जुलाई कैलेंडर 2025 (July Calendar 2025): जुलाई 2025 में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार आने वाले हैं, जो हमारे जीवन में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। इन त्यौहारों में तुलसीदास जयंती, भौम प्रदोष व्रत, देवशयनी एकादशी, जया पार्वती, व्रत जागरण, रोहिणी व्रत, और कामिका एकादशी जैसे कई त्यौहार शामिल हैं। ये त्यौहार न केवल हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ते हैं, बल्कि हमें आध्यात्मिक ज्ञान और शांति की प्राप्ति भी कराते हैं।
इन त्यौहारों के महत्व और उनके पीछे की कहानियों को जानने से हमें अपनी जड़ों को समझने और अपनी संस्कृति को समृद्ध बनाने में मदद मिलती है। यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि ये त्यौहार क्यों मनाए जाते हैं और उनके पीछे की पौराणिक कथाएं क्या हैं। इन त्यौहारों के दौरान, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। इन त्यौहारों का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। ये त्यौहार हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझने और समृद्ध बनाने में मदद करते हैं।
इस लेख में, हम आपको जुलाई 2025 में आने वाले विशेष व्रत और त्यौहारों की एक पूरी लिस्ट प्रदान करेंगे, साथ ही हम आपको इन त्यौहारों के महत्व, उनके पीछे की कहानियों, और उनके आयोजन के तरीकों के बारे में भी बताएंगे….
तारीख | दिन | त्योहार |
01-07-2025 | मंगलवार | षष्टी |
02-07-2025 | बुधवार | बुधाष्टमी व्रत |
03-07-2025 | बृहस्पतिवार | दुर्गाष्टमी व्रत |
06-07-2025 | रविवार | देवशयनी एकादशी |
08-07-2025 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत |
10-07-2025 | बृहस्पतिवार | पूर्णिमा व्रत |
11-07-2025 | शुक्रवार | कांवड़ यात्रा |
12-07-2025 | शनिवार | जया पार्वती, व्रत जागरण |
13-07-2025 | रविवार | जया पार्वती व्रत समाप्त |
14-07-2025 | सोमवार | संकष्टी गणेश चतुर्थी |
16-07-2025 | बुधवार | कर्क संक्रांति |
17-07-2025 | बृहस्पतिवार | कालाष्टमी |
21-07-2025 | मंगलवार | रोहिणी व्रत , कामिका एकादशी |
22-07-2025 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत |
23-07-2025 | बुधवार | मासिक शिवरात्रि |
24-07-2025 | बृहस्पतिवार | हरियाली अमावस्या |
25-07-2025 | शुक्रवार | चंद्र दर्शन |
26-07-2025 | शनिवार | मुहर्रम समाप्त |
27-07-2025 | रविवार | हरियाली तीज |
28-07-2025 | सोमवार | वरद चतुर्थी |
29-07-2025 | मंगलवार | नाग पंचमी |
30-07-2025 | बुधवार | षष्टी |
31-07-2025 | बृहस्पतिवार | तुलसीदास जयंती |
हिन्दू कैलेंडर जुलाई, 2025 | July 2025 Hindu Calendar
ऊपर हम आपको जुलाई महीने के सभी त्योहारों की लिस्ट इमेज के माध्यम से प्राप्त करा रहे हैं जिसमें आप देख सकते हैं कि कौनसा त्यौहार किस तारीख को है और उसका शुभ मुहूर्त क्या है। आप इस इमेज को डाउनलोड कर सकते है और अपन मित्रो को शेयर कर सकते हैं।
1. षष्ठी | Shashthi
षष्ठी माता, जिन्हें देवसेना के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म की एक प्रमुख महादेवी हैं। इन्हें भगवती की श्रेणी में स्थान दिया गया है और विशेष रूप से बच्चों की दाता और रक्षक के रूप में पूजा जाता है। माता षष्ठी को वनस्पतियों की देवी भी माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि वे प्रजनन और संतान प्राप्ति में सहायता करती हैं। इस विशिष्ट देवी की पूजा 2025 में 1 जुलाई को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाएगी।
- दिनांक- 1 जुलाई 2025
- दिन- मंगलवार
2. बुधाष्टमी व्रत । Buddh Ashtmi Vrat
बुधाष्टमी व्रत, श्रावण माह में आने वाली उस अष्टमी को रखा जाता है, जो बुधवार के दिन पड़ती है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव, माता पार्वती, बुद्धदेव, और सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि यह व्रत न केवल कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि जीवन में धन, संपत्ति, सुख, वैभव और बौद्धिक कौशल भी प्रदान करता है। बुध से जुड़े दोष समाप्त होकर व्यापार में उन्नति और परिवार का सहयोग प्राप्त होता है। यह पावन व्रत 2025 में 2 जुलाई को मनाया जाएगा।
- दिनांक- 2 जुलाई 2025
- दिन- बुधवार
3. दुर्गाष्टमी । Durgashtami
मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस पवित्र दिन पर देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है, और ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत और पूजा से शारीरिक और मानसिक शांति के साथ-साथ घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है, और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। मां दुर्गा की आराधना से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, सुख-शांति और समृद्धि का वरदान मिलता है, और कार्य करने की शक्ति में वृद्धि होती है। 2025 में मासिक दुर्गाष्टमी का यह शुभ अवसर जुलाई महीने में 3 तारीख से आरंभ होगा।
- दिनांक- 3 जुलाई 2025
- दिन- बृहस्पतिवार
4. देवशयनी एकादशी । Devshayani Ekadashi
देवशयनी एकादशी, जिसे हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक पवित्र दिन है। यह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे चतुर्मास कहा जाता है। इस अवधि में शुभ कार्य, जैसे विवाह या गृह प्रवेश, वर्जित माने जाते हैं। देवशयनी एकादशी का व्रत विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, श्री विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं और धार्मिक कथा सुनते हैं। यह तिथि न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रदान करती है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 6 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी।
- दिनांक- 6 जुलाई 2025
- दिन- रविवार
- प्रारंभ तिथि – 5 जुलाई शाम 6:58 से
- समापन तिथि – 6 जुलाई रात 9:14 तक
5. भौम प्रदोष व्रत । Bhaum Pradosh Vrat
भौम प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। यह पवित्र व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है, और जब यह मंगलवार के दिन पड़ता है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। मंगलवार का दिन ऊर्जा, साहस और पराक्रम का प्रतीक माने जाने वाले मंगल ग्रह को समर्पित है, जिससे इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व और भी बढ़ जाता है। वर्ष 2025 में यह शुभ व्रत 8 जुलाई को मनाया जाएगा।
- दिनांक-8 जुलाई 2025
- दिन- मंगलवार
6. पूर्णिमा व्रत । Purnima Vrat
हिंदू धर्म में पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर महीने आने वाली पूर्णिमा तिथि पर रखा जाता है और इस दिन चंद्रदेव और माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है। पूर्णिमा व्रत के अनेक लाभ हैं, जैसे शरीर और मन को शांति और सुकून मिलना। इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है और मानसिक शांति के साथ आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्राप्त होती है। इसके अलावा, पितरों के तर्पण से उनकी आत्मा को शांति मिलती है, और घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। वर्ष 2025 में पूर्णिमा व्रत 10 जुलाई को मनाया जाएगा।
- दिनांक- 10 जुलाई 2025
- दिन- बृहस्पतिवार
7. कांवड़ यात्रा । Kanwar Yatra
कांवड़ यात्रा, भगवान शिव की भक्ति और आस्था का प्रतीक, हिंदू धर्म में एक बेहद महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है। इस पवित्र यात्रा में भक्त अपने घरों से कांवड़ उठाकर निकलते हैं और पवित्र नदियों से जल भरकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। सावन के महीने में आयोजित यह यात्रा, उत्तराखंड के हरिद्वार से आरंभ होती है और देश के विभिन्न शहरों और गांवों तक पहुंचती है। भक्त बांस की लकड़ी पर लटकती टोकरियों में गंगाजल भरकर पैदल यात्रा करते हैं और पूरे रास्ते “बम बम भोले” के जयकारे से वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। हज़ारों श्रद्धालु इस यात्रा में हिस्सा लेते हैं, और ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव इस सेवा से शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। वर्ष 2025 में, यह पवित्र यात्रा 11 जुलाई से आरंभ होगी।
- दिनांक- 11 जुलाई 2025
- दिन- शुक्रवार
8. जया पार्वती व्रत । Jaya Parvati Vrat
जया पार्वती व्रत, जिसे गौरी व्रत भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में आषाढ़ मास के दौरान मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस व्रत को विशेष रूप से अविवाहित महिलाएं पांच दिनों तक रखती हैं, देवी पार्वती की आराधना करते हुए आदर्श जीवनसाथी की कामना करती हैं। व्रत के नियमों के अनुसार, नमक युक्त भोजन से परहेज किया जाता है, और केवल गेहूं के आटे, दूध, घी और फलों का सेवन किया जाता है। इस पवित्र व्रत की परंपराएं श्रद्धा और भक्ति से भरी होती हैं। वर्ष 2025 में, जया पार्वती व्रत 12 जुलाई को मनाया जाएगा, जो भक्तों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है।
- दिनांक- 12 जुलाई 2025
- दिन- शनिवार
9. जया पार्वती व्रत समाप्त । Jaya Parvati Vrat Samapt
जया पार्वती व्रत का समापन नमक, सब्ज़ियों और गेहूं की रोटी से बने पूर्ण भोजन के साथ होता है, जो उपवास की समाप्ति और नई आध्यात्मिक ऊर्जा की शुरुआत का प्रतीक है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है और उनकी कृपा प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से आरंभ होकर सावन कृष्ण पक्ष की तृतीया को समाप्त होने वाला यह व्रत, विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाओं द्वारा श्रद्धा से रखा जाता है। वर्ष 2025 में इस व्रत का समापन 13 जुलाई को होगा। यह व्रत भक्ति, संयम और आस्था की अद्वितीय मिसाल है।
- दिनांक- 13 जुलाई 2025
- दिन- रविवार
10. संकष्टी चतुर्थी । Sankashti Chaturthi
संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश को समर्पित एक पवित्र दिन है, जो हर महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है, और विशेष रूप से व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। संकष्टी चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, क्योंकि इसे विघ्नों के नाश का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश के साथ-साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। वर्ष 2025 में संकष्टी चतुर्थी 14 जुलाई को मनाई जाएगी, जो भक्तों के लिए एक विशेष अवसर होगा।
- दिनांक- 14 जुलाई 2025
- दिन- सोमवार
11. कर्क संक्रांति । Kark Sankranti
कर्क संक्रांति वह विशेष दिन है जब सूर्य देव अपने उत्तरायण मार्ग को छोड़कर मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करते हैं। यह समय धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसे सूर्य देव की उपासना के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य का झुकाव दक्षिणायन की ओर शुरू होता है और वह मकर संक्रांति तक इसी अवस्था में रहते हैं। कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2025 को होगी, जब यह पर्व श्रद्धा और आस्था से भरपूर रूप में मनाया जाएगा।
- दिनांक- 16 जुलाई 2025
- दिन- बुधवार
12. कामिका एकादशी । Kamika Ekadashi)
सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को ‘कामिका एकादशी’ कहा जाता है, जो विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है। स्कंद पुराण में इस दिन के व्रत का अत्यधिक महत्व बताया गया है, जहाँ यह कहा गया है कि इस व्रत को करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि भगवान विष्णु के धाम की प्राप्ति भी होती है। साथ ही, कामिका एकादशी के दिन व्रत रखने से भौतिक सुख, धन, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य जैसे आध्यात्मिक एवं भौतिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। इस विशेष दिन, कामिका एकादशी, 21 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी।
- दिनांक- 21 जुलाई 2025
- दिन- मंगलवार
- प्रारंभ तिथि – 20 जुलाई दोपहर 12:12 बजे से
- समापन तिथि – 21 जुलाई रात 9:38 तक
13. भौम प्रदोष व्रत । Bhaum Pradosh Vrat
भौम प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, खासकर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए। यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, लेकिन जब यह तिथि मंगलवार को पड़ती है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। मंगलवार का दिन मंगल ग्रह से संबंधित होता है, जिसे शक्ति, साहस और वीरता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन का व्रत रखने से व्यक्ति को भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है। वर्ष 2025 में यह व्रत 22 जुलाई को मनाया जाएगा, जब यह दिन और भी विशेष बन जाएगा।
- दिनांक- 22 जुलाई 2025
- दिन- मंगलवार
14. मासिक शिवरात्रि । Masik Shivratri
मासिक शिवरात्रि एक विशेष पर्व है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती की आराधना के लिए समर्पित होता है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, और इस दिन शिव परिवार के सभी देवताओं की पूजा की जाती है। मासिक शिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन का पवित्र अवसर माना जाता है, जो भक्तों के जीवन में आशीर्वाद और समृद्धि लेकर आता है। इस दिन व्रत रखने से न केवल दुखों का निवारण होता है, बल्कि भक्ति, समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। वर्ष 2025 में, मासिक शिवरात्रि का पर्व 23 जुलाई को मनाया जाएगा, जो शिव भक्तों के लिए एक खास दिन होगा।
- दिनांक- 23 जुलाई 2025
- दिन- बुधवार
15. हरियाली अमावस्या । Hariyali Amavasya
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या कहा जाता है, जो सावन महीने की शुरुआत का प्रतीक होती है। इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन प्रकृति में हरियाली का अभाव समाप्त होता है और एक नया उत्साह महसूस होता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म का विशेष महत्व है। 2025 में यह श्रावणी अमावस्या 24 जुलाई को मनाई जाएगी, जब श्रद्धालु इस पवित्र दिन को अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और आस्था के साथ मनाएंगे।
- दिनांक- 24 जुलाई 2025
- दिन- बृहस्पतिवार
16. चंद्र दर्शन । Chandra Darshan
धार्मिक ग्रंथों में चंद्र दर्शन को ज्ञान और दिव्यता का प्रतीक माना गया है, जबकि ज्योतिष शास्त्र में चंद्र को मन के भावनात्मक पक्ष का कारक माना जाता है। चंद्र दर्शन के समय चंद्र देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना का महत्व भी बहुत अधिक है। माना जाता है कि अमावस्या के बाद किए गए चंद्र दर्शन से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। 2025 में चंद्र दर्शन 25 जुलाई को होगा, जब यह विशेष अवसर श्रद्धालुओं के लिए एक नई शुरुआत का संकेत बनेगा।
- दिनांक- 25 जुलाई 2025
- दिन- शुक्रवार
17. वरद चतुर्थी । Varad Chaturthi
वरद चतुर्थी या हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए समर्पित होता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है, और इस दिन उनकी मूर्ति स्थापित कर श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है। इसे वरद चतुर्थी या वरद वरद चतुर्थी भी कहा जाता है, जो विशेष रूप से भगवान गणेश के आशीर्वाद के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष, 2025 में, वरद चतुर्थी 28 जुलाई को मनाई जाएगी, जो श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष अवसर लेकर आएगी।
- दिनांक- 28 जुलाई 2025
- दिन- सोमवार
18. तुलसीदास जयंती । Tulsidas Jayanti
सम्पूर्ण भारत में गोस्वामी तुलसीदास की जयंती बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाती है, जो रामचरितमानस के महान रचनाकार थे। यह पर्व हर साल श्रावण मास की अमावस्या के सातवें दिन मनाया जाता है, और इस दिन को तुलसी जयंती के रूप में समर्पित किया जाता है। वर्ष 2025 में तुलसी जयंती 31 जुलाई को मनाई जाएगी। गोस्वामी तुलसीदास ने कुल 12 महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, लेकिन उनके द्वारा रचित रामचरितमानस को विशेष रूप से व्यापक प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त हुआ।
- दिनांक- 31 जुलाई 2025
- दिन- गुरुवार
Conclusion:-July Festival List 2025
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (जुलाई 2025 के व्रत एवं त्यौहार) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-July Festival List 2025
Q. षष्ठी माता को किस नाम से भी जाना जाता है?
Ans. षष्ठी माता को देवसेना के नाम से भी जाना जाता है। वे बच्चों की दाता और रक्षक के रूप में पूजनीय हैं।
Q. बुधाष्टमी व्रत किस ग्रह से संबंधित होता है?
Ans. बुधाष्टमी व्रत बुध ग्रह से संबंधित होता है और यह ग्रह की स्थिति को मजबूत करने के लिए किया जाता है।
Q. दुर्गाष्टमी व्रत कब मनाया जाता है?
Ans. दुर्गाष्टमी व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।
Q. देवशयनी एकादशी कब मनाई जाती है?
Ans. देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं।
Q. भौम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व किस दिन होता है?
Ans. भौम प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है, विशेष रूप से जब यह मंगलवार के दिन पड़ता है।
Q. पूर्णिमा व्रत किस देवता की पूजा के लिए किया जाता है?
Ans. पूर्णिमा व्रत में चंद्रदेव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।