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गोविंद देव जी मंदिर जयपुर (Govind Dev Ji Temple, Jaipur): क्या है इस मंदिर की खासियत? जानिए इतिहास, वास्तु कला, आरती का समय

Govind Dev Ji Temple
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गोविंद देव जी मंदिर जयपुर (Govind Dev Ji Temple Jaipur ): राजस्थान की धरती, जो अपनी समृद्ध संस्कृति, भव्य इतिहास और शानदार वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, यहाँ स्थित गोविंद देव जी मंदिर भी उन्हीं शानदार कलाकृतियों में से एक है। जयपुर शहर के बीचोंबीच स्थित यह मंदिर, भगवान कृष्ण (Lord Krishna) को समर्पित है, जिन्हें यहाँ गोविंद देव जी के नाम से जाना जाता है। सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित, यह मंदिर जयपुर के सिटी पैलेस परिसर का एक अभिन्न अंग है। मंदिर का भव्य वास्तुकला, नक्काशीदार स्तंभ, और सुंदर चित्रकारी, दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान गोविंद देव जी की संगमरमर की मूर्ति स्थापित है, जो अपनी सुंदरता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।

गोविंद देव जी मंदिर (Govind Dev Ji Temple, Jaipur) केवल अपनी भव्यता और इतिहास के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यह मंदिर जयपुर के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है, और यहाँ प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर कला प्रेमियों के लिए भी एक स्वर्ग है। मंदिर की दीवारों पर भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं को दर्शाती सुंदर चित्रकारी देखी जा सकती है। मंदिर में स्थापित मूर्तियाँ भी अपनी कलाकारी के लिए प्रसिद्ध हैं। गोविंद देव जी मंदिर जयपुर का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यह मंदिर जयपुर की समृद्ध संस्कृति और इतिहास का प्रतीक है।

आइए, इस लेख में हम गोविंद देव जी मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, धार्मिक महत्व और कलाकृतियों के बारे में विस्तार से जानें।

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गोविंद देव जी मंदिर कहां है? (Where is Govind Dev Ji Temple in Jaipur)

जयपुर (Jaipur) का गोविंद देव जी मंदिर जयपुर शहर के बीचोंबीच, जय निवास बगीचे के मध्य स्थित है। यह मंदिर जयपुर के प्रसिद्ध सिटी पैलेस के पूर्वी भाग में स्थित है। जयपुर का गोविंद देव जी मंदिर धार्मिक, स्थापत्य, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह जयपुर के लोगों के लिए गहरे सम्मान और भक्ति का प्रतीक है। 

Address :
THIKANA MANDIR SRI GOVINDDEVJI , JAIPUR
ठिकाना मंदिर श्री गोविंददेवजी
Jalebi Chowk, Jai Niwas Garden, Jaipur, Rajasthan 302002
Phone: 1800 11 1363
Official Website: https://govinddevji.net/

गोविंद देव जी मंदिर का इतिहास क्या है? (History of Govind Dev Ji Temple)

भगवान गोविंद देव जी (Govind Dev Ji Temple) , भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के अन्य रूपों में से एक, आमेर के कछवाहा राजवंश के मुख्य देवता हैं और जयपुर और उसके शासकों के समृद्ध इतिहास से जुड़े हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि मूल गोविंद देव जी की मूर्ति वृन्दावन के एक मंदिर में थी, जिसे लगभग 450 साल पहले श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य श्रील रूप गोस्वामी ने वृन्दावन के गोमा टीला से खोदकर निकाला था।

भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के अन्य रूपों में से एक, आमेर के कछवाहा राजवंश के मुख्य देवता हैं और जयपुर और उसके शासकों के समृद्ध इतिहास से जुड़े हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि मूल गोविंद देव जी की मूर्ति वृन्दावन के एक मंदिर में थी, जिसे लगभग 450 साल पहले श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य श्रील रूप गोस्वामी ने वृन्दावन के गोमा टीला से खोदकर निकाला था।

मंदिर के अस्तित्व के बारे में पता चलने पर आमेर के तत्कालीन महाराजा सवाई मान सिंह (Maharaja Sawai Man Singh) ने मुगल सम्राट अकबर (Akbar) के साथ मिलकर 1590 ई. में वृन्दावन (Vrindavan) में एक विशाल मंदिर बनवाया। मंदिर के निर्माण में प्रयुक्त लाल बलुआ पत्थर अकबर द्वारा दान में दिया गया था,  इसके अतिरिक्त, सम्राट ने पशुधन और चारे के लिए लगभग 135 एकड़ जमीन भी दे दी। 17वीं शताब्दी के दौरान, मुगल शासक औरंगजेब हिंदू मंदिरों को तोड़ने और मूर्तियों को नष्ट करने पर उतारू था। लगभग उसी समय, वृन्दावन में गोविंद जी की मूर्ति की देखभाल श्री शिव राम गोस्वामी ने की। मूर्तियों को बचाने के प्रयास में, वह मूर्तियों को वृन्दावन से लेकर भरतपुर के कामा और राधाकुंड से लेकर सांगानेर के गोविंदपुरा तक स्थानांतरित करते रहे।

चूंकि भगवान गोविंद देव जी  (Govind Dev Ji Temple) शासक वंश के प्रमुख देवता थे, इसी कारण आमेर के तत्कालीन शासक, महाराजा सवाई जय सिंह (Maharaja Sawai Man Singh) ने मूर्ति को सुरक्षा प्रदान करने का दायित्व लिया और इसे 1714 ईस्वी में आमेर घाटी में रख दिया, जिसे बाद में इस स्थान को कनक वृंदावन नाम दिया गया। हालाँकि, वे इसे खुलकर सामने नहीं रख सके क्योंकि उस दौरान आमेर मुगल दरबार में कार्यरत थे  और वह मुगलों के साथ टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकता थे।

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भगवान गोविंद देव जी की कथा (Story of Lord Govind Dev Ji)

किंवदंतिया बताती हैं कि लगभग 5500 साल पहले, भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) के परपोते, बज्रनाभ ने अपनी दादी से भगवान के मूल स्वरूप के बारे में पूछा और उचित निर्देश प्राप्त करने के बाद भगवान की सटीक मूर्ति बनाना चाहा था।

उन्होंने जो पहली मूर्ति बनाई, लेकिन उसमें केवल भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के पैर उनके स्वरूप के जैसे थे। इस पहली मूर्ति का नाम भगवान ‘मदन मोहन जी’ रखा गया, और यह राजस्थान के करौली में स्थापित है। ब्रजनाभ ने तब दूसरी मूर्ति बनाई जिसमें केवल छाती ही भगवान कृष्ण की तरह दिख रही थी l और इस मूर्ति को भगवान ‘गोपी नाथ जी’ नाम दिया गया था, और यह राजस्थान में जयपुर की पुरानी बस्ती में स्थापित है।

और अंत में  ब्रजनाभ ने तीसरी मूर्ति बनाई और यह बज्रनाभ द्वारा बनाई गई तीसरी मूर्ति थी जो बिल्कुल भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) की तरह दिख रही थी और उनकी दादी ने इस मूर्ति को मान्यता भी दी थी। इस अंतिम मूर्ति को भगवान ‘गोविंद जी’ के नाम से जाना जाने लगा। गोविंद जी की मूर्ति को ‘बज्रकृत’ भी कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘बज्रनाभ द्वारा निर्मित’।  और आज इन्हीं गोविंद देव जी  की मान्यता पूरे देश भर में है , लोग दूर-दूर से राजस्थान की यात्रा करने आते हैं और भगवान गोविंद देव जी (Govind Dev Ji) के दर्शन करते हैं ।

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गोविंद देव जी मंदिर की वास्तु कला कैसी है? (How is The Architecture of Govind Dev Ji Temple)

जयपुर (Jaipur) का गोविंद देव जी मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह मंदिर 17वीं शताब्दी में बनाया गया था और इसमें कोई शिखर नहीं है, जो इसकी खास विशेषता है । मंदिर का निर्माण बालुआ पत्थर और बलुआ पत्थर के मिश्रण से किया गया है, जिस पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर के चारों ओर एक खूबसूरत बगीचा है। मंदिर को शाही परिवार के लिए ग्रिड पैटर्न में बनाया गया है, जिससे यह एक महल जैसा दिखता है। मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर है, जो गर्भगृह तक ले जाता है, जहां देवताओं की मूर्तियां विराजमान हैं। 

मंदिर का प्रार्थना हॉल काफी विशाल है, जिसमें हजारों लोग समा सकते हैं। अंदर की दीवारें और खंभे गुलाबी रंग के हैं और छत पर फूलों की आकृतियां बनी हुई है। मंदिर की छत को सोने से सजाया गया है और मंदिर का स्थान ऐसा है कि महाराजा को अपने चंद्र महल से सीधा दर्शन होता था। मंदिर की यह खूबसूरत और विशिष्ट वास्तुकला इसे जयपुर के प्रमुख आकर्षणों में से एक बनाती है।

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गोविंद देव जी मंदिर का समय  (Govind Dev Ji Temple Timings) 

गोविंद देव जी मंदिर भक्तगणों के लिए सुबह 4:30 से दोपहर 12:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है और फिर शाम को 5:45 से रात के 9:30 बजे तक खोला जाता है, इस समय सारणी के दौरान भक्तगण गोविंद देव जी मंदिर में भगवान गोविंद देव जी के दर्शन कर सकते हैं।

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गोविंद देव जी मंदिर में आरती का समय क्या है? (What is The Aarti Timing at Govind Dev Ji Temple)

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गोविंद देव जी मंदिर (Govind Dev Ji) में रोजाना सुबह 4:30 बजे मंगला आरती होती है और फिर सुबह 7:30 और 9:30 बजे धूप और श्रृंगार आरती होती है और फिर गोविंद देव जी सहित अन्य सभी देवी देवताओं को प्रसाद का भोग लगाया जाता है इस भोग को राजभोग भी कहते हैं ।

गोविंद देव जी मंदिर में प्रवेश शुल्क क्या है?  (What is The Entry Fee in Govind Dev Ji Temple)

गोविंद देव जी मंदिर में दर्शन के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है , गोविंद देव जी मंदिर में प्रवेश नि:शुल्क है ।

गोविंद देव जी मंदिर कैसे पहुंचे? (How To Reach Shree Govind Dev Ji Temple)

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रेल मार्ग: 

  • गोविंद देव जी मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जयपुर जंक्शन है। यह मंदिर जयपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • जयपुर भारत के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप अपने शहर से जयपुर के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं और फिर वहां से टैक्सी, ऑटो या बस द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग:

  • जयपुर को देश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8, 11 और 12 जोड़ते हैं । आप अपने वाहन द्वारा या बस द्वारा इन मार्गों के जरिए जयपुर तक आ सकते हैं। जयपुर बस स्टैंड से मंदिर की दूरी लगभग 6 किलोमीटर है। वहां से आप आसानी से टैक्सी या ऑटो ले सकते हैं।

हवाई मार्ग: 

  • जयपुर का अपना हवाई अड्डा है जो सांगानेर में स्थित है। यह हवाई अड्डा शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। गोविंद देव जी मंदिर इस एयरपोर्ट से करीब 14 किलोमीटर दूर है । आप किसी भी प्रमुख शहर से जयपुर के लिए फ्लाइट ले सकते हैं और फिर एयरपोर्ट से टैक्सी या कैब द्वारा सीधे मंदिर पहुंच सकते हैं।

Conclusion:- 

गोविंद देव जी मंदिर जयपुर के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला, शिल्प कला, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक प्रभाव के लिए जाना जाता है। गोविंद देव जी जयपुर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र हैं और मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। गोविंद देव जी मंदिर से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें, साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोज़ाना विज़िट करें ।

FAQ’S :-

Q. गोविंद देव जी मंदिर का वास्तुकला कैसा है?

Ans. मंदिर का वास्तुकला शानदार राजस्थानी शैली का है, जिसमें जटिल नक्काशीदार पत्थर और रंगीन चित्रकारी शामिल हैं।

Q. गोविंद देव जी मंदिर में दर्शन के लिए कब जा सकते हैं?

Ans. मंदिर में दर्शन के लिए सुबह 5:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम 4:30 बजे से रात 9:30 बजे तक जा सकते हैं।

Q. गोविंद देव जी मंदिर में कौन से त्योहार मनाए जाते हैं?

Ans. मंदिर में होली, जन्माष्टमी और दीपावली जैसे कई त्योहार मनाए जाते हैं।

Q. गोविंद देव जी मंदिर में क्या विशेष है?

Ans. मंदिर में भगवान कृष्ण की बाल रूप की मूर्ति अपनी सुंदरता और दिव्यता के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में कई प्राचीन कलाकृतियां और मूर्तियां भी हैं।

Q. गोविंद देव जी मंदिर के अलावा जयपुर में कौन से अन्य प्रसिद्ध मंदिर हैं?

Ans. जयपुर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनमें मोती डूंगरी गणेश मंदिर, बिड़ला मंदिर और जगदीश मंदिर शामिल हैं।