपी के अनुसार, लेमन ग्रास के तेल में शुद्धिकरण गुण होते हैं, जो बाथरूम को शुद्ध करके नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकते हैं।
  • बाथरूम को स्वच्छ और व्यवस्थित रखें: अव्यवस्था नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) को आकर्षित करती है, इसलिए बाथरूम (Bathroom) को साफ और सुव्यवस्थित रखना महत्वपूर्ण है।
  • उज्ज्वल प्रकाश का उपयोग करें: अंधेरे कोने में नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) जमा हो सकती है, इसलिए बाथरूम को अच्छी तरह से प्रकाशित रखना महत्वपूर्ण है।
  • सुखद संगीत बजाएं: संगीत का शांतिपूर्ण प्रभाव होता है और वह बाथरूम से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकता है।

इन उपायों का पालन करके, आप वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार अपने बाथरूम में अधिक सकारात्मक (positive) और समंजस्यपूर्ण वातावरण बना सकते हैं।

Conclusion:

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के सिद्धांतों का पालन करके, आप अपने संलग्न बाथरूम और शौचालय को एक ऐसे स्थान में बदल सकते हैं जो न केवल कार्यात्मक हो, बल्कि शांतिपूर्ण और सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) से भरपूर भी हो। यह आपके घर में समग्र स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी को बढ़ावा देने में मदद करेगा। अगर आपको हमारा यह विशेष लेख पसंद आया हो तो इसे अपने परिवारजनों एवं मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें, साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

Disclaimer: इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां मान्यताओं पर आधारित है। आपको बता दें कि janbhakti.in ऐसी किसी भी तरह की मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है, इसीलिए इन सभी बातों को आजमाने या उपयोग में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह विशेष तौर से अवश्य लें  ।

FAQ’S 

Q. अटैच्ड टॉयलेट और बाथरूम के लिए वास्तु शास्त्र में कौन सी दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है?

उत्तर-पश्चिम या उत्तर दिशा अटैच्ड टॉयलेट और बाथरूम के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह दिशा नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने में मदद करती है।

Q. अटैच्ड टॉयलेट और बाथरूम को किन दिशाओं से बचना चाहिए?

Ans. पूर्व, उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण दिशाओं से बचना चाहिए। ये दिशाएँ क्रमशः ज्ञान, ईशान कोण, अग्नि कोण और यम दिशा से संबंधित हैं, और इनमें टॉयलेट और बाथरूम रखने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

3. अटैच्ड टॉयलेट और बाथरूम का दरवाजा किस दिशा में खुलना चाहिए?

Ans. दरवाजा पश्चिम या दक्षिण दिशा में खुलना चाहिए। उत्तर या पूर्व दिशा में दरवाजा खोलने से बचना चाहिए।

Q. अटैच्ड टॉयलेट और बाथरूम में शौचालय सीट की दिशा कैसी होनी चाहिए?

Ans. शौचालय सीट को इस तरह रखना चाहिए कि बैठने वाले का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा में हो। पूर्व या पश्चिम दिशा में मुख करके शौचालय का उपयोग नहीं करना चाहिए।

Q. अटैच्ड टॉयलेट और बाथरूम में कौन से रंगों का प्रयोग करना चाहिए?

Ans. हल्के रंग जैसे सफेद, नीला, हरा या पीला रंग उपयोग करना शुभ माना जाता है। गहरे रंगों जैसे लाल, काले या भूरे रंगों से बचना चाहिए।