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Ranakpur Jain Temple: देसूरी में स्थित रणकपुर जैन मंदिर है राजस्थान की शान, देश नहीं दुनिया भर से यहां आते हैं पर्यटक

Ranakpur Jain Temple
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Ranakpur Jain Temple: राजस्थान (Rajasthan) की धरती पर खड़ा रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple), अपनी अद्भुत वास्तुकला और कलात्मक सुंदरता के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यह मंदिर जैन धर्म के पाँच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है और अपने अतुलनीय शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है। 

इस मंदिर की स्थापना 15वीं शताब्दी में हुई थी और इसका निर्माण राजस्थान के पाली जिले में अरावली पर्वतमाला की गोद में किया गया था। रणकपुर जैन मंदिर अपने चार मुखी मुख्य मंदिर और 1444 खंभों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का प्रत्येक खंभा अद्वितीय नक्काशी से सजा हुआ है और इन पर की गई कलाकृतियाँ देखते ही बनती हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण चौमुखा मंदिर है, जो प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। इसके अलावा यहाँ पार्श्वनाथ और नेमिनाथ के मंदिर भी हैं। 

रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण चार भक्तों – आचार्य श्यामसुंदरजी, धन्ना शाह, राणा कुम्भा और देपा द्वारा कराया गया था। कहा जाता है कि धन्ना शाह ने एक स्वप्न में एक दिव्य वाहन देखा था, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर के डिजाइन के लिए कई वास्तुकारों को आमंत्रित किया गया, लेकिन अंत में मुंदारा के एक सरल और विनम्र वास्तुकार दीपक का डिजाइन स्वीकार किया गया।

आइए, इस लेख में हम रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple) की खूबसूरती और इतिहास की गहराई में उतरते हैं और इस अद्भुत स्मारक के बारे में विस्तार से जानते हैं…

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रणकपुर जैन मंदिर के बारे में (About Ranakpur Jain Temple)

मंदिर का मोबाइल नंबर08696453616
मंदिर का पतारणकपुर रोड, देसूरी, सादड़ी, राजस्थान 306702
मंदिर की आधिकारिक वेबसाइटhttps://www.ranakpurtemple.com/ 
मंदिर में प्रवेश शुल्कभक्तों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है 
देसूरी बस स्टैंड से मंदिर की दूरी24.5 किलोमीटर 
रानी रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी26.0 किलोमीटर
उदयपुर एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी106.0 किलोमीटर 

रणकपुर जैन मंदिर का इतिहास (History of Ranakpur Jain Temple)

राजस्थान (Rajasthan) के पाली जिले में स्थित रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple) की भव्यता, विशालता और सुंदरता को देखकर आश्चर्य होता है। यह मंदिर जैन धर्म के पांच प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है^4. अरावली पर्वत की घाटियों में बसा हुआ यह मंदिर आदिनाथजी, पहले जैन तीर्थंकर, को समर्पित है।

इसका निर्माण 1446 विक्रम संवत (1390 ईसवी) में शुरू हुआ था, और इसे पूरा करने में 50 साल लग गए। मंदिर को बनाने का काम अपनी विशालता और खूबसूरत नक्काशी के लिए मशहूर है। 1953 विक्रम संवत में, यह मंदिर एक ट्रस्ट के हाथों में सौंपा गया, जिसके परिणामस्वरूप इसकी बहाली और रेणोवेशन हुई। मंदिर का क्षेत्रफल 40,000 वर्ग फीट है, जिसमें चार प्रवेश पोर्च और कई छोटे मंदिर शामिल हैं।  मुख्य मंदिर में आदिनाथ की एक 72 इंच ऊंची, चार-मुखी मूर्ति है। इसके अलावा, यहाँ जैन तीर्थंकर नेमिनाथ और पार्श्वनाथ के समर्पित दो अन्य मंदिर हैं। रणकपुर जैन मंदिर की सबसे आकर्षक विशेषता उसकी सुंदर और जटिल संगमरमर की नक्काशी है। यह मंदिर 1,444 स्तंभों के लिए जाना जाता है, जो सभी जटिल रूप से तराशे गए हैं। मंदिर का मुख्य उत्सव महावीर जन्म कल्याणक है, जो जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पैगंबर महावीर के जन्म को मनाता है।

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रणकपुर जैन मंदिर की वास्तुकला कैसी है (Architecture of Ranakpur Jain Temple)

रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple) की वास्तुकला अत्यंत भव्य और अनूठी है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • मारू-गुर्जर शैली: रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple) मारू-गुर्जर वास्तुकला शैली में निर्मित है, जो भारतीय और इस्लामी शैलियों का एक मिश्रण है। मंदिर आदिनाथ की चार-मुखी (चौमुखा) प्रतिमा के रूप में बनाया गया है, जिसमें प्रत्येक मुख उनके व्यक्तित्व के एक अलग पहलू को दर्शाता है। मुख्य हॉल 1444 बारीकी से नक्काशी वाले स्तंभों द्वारा समर्थित है, जो विभिन्न देवताओं, नर्तकियों और संगीतकारों की मूर्तियों से सुसज्जित हैं।
  • जटिल नक्काशी और मूर्तिकला: मंदिर के स्तंभ, दीवारें और छतें जटिल नक्काशी और मूर्तिकलाओं से सुसज्जित हैं, जो जैन पौराणिक कथाओं और लोककथाओं के विभिन्न दृश्यों को चित्रित करते हैं। मंदिर की छत पर भी जटिल पैटर्न और डिज़ाइन सजाए गए हैं, जो इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं। मुख्य हॉल 1444 स्तंभों द्वारा समर्थित है, जिनमें से प्रत्येक अद्वितीय और बारीकी से उकेरा गया है।

रणकपुर जैन मंदिर में प्रवेश शुल्क (Ranakpur Jain Temple Entry Fee)

रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple), राजस्थान (Rajasthan) में स्थित, एक भव्य और आध्यात्मिक स्थल है। भारतीय नागरिकों के लिए प्रवेश निःशुल्क है, जबकि विदेशी नागरिकों को 200 भारतीय रुपये (INR) का शुल्क देना होता है। मोबाइल फोन और कैमरे का उपयोग करने के लिए अतिरिक्त शुल्क लगता है।

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रणकपुर जैन मंदिर का महत्त्व (Importance of Ranakpur Jain Temple)

रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple) जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है जो अपनी भव्यता, विशालता और सुंदर वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां प्रवेश करने से मनुष्य 84 लाख योनियों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है। इसकी खूबसूरत नक्काशी और मूर्तिकला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। यह मंदिर जैन संस्कृति के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण मंदिरों में गिना जाता है। इसमें आदिनाथ, नेमिनाथ और पार्श्वनाथ जैसे प्रमुख तीर्थंकरों के भव्य मंदिर हैं। रणकपुर जैन मंदिर जैन धर्म की अटूट आस्था और गहरी श्रद्धा का प्रतीक है।

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रणकपुर जैन मंदिर कैसे पहुंचे (How To Reach Ranakpur Jain Temple)

वायु मार्ग से (By Air): 

  • रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple) से निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर में स्थित है इस हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी महज 106 किलोमीटर है। 

सड़क मार्ग द्वारा (By Road):

  • रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple) से निकटतम बस स्टॉप केवल 24.5 किलोमीटर दूर है, यहां से मंदिर तक का रास्ता तय करना आपके लिए काफी सरल रहेगा। इस स्टॉप से आप एक बस ले सकते हैं और बस से मंदिर तक की यात्रा को सफल बना सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा (By Railway): 

  • देसूरी में स्थित रानी रेलवे स्टेशन रणकपुर जैन मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन है जिसकी दूरी 26 किलोमीटर है। 

विशेष आयोजन (Special Event)

रणकपुर जैन मंदिर में साल भर विभिन्न महत्वपूर्ण जैन त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें सबसे प्रमुख महावीर जयंती है, जो भगवान महावीर के जन्म का उत्सव है। इसके अलावा पर्युषण पर्व, दीपावली और महावीर निर्वाण दिवस भी धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन अवसरों पर मंदिर विशेष रूप से सजाया जाता है और हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की मान्यता है कि यहाँ आने से व्यक्ति 84 लाख योनियों से मुक्ति पाकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है। इसलिए ये पर्व यहाँ विशेष महत्व रखते हैं।

Conclusion:-

रणकपुर जैन मंदिर, प्राचीन भारतीय वास्तुकला की अद्वितीय कृति है। इसकी विशालता, सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण यह जैन समुदाय के लोगों के लिए एक प्रमुख यात्रा स्थल और पर्यटन स्थल बन गया है। यह मंदिर उनके अटूट विश्वास और गहरी भक्ति का प्रतीक है। रणकपुर जैन मंदिर से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे इस लेख को अपने सभी प्रिय जनों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य सभी आर्टिकल्स को भी एक बार जरूर पढ़े। इस लेख से उत्पन्न अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो तो अपने प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए हम आपके सभी प्रश्नों के जवाब देने का हर संभव प्रयास करेंगे, ऐसे ही और फिर रोचक लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें। 

FAQ’S 

Q. रणकपुर जैन मंदिर किस तीर्थंकर को समर्पित है? 

Ans. रणकपुर जैन मंदिर प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। मंदिर में आदिनाथ की चार दिशाओं में मुख वाली 72 इंच ऊंची संगमरमर की मूर्तियां स्थापित हैं।

Q. रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण किसने और कब करवाया था? 

Ans. मेवाड़ के राजा राणा कुंभा के मंत्री धरणशाह ने 15वीं शताब्दी के अंत में रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर के निर्माण में लगभग 50 वर्ष का समय लगा था।

Q. रणकपुर जैन मंदिर को किस नाम से भी जाना जाता है? 

Ans. रणकपुर जैन मंदिर को चौमुखा मंदिर या चतुर्मुख मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण मंदिर के मुख्य गर्भगृह में आदिनाथ की चार दिशाओं में मुख वाली मूर्तियों का होना है।

Q. रणकपुर जैन मंदिर की मुख्य प्रार्थना हॉल में कितने खंभे हैं? 

Ans. रणकपुर जैन मंदिर के मुख्य प्रार्थना हॉल में 1444 खंभे हैं। इनमें से कोई भी खंभा एक-दूसरे से मिलता-जुलता नहीं है और सभी खंभों पर सुंदर और बेजोड़ नक्काशी की गई है।

Q. रणकपुर जैन मंदिर परिसर में कितने अन्य मंदिर स्थित हैं? 

Ans. रणकपुर जैन मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा पार्श्वनाथ, नेमिनाथ और सूर्य नारायण को समर्पित चार अन्य मंदिर भी हैं। इसके साथ ही लगभग 1 किमी दूर अंबा माता का मंदिर भी स्थित है।

Q. रणकपुर जैन मंदिर की मुख्य विशेषता क्या है? 

Ans. रणकपुर जैन मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि चारों ओर से मुख्य मूर्ति के दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर के खंभों और दीवारों पर की गई जटिल और सुंदर नक्काशी भी इसकी प्रमुख विशेषता है।