Maa Kushmanda: नवरात्रि (Navratri) के पावन पर्व में, जब भक्त माँ दुर्गा (Goddess Durga) के नौ रूपों की आराधना करते हैं, तब चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माता कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) को सृष्टि की रचनाकारिणी माना जाता है। देवी कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। उनके आठ हाथ हैं, जिनमें वे विभिन्न शस्त्र और वस्तुएं धारण करती हैं। माता कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) की पूजा करने से भक्तों को मनोबल, आत्मविश्वास और सफलता प्राप्त होती है। माता कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) रोगों से मुक्ति, कष्टों का निवारण और मनोकामनाओं की पूर्ति भी करती हैं। नवरात्रि (Navratri) के चौथे दिन, भक्त माता कुष्मांडा (Mata Kushmanda) की पूजा विधि-विधान से करते हैं। मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और माता के दर्शन के लिए लंबी लाइनें लगती हैं।
नवरात्रि (Navratri) के त्योहार (Festival) से संबंधित इस विशेष लेख में हम आपको माता कुष्मांडा से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, हम आपको बताएंगे की माता कुष्मांडा कौन है? माता कुष्मांडा का महत्व क्या है? माता कुष्मांडा की कथा क्या है? माता कुष्मांडा की पूजा का महत्व क्या है? एवं माता कुष्मांडा की पूजा में लगने वाली प्रमुख सामग्री क्या है? इसलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए।
कौन है मां कुष्मांडा (Who is Maa Kushmanda)
Maa Kushmanda: माँ कुष्मांडा देवी दुर्गा (Goddess Durga) का चौथा अवतार हैं और चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के चौथे दिन उनकी पूजा की जाती है। “कुष्मांडा” नाम संस्कृत के शब्द “कू” से लिया गया है जिसका अर्थ है थोड़ा सा, उष्मा का अर्थ है गर्मी, और अंडा का अर्थ है ब्रह्मांडीय अंडा। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) ने एक छोटे ब्रह्मांडीय अंडे का उत्पादन करके ब्रह्मांड का निर्माण किया, जिससे ब्रह्मांड उभरा। उन्हें आठ भुजाओं वाली और प्रत्येक हाथ में हथियार और शक्ति के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) के चारों ओर की दीप्तिमान आभा सकारात्मकता और प्रकाश बिखेरने की उसकी क्षमता का प्रतीक है, और उससे खुशी, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है।
मां कुष्मांडा का महत्व (Maa Kushmanda importance)
भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने देवी कुष्मांडा Goddess Kushmanda) की सहायता से संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की। जब किसी भी प्राणी का अस्तित्व नहीं था | और हर दिशा में अंधकार ही अंधकार था, तब माता कुष्मांडा (Maa Kushmanda) ने अपनी सुंदर और दिव्य मुस्कान से अंडे के रूप में ब्रह्मांड की रचना की। उसकी दिव्य मुस्कान सूर्य की किरणों की तरह पूरे ब्रह्मांड को सभी दिशाओं में रोशन करने के लिए खिल उठी।
चूंकि उन्होंने अंडे के रूप में ब्रह्मांड का निर्माण किया, इसलिए उन्हें अक्सर आदि शक्ति के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वह अपनी चमक से सूर्य देव (Lord Surya) को रोशनी और दिशा प्रदान करती हैं और इसलिए वह सूर्य के केंद्र में रहती हैं। उसके शरीर का रंग सुनहरा है और चेहरा बहुत चमकदार है। वह अपने भक्तों के जीवन से सभी कष्टों और दुखों को दूर करती हैं और उन्हें शक्ति और समृद्धि प्रदान करती हैं।
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मां कुष्मांडा की कहानी (Maa Kushmanda ki Kahani)
Maa Kushmanda: माँ कुष्मांडा देवी दुर्गा (Goddess Durga) का चौथा स्वरूप हैं। नवरात्रि (Navratri) के चौथे दिन देवी कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) की पूजा की जाती है। उनकी दिव्य चिंगारी, जिसे उनके शारीरिक चित्रण में मुस्कान के रूप में दर्शाया गया है, ने वह प्रकाश पैदा किया जिसने उस जगह को भर दिया जो कभी विशाल अंधकार था। वह ब्रह्मांड की रचना करने वाली के रूप में जानी जाती है।
कुछ लोगों द्वारा उसे सूर्य की माता माना जाता है, वह पृथ्वी पर सूर्य की गर्मी, रोशनी और स्पष्टता लाती है। वह सूर्य में रहती है और इसलिए ऊर्जा प्रदान करती है जो जबरदस्त गर्मी पैदा करती है। उसकी भूमिका ब्रह्मांडीय अंडे, अंडे या बीजा में गर्मी और प्रकाश जोड़ने की है जो सृजन की सभी संभावनाओं का सार देता है। तो, कुष्मांडा देवी ब्रह्मांडीय अंडे को पकाती हैं। आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए, वह शुद्धिकरण, तपस्या की देवी हैं – हमारे द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यों को शुद्ध करने के लिए गर्मी और प्रकाश जोड़ती हैं।
जैसे ही हम पवित्र अध्ययन सीखने के लिए प्रेरित होते हैं और अपनी चुनी हुई साधना का अभ्यास करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, कुष्मांडा देवी की कृपा हम पर आती है। शुद्धिकरण की यह प्रबुद्ध देवी हमारे सभी कार्यों को शुद्ध करके, हमारे हर काम को पूजा का रूप देकर हमें अपने पथ पर आगे बढ़ाती है। वह अपने प्रशंसकों को चमक, स्पष्टता और गहन शांति प्रदान करती है। उसकी चमक शाश्वत है।
माँ अंधकार में प्रकाश लाती है और आपके जीवन में सद्भाव स्थापित करती है। वह आदि शक्ति का एक रूप हैं और मां कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) की पूजा करने से हम हृदय चक्र में प्रवेश कर सकते हैं। उसका गर्म स्वभाव पूरे ब्रह्मांड का पोषण करता है। माँ कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) की कृपा और गरिमा सचमुच अविश्वसनीय है। उसकी सुंदरता असीमित है।
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मां कुष्मांडा पूजा का महत्व (Maa Kushmanda Puja Significance)
माता कुष्मांडा (Maa Kushmanda) नवरात्रि (Navratri) के चौथे दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। कूष्मांडा का अर्थ है ‘ब्रह्मांड की रचना करने वाली’। माना जाता है कि देवी कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) ने अपनी प्यारी सी हंसी से ब्रह्मांड (World) की रचना की थी।
माता कुष्मांडा की पूजा का महत्व कई कारणों से है:
- सृष्टि की देवी: माता कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) को सृष्टि की देवी माना जाता है। उनकी पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है।
- रोगों का नाश: माता कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) रोगों का नाश करने वाली देवी हैं। उनकी पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
- भय और दुखों से मुक्ति: माता कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) भक्तों को भय और दुखों से मुक्ति प्रदान करती हैं। उनकी पूजा करने से मन को शांति और आत्मबल प्राप्त होता है।
- आत्मज्ञान की प्राप्ति: माता कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) आत्मज्ञान की प्राप्ति में सहायक होती हैं। उनकी पूजा करने से ज्ञान और विवेक बढ़ता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: माता कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।
मां कुष्मांडा पूजा विधि (Maa Kushmanda Puja Vidhi)
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के चौथे दिन मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा करने के लिए पीले कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है और पूजा के दौरान देवी को पीला चंदन, कुमकुम, मौली और अक्षत चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा पान के पत्ते में केसर रखकर ॐ बृं बृहस्पते नमः मंत्र का जाप करते हुए अर्पित कर सकते हैं। ॐ कुष्माण्डायै नमः मंत्र की एक माला का जाप और दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना भी लाभकारी माना जाता है। यह पूजा विशेष रूप से अविवाहित महिलाओं के लिए अनुशंसित है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे उन्हें एक उपयुक्त वर मिलता है। सफलता, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए मां कुष्मांडा का आशीर्वाद पाने के लिए शुद्ध और सच्चे मन से पूजा करना महत्वपूर्ण है।
- कलश स्थापना : सबसे पहले कलश स्थापना करें। कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते, सुपारी, और नारियल रखें।
- देवी कुष्मांडा की प्रतिमा या यंत्र स्थापना: कलश के पास देवी कुष्मांडा की प्रतिमा या यंत्र स्थापित करें।
- आसन: देवी कुष्मांडा के सामने आसन बिछाकर बैठें।
- आवाहन: देवी कुष्मांडा का आवाहन करें।
- षोडशोपचार पूजन: षोडशोपचार पूजन करें। इसमें स्नान, आचमन, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, मिठाई, पान, सुपारी, दक्षिणा, और आरती शामिल हैं।
- मंत्र जाप: माता कुष्मांडा के मंत्र का जाप करें।
- आरती: माता कुष्मांडा की आरती करें।
- प्रार्थना: अपनी मनोकामनाओं को लेकर देवी कुष्मांडा से प्रार्थना करें।
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मां कुष्मांडा पूजा विधि PDF (Maa Kushmanda Puja Samagri PDF)
माता कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा विधि से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड करके माता कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा विधि को बेहद ही सरलतापूर्वक से पढ़ सकते हैं।
मां कुष्मांडा पूजा सामग्री (Maa Kushmanda Puja Samagri)
1 | कलश |
2 | देवी कुष्मांडा की प्रतिमा या यंत्र |
3 | लाल वस्त्र |
4 | सिंदूर |
5 | कुमकुम |
6 | चावल |
7 | फूल |
8 | दीप |
9 | धूप |
10 | नैवेद्य |
11 | फल |
12 | मिठाई |
13 | पान |
14 | सुपारी |
15 | दक्षिणा |
मां कुष्मांडा पूजा सामग्री लिस्ट PDF (Maa Kushmanda Puja Samagri List PDF)
माता कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा सामग्री की विशेष लिस्ट हम आपसे साझा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा सामग्री की पूर्ण लिस्ट पढ़ सकते हैं।
कुष्मांडा माता की कथा (Kushmanda Mata Ki Katha)
माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की कथा उस समय से प्रारम्भ होती है जब कुछ भी नहीं था। पूरा ब्रह्मांड (world) खाली था, जीवन (life) का कोई निशान नहीं था , और हर जगह अंधेरा (Darkness) छाया हुआ था। लेकिन अचानक, दिव्य प्रकाश की एक किरण प्रकट हुई और धीरे-धीरे सब कुछ रोशन हो गया।
प्रारंभ में, यह दिव्य प्रकाश निराकार था और इसका कोई विशेष आकार नहीं था। हालाँकि, जल्द ही इसने स्पष्ट आकार लेना शुरू कर दिया और अंततः इसने एक महिला का रूप ले लिया। यह दिव्य महिला, ब्रह्मांड की प्रथम ऊर्जा माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) थीं। ऐसा माना जाता है कि मां कुष्मांडा अपनी मंद मुस्कान से इस ब्रह्मांड की रचना करने में सक्षम थीं। उसने इस “छोटे ब्रह्मांडीय अंडे” का उत्पादन किया और उसकी मुस्कान ने अंधेरे पर काबू पा लिया।
माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) ने इसे प्रकाश से बदल दिया और इस ब्रह्मांड को नया जीवन दिया। जल्द ही, उसने सूर्य, ग्रह, तारे और आकाशगंगाएँ बनाईं जो हमारे रात के आकाश को भर देती हैं। उन्होंने स्वयं को सूर्य के केंद्र में स्थापित किया और अब उन्हें हमारे ब्रह्मांड में सभी ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। वह सूर्य की किरणों के माध्यम से सभी जीवित प्राणियों को जीवन प्रदान करती है और इसलिए, उसे शक्ति के रूप में भी जाना जाता है।
इसके बाद, माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) ने तीन दिव्य देवियों की रचना की, जो हमारे ब्रह्मांड की पहली प्राणी भी थीं। उसने अपने माथे पर केंद्रीय आंख का उपयोग करके एक भयानक रूप बनाया – “महालक्ष्मी”। दूसरा रूप उनकी बायीं आँख से निर्मित हुआ और उसका नाम “महाकाली” रखा गया। अंत में, उन्होंने अपनी दाहिनी आंख का उपयोग करके “महासरस्वती”, एक मुस्कुराता हुआ और दयालु रूप बनाया। बाद में, महाकाली के शरीर से एक नर और एक मादा का जन्म हुआ। पुरुष का नाम शिव और महिला का नाम सरस्वती रखा गया। इसी तरह, महालक्ष्मी ने भी एक पुरुष – ब्रम्हा – और महिला – लक्ष्मी – को जन्म दिया।
माँ कुष्मांडा ने तब महासरस्वती पर नज़र डाली, जिन्होंने फिर एक नर और मादा को भी जन्म दिया। पुरुष का नाम विष्णु और महिला का नाम शक्ति रखा गया। इसके बाद मां कुष्मांडा ने ब्रम्हा को सरस्वती, विष्णु को लक्ष्मी और शिव को शक्ति सखी के रूप में अर्पित की। बाद में, माँ कुष्मांडा ने तीन दिव्य देवियों को अपने भीतर समाहित कर लिया और फिर दिव्य, शक्तिशाली और अनंत ऊर्जा की वस्तु के रूप में शक्ति में प्रवेश किया।
कुष्मांडा माता की कथा PDF (Kushmanda mata ki katha)
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कुष्मांडा माता की आरती (kushmanda Mata Ki Aarti)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
कुष्मांडा माता की आरती PDF (kushmanda Mata Ki Aarti PDF)
इस विशेष लेख में हम आपको माता कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की आरती का पीडीएफ (PDF) शेयर कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड करके आप माता कुष्मांडा (Goddess Kushmanda) की आरती (Aarti) को सरलता पूर्वक पढ़ सकते हैं।
कुष्मांडा माता की आरती Youtube (Kushmanda Mata ki Aarti Youtube)
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
कुष्मांडा देवी मंत्र (Kushmanda Devi Mantra)
अगर आप माता कुष्मांडा के इन मंत्रों का जाप करेंगे तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
- सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।
- या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
कुष्मांडा देवी मंत्र इन हिंदी (Kushmanda Devi Mantra in Hindi)
- सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे। (अमृत से परिपूरित कलश को धारण करने वाली और कमलपुष्प से युक्त तेजोमय मां कूष्मांडा हमें सब कार्यों में शुभदायी सिद्ध हो।)
- या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ( जो देवी सब प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है.)
कुष्मांडा देवी मंत्र (Kushmanda Devi Mantra PDF)
देवी कूष्मांडा (Goddess Kushmanda) के प्रमुख एवं शक्तिशाली मंत्र हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए शेयर कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप देवी कूष्मांडा (Goddess Kushmanda) के प्रमुख मंत्र का जाप कर सकते हैं।
कुष्मांडा देवी इमेज (Kushmanda Devi Images)
माता कुष्मांडा (Maa Kushmanda) संबंधित कुछ विशेष तस्वीर हम आपसे साझा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो इन तस्वीरों को बेहद ही सरलतापूर्वक डाउनलोड (Download) कर सकते हैं साथ ही अपने परिजनों एवं मित्रगणों को भी साझा कर सकते हैं।
कुष्मांडा देवी इमेज डाउनलोड (Kushmanda Devi Images Download)
माता कुष्मांडा (Maa Kushmanda) से संबंधित इन सभी विशेष तस्वीरों को आप आप बेहद ही सरलतापूर्वक डाउनलोड (Download) कर सकते हैं और अपने परिजनों एवं मित्र गणों को सजा भी कर सकते हैं ।
Conclusion:
माता कुष्मांडा (Mata Kushmanda) सृष्टि की रचनाकर्ता के रूप में जानी जाती हैं। उनकी उपासना से भक्तों को आरोग्य, बल, यश और सफलता की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से कष्ट दूर होकर जीवन में सुख-शांति का वास होता है। हमें सच्चे मन से उनकी आराधना करनी चाहिए, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके। माता कुष्मांडा (Mata Kushmanda) से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें , और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
FAQ’s
Q. माता कुष्मांडा को नवदुर्गा का कौन सा रूप माना जाता है?
Ans. माता कुष्मांडा को नवदुर्गा का चौथा रूप माना जाता है।
Q. माता कुष्मांडा का नाम किस शब्द से बना है?
Q. माता कुष्मांडा का नाम “कुष्मांड” और “देवी” शब्दों से मिलकर बना है।
Q. माता कुष्मांडा किस वाहन पर सवार होती हैं?
Ans. माता कुष्मांडा सिंह पर सवार होती हैं।
Q. माता कुष्मांडा के कितने हाथ हैं?
Ans. माता कुष्मांडा के आठ हाथ हैं।
Q. माता कुष्मांडा के हाथों में कौन-कौन से शस्त्र और वस्तुएं हैं?
Ans. माता कुष्मांडा के हाथों में कमंडल, गदा, तलवार, चक्र, धनुष, बाण, कमल का फूल और अमृत कलश हैं।
Q. माता कुष्मांडा का पूजन किस दिन किया जाता है?
Ans. माता कुष्मांडा का पूजन नवरात्रि के चौथे दिन किया जाता है।