उज्जैन के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples Of Ujjain): उज्जैन – एक ऐसा नाम जो हमारे मन में आते ही हमें अपने अतीत की यादों में खो जाने पर मजबूर कर देता है। यह वह शहर है जहां इतिहास, धर्म और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। उज्जैन न सिर्फ अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह शहर अपने भव्य और प्राचीन मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है।
उज्जैन के मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला, मनमोहक सजावट और आध्यात्मिक महत्व के कारण दुनिया भर के पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन मंदिरों में न केवल भारतीय संस्कृति और कला की झलक दिखाई देती है, बल्कि यहां की प्राचीन कहानियां और पौराणिक कथाएं भी जीवंत हो उठती हैं। चाहे वह महाकालेश्वर मंदिर हो, जो भगवान शिव को समर्पित है और भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, या फिर हरसिद्धि मंदिर जो 51 शक्तिपीठों में से एक है – Famous Temples Of Ujjain उज्जैन के मंदिर अपने आप में एक अनूठी दुनिया हैं। यहां के प्रत्येक मंदिर की अपनी एक अलग कहानी है, जो हमें अपने धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से जोड़ती है।
तो आइए, इस लेख के माध्यम से हम उज्जैन के इन प्रसिद्ध मंदिरों की सैर करते हैं और उनके इतिहास, वास्तुकला और महत्व को समझते हैं…
Famous Temples Of Ujjain list
1. श्री महाकालेश्वर मंदिर (Shree Mahakaleshwar Mandir)
महाकालेश्वर मंदिर, हमारे देश भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक, मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह स्वयंभू और दक्षिणमुखी मंदिर मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मानते हुए श्रद्धालुओं को आकृष्ट करता है। 1235 ई. में इल्तुत्मिश द्वारा विध्वंसित इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार बाद में विभिन्न शासकों द्वारा किया गया। 1690 ई. में मराठों के आक्रमण के बाद, 29 नवंबर 1728 को मालवा पर उनका अधिकार स्थापित हुआ और उज्जैन ने अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त की। मराठों के शासनकाल में, मंदिर का पुनर्निर्माण और सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही। राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार कर इसकी महत्ता को और बढ़ाया।
- उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर सुबह 3:00 बजे से ही भक्तों के लिए खोल दिया जाता है और मंदिर के कपाट रात 11:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं। यह मंदिर स्टेशन से करीब 3 किमी दूर है।
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2. काल भैरव मंदिर (Kaal Bhairav Mandir)
काल भैरव मंदिर, मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है, जो शहर के संरक्षक देवता काल भैरव को समर्पित है। क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित इस मंदिर की प्रसिद्धि दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है, यहाँ प्रतिदिन सैकड़ों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में पंचमकार की परंपरा के तहत शराब को चढ़ावा देने की प्रथा है, जबकि अन्य चार प्रसाद—मांस, मछली, मुद्रा, और मैथुन—अब केवल प्रतीकात्मक रूप में पूजे जाते हैं। मौजूदा मंदिर की संरचना पुराने मंदिर के अवशेषों पर आधारित है, जिसे अज्ञात राजा भद्रसेन द्वारा बनवाया गया था। स्कंद पुराण के अवंती खंड में इसका उल्लेख मिलता है और यहाँ से परमार काल की शिव, पार्वती, विष्णु, और गणेश की छवियाँ प्राप्त हुई हैं। मंदिर की दीवारों पर कभी मालवा चित्रों की सजावट थी, लेकिन अब केवल उनके निशान ही रह गए हैं।
- उज्जैन का काल भेरव मंदिर सुबह 06:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है और मंदिर के कपाट रात 09:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन के प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
3. चिंतामन गणेश मंदिर (Chintaman Ganesh Mandir)
चिंतामण गणेश मंदिर उज्जैन के प्रमुख तीर्थ स्थलों में एक है। यहां भगवान श्री गणेश के तीन रूप – चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश, और सिद्धिविनायक – एक साथ विराजमान हैं। चिंतामण गणेश चिंताओं को दूर करते हैं, इच्छामण गणेश इच्छाओं को पूरा करते हैं, और सिद्धिविनायक रिद्धि-सिद्धि प्रदान करते हैं। भक्तों की आस्थाएं यहां खींची चली आती हैं। मान्यता है कि रामायण काल में भगवान रामचन्द्र जी ने यहां पूजा की थी। लक्ष्मण ने अपने बाण से एक बावड़ी का निर्माण किया था, जहां माता सीता ने उपवास खोला। वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई ने लगभग 250 वर्ष पूर्व कराया था, जबकि इसकी नींव परमार काल की है।
- उज्जैन का चिंतामन गणेश मंदिर सुबह 05:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 09:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन स्थित चिंतामन गणेश मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं। यह मंदिर स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर दूर है।
4. गोमती कुंड (Gomti Kund)
गोमती कुंड, उज्जैन शहर, मध्य प्रदेश में स्थित एक प्राचीन और पवित्र जल कुंड है, जो महर्षि सांदीपनि आश्रम के निकट स्थित है। यह कुंड लोक श्रद्धा का प्रतीक है। पुराणों के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने देखा कि महर्षि सांदीपनि सुबह-सुबह कहीं अदृश्य हो जाते हैं, तो उन्हें ज्ञात हुआ कि गुरुजी गोमती नदी में स्नान के लिए जाते हैं, जिससे उनकी विद्या देने में देरी होती है। श्रीकृष्ण ने इस समस्या का समाधान करते हुए गोमती नदी के जल का आवाहन किया, जिससे महर्षि सांदीपनि आश्रम के पास गोमती कुंड प्रकट हुआ। आज भी यह कुंड, जो वर्षों से अपनी वर्गाकार संरचना बनाए हुए है, भगवान श्रीकृष्ण की गुरु भक्ति का स्मरण कराता है।
- उज्जैन के प्रसिद्ध गोमती कुंड तीर्थ स्थान पर दर्शन का समय सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक है।
- उज्जैन के प्रसिद्ध गोमती कुंड पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
5. द्वारकाधीश गोपाल मंदिर (Dwarkadheesh Gopal Mandir)
द्वारकाधीश गोपाल मंदिर उज्जैन का प्रमुख धार्मिक स्थल है और नगर का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। लगभग दो सौ वर्ष पुराना यह मंदिर दौलतराव सिंधिया की पत्नी वायजा बाई द्वारा स्थापित किया गया था। मंदिर का गर्भगृह भव्य चांदी के द्वार से सज्जित है, जिसे दौलतराव सिंधिया ने ग़ज़नी से लाकर स्थापित किया था। मंदिर का शिखर सफेद संगमरमर से बना है, जबकि अन्य भाग काले पत्थरों से निर्मित है। यह मंदिर विशेष रूप से जन्माष्टमी के अवसर पर धूमधाम से सजता है। पर्वों पर यहाँ श्रद्धालुओं को ट्रस्ट द्वारा कई सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। मंदिर का विशाल प्रांगण और सुंदर नक्काशीदार स्तंभ श्रद्धालुओं को शांति का अहसास कराते हैं।
- उज्जैन का द्वारकाधीश गोपाल मंदिर सुबह 04:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 08:30 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन के द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं। मंदिर स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित है।
6. मंगलनाथ मंदिर (Mangalnath Mandir)
उज्जैन, मध्य प्रदेश की धार्मिक धरोहर, मंगलनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। पुराणों के अनुसार, उज्जैन को मंगल की जननी माना जाता है। यहाँ के भक्त विशेष रूप से उन लोगों के लिए इस मंदिर में पूजा करने आते हैं जिनकी कुंडली में मंगल का प्रभाव अधिक होता है, ताकि वे अपने ग्रहों की अशांति को शांत कर सकें। देशभर में मंगल भगवान के कई मंदिर हैं, लेकिन उज्जैन का विशेष स्थान है क्योंकि यहीं उनका जन्म हुआ था। यह प्राचीन मंदिर सिंधिया राजघराने द्वारा पुनर्निर्मित कराया गया था। महाकाल की नगरी उज्जैन में मंगलनाथ भगवान की शिवरूपी प्रतिमा की पूजा का विशेष महत्व है। प्रत्येक मंगलवार को यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जाती है।
- उज्जैन का मंगलनाथ मंदिर सुबह 05:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 10:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं। यह मंदिर स्टेशन से लगभग 4 किलोमीटर दूर है।
7. गढ़कालिका मंदिर (Gadkalika Mandir)
गढ़कालिका मंदिर उज्जैन में स्थित एक पवित्र शक्तिपीठ है, जिसे कालजयी कवि कालिदास के उपास्य देवी के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि कालिदास की प्रतिभा का उभार इस मंदिर में पूजा-अर्चना से हुआ। उनका प्रसिद्ध ‘श्यामला दंडक’ महाकाली स्तोत्र इस मंदिर से प्रकट हुआ। हर साल कालिदास समारोह से पूर्व माँ कालिका की आराधना की जाती है। गढ़कालिका मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक प्रमुख स्थान रखता है, जहां भगवती सती के ऊपरी होंठ गिरे थे। इसे 18 महाशक्तिपीठों में भी शामिल किया गया है, जिसमें उज्जयिनी की महाकाली को गढ़कालिका के रूप में वर्णित किया गया है।
- उज्जैन का गढ़कालिका मंदिर सुबह 06:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 09:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन के गढ़कालिका मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
8. चौबीस खंबा मंदिर (Chaubis Khamba Mandir)
उज्जैन जंक्शन से मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित चौबीस खंभा मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह महाकाल मंदिर के निकट स्थित है और उज्जैन के प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। 9वीं या 10वीं शताब्दी का यह मंदिर छोटी माता और बड़ी माता को समर्पित है और राजा विक्रमादित्य के काल का वास्तुशिल्प चमत्कार है। इसके 24 भव्य स्तंभ इसकी अनूठी संरचना को दर्शाते हैं। प्रवेश द्वार पर महालया और महामाया की छवियां प्रदर्शित हैं, जो मंदिर की संरक्षक देवियाँ मानी जाती हैं। यह मंदिर महाकाल-वन का एक ऐतिहासिक प्रवेश द्वार था। दर्शन का समय सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक है, और प्रवेश निःशुल्क है।
- मंदिर सुबह 05:30 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 07:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन के चौबीस खंबा मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
9. बड़े गणेशजी का मंदिर (Bade Ganesh ji ka Mandir)
उज्जैन स्थित बड़ा गणेश मंदिर, मध्य प्रदेश के उज्जैन का एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है।मंदिर की मुख्य विशेषता गणेश की विशाल और कलात्मक मूर्ति है, जो ज्ञान और समृद्धि के देवता को समर्पित है। यह 18 फीट ऊंची और 10 फीट चौड़ी मूर्ति, जिसकी सूंड दक्षिणावर्त है, महर्षि गुरु महाराज सिद्धांत वागेश पं. नारायण जी व्यास द्वारा स्थापित की गई थी। मंदिर में पंचमुखी हनुमान की भी एक सुंदर मूर्ति है, जो गणेश की स्थापना से पहले स्थापित की गई थी। भक्त यहाँ आकर मनोकामनाएँ पूर्ण मानते हैं और संस्कृत व ज्योतिष भी सीख सकते हैं। मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे और शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है।
- उज्जैन का प्रसिद्ध बड़े गणेश जी का मंदिर 24 घंटे भक्तों के लिए खुला रहता है भक्त कभी भी यहां आकर भगवान गणेश के दर्शन, पूजा व आराधना कर सकते हैं।
- उज्जैन के बड़े गणेशजी मंदिर पहुंचने के लिए, उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा लें। यह मंदिर स्टेशन से करीब 5 किमी दूर है।
10. नगरकोट की रानी विक्रम कीर्ति मंदिर (Vikram Kirti Mandir)
उज्जैन जंक्शन से 4 किमी की दूरी पर स्थित विक्रम कीर्ति मंदिर, मध्य प्रदेश के उज्जैन का एक सांस्कृतिक केंद्र और संग्रहालय है। 1965 में विक्रम युग की दूसरी सहस्राब्दी के उपलक्ष्य में स्थापित, यह स्थल मौर्य युग के गौरव को युवा पीढ़ी को दर्शाने के लिए बनाया गया था। यहाँ सिंधिया ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, एक आर्ट गैलरी, पुरातत्व संग्रहालय और सभागार स्थित हैं। रिसर्च इंस्टीट्यूट में 18,000 पांडुलिपियों का अमूल्य संग्रह है, जिसमें प्राकृत, अरबी, फ़ारसी सहित विभिन्न भाषाओं की दुर्लभ पांडुलिपियाँ शामिल हैं। संग्रहालय में शिलालेख, चित्र, तांबे की प्लेटें, सिक्के, मूर्तियाँ और एक आदिम हाथी की बड़ी खोपड़ी प्रदर्शित है। यह स्थल सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है।
- मंदिर सुबह 05:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 10:00 बजे बंद होते हैं।
- नगरकोट के रानी विक्रम कीर्ति मंदिर पहुंचने के लिए, आप नगरकोट बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं। मंदिर बस स्टैंड से करीब 4 किमी दूर है।
11. नवग्रह मंदिर (त्रिवेणी) (Navgrah Mandir)
शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट पर बसा यह मंदिर उज्जैन के पुराने नगर क्षेत्र से दूर स्थित एक दिव्य स्थल है। यहाँ की धार्मिक गरिमा दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, विशेषकर शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन जब भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह पवित्र स्थल नौ ग्रहों को समर्पित है, जो विशेष रूप से ग्रह दोष और जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए प्रसिद्ध है। दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर का कोई उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में नहीं मिलता, बावजूद इसके, इसका महत्व आधुनिक काल में लगातार बढ़ रहा है। मंदिर की मान्यता और इसके प्रति श्रद्धा आज भी अनेक भक्तों के दिलों में गहराई से बसी हुई है।
- नवग्रह मंदिर (त्रिवेणी) मंदिर सुबह 05:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 09:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन के नवग्रह मंदिर (त्रिवेणी) पहुंचने के लिए, उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
12. पाताल भैरवी मंदिर (Patal Bhairavi Temple)
उज्जैन में स्थित पाताल भैरवी मंदिर, काल भैरव मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, शहर के संरक्षक देवता पाताल भैरव को समर्पित है। शिप्रा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर उज्जैन के सबसे सक्रिय और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दुष्ट राक्षस भैरव नाथ ने वैष्णो देवी, जो देवी माँ का अवतार थी, का पीछा किया। संकट से बचने के लिए, देवी ने धरती में एक तीर मारा, जिससे पानी का स्रोत उभरा और वह एक गुफा में छुप गई। अंततः, भैरव को पराजित करने के लिए देवी ने महाकाली का रूप धारण किया। इस मंदिर की पूजा से भक्तों को भैरव की शक्ति और सुरक्षा प्राप्त होती है।
- पाताल भैरवी मंदिर सुबह 07:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 08:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन के पाताल भैरवी मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
13. राम जनार्दन मंदिर (Ram Janardhan Mandir)
अंकपाट क्षेत्र में स्थित श्री राम जनार्दन मंदिर, 17वीं शताब्दी का एक ऐतिहासिक रत्न है, जिसमें श्री राम और जनार्दन (विष्णु) की पूजा होती है। यह स्थल प्राचीनकाल में एक महत्वपूर्ण मंदिर स्थल रहा होगा, क्योंकि यहां की कई मूर्तियाँ दसवीं और बारहवीं शताब्दी की हैं, जो परमार काल की धरोहर को दर्शाती हैं। 18वीं शताब्दी में मराठों ने इसके चारों ओर एक चारदीवारी और कुंड का निर्माण कर इसकी सुरक्षा को सुनिश्चित किया। मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा निर्मित यह मंदिर आज अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यहाँ की दीवारों पर मराठा कला की झलक मिलती है, जिसमें राम और कृष्ण के जीवन के दृश्य चित्रित हैं, जो इस स्थल की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्वपूर्णता को उजागर करते हैं।
- राम जनार्दन मंदिर सुबह 06:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 07:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन के राम जनार्दन मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
14. अंगारेश्वर महादेव मंदिर (Angareshwar Mahadev Temple)
उज्जैन का अंगारेश्वर मंदिर अपने अनूठे महत्व के लिए प्रसिद्ध है, विशेषकर उन भक्तों के लिए जो मंगल दोष से राहत की तलाश में हैं। यह मंदिर दुनिया का एकमात्र स्थल है जहां दर्शन से मंगल दोष का निवारण होता है। दीपावली के बाद आने वाले मंगलवार को इस मंदिर में अन्नकूट महोत्सव आयोजित होता है, जो इसकी विशेषता को और भी उजागर करता है। स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में उल्लेखित अंगारेश्वर महादेव मंदिर उज्जैन के 84 महादेवों में शामिल है। पंडित मनीष उपाध्याय के अनुसार, यहां दर्शन से न केवल मंगल दोष दूर होते हैं, बल्कि मंगलवार को पूजन से कार्यों में अड़चनें भी समाप्त होती हैं। पुजारी रोहित के मुताबिक, दूर-दूर से श्रद्धालु इस दिन विशेष दर्शन करने आते हैं और मंगल दोष से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
- उज्जैन का प्रसिद्ध अंगारेश्वर महादेव मंदिर 24 घंटे भक्तों के लिए खुला रहता है भक्त कभी भी यहां आकर भगवान गणेश के दर्शन, पूजा व आराधना कर सकते हैं।
- उज्जैन के अंगारेश्वर महादेव मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
15. विक्रमादित्य मंदिर (Vikramaditya Mandir)
शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर के पास स्थित उज्जयिनी का सम्राट राजा विक्रमादित्य का मंदिर, 500 साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर है। भक्त दूर-दूर से इस पवित्र स्थल पर राजा विक्रमादित्य के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। विशेष रूप से चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर, इस मंदिर में राजा को छप्पन पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है। पुजारी के अनुसार, यह परंपरा राजा विक्रमादित्य ने शुरू की थी। दर्शन करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। पुजारी पं. अखिलेश जोशी, जो पांचवीं पीढ़ी से इस मंदिर की सेवा में लगे हैं, के पास भोज पत्र पर बने यंत्र का एक अद्भुत नक्शा है। इस यंत्र में विश्व का नक्शा और एक भ्रूण की आकृति देखने को मिलती है, जिसे उनके पूर्वज पृथ्वी का नाभि केंद्र मानते थे। राजा जयसिंह ने बाद में गऊघाट के पास यंत्र महल का निर्माण कराया, जहां से पंचांग की गणना की जाती है।
- सुबह 05:00 बजे से भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, और मंदिर के कपाट रात 08:00 बजे बंद होते हैं।
- उज्जैन के विक्रमादित्य मंदिर पहुंचने के लिए, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
Conclusion:-Famous Temples Of Ujjain
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (उज्जैन के प्रसिद्ध मंदिर) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Famous Temples Of Ujjain
Q. उज्जैन के सबसे प्रसिद्ध मंदिर कौन-कौन से हैं?
Ans. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर, भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और उज्जैन का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यहां भगवान महाकालेश्वर की पूजा की जाती है। यह मंदिर अपनी भव्यता और अनूठी ‘भस्म आरती’ के लिए प्रसिद्ध है, जो प्रतिदिन प्रातः काल की जाती है। यहां शिव भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं, विशेषकर महाशिवरात्रि के अवसर पर।
काल भैरव मंदिर
काल भैरव मंदिर, उज्जैन के सबसे पवित्र और रहस्यमय मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में काल भैरव देवता की पूजा की जाती है, जो भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं। यहां की विशेषता यह है कि काल भैरव को मदिरा चढ़ाई जाती है, जो एक अनोखी परंपरा है और श्रद्धालुओं के बीच बहुत प्रसिद्ध है।
हरसिद्धि माता मंदिर
हरसिद्धि माता मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यह मंदिर शक्ति पीठों में से एक है, जहां माता सती के शरीर के अंग गिरे थे। यहां नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं, जिनमें भाग लेने के लिए हजारों भक्त आते हैं।
Q.उज्जैन में और कौन-कौन से महत्वपूर्ण मंदिर हैं?
Ans. सिद्धनाथ मंदिर: यह एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
चिंतामण गणेश मंदिर: उज्जैन का यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है और इसे बहुत ही शुभ माना जाता है।
गोपाल मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसका श्वेत संगमरमर से बना मंडप वास्तुकला की दृष्टि से अत्यधिक खूबसूरत है।
Q. उज्जैन के मंदिरों का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
Ans. उज्जैन के मंदिरों का दौरा करने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है, जब मौसम सुहावना होता है। इसके अलावा, महाशिवरात्रि, नवरात्रि, और कार्तिक मास के दौरान यहां विशेष धार्मिक उत्सव मनाए जाते हैं, जो मंदिरों के दर्शन का एक उत्कृष्ट समय है।
Q. उज्जैन में मंदिर दर्शन के लिए कैसे पहुंचे?
Ans. उज्जैन रेलवे और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां का निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (लगभग 55 किलोमीटर दूर) है, जो प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। उज्जैन शहर में स्थानीय परिवहन के लिए टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, और सिटी बसें आसानी से उपलब्ध हैं।
Q. उज्जैन में मंदिर दर्शन के दौरान किन बातों का ध्यान रखें?
Ans. ड्रेस कोड का पालन करें: मंदिरों में उचित परिधान पहनें।
समय का ध्यान रखें: मंदिरों के दर्शन के समय का ध्यान रखें, विशेषकर ‘भस्म आरती’ के लिए महाकालेश्वर मंदिर में।
परंपराओं का सम्मान करें: स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं का सम्मान करें।
उज्जैन के मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी हैं। अपनी अगली यात्रा में इन मंदिरों का अवश्य भ्रमण करें और उज्जैन की आध्यात्मिक शांति का अनुभव करें।