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Famous Temples Of Jabalpur: चौसठ योगिनी से पिसनहारी की मड़िया तक, ये हैं जबलपुर के प्रसिद्ध मंदिर और उनका अनोखा आकर्षक 

Famous Temples Of Jabalpur
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जबलपुर के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples of Jabalpur): जबलपुर, मध्य प्रदेश का एक ऐसा शहर है जो न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि अपने धार्मिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां के मंदिर न केवल भक्तों के आस्था के केंद्र हैं, बल्कि अपनी अद्भुत वास्तुकला और कलात्मक सौंदर्य के लिए भी जाने जाते हैं। इन मंदिरों में से कुछ सदियों पुराने हैं और उनसे जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं।

जबलपुर के मंदिर न सिर्फ धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि शहर की सांस्कृतिक विरासत का भी अभिन्न अंग हैं। ये मंदिर विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं और अपनी अनूठी शैली और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। कुछ मंदिरों की मूर्तियां और नक्काशी इतनी खूबसूरत और विस्तृत हैं कि वे देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। इन मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हर साल लाखों में होती है। Famous Temples Of Jabalpur कुछ मंदिर तो इतने प्रसिद्ध हैं कि दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं। इन मंदिरों से जुड़ी अनेक मान्यताएं और कहानियां हैं जो लोगों की आस्था को और भी बढ़ाती हैं। कहा जाता है कि इन मंदिरों में पूजा-अर्चना और दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।

तो चलिए, जबलपुर के 10 प्रमुख मंदिरों की एक झलक देखते हैं और जानते हैं उनसे जुड़ी रोचक बातें। इस लेख में हम इन मंदिरों की खूबसूरती, इतिहास और महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे…

Famous Temples of Jabalpur list

S.NOमंदिर
1चौसठ योगिनी मंदिर
2त्रिपुर सुंदरी
3कचनार सिटी शिव मंदिर
4पिसनहारी की मड़िया
5हनुमानताल जैन मंदिर
6पाटबाबा मंदिर
7गुप्तेश्वर महादेव मंदिर
8श्री सुप्तेश्वर गणेश मंदिर
9शारदा मंदिर बरेला
10कैलाश मंदिर
11माँ नर्मदा मंदिर
12पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर
13केदारनाथ मंदिर
14बादशाह हलवाई मंदिर

1. चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Mandir)

चौसठ योगिनी मंदिर, जिसे गोलाकी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के भेड़ाघाट में स्थित एक विशेष हिंदू तीर्थस्थल है। यह मंदिर भारत के चौसठ योगिनी मंदिरों में अनोखा है क्योंकि यहाँ पर 64 की जगह 81 छोटे-छोटे मंदिरों का समूह देखा जा सकता है। नर्मदा नदी के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर न केवल अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी अद्वितीय संरचना भी दर्शनीय है। भव्य और रहस्यमयी वातावरण में बसा यह स्थल श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

  • मंदिर में दर्शन का समय सुबह 08:00 से लेकर शाम 06:00 बजे तक है।
  • जबलपुर के चौसठ योगिनी मंदिर पहुंचने के लिए, सिटी बस, टैक्सी, या ऑटो लें। यह मंदिर जबलपुर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर, कचनार क्षेत्र में स्थित है।

2. त्रिपुर सुंदरी (Tripur Sundari Mandir)

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से लगभग 13 किमी दूर भेड़ाघाट रोड पर तेवर गांव में स्थित है। यह मंदिर जबलपुर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है और यहाँ की पवित्रता श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखती है। 11वीं शताब्दी में निर्मित, इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ की देवी की मूर्ति खुदाई के दौरान भूमि से प्रकट हुई थी। ‘त्रिपुरा’ का अर्थ तीन नगरों से और ‘सुंदरी’ का अर्थ सुंदर देवी से है। इस प्रकार, त्रिपुरा सुंदरी मंदिर को तीन नगरों की सुंदर देवी के रूप में पूजा जाता है, जो इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाता है।

  • त्रिपुर सुंदरी मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6:00 से लेकर रात 8:00 बजे तक है।
  • जबलपुर के त्रिपुर सुंदरी मंदिर पहुंचने के लिए, सिटी बस, ऑटो, या टैक्सी लें। यह मंदिर शहर के बाहरी इलाके में, त्रिपुरी क्षेत्र में स्थित है।

3. कचनार सिटी शिव मंदिर (Kachnar city Shiv Mandir)

जबलपुर, संगमरमर की खूबसूरती के साथ, अपने अद्वितीय गौरव का दावा करता है – 76 फीट ऊँची भगवान शिव की विशाल मूर्ति, जिसे कचनार सिटी शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह भव्य प्रतिमा 2004 में स्थापित की गई और 2006 में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोली गई। भारत की सबसे ऊँची शिव मूर्तियों में शामिल, यह मंदिर देशभर से आने वाले भक्तों को आकर्षित करता है। मूर्ति एक गुफा पर स्थित है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों की छवियों से सजी है, जिन्हें विभिन्न तीर्थ स्थलों से संकलित किया गया है। भक्त इस गुफा में प्रवेश करके इन दिव्य ज्योतिर्लिंगों की पूजा कर सकते हैं और अनंत आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

  • कचनार सिटी शिव मंदिर में दर्शन का समय सुबह 7:00 से लेकर रात 9:00 बजे तक है।
  • जबलपुर के कचनार सिटी शिव मंदिर पहुंचने के लिए, सिटी बस, टैक्सी, या ऑटो लें। यह मंदिर कचनार क्षेत्र में स्थित है।

4. पिसनहारी की मड़िया (Pisanhari Ki Madiya)

जबलपुर शहर में स्थित पिसनहारी की मढ़िया एक प्राचीन जैन मंदिर है, जिसकी स्थापना 15वीं शताब्दी में हुई थी। इसका नाम स्थानीय महिला ‘पिसनहारी’ के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने आटा पीसकर जो पैसे जुटाए, उन्हीं से इस मंदिर का निर्माण कराया। यह मंदिर 1442 ई. में बनकर तैयार हुआ था। ‘पिसनहारी’ शब्द का अर्थ है हाथ चक्की से आटा पीसने वाली महिला। किंवदंती के अनुसार, पिसनहारी ने मंदिर निर्माण के लिए अपनी मेहनत से धन जुटाया। मंदिर के प्रवेश द्वार पर पिसनहारी की एक मूर्ति स्थापित है, और मंदिर के शीर्ष पर पुराने हाथ चक्की के पत्थर भी लगे हुए हैं। परिसर में 14वीं शताब्दी के कुछ शिलालेख भी हैं, जिनका अध्ययन अभी बाकी है।

  • पिसनहारी की मड़िया आप सुबह 6:00 से रात 9:00 बजे तक के समय के बीच कभी भी आ सकते हैं और सुलभ दर्शन कर सकते हैं।
  • जबलपुर के पिसनहारी की मड़िया पहुंचने के लिए, सिटी बस, टैक्सी या ऑटो लें। यह मंदिर शहर के बाहरी इलाके में, पिसनहारी गांव में स्थित है।

5. हनुमानताल जैन मंदिर (Hanumantal Jain Mandir)

जबलपुर का बड़ा मंदिर, जिसे हनुमानताल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐतिहासिक जैन तीर्थ स्थल है, जो हनुमानताल के किनारे स्थित है। यह क्षेत्र कभी जबलपुर का मुख्य केंद्र था। 19वीं सदी के शुरुआत में, भट्टारक सोनागिरि के हरिचंद्रभूषण ने 1834, 1839 और 1840 में मंदिर की प्रतिष्ठा की। सोनागिरी के भट्टारक पनागर के पास जैन केंद्र का भी प्रशासन करते थे, जहां नरेंद्रभूषण और सुरेंद्रभूषण ने महत्वपूर्ण कार्य किए। मंदिर में 10वीं से 12वीं शताब्दी की कई कलचुरी कालीन छवियां हैं, जिसमें भगवान आदिनाथ की विशेष छवि भी शामिल है। आचार्य शांतिसागर ने 1928 में मंदिर का दौरा किया और इसे किले जैसी संरचना बताया।

  • हनुमान ताल जैन मंदिर हर समय दर्शन के लिए खुला रहता है आप मंदिर में कभी भी आकर दर्शन कर सकते हैं।
  • जबलपुर के हनुमानताल जैन मंदिर पहुंचने के लिए, सिटी बस, ऑटो या टैक्सी लें। मंदिर हनुमानताल क्षेत्र में स्थित है, जो जबलपुर शहर के पास है।

6. पाटबाबा मंदिर (Paat Baba Mandir)

मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित पाट बाबा मंदिर एक महत्वपूर्ण हनुमान मंदिर है, जिसका निर्माण 12 अगस्त 1903 को एक ब्रिटिश अधिकारी द्वारा कराया गया। यह मंदिर एक दिलचस्प किंवदंती से जुड़ा हुआ है: कहते हैं कि भगवान हनुमान ने गन कैरिज फैक्ट्री के निर्माण में मदद की थी। अंग्रेज अफसर स्मिथ ने जबलपुर में बड़ी मात्रा में हथियारों का उत्पादन करने के लिए एक फैक्ट्री स्थापित करने की योजना बनाई। लेकिन, जब भी फैक्ट्री की दीवार बनाई जाती, वह रातोंरात गिर जाती। परेशान होकर, स्मिथ ने भगवान हनुमान से मदद मांगी। सपने में हनुमान जी ने उन्हें संकेत दिया कि फैक्ट्री के पास एक दबी हुई मूर्ति है। अगले दिन, खुदाई के दौरान एक हनुमान मूर्ति प्राप्त हुई, जिसे लाल कपड़े में लपेटकर रखा गया। 12 अगस्त 1903 को पाट बाबा मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। इसके बाद, गन कैरिज फैक्ट्री का निर्माण बिना किसी बाधा के पूरा हुआ, और आज भी इसे भगवान हनुमान की रक्षा प्राप्त है।

  • पाटबाबा मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5:00 से लेकर दोपहर के 2:00 तक है और फिर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं मंदिर दोबारा दर्शन के लिए शाम 4:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक खुला रहता है
  • जबलपुर के पाटबाबा मंदिर पहुंचने के लिए, सिटी बस या टैक्सी लें। मंदिर शहर के केंद्र से लगभग 10 किलोमीटर दूर, पाटबाबा क्षेत्र में स्थित है।

7. गुप्तेश्वर महादेव मंदिर (Gupteshwar Mahadev Mandir)

जबलपुर के गुप्तेश्वर में स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर नर्मदा के तट पर बसा एक प्राचीन तीर्थ स्थल है, जहां शिवलिंग को रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग का उपलिंग माना जाता है। मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान नर्मदा तट पर गुप्त वास के समय इस शिवलिंग को रेत से निर्मित किया था। यह शिवलिंग गुफा में स्थित होने के कारण ‘गुप्तेश्वर’ नाम से प्रसिद्ध है। महाशिवरात्रि पर यहां 48 घंटे का विशेष पूजन-अर्चन होता है। वहीं, मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित गैवीनाथ मंदिर द्वापर युग का माना जाता है, जहां चट्टान पर भगवान शिव का प्राकृतिक स्वरूप दर्शनीय है। यहां की छोटी पिंडी भी त्र्यम्बकेश्वर के उपलिंग के रूप में पूजी जाती है।

  • गुप्तेश्वर महादेव मंदिर मंदिर में दर्शन के लिए आप किसी भी समय में जा सकते हैं, बादशाह हलवाई मंदिर हर समय दर्शन के लिए खुला रहता है।
  • जबलपुर के गुप्तेश्वर महादेव मंदिर पहुंचने के लिए, सिटी बस या टैक्सी लें। यह मंदिर जबलपुर शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर, गुप्तेश्वर गांव में स्थित है।

8. श्री सुप्तेश्वर गणेश मंदिर (Shri Sapteshwar Ganesh Mandir) 

जबलपुर के रतन नगर की पहाड़ियों पर स्थित सुप्तेश्वर गणेश मंदिर अनोखे रूप में पूजे जाने वाले भगवान गणेश के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान गणेश घोड़े पर सवार हैं, जिससे उन्हें ‘कल्कि गणेश’ के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि मंदिर की शिला स्वरूप प्रतिमा पाताल तक फैली हुई है, केवल विशाल सूंड ही धरती के बाहर दिखाई देती है। इस मंदिर की स्थापना की कहानी भी रोचक है; एक महिला ने पहाड़ियों को तोड़े जाने के दौरान भगवान गणेश के दर्शन किए थे, जिसके बाद यहां की ख्याति बढ़ती गई। भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां अर्जी लगाते हैं और गणेश जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा निभाते हैं।

  • श्री सुप्तेश्वर गणेश मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5:00 से लेकर रात 9:00 बजे तक है
  • जबलपुर के शारदा मंदिर बरेला पहुंचने के लिए, सिटी बस या टैक्सी लें। यह बरेला क्षेत्र में स्थित है, जो जबलपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर है।

9. शारदा मंदिर बरेला (Sharda Mandir Barela)

मध्य प्रदेश के जबलपुर की पावन धरती पर दैवीय शक्तियों का प्राचीन काल से ही निवास है, और यहां के लोग भगवान की भक्ति में पूरी तरह समर्पित रहते हैं। मदन महल की पहाड़ी पर स्थित यह प्राचीन शारदा मंदिर, रानी दुर्गावती द्वारा 1550 में कलचुरी शासनकाल के दौरान बनवाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि मां शारदा स्वयं रानी दुर्गावती के स्वप्न में प्रकट हुईं और मंदिर निर्माण की इच्छा व्यक्त की, जिसके बाद उन्होंने अपने निवास स्थान मदन महल में इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया। यहां विराजमान मां दुर्गा स्वरूप देवी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं, जिससे न केवल जबलपुर या मध्य प्रदेश बल्कि पूरे भारत से श्रद्धालु मां के दर्शन हेतु यहां आते हैं। खासतौर पर सावन के महीने में भक्तजन अपनी मनोकामनाओं के साथ मां के चरणों में पहुंचते हैं, जहां एक दिव्य वातावरण का अनुभव होता है।

  • जबलपुर में माँ शारदा मंदिर पहुंचने के लिए, रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो लें। यह मंदिर नर्मदा नदी के पास, शहर के केंद्र में स्थित है।
  • शारदा मंदिर बरेला  में दर्शन का समय सुबह 5:30 से शुरू होता है और सुबह 11:30 मंदिर के कपाट बंद भी कर दिए जाते हैं, फिर 5:30 से रात 8:00 तक मंदिर के कपाट दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं।

10. कैलाश मंदिर (Kailash Dham)

जबलपुर के रांझी मटामर में स्थित कैलाशधाम में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां के प्राचीन शिवलिंग की पूजा और पहाड़ी के अद्भुत सौंदर्य का अनुभव करने के लिए न केवल जबलपुर, बल्कि अन्य प्रदेशों से भी भक्त आते हैं। करीब 13 साल पहले यह स्थान पत्थरीली पहाड़ी और मुरम का था, जो अब हरी-भरी पहाड़ी में बदल चुका है। सावन के महीने में यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय होता है, जहां शुद्ध हवा और नैसर्गिक शांति मन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है। कैलाशधाम रेलवे स्टेशन से 17 किमी दूर स्थित है, जहां आप ऑटो या निजी वाहन से आसानी से पहुंच सकते हैं।

  • जबलपुर की कैलाश मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6:30 से दोपहर 12:00 तक का है, और फिर यह मंदिर शाम को 4:30 बजे से रात 8:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
  • जबलपुर के कैलाश मंदिर पहुंचने के लिए, रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो लें। मंदिर शहर के बाहरी इलाके में स्थित है, लेकिन सुलभ है।

11. माँ नर्मदा मंदिर (Maa Narmada Temple)

भारत में कई मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और चमत्कारी मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं, लेकिन जबलपुर के गौरी घाट में नर्मदा नदी की बीच धारा में स्थित मां नर्मदा का मंदिर इन सबमें अनूठा है। बारिश के मौसम में जब मंदिर चारों ओर से जल में घिर जाता है, तब भी इसे कोई नुकसान नहीं होता। यह चमत्कारी मंदिर बिना किसी पिलर के रेत पर स्थिर है और बाढ़ जैसी आपदा में भी अडिग रहता है। इस मंदिर की तुलना अक्सर उत्तराखंड के बाबा केदारनाथ मंदिर से की जाती है। इस मंदिर की अचंभित करने वाली स्थिरता और चमत्कारी गुणों के कारण भक्तों की इसमें अटूट आस्था है, जो इसे और भी विशेष बनाती है।

  • जबलपुर में स्थित प्रसिद्ध मां नर्मदा मंदिर सुबह 7:00 बजे से रात 11:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
  • जबलपुर में माँ नर्मदा मंदिर पहुंचने के लिए, रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो लें। यह मंदिर नर्मदा नदी के पास, शहर के केंद्र में स्थित है।

12. पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर (Parshwanath Digambar Jain Mandir)

राष्ट्रीय राजमार्ग 4 पर स्थित 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर एक आध्यात्मिक स्थल है, जिसकी स्थापना वर्ष 2000 में शेटे परिवार और कराड शहर के भक्तों द्वारा की गई थी। इस मंदिर में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर, भगवान पार्श्वनाथ की 9 फीट ऊँची भव्य प्रतिमा है। इसके अलावा, यहाँ भगवान शांतिनाथ की भी प्रतिमा स्थापित है, जो जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर हैं। मंदिर में दैनिक पूजा का संचालन एक ‘पंडित’ द्वारा किया जाता है। राजमार्ग पर यात्रा करने वाले कई भक्त यहाँ विश्राम और पूजा के लिए रुकते हैं, जहां भोजन, पानी और विश्राम की उत्तम सुविधाएँ उपलब्ध हैं। मंदिर के पास पैदल दूरी पर होटल भी हैं। तवंडी के 100 किलोमीटर उत्तर या दक्षिण में ऐसा कोई अन्य मंदिर नहीं है।

  • पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5:30 से शुरू होता है और सुबह 11:30 मंदिर के कपाट बंद भी कर दिए जाते हैं, फिर 5:30 से रात 8:00 तक मंदिर के कपाट दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं।
  • जबलपुर में पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पहुंचने के लिए, रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो लें। मंदिर शहर के केंद्र में स्थित है, जिससे आसानी से पहुंचा जा सकता है।

13. केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Mandir)

महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ मंदिर, जो उत्तराखंड में स्थित है, उसे पूरी दुनिया में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। अब इसी भव्यता का दर्शन जबलपुर के धनवंतरी नगर क्षेत्र में भी हो सकता है। कुछ वर्षों पूर्व यहां केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर स्थापित किया गया था। इसकी वास्तुकला, शिवलिंग, और नदी की संरचना को बिल्कुल उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर जैसा रूप दिया गया है। सावन के महीने में यहां पूरे देश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, जहां भोले बाबा के दर्शन के लिए लंबी कतारें लगती हैं। ऊंची पहाड़ियों की कमी के बावजूद, मंदिर का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि वह केदारनाथ की दिव्यता का प्रतीक बन सके। संस्कारधानी के भक्तों का मानना है कि आने वाले समय में इस मंदिर की प्रतिष्ठा और भी बढ़ेगी।

  • जबलपुर के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर में दर्शन का समय सुबह 8:00 बजे से शुरू होता है और मंदिर के कपाट रात 8:00 बजे बंद कर दिए जाते हैं।
  • जबलपुर के केदारनाथ मंदिर पहुंचने के लिए, सिटी बस, ऑटो, या टैक्सी का उपयोग करें। यह मंदिर शहर के मध्य में स्थित है, रेलवे स्टेशन से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

14. बादशाह हलवाई मंदिर (Badshah Halwai Mandir)

जबलपुर के ग्वारीघाट रोड पर स्थित बादशाह हलवाई मंदिर की स्थापना 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच कलचुरी काल में हुई थी। दूर से यह मंदिर भले ही छोटा दिखता हो, लेकिन इसके अंदर सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग के अद्भुत दृश्य देखे जा सकते हैं। मंदिर की गुम्बद पर श्री यंत्र, नवग्रह, 27 नक्षत्र और लगभग 500 प्रतिमाएं स्थापित हैं। हर दीवार पर देवताओं की प्रतिमाएं और 30 स्तंभों पर टिका यह मंदिर, हर एक तस्वीर के माध्यम से कोई न कोई कहानी बयां करता है, जिससे यह मंदिर अद्वितीय बनता है।

  • बादशाह हलवाई मंदिर में दर्शन के लिए आप किसी भी समय में जा सकते हैं, बादशाह हलवाई मंदिर हर समय दर्शन के लिए खुला रहता है।
  • जबलपुर के बादशाह हलवाई मंदिर पहुंचने के लिए, सिटी बस या ऑटो का उपयोग करें, जो रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से सीधी सेवा प्रदान करते हैं। मंदिर सिटी सेंटर के पास स्थित है।

Conclusion:-Famous Temples Of Jabalpur

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (जबलपुर के प्रसिद्ध मंदिर) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in/ पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s:-Famous Temples Of Jabalpur

Q. जबलपुर के सबसे प्रसिद्ध मंदिर कौन-कौन से हैं?

माँ नर्मदा मंदिर (ग्वारीघाट)
माँ नर्मदा मंदिर, जिसे ग्वारीघाट मंदिर भी कहा जाता है, नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर नर्मदा नदी की आरती और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यहाँ पर प्रतिदिन सायंकाल नर्मदा आरती का आयोजन किया जाता है, जो भक्तों और पर्यटकों को दिव्य अनुभव प्रदान करती है।

चौंसठ योगिनी मंदिर
यह मंदिर, 10वीं शताब्दी में बना एक ऐतिहासिक मंदिर है, जो माँ दुर्गा के 64 रूपों को समर्पित है। यह मंदिर कांची की पहाड़ियों पर स्थित है और यहाँ से जबलपुर शहर का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है और यह तांत्रिक सिद्धांतों का अनुसरण करता है।

हनुमान ताल मंदिर
हनुमान ताल मंदिर, भगवान हनुमान को समर्पित है और यह जबलपुर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर एक विशाल तालाब के किनारे स्थित है, जिसे हनुमान ताल कहा जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान हनुमान की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

त्रिपुरी सुंदरी मंदिर
त्रिपुरी सुंदरी मंदिर, देवी त्रिपुरी को समर्पित है और जबलपुर के त्रिपुरी क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर प्रतिवर्ष नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा और मेले का आयोजन होता है।

Q. इन मंदिरों की यात्रा का सबसे अच्छा समय क्या है?

अधिकांश मंदिरों की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय जबलपुर का मौसम सुहावना होता है और आप मंदिरों के दर्शन के साथ-साथ शहर के अन्य आकर्षणों का भी आनंद ले सकते हैं।

Q. क्या इन मंदिरों में जाने के लिए किसी विशेष ड्रेस कोड का पालन करना होता है?

हां, अधिकांश मंदिरों में पारंपरिक और शालीन कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप मंदिर के नियमों का पालन कर रहे हैं, महिलाओं को साड़ी या सलवार-कुर्ता और पुरुषों को धोती-कुर्ता या पैंट-शर्ट पहनने की सलाह दी जाती है।

Q. क्या जबलपुर के ये मंदिर फोटोग्राफी के लिए उपयुक्त हैं?

बाहर से आप इन मंदिरों की सुंदरता को कैमरे में कैद कर सकते हैं, लेकिन कुछ मंदिरों के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं होती। इस बारे में जानकारी के लिए आप मंदिर प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं।

Q. क्या मंदिरों के पास ठहरने की सुविधा उपलब्ध है?

हां, जबलपुर में कई होटल, लॉज और धर्मशालाएं हैं जो मंदिरों के पास स्थित हैं। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार ठहरने का विकल्प चुन सकते हैं।